सुन मेरे हमसफर 208

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    कुहू के सवाल पर अव्यांश एकदम से चौंक गया। उसने तो ऐसा कुछ नहीं कहा था फिर कुहू ऐसा कैसे बोल सकती थी? अव्यांश कुहू के सवाल कोई जवाब ढूंढ पता उससे पहले ही कुहू अपने सर पर हाथ मार कर बोली "मैं भी ना, पागल हूं। हमारे यहां आधे से ज्यादा शादियां अरेंज मैरिज होती है और फिर जिन हालात में तूने निशी का हाथ थामा था, ऐसे में तो उसे तेरे प्यार में गिरते वक्त नहीं लगेगा। और मैं यह भी जानती हूं कि तू अपनी निशि से कितना प्यार करता है। तेरी आंखों में दिखता है वह।" कुहू आईने की तरफ मुड़ी और वापस से अपने बाल संवारने में लग गई।


    अव्यांश फीकी सी मुस्कान के साथ बोला "फिर उसे ये क्यों नही दिखता? सबकी फेयरी टेल एक जैसी नहीं होती और सब की स्टोरी कोई फेयरी टेल नहीं होती।"


     कुहू ने चौक कर पीछे पलटते हुए पूछा "तूने कुछ कहा क्या?"


    

 अव्यांश अपनी बात छुपाते हुए बोला "बिल्कुल नहीं। मैं तो बस यह सोच रहा हूं कि हमारे यहां बिना प्यार की शादी होती है लेकिन तब क्या हो जब शादी में प्यार की कोई उम्मीद ही ना हो? क्या बिना प्यार के कोई शादी टिक सकती है?"


     अव्यांश ने कुहू की आंखों में आंखें डाल कर सवाल किया। कुहू को अव्यांश का यह सवाल काफी जाना पहचान लगा। उसे लगा जैसे यह सवाल उससे अव्यांश नही बल्कि शिवि कर रही है। अब तक तो वह इस सवाल की आदी हो चुकी थी। उसने अव्यांश को समझाते हुए कहा "मैंने कहा ना, हमारे यहां आधी से ज्यादा शादी अरेंज मैरिज होती है यानी बिना प्यार के एक अजनबी से। और एक बार शादी हो गई तो फिर सब ठीक हो जाता है। हमारे आगे पीछे सब कुछ कोई मायने नहीं रखता। हमारा कल कौन था यह सब बेमानी हो जाते हैं। मायने रखता है तो सिर्फ हमारा आज। ये सात फेरों का रिश्ता होता ही कुछ ऐसा है कि हम उसे लाख तोड़ने की कोशिश करें लेकिन वह टूटता नहीं है। बस एक बार यह सात फेरे हो जाए तो फिर कोई इंसान चाह कर भी हमसे दूर नहीं हो पाता।"


    कुहू आंखों में जो कॉन्फिडेंस था उसे देखकर अव्यांश से और कोई सवाल किया नहीं गया। वह उठा और बिना कुछ बोले कमरे से बाहर निकल गया। कुहू को उसकी हरकत थोड़ी अजीब तो लगी लेकिन जब उसे अपनी दादी की आवाज सुनाई दी तब वह जल्दी से अपने बाल ठीक करने लगी और कंघी टेबल पर फेंक कर नीचे चली आई।



    दूसरी तरफ निशी जब अपने मम्मी पापा के साथ मित्तल हाउस पहुंची थी। तब रेनू जी ने निशि का हाथ पकड़ कर कहा "मुझे बहुत खुशी है कि तू यहां खुश है। तेरा घर परिवार....... हमने तो कभी सोचा नहीं था कि तू कभी इस घर की बहु बन सकती है।"


      निशि ने अपनी मां की बातों पर ध्यान नहीं दिया और उनसे नाराज होकर बोली "अरे वाह! कुछ जल्दी ही आपको अपनी बेटी की याद नहीं आ गई! जब आप लोग आए थे तब तो आप लोगों ने मेरी तरफ देखा तक नहीं था।"


     रेनू जी ने उसे समझाने की कोशिश की लेकिन मिश्रा जी उनके कंधे पर हाथ रख कर बोले "बेटी की नाराजगी जायज है। लेकिन क्या है ना, बेटा ऐसा मिला है कि वह बेटी से ज्यादा हमारा ख्याल रखता है। अब ऐसे में हमें उसकी सुननी पड़ती है।"


     रेनू जी भी उनकी बात का समर्थन करते हुए बोली "यह बात तो सही कही आपने। वरना आपकी लाडली ने तो............"


    निशी ने अपनी मम्मी को घूर कर देखा तो रेनू जी बोली "मेरा मतलब हमारी लाडली ने तो हमें शादी में इनवाइट तक करना जरूर नहीं समझा था। पिछले कुछ दिनों से तो यह ऐसे गायब है जैसे हम कोई है ही नहीं। जब फोन करो तो बिजी है।"


   निशी नाराज होकर बोली "हां! और करो तारीफ अपने उस दिखावे के बेटे की। और एक बात मेरी समझ नहीं आ रही, आप लोगों को हो क्या गया है? आप तारीफ किसकी कर रहे हैं? उस इंसान की जिसने..........." निशी आगे कहते कहते रुक गई। वह नहीं चाहती थी कि इस बारे में बात करके वह अपने ही मां पापा को शर्मिंदा करें। उन्होंने निशी से घर के गिरवी होने की बात छुपाई थी तो कुछ सोच कर ही छुपाई थी। ऐसे में अगर उन्हें पता चला कि निशी को सारा सच पता चल गया है तो उन्हें कितना बुरा लगेगा। निशी आगे कुछ नहीं कह पाई।


    लेकिन रेनू जी उसे डांटते हुए बोली "निशी! पति है वह तेरा। कितनी बार कहा है थोड़ी इज्जत से पेश आ। इस घर में क्या किसी ने तेरे साथ कोई बदतमीजी की है, बता?"


    निशी चुप हो गई तो मिश्रा जी बोले "बेटा! इस घर ने, इस घर के लोगों ने तुम्हें अपनाया है तो तुम्हें भी यहां के लोगों को अपनाना होगा। जितनी इज्जत तुम्हें इस घर में मिलती है उतनी ही इज्जत तुम्हें इस घर के लोगों को देनी होगी। जितनी इससे तुम्हारा पति तुम्हें देता है तुम्हारे मां-बाप को देता है उससे ज्यादा तुम्हें देना होगा। जहां तक मुझे पता है हमने तुम्हें ऐसी कोई संस्कार नहीं दिए कि हमें तुम्हें यह सारी बातें समझनी पड़े।"


      श्यामा निशी से बात करने उसके कमरे की तरफ आई थी। उन तीनों को आपस में बात करते देखा तो बोल पड़ी "क्या बातें चल रही है?"


     रेनू जी और मिश्रा जी थोड़े झेंप गए। उन्हें नहीं पता था की श्यामा ने क्या सुना और कितना सुना। लेकिन उनके कुछ कहने से पहले श्यामा बोली "आप लोग को जो भी बातें करनी है आप लोग करते रहिएगा लेकिन बाद में। मैं बस निशि को ये कहने आई थी कि कुहू की मेहंदी की रस्म है इसलिए ज्यादा टाइम मत लगाना, जल्दी से तैयार होकर तुम वहां के लिए निकल जाओ। हम लोग थोड़ी देर में आते हैं।। मेहंदी की रस्म में काम से कम पांच लड़कियों की जरूरत होगी। एक तुम हो जाना बाकी चार तो वहीं पर मिलेगी, ठीक है? और आप रेनू जी मिश्रा जी! आप लोग थक गए होंगे तो आप लोग आराम कर लीजिए। वैसे अगर रेनू जी चाहेगी तो वह की मेहंदी में शामिल हो सकती है लेकिन मेरी सलाह यह है कि आज आप लोग आराम कीजिए। कल के संगीत में आप दोनों को एक अच्छा सा डांस परफॉर्मेंस देना होगा।"


     मिश्रा जी हंस पड़े और रेनू जी शरमा कर रह गई।

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