ये हम आ गए कहाँ!!! (67)

    नेहा की बातें अपने आप में अजीब थी। रूद्र ने कुछ देर उसे हैरानी से देखा और कहा, "मैं अपनी आंखों पर भरोसा नहीं करता और ना ही किसी की सुनी सुनाई बातों पर यकीन करता हु। मैं वही करता हूं जो मेरा दिल कहता है और दिल कभी गलत नहीं होता। और एक बात बिल्कुल सही कहा तुमने, खुशबू को चाहे लाख परदो में कैद कर दिया जाए फिर भी उसका छुपना नामुमकिन होता है। फूल चाहे कहीं भी हो भंवरों को उनका पता मिल ही जाता है।"

     रूद्र ने बाहर आकर मां के पैर छुए और जैसे ही अपने पापा के पैर छूने को हुआ धनराज ने उसके दोनों बाँह पकड़ कर खड़ा किया और उसे गले से लगा लिया। रूद्र के लिए ये पल बेहद खास था जब उसके पिता ने बरसों बाद उसे गले से लगाया। वह तो भूल ही चुका था पिछली बार कब उसके पिता ने प्यार से सर पर हाथ फेरा था। हमेशा डांट खाने वाला रूद्र को आज खुद उसके पिता ने आगे बढ़कर से गले लगाया। उसकी आंखों में आंसू आ गए। उसने खुद को बड़ी मुश्किल से संभाला और सबको गाड़ी में बैठाया। 

      गाड़ी में बैठने से ठीक पहले नेहा ने रूद्र से कहा, "हमारे हॉस्पिटल में गुलाबों का पूरा खजाना है। तुम्हें तो गुलाब अच्छे लगते हैं ना रूद्र! आना कभी मेरे हॉस्पिटल में, वैसे भी नवंबर का महीना है इस महीने में गुलाब ज्यादा खूबसूरत लगते हैं।"

      रूद्र ने मुस्कुरा कर कहा, "जरूर आऊंगा और बहुत जल्द आऊंगा। तब तक उन गुलाबों का ख्याल रखना तुम।" विहान उन दोनों की बातें सुन चिढ़ते हुए कहा, "यह सारी बातें अभी करनी है जरूरी है क्या? और तुझे कब से गुलाबों में इतना इंटरेस्ट होने लगा? तुझे तो गुलाब पसंद नहीं थे तो फिर यह बाग बगीचे देखने का क्या चक्कर है? यह तुम दोनों किसी कोडवर्ड में बात कर रहे हो क्या.........? कुछ भी हो, सभी लोग यहां से निकल चुके हैं अगर अभी देर किए तो घर पहुंचते पहुंचते काफी देर हो जाएगी। वैसे ही सफर काफी लंबा है, अभी निकलो तुम लोग और मानव.......! आंटी को बिल्कुल तंग नहीं करना है, ठीक है! हम लोग कल आएंगे।"

     मौली भागते हुए आई और अपने हाथ में रखे कुछ पैकेट्स को अपने दादा दादी के गाड़ी में रखते हुए कहा, "दादू ये आप दोनों के लिए कुछ खाने का सामान है। बाहर का कुछ मत खाइएगा रास्ता लंबा है और ऐसे में आप लोगों को भूख लग सकती है। आप दोनों की हेल्थ इतनी भी अच्छी नहीं है कि बाहर का खाना आप लोग डाइजेस्ट कर सके। इसलिए मैंने यही से आप लोगों के लिए कुछ बनवा दिया है। वैसे भी दादू को डायबिटीज है, उन्हें हर थोड़ी थोड़ी देर पर खाते रहना चाहिए इसलिए दादी मां आप उनका ध्यान रखेंगे। वैसे यह बात मुझे कहने की जरूरत तो नहीं है लेकिन फिर भी आपको कह दूं!" मौली की बातें सुन धनराज ने प्यार से उसके सर पर हाथ फेरा। 

    शिखा बोली, "ऐसे ही अपने पापा का ख़याल रखना। और जल्दी आना। तुम्हारे दादू और मैं तुम्हारा इंतज़ार करेंगे।"

    विहान ने सब को गाड़ी में बिठाया। मानव नेहा के साथ और राहुल अपने मम्मी पापा के साथ गाड़ी में जैसे ही बैठने को हुए, मौली ने अपने दोनों हाथ पैंट की जेब में डालते हुए कहा, "ओए चंगू मंगू.....! कल आ रही हूं मैं। मेरे स्वागत की तैयारी करना और हां.....! कोई कमी न होने पाए। प्रिंसेस हूं मैं! और हां, हो सके तो मेरे लिए सूप जरूर बनवाना मेरी पसंद का। तुम्हें तो पता ही है ना मेरी पसंद, बताया था मैंने।"

     वहां मौजूद किसी को भी मौली की बातें समझ नहीं आई लेकिन रूद्र ने भौहै टेढ़ी कर उसको घूर कर देखा। बेचारा राहुल और मानव! दोनों ने एक साथ चीख पड़े, "मम्मी........!" उन दोनों को ऐसे घबराया हुआ देख रूद्र ने मौली को वहां से जाने के लिए कहा और सब को गाड़ी में बिठा कर वहां से विदा कर दिया। 

    सब के जाने के बाद विहान में गंभीर होकर पूछा, "यह नेहा क्या बोल रही थी? और तेरी और नेहा के बीच यह किस तरह की बातें हो रही थी? कुछ बताएगा!!!" रूद्र ने कुछ नहीं कहा और वहां से चला गया। विहान उसके पीछे भागा और उसे जवाब देने को कहा। मौली ने उसे आवाज लगाई, "विहान चाचू...! डैड चुप है इसका मतलब कि उन्हें कोई जवाब नहीं देना। आप चाहे लाख कोशिश कर लो वह नहीं बोलेंगे।" 

     माली की आवाज सुनकर रूद्र उसकी तरफ पलटा और इशारे से उसे अपने पास आने को कहा। मौली भी उछलते कूदते रूद्र के पास आई तो रूद्र ने बिना कुछ कहे अपने दोनों कलाईयों को आपस में फोल्ड कर लिया। मौली समझ गई कि इस वक्त रूद्र उसकी क्लास लगाने वाला है। उसने चुपचाप अपने दोनों कान पकड़ लिए और कहां, "पहले उन दोनों ने शुरू किया था। मैंने तो उन्हें हाथ भी नहीं लगाया।"

   रूद्र ने कहा, "मैंने यह नहीं कहा कि आपने उन्हें हाथ लगाया लेकिन ऐसा क्या कहा है उन्हें कि वह इतना ज्यादा डरे हुए हैं। मैं मानता हूं आपने बात शुरू नहीं की होगी लेकिन फिर भी, बच्चे हैं वह दोनों। आपकी तरह अपनी उम्र से ज्यादा बड़े नहीं हो गए हैं। इसीलिए आपको उन्हें सॉरी बोलना चाहिए।" मौली ने सर उठा कर अपने पिता को देखा और गर्दन टेढ़ी करते हुए कहा, "सॉरी.....! और मैं कहूंगी? वह भी उन दो चंगू मंगू से जिन्होंने मेरे कमरे में सांप छोड़ा था!!! ठीक है नकली सांप था लेकिन दिखता तो असली ही था। एक बार को तो मैं डर गई थी लेकिन फिर मैं समझ गई कि यह जरूर किसी की चाल है। अब ऐसे शरारत करने वाला कोई और तो हो नहीं सकता, तो मेरा पहला शक इन्हीं दोनों पर गया। मैंने बस थोड़ा सा प्रैंक किया और मेरा यकीन कीजिए डैड, मैंने उन्हें नहीं डराया। अब जब सब लोग चले गए हैं तो आपने प्रॉमिस किया था कि मुझे नैनीताल घुमाने भेजोगे। कीप योर् प्रॉमिस.....!"

    रूद्र ने विहान की ओर देखा और मौली को ले जाने का इशारा किया। मौली ने भी खुशी खुशी विहान का हाथ पकड़ा और उसे खींचते हुए लेकर गई लेकिन यहां भी वह अपनी हरकतों से बाज नहीं आई। उसने गाड़ी खुद ड्राइव करने की जिद पकड़ ली। विहान ने अपना सिर पीट लिया। जब मौली नहीं मानी तक विहान ने रूद्र की धमकी दी और जैसे तैसे उसे गाड़ी की पैसेंजर सीट पर बैठाया और उसे वहां से लेकर गया। वही रूद्र अपना सारा काम निपटाने में लगा था। दिल्ली जाकर उसे बहुत से काम करने थे। अपनी कंपनी को फिर से खड़ा करना और सबसे ज्यादा जरूरी था शरण्या को ढूंढना। इसके लिए उसे शुरुआत कहां से करना था यह वह अच्छे से जानता था। विहान के लाख पूछने पर भी उसने कुछ नहीं बताया। 

     शाम को जब विहान वापस आया उस वक्त तक वह बुरी तरह से थक चुका था लेकिन मौली में एनर्जी बिल्कुल भी कम नहीं हुई थी। वह अभी भी सुबह की तरह ही फ्रेश लग रही थी। विहान रूद्र के पास आया और उसके बिस्तर पर पसरते हुए बोला, "भाई तेरी बेटी तूफान है। क्या खाकर पैदा किया इसकी मां ने इसे? मुझे लगता था राहुल और मानव सबसे बड़ा शैतान है लेकिन इन सब शैतान की अम्मा है यार।" 

    रूद्र मुस्कुराते हुए बोला, "मैंने ही बोला था उसे तुझे परेशान करने के लिए। इतने सालों की कसर वहीं पूरी करेगी ना। अब मैं तो तुझे परेशान करने से रहा, हम लोग बड़े हो गए हैं यार इसलिए यह काम मैंने मौली पर छोड़ दिया।"

     "हां क्यों नहीं! तू भी मेरे मजे ले ले। इतने सालों से सुकून की जिंदगी जी रहा था ना। आ गया तु मेरी जिंदगी हराम करने", विहान नहीं खींजते हुए कहा तो रूद्र ने सीरियस होकर पूछा, "तुझसे जो भी पूछूँगा उसका सही सही और सच सच जवाब देना। जो कुछ भी तुझे याद है मुझे वह सब जानना है। उस रात क्या हुआ था?"

     विहान समझ गया की रूद्र इस वक्त शरण्या की बात कर रहा है। उसकी शादी वाली रात क्या हुआ था यह उसे जानना है। विहान बोला, "उसके मन में क्या चल रहा था यह बात तो हम में से किसी को नहीं पता। तेरे जाने के बाद उसने बगावत कर दी थी पूरे घर वालों के सामने। उसने साफ-साफ कह दिया था कि वह तेरी पत्नी है और हमेशा रहेगी, इसके बावजूद बड़े पापा ने जबरदस्ती उसकी शादी ईशान के साथ फिक्स कर दी। इतने दिनों से वह शांत बैठी हुई थी पूरे घर वालों के साथ उसकी कोल्ड वॉर चल रही थी। सबको लगा एक बार अगर शादी हो गई तो शरण्या तुझे भूल जाएगी और अपनी लाइफ में आगे बढ़ जाएगी लेकिन किसी को भी आईडिया नहीं था कि उसके दिमाग में क्या चल रहा है। शादी वाली रात वो तैयार होकर बैठी थी। मैं गया था उसे लेने के लिए लेकिन वह अपने कमरे में नहीं थी। पूरा घर परेशान था लेकिन उसका कहीं कुछ पता नहीं चला। बारात दरवाजे पर खड़ी थी और दुल्हन गायब थी। सोच ऐसे में हम लोगों के साथ क्या हुआ होगा। वह तो शुक्र हो ईशान का जिसने बात को ज्यादा आगे नहीं बढ़ाया लेकिन तब तक बात बहुत ज्यादा बढ़ गई थी। ऐसे में हमें जो फेश करना पड़ा.......! अच्छा हुआ जो तू यहां नहीं था वरना सब को लगता है कि तू उसे भगा कर ले गया। हम सब ने उसे ढूंढने की हर मुमकिन कोशिश की। एक हफ्ते बाद पुलिस स्टेशन से कॉल आया और उन्होंने बताया की दुल्हन के जोड़े में एक लड़की ट्रक के नीचे आ गई और यह उसी रात की बात है। दूसरे पुलिस स्टेशन से कोआर्डिनेशन की कमी की वजह से हमें शरण्या के बारे में टाइम पर पता नहीं लग पाया। पुलिस वाले उसका अंतिम संस्कार करने वाले थे। हमें उसके कपड़े गहने और उसका पोस्टमार्टम रिपोर्ट मिला। बड़े पापा के डीएनए टेस्ट से यह साबित हो गया कि वह शरण्या ही थी। अब इस सब में कुछ नहीं रखा। तुझे अपनी लाइफ में आगे बढ़ना चाहिए रूद्र! वो नहीं आएगी।"

     "यह बात तू तय नहीं करेगा। मुझे क्या करना है क्या नहीं यह मैं खुद मैं करूंगा तु बस इतना बता, क्या इस सब में उस ईशान वालिया का कोई इंवॉल्वमेंट है? मेरा मतलब जब शरण्या गायब हुई थी उस वक्त उसका रिएक्शन कैसा था?"

     "हम सब की तरह वो भी परेशान था। उसने भी उसे ढूंढने के लिए बहुत कोशिश की। इनफैक्ट उसी की कोशिश का नतीजा था कि हमें शरण्या के बारे में पता चला। वह प्यार करता था शरण्या से, उसका इस सब में कोई हाथ नहीं हो सकता। तू बेवजह उस पर शक कर रहा है।" विहान ने उसे समझाना चाहा। 

     "और नेहा से उसकी शादी कब हुई?" रूद्र ने फिर पूछा। विहान ने कहा, "शरण्या के जाने के तकरीबन 2 महीने के अंदर ही। उन दोनों ने कब कैसे कहां शादी की यह बात किसी को नहीं पता। बस उन दोनों ने शादी कर ली, इससे ज्यादा ना हमें पता है और ना ही हमने कुछ पूछा। मानसी ने एक दो बार सवाल भी किया लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ।" रूद्र ने आगे कुछ नहीं कहा लेकिन उसकी आंखें लैपटॉप की स्क्रीन पर गड़ी हुई थी जहां शरण्या के पोस्टमार्टम रिपोर्ट खुले हुए थे। 

     नेहा रास्ते में थे जब उसे ईशान का कॉल आया। उसका कॉल देखकर नेहा ने फोन उठाकर धीरे से हेलो कहा तो उधर से ईशान की आवाज आई, "कहां हो जान? कब तक आ रही हो?" नेहा ने धीरे से जवाब दिया, "बस कुछ देर में पहुंच जाऊंगी अभी रास्ते में हूं।"

     ईशान ने फिर पूछा, "और मैंने सुना है कि रूद्र भी आया है! वह दिल्ली आएगा ना? या फिर वही से वापस चला जाएगा?" नेहा ने फिर धीमी आवाज में कहा, "वह दिल्ली आएगा। फिलहाल उसका यहां से जाने का कोई प्लान नहीं है। वह कल यहां से निकलेगा आज उसे आश्रम में कुछ काम था बस उसे ही खत्म करने में लगा है।" ईशान ने सुना और उसने बड़े प्यार से कहा, "जल्दी आ जाओ जान! मैं बहुत बेसब्री से तुम्हारा इंतजार कर रहा हूं। तुम सोच भी नहीं सकती मैं तुम्हें देखने के लिए कितना ज्यादा बेचैन हूं।" नेहा ने मुस्कुरा कर फोन रख दिया। ईशान ने सामने देखते हुए कहा, "वेलकम रूद्र! मैं कब से तुम्हारा ही तो इंतजार कर रहा था। अब जब तुम आ ही गए हो तो तुमसे मिलना भी हो ही जाएगा।" कहते हुए उसके चेहरे पर शैतानी मुस्कान थी। 

     

    


टिप्पणियाँ

  1. Sbkuch ishan ka kiya dhra hai n neha ki bhi koi majburi hai jo usne rudra ko bs ishara hi kiya tha n ab to lg raha hai ki neha Ishan ki shyd shadi bhi nahi hui ho bht bht bht hi jbrdst n outstanding story 👏👏👏👏

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  2. Amazing nd Wonderful Fabulous Mind Blowing Part 💗💗💗💗💗💗💗💖💖💖💖💖💖👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌

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  3. बहुत ही बेहतरीन भाग था मैम!! 👌👌 शैतानों की दादी अम्मा! 😂😂 वैसे ये ईशान का ही सब किया धरा लग रहा है.... और नेहा को भी सब मालूम है इसलिए वो रुद्र को इशारों में कुछ समझाकर गई! जो भी है, इंटरेस्टिंग और सस्पेंसिव है सब! अगले भाग का इंतेज़ार रहेगा!! 😊😊

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  4. Yeh ishan hi pyaar karta hai shrnya se aur neha koi baat hai jo sath de rhi hai

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