सुन मेरे हमसफर 314

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निशि का फोन हाथ में लिए अंशु बेचैनी से इधर-उधर देखे जा रहा था। उसने पहले ही निशी को पूरे घर में ढूंढा था लेकिन वह यहां नहीं थी। "अगर वो यहां नहीं है तो फिर कहां है? और ऐसा कैसे हो सकता है, निशि ऐसे अपना फोन छोड़कर कहीं चली गई हो? कहीं उसके साथ कुछ गलत........! नहीं नहीं, अच्छा सोच। ऐसा कुछ नहीं हुआ होगा उसे वो ठीक ही होगी और यहीं कहीं होगी। उसके साथ कुछ गलत नहीं हो सकता, बिल्कुल नहीं।" अपने आपमें बड़बड़ाता हुआ अंशु निशी को आवाज लगने लगा।


"निशी......! निशी क्या तुम सुन रही हो मुझे? बाहर आओ।" लेकिन निशी की कहीं से कोई जवाब नहीं आई। अंशु का मन आशंकाओं से घिर गया और एक बार फिर उसने पूरे घर को अच्छे से देखा। कहीं किसी के आने या जाने का कोई निशान नहीं था। सारी चीजे जहां जैसी रखी थी वैसे ही पड़ी थी, यहां तक की निशि का बैग भी टेबल के साइड में रखा हुआ था।


 शाम को जब अंशु निशि को छोड़कर निकाला था तो उसके कुछ देर बाद ही बारिश शुरू हो गई थी। उस टाइम निशी वही फार्म हाउस पर मौजूद थी। लेकिन आधी रात के वक्त जब उसने चेक किया था तो निशि फार्म हाउस पर नहीं थी। उसका लोकेशन फार्म हाउस का नहीं था। लेकिन अंशु को इतना भी समझ नहीं आया कि वह निशि का लोकेशन चेक कर ले। उसे अपने बेवकूफी पर बहुत गुस्सा आ रहा था।


 अंशु ने एक बार फिर निशी के फोन की तरफ देखा और कहा, "अगर निशी का फोन बंद था और उसके पास कोई चार्जर नहीं था तो फिर वह यहां से जा नहीं सकती। क्योंकि यहां पर कोई ऑटो या बस आती ही नहीं है। यहां से जाने के लिए उसे कैब बुक करना होता और जब कोई आया नहीं है तो फिर कोई........."


अव्यांश को एकदम से कुछ ध्यान में आया और वो बाहर की तरफ भागा। सुबह हो चुकी थी लेकिन हल्का अंधेरा अभी भी था। बंगलुरु की यही खास बात है। यहां कुछ पल पहले अंधेरा होता है और अचानक से उजाला हो जाता है। अव्यांश ने बाहर की सारी लाइट्स ऑन कर दी लेकिन इस उजाले में भी उसे कहीं कोई नहीं दिखा। 


"निशी यहां आई थी, इस बारे में कौन जानता था? डैड मॉम, इनके अलावा क्या और किसी को पता था? किसी के पेरेंट्स? मुझे नहीं लगता। अगर उसके पेरेंट्स को उसके यहां होने के बाद पता होती तो वह एक बार मुझे फोन जरूर करते। तो फिर वह कहां जा सकती है?"


   गेट पर खड़ा अव्यांश परेशान होकर वापस अंदर जाने के लिए मुड़ा तो उसकी नजरों को कुछ खटका। उसने पलट कर देखा, जहां उसने गाड़ी पार्क की थी वहां पास में कुछ था। अंशु धीरे से अपनी गाड़ी की तरह बढ़ा और साइड में झांकने की कोशिश की। वहां जो था उसे देखकर अंशु के होश उड़ गए। निशी गाड़ी के ठीक बगल में बेहोश पड़ी थी।




सुबह के 6 बज रहे थे। कायरा टेबल लैंप के नीचे अपना लैपटॉप लिए उसकी स्क्रीन पर आंखें गड़ाए हुए थी। उसके बगल वाली कुर्सी पर बैठा ऋषभ टेबल पर सिर टिकाए सो रहा था। काया का ध्यान बिल्कुल भी ऋषभ पर नहीं था और नाही एक पल को भी उसका ध्यान कहीं भटका था। इस वक्त दोनों ऋषभ के फ्लैट पर थे।


ऋषभ की जब नींद खुली तो उसने काया को वैसे ही बैठा पाया जैसा उसने सोने से पहले देखा था। सामने की खिड़की खुली थी और सुबह की ठंडी हवाएं अंदर की तरफ आ रही थी। ऋषभ ने उठकर खिड़की पर पर्दा लगाया और एक पतली सी चादर लेकर काया के ऊपर डाल दिया। काया कुनमुनाई, "ऋषि! प्लीज मुझे डिस्टर्ब मत करो।"


ऋषभ ने भी प्यार से उसके गाल खींचते हुए कहा, "मैं तुम्हे डिस्टर्ब नहीं कर रहा। तुम अपना काम करो, मैं अपना काम कर रहा हूं।" ऋषभ किचन में चला गया। उसने वहां दो कप कॉफी बनाई और एक लाकर काया के सामने रख दिया।


"इतना टेंशन लोगी तो बनता हुआ काम बिगाड़ जायेगा। थोड़ा सा ब्रेक ले लो,तुम्हारे इस छोटे से दिमाग के लिए अच्छा होगा।"


ऋषभ की बातें सुनकर काया ने फाइनली उसकी तरफ देखा और थोड़ा नाराज होकर कहा, "मेरा दिमाग छोटा है?"


ऋषभ उसके पास बैठ गया और उसके बाल ठीक करते हुए कहा, "छोटी चीज बड़ी काम की होती है, जैसे की मेमोरी चिप। थोड़ा सा ब्रेक लोगितो काम में मन भी लगेगा और काम भी अच्छा होगा। वैसे कहां तक पहुंची तुम?"


काया ने गहरी सांस ली और कॉफी का कप उठाकर कहा, "काफी हद तक तो काम जो गया है। देवेश और उस अंश ढोलकिया के खिलाफ काफी कुछ ऐसे सबूत मिले है जिसके दम पर हम उसे जेल भेज सकते है और वो बाहर नहीं आ पाएगा। लेकिन इतने से काम नहीं बनेगा। उसके खिलाफ कुछ ऐसे केसेज बनाने होंगे कि वो दोनों चाहकर भी कुछ न कर पाए और सारी लाइफ जेल में गुजरे।"


ऋषभ ने सोचते हुए कहा, "लेकिन इससे होगा क्या! कभी न कभी तो कुछ जुगाड लगाकर या कानून के किसी एक्ट के किसी लूप होल के सहारे बाहर निकल आएंगे। तुम्हारी सारी मेहनत बेकार जायेगी।"


काया ने लैपटॉप स्क्रीन की तरफ देखा और मुस्कुरा कर कहा, "इतनी भी कच्ची गोलियां नहीं खेली है हमने। उसपर ऐसे ऐसे क्राइम के चार्जेज लगेंगे कि पुलिस उसे चारो तरफ ढूंढेगी लेकिन वो मिलेगा नही। अगर मिलेगा नही तो भगोड़ा साबित होगा और उसकी कुर्की जब्ती होगी। और आगे क्या क्या करना होगा और कैसे होगा, ये सोमू भाई अच्छे से जानते है। कानून के बारे में उनसे बेहतर हम नही बता सकते। इस काम के लिए अंशु भाई ने मुझे कहा था। वैसे इस कॉफी के लिए थैंक यू।" काया ने कॉफी का कप ऊपर हवा में लहरा कर कहा।


ऋषभ ने नाराजगी से कहा, "बस ऐसे सूखे सूखे थैंक यू! तुम बहुत बदल गई हो।"


काया ने ऋषभ के गले में बांहे डाल कर उसके गाल को अपने होंठों से चूम कर कहा, "बदल तो तुम गए हो। अचानक से बहुत ज्यादा समझदार हो गए हो। या शायद तुम्हारी वो साइड देखने को मिल रही है जो तुम सबसे छुपा कर रखते हो। सबकी केयर करने वाला ऋषि। लेकिन मैं उस पुराने वाले ऋषि को मिस कर रही हूं।"


ऋषभ ने भी काया के माथे को चूम कर कहा, "बस एक बार सब ठीक हो जाए, उसके बाद। क्योंकि जो तुम कर रही हो उसे हैकिंग कहते है और ये मेरी लोकेशन है। आईपी एड्रेस मेरा ही जायेगा।" 


काया हंस पड़ी। उसी टाइम उसका फोन बजा। देखा तो फोन अंशु का था।





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