सुन मेरे हमसफर 209
209 कुहू की मेहंदी की रस्म चल रही थी। ज्यादा लोग नहीं थे, बस बाहर के कुछ ही। लेकिन घर के ही लोग इतने ज्यादा हो गए थे कि ज्यादा किसी को बुलाने की जरूरत ही नहीं पड़ी थी। निशि काया शिव सुहानी, चारों ने कुहू की हथेली पर मेहंदी का शगुन किया और सबकी नज़रें नेत्रा की तरफ उठ गई। नेत्रा एक साइड में बैठी अपना पिज़्ज़ा एंजॉय कर रही थी। सबको अपनी तरफ देखते हुए पाकर नेत्रा ने अपने कंधे उचकाये और कहा "आप लोग ऐसे क्यों देख रहे हो मुझे? आप लोगों को भी पिज़्ज़ा खाना है क्या? मैंने तो पहले ही पूछा था!" चित्रा ने अपनी बेटी को डांट लगाई और कहा "पिज़्ज़ा खाना होता तो हम खुद ऑर्डर कर सकते हैं। कॉमन सेंस नाम की भी कोई चीज होती है। अगर हर कोई तुम्हारी तरफ देख रहा है इसका मतलब यह कि तुमसे हम कुछ एक्सपेक्ट कर रहे हैं।" नेत्रा बड़ी लापरवाही से बोली "एक्जेक्टली! जिस तरह पिज़्ज़ा आप लोग खुद भी ऑर्डर कर सकते हैं तो जो मुझे एक्सपेक्ट कर रहे हैं वह आप में से कोई भी कर सकता है। मैं करूं यह जरूरी तो नहीं। कॉमन सेंस! और वैसे भी मुझे कोई शौक नहीं है मेहंदी का। मैं वैसे ही इस सबसे द