सुन मेरे हमसफर 204

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     कुहू हंसते हुए बोली "बस कर पगली! झूठ नहीं बोला बस थोड़ा सा छुपाया और कुछ नहीं। वह तो मुझे भी नहीं बताती अगर मैं उसे ना पकड़ती तो।"


    सुहानी लगभग भागते हुए आई और बिस्तर पर घुटने के बाल चढ़कर कुहू के ठीक सामने बैठते हुए बोली "आप पहले यह बताओ कि वह लफंगा है कौन? 


    शिवि सुहानी को समझाते हुए बोली "सोनू! ऐसे किसी की भी इंसल्ट नहीं करते।"


    लेकिन कुहू हँसते हुए बोली "लफंगा ही है वह। पता नहीं कायू को कैसे पसंद आ गया!


     नेत्रा कुछ देर के लिए सब कुछ भूल गई और कुहू से एक्साइटेड होकर पूछा "कौन लफंगा? किसकी बात कर रही हो तुम?"


    कुहू बोली "तुम सब जानते हो उसे। अरे मैं सिंघानिया की बात कर रही हूं, कुणाल का दोस्त।"


    शिवि के मुंह से एकदम से निकला, "वो लफंगा.....?"


     नेत्रा को भी यकीन नहीं हो रहा था कि कार्तिक सिंघानिया और काया दोनों एक साथ थे लेकिन सुहानी के चेहरे की सारी रौनक गायब हो गई। वह कुछ बोल ही नहीं पाई। कुहू ने आगे बताया "सारांश चाचू ने सिंघानिया से कहां ना कि अपने पेरेंट्स को लेकर आए! वो काया और उसके रिश्ते के बारे में बात कर रहे थे। जैसे ही रुद्र अंकल और शरण्या आंटी आएंगे, वैसे ही दोनों की शादी तय हो जाएगी।"


     सुहानी को लगा यह सब कोई गलतफहमी है। कार्तिक सिंघानिया और काया! ऐसा हो ही नहीं सकता था क्योंकि उसने कभी कार्तिक को काया के साथ इंवॉल्व होते नहीं देखा था ना ही ठीक से बात करते हुए देखा था तो फिर अचानक से यह रिश्ता कैसे जुड़ सकता था? और फिर कार्तिक सिंघानिया को तो वह खुद भी पसंद करती थी। उसे तो अब तक यही लग रहा था कि कार्तिक सिंघानिया भी उसे पसंद करता है तो फिर काया बीच में कहां से आई और कब?


   सोनू को अभी भी यकीन नहीं हुआ। उसने पूछा "दी! आप क्या बात कर रहे हो? अपनी काया कार्तिक के साथ? मैंने तो देखा नहीं उन्हें कभी साथ में।"


     कुहू उसे समझाते हुए बोली "दोनों एक साथ काफी टाइम से है और इनफैक्ट काया जो अपनी फ्रेंड की शादी में गई थी तभी वह दोनों मिले थे। सिंघानिया को पता ही नहीं था कि काया मेरी बहन है। अगर उसे पता होता तो उसकी कभी हिम्मत नहीं होती मेरी बहन के साथ फ्लर्ट करने की। लेकिन मैं खुश हूं। जिस भी नाम से उसे पुकारो लेकिन वो एक अच्छा इंसान है।"


     काया और कार्तिक के बारे में सुनकर सभी खुश थे लेकिन सुहानी उदास हो गई। उसने बिल्कुल भी नहीं सोचा था कि जिसे वह पसंद करती है उसकी बहन भी उसी को पसंद करेगी। कुहू तो कार्तिक और काया के बारे में बात किए जा रही थी। सुहानी से और नहीं सुना गया वह उठकर वहां से जाने लगी तो कुहू ने ही उसे टोका "अरे कहां जा रही है? बैठ न कुछ देर!"


     सुहानी का बिल्कुल मन नहीं था। उसकी आंखों में आंसू भर आए थे लेकिन वह किसी को दिखा नहीं सकती थी। वो अपनी बहन के लिए खुश थी लेकिन इस वक्त उसका रोना जरूरी था इसलिए बिना कुहू की तरफ देखें बोली "मैं आती हूं दी, कुछ काम है।"


     उसे इस तरह जाते देखा नेत्रा बोली "अब इसको क्या हुआ?"


    शिवि को भी थोड़ा अजीब लग रहा था। वह भी अपने कंधे उचका कर बोली "पता नहीं। हो सकता है कुछ काम हो।" लेकिन शिवि की नजर कुहू और नेत्रा के हाथ पर गई जो अभी भी एक दूसरे के हाथ में ही था। वह मुस्कुरा कर बोली "चलो एक बात तो अच्छी हुई। अटलीस्ट इस शादी में आप दोनों के बीच की सारी प्रॉब्लम सॉल्व हो गई।"


    कुहू और नेत्रा ने सवालिया नजरों से एक दूसरे को देखा फिर शिवि को तो शिवि ने उन दोनों के हाथ की तरफ इशारा किया। कुहू और नेत्रा की नजर जैसे ही अपने-अपने हाथ पर गई तो उन्होंने एक दूसरे को ऐसे झटक दिया जैसे कोई बिजली की नंगी तार हो। नेत्रा बोली "मैं बाथरूम होकर आती हूं" और उठकर वहां से चली गई।



*****




    काया अपना फोन लेकर छत पर आ गई तब तक ऋषभ का कॉल कट चुका था। इससे पहले की ऋषभ दोबारा कॉल कर दे, काया ने जल्दी से ऋषभ को कॉल बैक किया। वह नहीं चाहती थी कि पिछली बार की तरह वो यहां आकर उसे परेशान करें वरना इस बार सबके बीच उसका मजाक बन जाना था और सबको उसे चिढ़ाने का मौका मिल जाता। 


     पहले रिंग में ही ऋषभ ने कॉल उठा लिया और नाराजगी में बोला "कहां थी तुम? इतना टाइम लगता है किसी को फोन उठाने में?"


    काया मासूमियत से बोली "ऋषभ! मैंने कॉल बैक किया ना! सबके बीच में थी, कैसे सबके सामने फोन उठा लेती?"


     ऋषभ नाराज होकर बोला "तो क्या तुम बता नहीं सकती थी कि तुम्हारा बॉयफ्रेंड है जो तुम्हें कॉल कर रहा है? तुम्हारी बहन इतनी सेंसिबल तो है जो इस बात को समझेगी।"


     काया फिर भी अपनी बात समझाते हुए बोली "ऋषभ! क्यों बेवजह बात बढ़ा रहे हो? वहां सिर्फ कुहू दी ही नहीं थी बाकी सब थे। सुहानी नेत्रा दी शिवि दी सबके सामने कैसे......? हमारे घर वाले हमारे रिश्ते की बात कर रहे हैं लेकिन बहनों के बीच में तो कम से कम..........."


     ऋषभ अभी भी नाराज था। उसने काया की बात पर ठीक से ध्यान ही नहीं दिया और बोला "अटलीस्ट मेरा फोन उठा सकती थी तुम! जानती हो मुझे बिल्कुल नहीं पसंद कोई मेरा कॉल अवॉइड करें। कहां हो तुम अभी?"


   काया को लगा ऋषभ फिर से यहां आ गया है। उसने नाराजगी से कहा "मैं अभी नहीं आने वाली, तुम चाहे कितना भी मुझे ब्लैकमेल कर लो। तुम्हें अगर आना है तो अंदर आ सकते हो। और वैसे भी, मैं तुमसे बहुत नाराज हूं। कल तुमने एक बार भी मेरी तरफ मुड़कर नहीं देखा। तुम्हें तो बस सुहानी से बात करनी थी ना, तो जाओ उसी को बात करो, उसी को कॉल करो। मुझसे बात करने की कोई जरूरत नहीं है। और हां! अपने घर वालों को अपने और सुहानी के रिश्ते के बारे में भी बता देना।"


    ऋषभ के कुछ बोलने से पहले ही गुस्से में काया ने फोन काट दिया।

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