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अक्तूबर, 2023 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

सुन मेरे हमसफर 209

  209 कुहू की मेहंदी की रस्म चल रही थी। ज्यादा लोग नहीं थे, बस बाहर के कुछ ही। लेकिन घर के ही लोग इतने ज्यादा हो गए थे कि ज्यादा किसी को बुलाने की जरूरत ही नहीं पड़ी थी। निशि काया शिव सुहानी, चारों ने कुहू की हथेली पर मेहंदी का शगुन किया और सबकी नज़रें नेत्रा की तरफ उठ गई।     नेत्रा एक साइड में बैठी अपना पिज़्ज़ा एंजॉय कर रही थी। सबको अपनी तरफ देखते हुए पाकर नेत्रा ने अपने कंधे उचकाये और कहा "आप लोग ऐसे क्यों देख रहे हो मुझे? आप लोगों को भी पिज़्ज़ा खाना है क्या? मैंने तो पहले ही पूछा था!"     चित्रा ने अपनी बेटी को डांट लगाई और कहा "पिज़्ज़ा खाना होता तो हम खुद ऑर्डर कर सकते हैं। कॉमन सेंस नाम की भी कोई चीज होती है। अगर हर कोई तुम्हारी तरफ देख रहा है इसका मतलब यह कि तुमसे हम कुछ एक्सपेक्ट कर रहे हैं।"     नेत्रा बड़ी लापरवाही से बोली "एक्जेक्टली! जिस तरह पिज़्ज़ा आप लोग खुद भी ऑर्डर कर सकते हैं तो जो मुझे एक्सपेक्ट कर रहे हैं वह आप में से कोई भी कर सकता है। मैं करूं यह जरूरी तो नहीं। कॉमन सेंस! और वैसे भी मुझे कोई शौक नहीं है मेहंदी का। मैं वैसे ही इस सबसे द

सुन मेरे हमसफर 208

 208     कुहू के सवाल पर अव्यांश एकदम से चौंक गया। उसने तो ऐसा कुछ नहीं कहा था फिर कुहू ऐसा कैसे बोल सकती थी? अव्यांश कुहू के सवाल कोई जवाब ढूंढ पता उससे पहले ही कुहू अपने सर पर हाथ मार कर बोली "मैं भी ना, पागल हूं। हमारे यहां आधे से ज्यादा शादियां अरेंज मैरिज होती है और फिर जिन हालात में तूने निशी का हाथ थामा था, ऐसे में तो उसे तेरे प्यार में गिरते वक्त नहीं लगेगा। और मैं यह भी जानती हूं कि तू अपनी निशि से कितना प्यार करता है। तेरी आंखों में दिखता है वह।" कुहू आईने की तरफ मुड़ी और वापस से अपने बाल संवारने में लग गई।     अव्यांश फीकी सी मुस्कान के साथ बोला "फिर उसे ये क्यों नही दिखता? सबकी फेयरी टेल एक जैसी नहीं होती और सब की स्टोरी कोई फेयरी टेल नहीं होती।"      कुहू ने चौक कर पीछे पलटते हुए पूछा "तूने कुछ कहा क्या?"       अव्यांश अपनी बात छुपाते हुए बोला "बिल्कुल नहीं। मैं तो बस यह सोच रहा हूं कि हमारे यहां बिना प्यार की शादी होती है लेकिन तब क्या हो जब शादी में प्यार की कोई उम्मीद ही ना हो? क्या बिना प्यार के कोई शादी टिक सकती है?"      अव्या

सुन मेरे हमसफर 207

  207      कुहू अपने पीछे चित्रा को भगा रही थी और पूरे घर में उधम मचा रही थी। ना कुहू थक रही थी और न हीं चित्रा। लेकिन चित्रा को देखकर कुहू समझ गई कि खुद को अभी भी यंग दिखने के चक्कर में उसकी चित्रा मॉम की हालत खराब हो रही है, इसलिए वो जाकर सोफे पर बैठ गई और आराम से लेट कर हांफते हुए बोली "मानना पड़ेगा। अभी भी आप हमसे ज्यादा एनर्जेटिक हो।"      चित्रा की भी हालत खराब हो गई थी। फिर भी वह अपनी नाक ऊंची कर बोली "आगे से पंगा मत लेना।" सभी हंस पड़े।   काव्या बोली "बहुत हो गया तुम लोगों का बचपना। मैं चाय बना कर लाती हूं, उसके बाद कुहू! तुम्हारी मेहंदी की रस्म है।"     चित्रा उसे रोकते हुए बोली "अरे काव्या! चाय मैं बना दूंगी, तुम जाकर देखो ढोलक वाली आई या नहीं।"       काया अपनी धुन में नीचे उतर रही थी। चित्रा ने उसकी कान पकड़ी और बोली "कहां से आ रही है सवारी? इस वक्त तुम्हें सबको बुलाने जाना था। अरे 5 सुहागने मिलकर गीत गुंजन करती है तब तो लगता है कि घर में शादी का माहौल है। एक तो इतनी जल्दबाजी में तुम लोग शादी कर रहे हो ना, कहीं से कोई रौनक लगी नही

सुन मेरे हमसफर 206

  206     कुणाल को पहले तो कुछ समझ नहीं आया लेकिन लैपटॉप देखकर उसने अपनी आंखें बंद कर ली और समझ गया कि अव्यांश को उसकी सच्चाई पता चल गई है। जब उसके असिस्टेंट ने उसे फोन किया था तो उसने यह नहीं बताया था कि अव्यांश को काम है। उसने अव्यांश के सामने अपनी सफाई देनी चाही तो अव्यांश ने एक पंच और उसके जबड़े पर दे मारा और बोला "एक और शब्द नहीं! कोई झूठ नहीं!! हिम्मत भी मत करना मेरे सामने झूठ बोलने की वरना तुम्हारे साथ में क्या करूंगा ये तुम सोच भी नहीं सकते। तुम जैसा घटिया इंसान मैंने आज तक नहीं देखा। तुम्हारा कैरेक्टर क्या है कुणाल रायचंद?"     कुणाल को हंसी आ गई। उसने कहा "तुम दोनों भाई बहन बिल्कुल एक जैसे हो। शिविका भी मुझे यही कहती है।"      अव्यांश ने कुणाल की कॉलर पकड़ ली और बोला मेरी बहन का नाम लेने की कोशिश भी मत करना। तुम जैसा घटिया इंसान...........! बेचारी मेरी कुहू दी! जो यह सोचती है कि तुम उनसे प्यार करते हो और शादी करना चाहते हो।"      कुणाल उसके बाद बीच में टोक कर बोला "तुम्हारी बहन बहुत अच्छे से जानती है कि मैं उससे प्यार नहीं करता अव्यांश, बल्कि किस

सुन मेरे हमसफर 205

  205      कुणाल के ऑफिस से निकलकर अंशु सीधे हॉस्पिटल के लिए निकला। रास्ते में काव्या ने उसे कॉल किया और पूछा "अंशु कहां है तू?"      अंशु ने बिना कुछ सोचे समझे कहा "मासी मैं हॉस्पिटल जा रहा हूं । मुझे कुणाल से कुछ काम था।"      काव्या जल्दी से बोली "अभी अस्पताल पहुंचा नहीं है ना! तो एक काम कर, यहां आजा।"      अंशु के दिमाग में भी कुछ और चल रहा था। उसने कहा "मासी मैं एक बार हॉस्पिटल से हो आता हूं उसके बाद आपसे मिलता हूं कुछ जरूरी काम था कुणाल से।"    काव्या समझाते हुए बोली "मैं भी तो वही कह रही हूं। हॉस्पिटल जा रहा है तो पहले यहां आजा मुझे कोई काम है। कुणाल के लिए मैंने शेरवानी तैयार की थी। एक बार भी उसने ट्राई नहीं किया है। उसके फिटिंग वगैरा चेक करवानी थी। इसीलिए तू आ और आकर लेकर जा।"      अंशु के दिमाग में कुछ और ही चल रहा था। लेकिन बिना कुछ और सोच ने फोन काट दिया। अंशु लगभग हॉस्पिटल के पास पहुंच ही चुका था उसने गाड़ी यू टर्न ली और काव्या के बुटीक चला गया।     सुहानी को रोना आ रहा था इसलिए वो छत पर चली आई लेकिन छत पर आकर उसने काया और

सुन मेरे हमसफर 204

  204        कुहू हंसते हुए बोली "बस कर पगली! झूठ नहीं बोला बस थोड़ा सा छुपाया और कुछ नहीं। वह तो मुझे भी नहीं बताती अगर मैं उसे ना पकड़ती तो।"     सुहानी लगभग भागते हुए आई और बिस्तर पर घुटने के बाल चढ़कर कुहू के ठीक सामने बैठते हुए बोली "आप पहले यह बताओ कि वह लफंगा है कौन?      शिवि सुहानी को समझाते हुए बोली "सोनू! ऐसे किसी की भी इंसल्ट नहीं करते।"     लेकिन कुहू हँसते हुए बोली "लफंगा ही है वह। पता नहीं कायू को कैसे पसंद आ गया!      नेत्रा कुछ देर के लिए सब कुछ भूल गई और कुहू से एक्साइटेड होकर पूछा "कौन लफंगा? किसकी बात कर रही हो तुम?"     कुहू बोली "तुम सब जानते हो उसे। अरे मैं सिंघानिया की बात कर रही हूं, कुणाल का दोस्त।"     शिवि के मुंह से एकदम से निकला, "वो लफंगा.....?"      नेत्रा को भी यकीन नहीं हो रहा था कि कार्तिक सिंघानिया और काया दोनों एक साथ थे लेकिन सुहानी के चेहरे की सारी रौनक गायब हो गई। वह कुछ बोल ही नहीं पाई। कुहू ने आगे बताया "सारांश चाचू ने सिंघानिया से कहां ना कि अपने पेरेंट्स को लेकर आए! वो काया और उ

सुन मेरे हमसफर 203

 203   दोपहर के बाद किसी काम के सिलसिले में अव्यांश अपने ऑफिस गया और वहां से कुछ जरूरी फाइल्स लेकर कुणाल के ऑफिस पहुंचा। वहां का काम निपटाने के बाद कुणाल के असिस्टेंट ने अव्यांश को कुछ फाइल दिखाते हुए बोला "सर एक बार आप इसको खुद से चेक कर लेते तो हम आगे का प्रोसीजर कंटिन्यू कर सकते हैं।"      अव्यांश ने एक सरसरी नजर उस फाइल पर डाली और उसके पेपर चेक करके बोला "यह सब तो ठीक है लेकिन मुझे इससे रिलेटेड एक और डॉक्यूमेंट चाहिए थे।"     असिस्टेंट बोला "सर वह तो आपको कुणाल सर के लैपटॉप में मिल जाएगा। इस प्रोजेक्ट पर वही काम कर रहे हैं।"      अव्यांश सच में पड़ गया। उसने कहा "लेकिन कुणाल तो हॉस्पिटल में है। लैपटॉप का पासवर्ड तो उसे ही पता होगा।"      असिस्टेंट बोला "मुझे पता है सर मैं आपको लैपटॉप ऑन करके देता हूं आप चलिए मेरे साथ।" कहते हुए असिस्टेंट ने अपना फोन निकाला और कुणाल को नंबर डायल कर दिया। दूसरी तरफ से कुणाल का परमिशन लेने के बाद वह दोनों कुणाल के केबिन में गए।    असिस्टेंट ने अव्यांश को सोफे पर आराम से बैठने को कहा और खुद जाकर कुणाल क

सुन मेरे हमसफर 202

  202      शिवि के चेहरे पर लगा हल्दी देखकर नेत्रा का चौंकना लाजिमी था। लेकिन शिवि खुद भी चौंक गई थी। उसने अपने चेहरे पर से हल्दी पोछते हुए कहा "मेरे चेहरे पर हल्दी?"      शिवि को पता ही नहीं था कि उसके चेहरे पर किस तरफ हल्दी लगी है लेकिन नेत्रा तो साफ़-साफ़ देख रही थी। उसने कहा "आप तो घर नहीं गए थे। मैंने पूछा था रिसेप्शन पर तो पता चला आप कल रात से ही यहां हो।" नेत्रा ने शिवि के चेहरे पर से हल्दी पोंछा और अपने रुमाल से साफ करते हुए बोली "आपने किसी को बताया नहीं कि आपने अपनी नाइट शिफ्ट करवा ली है।"     शिवि उसके बगल में बैठ गई और बोली "नाइट शिफ्ट की जरूरत थी। अभी कुछ डॉक्टर है जो छुट्टी पर गए हैं। ऐसे में किसी का तो यहां होना बनता था।" शिवि का दिमाग बस यही सोचने में लगा था कि उसके चेहरे पर हल्दी कैसे लगी तब जाकर अचानक ही उसे याद आया कि जब कुणाल ने उसका हाथ पकड़ा था तब वह अचानक ही कुणाल के ऊपर गिर गई थी। उसे अभी भी एहसास हो रहा था जैसे वह हल्दी अब तक उसके चेहरे पर लगी हो।      शिवि के हाथ बार-बार उसे जगह को पोछने में लगे थे। नेत्रा ने उसका हाथ पकड

सुन मेरे हमसफर 201

  201      कुणाल के हाथ पकड़ने से शिवि थोड़ी अनबैलेंस हो गई और जाकर सीधे कुणाल के ऊपर गिरी। उसी वक्त कमरे का दरवाजा खुला और कार्तिक सिंघानिया बेधड़क अंदर घुसते हुए बोला "बधाई हो मेरे दोस्त! हल्दी की रस्म हो गई क्या तेरी?" और सामने नजारा देख उसके मुंह से सिटी बज गई।     शिवि और कुणाल ने जब कार्तिक की आवाज सुनी तो दोनों ही हड़बड़ा गए। शिवि ने कुणाल को धक्का दिया और उठ खड़ी हुई तो देखा कार्तिक सिंघानिया अपने आंखों पर हाथ रख दूसरी तरफ घूम कर खड़ा था। शिवि ने गुस्से में कुणाल की तरफ देखा और कार्तिक से बोली "थोड़ा ना, अपने दोस्त को संभाल कर और समझ कर रखा करो। कैसे दोस्त हो तुम जो उसकी जरूरत का ख्याल नहीं रख सकते? एक बेचारी नर्स कितना करेगी?"      कार्तिक सिंघानिया ने अपनी आंखों पर से हाथ हटाया और धीरे से शिवि की तरफ मुड़कर बोला "तुम हो ही उसका ख्याल रखने के लिए। उसे मेरी क्या जरूरत!"     शिवि ने चौकते हुए पूछा "क्या मतलब?"     कार्तिक सिंघानिया ने तिरछी नजरों से कुणाल की तरफ देखा जो उसे आंखों से कुछ इशारे कर रहा था। कार्तिक सिंघानिया मुस्कुरा कर बोला &

सुन मेरे हमसफर 200

  200      दूसरी तरफ कुणाल के हल्दी की रस्म के लिए उसके मम्मी पापा ही वहां मौजूद थे दूसरा और कोई नहीं था। यह मिस्टर रायचंद के ही आदतों का नतीजा था जो परिवार का कोई भी सदस्य कुछ खास रिश्ता बिल्कुल नहीं रखना चाहता था। हल्दी की रस्म पूरी करके कुहू के लिए हल्दी का कटोरा तैयार कर मिसेज रायचंद बोली "अब मैं इस हल्दी को कुहू के घर भिजवा दे रही हूं। लेकिन लेकर जाएगा कौन?"    उसी वक्त एंट्री मारी निर्वाण ने, और बोला "मैं आंटी! मैं लेकर जाऊंगा। आखिर मैं किस दिन काम आऊंगा!"      इतने दिन बाद भी मिसेज रायचंद निर्वाण से ज्यादा मिली नहीं थी। उन्होंने कुहू के घर पर और मित्तल हाउस में उसे आते जाते तो देखा था लेकिन अब तक पूछ नहीं पाई थी कि वह है कौन है। निर्वाण ने उन्हें खुद को ऐसे देखते हुए पाया तो अपनी तरफ इशारा करके बोला "आंटी मैं, निर्वाण, कुहू दी का भाई! आपने मुझे पहचाना नहीं?"   मिसेज रायचंद बोली "मैं कुहू के दो भाई को जानती हूं, एक अंशु और दूसरा समर्थ मित्र। फिर तुम कौन हो? सॉरी बेटा लेकिन इससे पहले मैंने कभी तुम्हारे बारे में किसी से पूछा नहीं।"     निर्वा

सुन मेरे हमसफर 199

  199       जैसे ही अव्यांश की नजर निशी के मम्मी पापा पर गई, वह भी मुस्कुरा कर उनके पास आया और दोनों के पैर छूकर बोला "कोई प्रॉब्लम तो नहीं हुई आप लोगों को आने में?"     मिश्रा जी उसे गले से लगा कर बोले "कोई तकलीफ नहीं हुई बच्चा! तुम्हारे रहते कोई तकलीफ हो सकती है क्या?"      अव्यांश बड़ी मासूमियत से बोला "हां यह बात तो है। वह क्या है ना, शुरू के 6 महीने में मेरे कारण आपको जितनी प्रॉब्लम फेस करनी पड़ी है, उसके मुकाबले ये तो कुछ नहीं। उसके बाद मैने बहुत कुछ सीखा है, आपने बहुत कुछ सिखा दिया है।" मिश्रा जी और अव्यांश दोनों ही हंस पड़े।    अव्यांश बड़े नॉर्मल तरीके से बोला "आप लोग यहां क्यों खड़े हैं? चलिए, अंदर चलकर फ्रेश हो लीजिए। आप लोगों के कपड़े मैं तैयार करवा कर रखे है। आपका सामान मैं घर भिजवा दे रहा हूं।"       कार्तिक ने सुना तो बोले "क्यों बेटा, घर क्यों भेज रहे हो इन्हें? क्या यह लोग यहां नहीं रहेंगे? मिश्रा जी हमारे भी तो अपने हैं!"     अव्यांश ने अपने कार्तिक चाचू के कंधे पर हाथ रखा और उन्हें साइड में ले जाकर धीरे से बोला &quo

सुन मेरे हमसफर 198

198     कुहू को लेकर सीढ़ियों से नीचे उतरते हुए अचानक ही आखिरी सीढ़ी पर अव्यांश के पैर नीचे पड़े फूल पर लड़खड़ा गए। निशि वही खड़ी थी। उसने बिना कुछ सोच पीछे से जाकर अव्यांश को पकड़ लिया। उसका एक हाथ अव्यांश के कमर पर थे और दूसरा हाथ अव्यांश के हाथ पर। जिस हाथ में अव्यांश ने घड़ी पहन रखा था, पता नहीं कैसे लेकिन उसे घड़ी का एक पीन निशी के हथेली में चुभ गया।     निशी को दर्द का एहसास तो हुआ लेकिन इस वक्त वो सबके सामने चिल्लाना नहीं चाहती थी और ना ही वह अव्यांश का हाथ छोड़ सकती थी। दोनो को साथ में देख अवनी सोच में पड़ गई। 'क्या ये बात सच है कि इन दोनों की लड़ाई हुई है?' उन्होंने अपने बगल में खड़े सारांश की तरफ देखा जो दोनों को देखकर मुस्कुराए जा रहे थे। अवनी को लगा शायद अब दोनों की बीच की प्रॉब्लम सॉल्व हो गई है, जैसे सारांश को लगा।      अपने हाथ पर निशि के हाथ का स्पर्श पाकर अव्यांश ने निशि की तरफ देखा। दोनों की आंखें मिला तो निशी थोड़ा सा झेंप गई। ऐसी कंडीशन में वह अव्यांश का हाथ छोड़ भी नहीं सकती थी इसलिए कुहू को नीचे उतारने तक उसने भी अव्यांश का हाथ पकड़े रखा। समर्थ अव्यांश और

सुन मेरे हमसफर 197

  197      पीला कुर्ता और सफेद चूड़ीदार पहने समर्थ तैयार होकर बाहर आ चुका था। श्यामा उसकी बलाए लेकर बोली "बहुत प्यारे लग रहे हो।" श्यामा ने अपनी आंखों का काजल समर्थ के कान के पीछे लगा दिया। समर्थ लजा कर बोला "क्या मॉम आप भी! छोटा बच्चा नहीं हूं मैं जो आप इस तरह.....!"      श्याम उसके कान खींचकर बोली "अच्छा! अब मुझे बताएगा!! शादी होने वाली है तुम्हारी, पता है मुझे, बच्चे नहीं हो तुम। लेकिन कहते हैं, जब किसी का रिश्ता तय हो जाता है ना, तो उसको दुनिया की नजर बहुत जल्दी लगती है। इसलिए तन्वी से भी कहना कि वो नजर का टीका लगाकर घर से निकले। वैसे दोनों साथ में ही होते हो ना पूरा दिन?"    समर्थ अफसोस करते हुए बोला "कहां मॉम! कल ऑफिस नहीं गया था, आज भी ऑफिस जाने का चांस नहीं है। 2 दिन से मिला नहीं उससे।"     श्यामा हंसते हुए उसके गाल पर चपत लगाकर बोली "बदमाश! बस उसका ख्याल रखना। अब जाओ जल्दी।"    समर्थ चारों तरफ देखते हुए बोला "मैं अकेले जाऊं? अंशु कहां है?" तभी उसे सामने से अव्यांश आता दिखा।      अव्यांश धीमी कदमों से चलकर आ रहा था। सम