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सितंबर, 2023 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

सुन मेरे हमसफर 170

 170    काव्या सबके लिए खाना लगा चुकी थी। सभी डाइनिंग टेबल पर आ चुके थे लेकिन शिवि अभी भी कमरे में थी। धानी ने कहा "कुहू बेटा! जाकर देखा तो कहां रह गई वह!"     काव्या सबके लिए प्लेट लगाते हुए बोली "यह लड़की कभी टाइम पर नहीं खाती। लगी होगी किसी मीटिंग में। पेशेंट को यह देना है, पेशेंट को वह देना है ऑब्जर्वेशन में रखना है टाइम टाइम पर मॉनिटर करना है। पता नहीं क्या मजा आता है इसको!"       कार्तिक बोले "उसका पैशन है जिसे उसने खुद से चुना है। और जब हमारा जॉब हमारे पैशन को मैच करता है तो इंसान खाना पीना सोना सब भूल जाता है। मुझे खुशी है कि कम से कम कोई तो है जिसने अपने पैशन को फॉलो किया। वरना हमारे बच्चों को देख लो, हमें पता ही नहीं है कि उन्हें करना क्या है।"        कुहू ने मुंह बना लिया और बोली "काया! जाकर शिवि को बुला ले आ।" काया उठी और तेजी से सीडीओ पर दौड़ लगा दी।     काया को कुहू के सामने बहुत अनकंफरटेबल फील हो रहा था। सच बताने के बाद वह कुहू से नजरे नहीं मिल पा रही थी, इसलिए मौका मिलते ही वह सर पर पैर रखकर भागी।      शिवि कमरे में खड़ी कुछ सोच र

सुन मेरे हमसफर 169

169     काया हड़बड़ा कर बोली "ऐ ऐसा कुछ नहीं है दी! आप गलत समझ रही हैं। यह तो बस मैं बाहर थी तो किसी कीड़े ने काट लिया।"      कुहू ने उसे दोनों कंधे से पकड़ा और बोली "कीड़े का कांटा मुझे साफ नजर आता है बेटा! बड़ी हूं तुझसे। मुझसे झूठ मत बोलना। ऐसी बाते छुपा कर नहीं रखी जाती। बता मुझे, कौन है वह?"     काया अभी भी नहीं चाहती थी कि वह ऋषभ का नाम ले, जब तक कि वह लौट करना आ जाए। कुहू ने सख्ती से पूछा "कायू! तू समझ भी रही है मेरी बात? कौन है वह लड़का, कैसा है किस बैकग्राउंड से आता है, उसकी नियत कैसी है.........! छोटी है अभी तू! तुझे नहीं पता कि दुनिया में किस तरह के लोग रहते हैं। यह हमारा काम है कि हम तुझे सबसे प्रोटेक्ट करें। अगर अंशु को पता चल गया ना तो उसकी टांगे तोड़ देगा।"      काया घबरा कर बोली "कुणाल जीजू का दोस्त है वो।"      कुहू हैरान होकर बोली "तू सिंघानिया की बात कर रही है?"     काया ने हां में सर हिला दिया। कुहू अपना सर पकड़ कर बोली "वह क****! सीधे-सीधे मेरी बहन पर डोरे डाल गया और मुझे पता भी नहीं चला! कब से चल रहा है ये सब?

सुन मेरे हमसफर 168

  168    चाहे कुहू जो भी कहे लेकिन शिवि को यकीन नहीं था और ना ही शिवि के बातों पर कुहू को यकीन था। शिवि जानती थी, कुहू को समझने का कोई फायदा नहीं है फिर भी उसने एक कोशिश की और कहा "दी! आपको नहीं लगता, एक ऐसा इंसान जो किसी के बहकावे में आकर यह तक ना समझ पाए कि वह किससे प्यार करता है और किससे नही, क्या वह इंसान भरोसे के लायक है?"     कुहू चुप हो गई। शिवि आगे बोली "दी! मैं अभी भी कह रही हूं, मत कीजिए यह सब! घर वाले बहुत खुश हैं लेकिन शादी के बाद अगर आपको तकलीफ हुई तो उससे कहीं ज्यादा तकलीफ घर वालों को होगी। अभी अगर आप सब कुछ सच-सच बता देंगे तो कहीं से कोई प्रॉब्लम नहीं होगी। प्लीज!!"   कुहू तो जैसे कुछ समझ नहीं चाहती थी। उसने कहा "मैं कैसे कुणाल को छोड़ दूं, यह जानते हुए भी कि उसके साथ गलत हो रहा है? मैं उसकी दोस्त हूं मैं उसे गलत रास्ते पर नहीं जाने दे सकती।"     शिवि इसी प्वाइंट को उठाकर बोली "यही तो मैं कह रही हूं दी! आप कुणाल की दोस्त है, उसका प्यार नहीं। जाने दो उसे। अच्छा ठीक है! अगर आपको लग रहा है कि आपके इस तरह जबरदस्ती रोकने से वो रुक जाएगा तो आ

सुन मेरे हमसफर 167

  167     काया के जाने के बाद शिवि को यही सही मौका लगा। उसने सुहानी से कहा "सोनू! जाकर मेरे लिए और कुहू दी के लिए एक गिलास पानी ले आ। और हो सके तो थोड़ी चाय भी बना देना।"      सुहानी नाराज हो गई और बोली "सिर्फ चाय? कहो तो थोड़े पकोड़े भी ले आती हूं बनाकर।"    शिवि मुस्कुरा कर बोली "तूने मेरे दिल की बात कह दी। मैं तुझे यही कहने वाली थी लेकिन मुझे लगा शायद आज के शॉपिंग के बाद तू थक गई होगी।" सुहानी पैर पटकते हुए वहां से निकल गई। शिवि और कुहू हंस पड़े। लेकिन उसके जाते ही दोनों की हंसी गायब हो गई।     शिवि ने जाकर दरवाजा बंद किया और कुहू के सामने खड़ी होकर बोली "कुणाल से बात हुई आपकी? वो आपसे कुछ कहने के लिए डेसपरेट हुआ जा रहा है।"     कुहू शिवि से नजरे नहीं मिल पा रही थी। वह जाकर बिस्तर पर बैठ गई और बोली "मेरी उससे मुलाकात नहीं हो पाई। मैं थिएटर से निकली लेकिन मुझे वह कहीं दिखा नहीं तो मुझे लगा शायद चला गया होगा। इसलिए मैं वापस आ गई।"      शिवि नाराज होकर बोली "वो वहीं था। आप समझ भी रहे हो आप क्या कर रहे हो? कुणाल आपसे बात करना चाहता

सुन मेरे हमसफर 166

  166     कुहू को घर पर आया देख सिर्फ शिवि ही नहीं बल्कि काया और सुहानी भी चौंक गई। कुहू को भी लगा नहीं था कि पूरी मंडली यहां जमा होगी। जब सुहानी ने उसे नाइट आउट का प्लान बताया था तो उसे लगा कि सब इस वक्त मित्तल हाउस में होंगे। इस वक्त तो वह खुद भी चौंक गई थी।      सुहानी ने भी सवाल किया "दी! आप तो फिल्म देख रहे थे ना? फिर इतनी जल्दी कैसे आ गए?"      किसी के भी सवाल का जवाब देने की बजाय कुहू ने उल्टा सवाल किया "तुम लोग यहां क्या कर रहे हो? मुझे तो लगा था कि तुम लोग वहां पर होंगे इसीलिए तो मैं यहां चेंज करने आई थी। प्लान कैंसिल हो गया क्या?"      कोई कुछ कहता उससे पहले ही कुहू आगे बोली "देखो! प्लान चेंज करने की जरूरत नहीं है। हो सकता है यह हमारा आखरी नाइट आउट हो। मैं बस इसे इंजॉय करना चाहती हूं।"    कुहू बात को घूमाना चाहती थी लेकिन शिवि ने अपना सवाल फिर से दोहराया "दी! आप इतनी जल्दी यहां क्या कर रहे हो? आपको तो फिल्म बहुत पसंद आ रही थी ना? कुणाल ने कहा था आपसे कि उसे कुछ बात करनी है लेकिन आपको फिल्म इतनी अच्छी लग रही थी कि आप उसे छोड़कर उठाना नहीं चाह

सुन मेरे हमसफर 165

 165   स्क्रीन पर फ्लैश हो रहे नाम को देखकर निशी ने सोचा, 'हो सकता है कुछ अर्जेंट हो। अव्यांश नही तो कम से कम मैं घर में किसी को तो बात ही सकती हूं। और किसी को नहीं तो अव्यांश डैड से कभी कुछ नहीं छुपाता। लेकिन इस हालत में मैं बाहर नहीं जा सकती। लगता है यह कॉल मुझे ही अटेंड करना पड़ेगा।' सोचते हुए निशि ने कॉल अटेंड किया।    उसके कुछ भी बोलने से पहले ही दूसरी तरफ से आवाज आई "क्या अव्यांश सर, कब से फोन कर रहा हूं आपको! एक खुशखबरी देनी थी। एक छोटा सा सुराग मिला है, वह कहते हैं ना, तिनका बराबर। लेकिन यह तिनका भी बहुत बड़े-बड़े रंग दिखा सकता है। इस देवेश के खिलाफ तो हमें कुछ मिल ही नहीं रहा था। पूरा कैरेक्टर क्लीन। ऐसा कैसे हो सकता है कि बंदे ने कुछ भी गलत काम ना किया हो! देखा मैंने कहा था ना! अब आप देखना कैसा तील का पहाड़ बनाता हूं मैं। आप चिंता मत करिए, आपके यहां आने की जरूरत नहीं है। आगे का सब हम संभाल लेंगे और इस देवेश को तो हम ऐसा रेलेंगे, ऐसा रेलेंगे कि बेचारा जेल से छूटने के सपने देखना भूल जाएगा।"     ड्राइवर को साथ लेने की बजाय अव्यांश ने खुद ड्राइव करना सही समझा और

सुन मेरे हमसफर 164

164    कार्तिक सिंघानिया ने अपना सवाल फिर से दोहराया "बता ना! अगर जो कुहू ने तुझे पूछ लिया कि जिस लड़की से तू प्यार करता है वह कौन है और उसमें ऐसा क्या है जो उसके लिए तू कुहू का दिल तोड़ रहा है, क्या जवाब देगा तू उसे? बता पाएगा सच?"      कुणाल ने अपनी आंखें बंद की और एक गहरी सांस लेकर बोला "अपने दिल के एहसासों को दिल के अंदर दबा कर मैं बहुत बड़ी गलती की है। अब मैं उस गलती को दोहराना नहीं चाहता। मैं नहीं जानता आगे क्या होगा क्या नहीं। मेरी किस्मत मुझे किस ओर ले जाएगी मुझे कोई आईडिया नहीं है। लेकिन अब मुझे किसी से कुछ नहीं छुपाना।"      कार्तिक सिंघानिया धीरे से चलते हुए कुणाल के पास पहुंचा और उसके कंधे पर हाथ रख अपनी तरफ घूमाकर बोला "क्या तू वाकई में उसे सब सच बता देगा?"      कुणाल ने कार्तिक की आंखों में आंखें डालकर कहा "हां, मैं उसे सब सच बता दूंगा। मैं कह दूंगा कुहू से कि वह मेरी सिर्फ दोस्त है और जिसे मैं प्यार करता हूं वो उसकी बहन है। मैं शिविका से प्यार करता हूं और उसे बहुत प्यार करता हूं। अगर हमारी शादी हो भी गई तब भी मैं कुहू से कभी प्यार नहीं

सुन मेरे हमसफर 163

  163    निशी ने जब अव्यांश को इस हालत में देखा तो वो बहुत ज्यादा घबरा गई। उसने जल्दी से जाकर अव्यांश को पकड़ा और उसे खींचकर उठाने की कोशिश करने लगी लेकिन अव्यांश को संभाल पाना उसके बस का नहीं था। वह परेशान हो गई। घबराहट में उसका दिमाग काम करना बंद कर गया था। वह अपना सर पकड़ कर सोचने लगी। अचानक से उसे पानी का ध्यान आया और उसने जल्दी से जाकर सबसे पहले तो नल बंद किया। उसके बाद टब का ड्रेनेज होल ढूंढने लगी।      उसे एहसास हुआ कि अव्यांश ठीक उसी के ऊपर लेटा हुआ था। अब निशि की हालत खराब। अव्यांश को हिलाना उसके बस में नहीं था, यह कोशिश करके वह देख चुकी थी। लेकिन टब से पानी को खाली कैसे करें? उसके दिमाग में जो आया उसने वही करना शुरू किया। अपने हाथ से ही पानी उछालकर वह टब से बाहर फेंकने लगी। कम से कम उसे इतना पानी बाहर निकालना था जिससे अव्यांश डूबे नहीं, और वह अव्यांश को होश में ला सके। डर और घबराहट में निशि कब रोने लगी, उसे पता ही नहीं चला।    कुछ देर मेहनत करने के बाद फाइनली निशी को अव्यांश का चेहरा टब के बाहर नजर आया। उसने अव्यांश को दोनों कंधे से पकड़ा और खींचकर थोड़ा सा ऊपर एडजस्ट किया ता

सुन मेरे हमसफर 162

  162    सुहानी और काया ने नाइट आउट का प्लान बनाया था और सभी काया के घर जाने वाले थे। घरवालों ने भी किसी तरह का रोक टोक नहीं किया। बच्चे एक साथ कुछ वक्त गुजार ले उसके बाद तो एक-एक कर सबको दूर चले जाना है।      श्यामा ने कहा "वो सब तो ठीक है लेकिन कुहू को भी आने देते। अभी तो शिवि भी नहीं आई है।"      सुहानी बड़े आराम से बोली "उसकी आप टेंशन मत लो बड़ी मॉम! कुहू दी को आने में टाइम है। उनका शो खत्म होगा एटलिस्ट एक डेढ़ घंटे के बाद ही। और शिवि दी को मैं कॉल कर देती हूं, वह आ जाएंगी।"     काया खुश होकर बोली "ठीक है। एक काम करते हैं, निशि भाभी को भी अपने साथ ले चलते हैं। वह कभी हमारे नाइट आउट में शामिल नहीं हुई है। मैं उनको बुला कर लाती हूं, ठीक है?" कहकर काया वहां से जाने को हुई लेकिन सुहानी ने एकदम से उसकी बांह पकड़ी और खींचते हुए उसे गोल घुमा कर जमीन पर पटक दिया।     काया धम्म से नीचे गिरी और अपनी कमर सहलाते हुए बोली "यह क्या पागलपन है तेरा सुहानी? तू कब क्या कर जाती है किसी को कुछ समझ ही नहीं आता। तुझे खुद भी समझ आती है क्या? फिर से पागलपन के दौरे पड़े

सुन मेरे हमसफर 161

  161    निशि जब कमरे में गई तो उसे वहां कोई नहीं दिखा। अव्यांश कमरे में नहीं था। 'यह अभी तो यही था। कहां चला गया? शायद बालकनी में!' निशी अव्यांश को ढूंढते हुए बालकनी की तरफ गई लेकिन अव्यांश वहां नहीं था। उसे लगा बाथरूम में होगा, लेकिन बाथरूम का लॉक खराब था और वह खुल नहीं रहा था तो फिर वह अंदर कैसे हो सकता है' यह सोचते ही उसकी नजर बाथरूम की तरफ उठी तो यह देखकर चौंक गई।       बाथरूम का दरवाजा खुला था और अंदर से पानी गिरने की हल्की आवाज आ रही थी। निशी हैरान होकर बोली "लेकिन उसने तो कहा था कि............! मतलब सिर्फ मुझे परेशान करने के लिए किया उसने यह सब......! तुम्हें छोडूंगी नहीं मैं!" निशी बाथरूम की तरफ बढ़ने लगी।      एकदम से उसका पैर अव्यांश के शर्ट पर पड़ा। वह जल्दी से पीछे हुई और उस शर्ट को उठाकर झाड़ते हुए बोली "ये क्या तरीका है? यह इस तरह कपड़ा कोई नीचे फेंकता है? क्या यह पागल इतना गुस्सा है कि इसने..........! हे भगवान! अब मैं क्या करूं? यहां खड़े रहकर उसका इंतजार करूं या फिर उसे आवाज लगाऊं? कहीं वह और ज्यादा गुस्सा हो गया तो? मुझे यहीं रहकर उसका इंत

सुन मेरे हमसफर 160

160    निशि सुहानी के साथ भागते हुए अव्यांश से बचकर कमरे से बाहर तो निकल आई लेकिन उसे अव्यांश के लिए थोड़ा बुरा लग रहा था। इतने वक्त में उसे अव्यांश की इन बदमाशियों की आदत पड़ गई थी। वह खुद भी तो अव्यांश की नजदीकीयो की आदि हो चुकी थी। अव्यांश का यूं उसे परेशान करना, बार बार उसके करीब आना निशी को अच्छा लगने लगा था। सिर्फ अव्यांश ही नहीं बल्कि निशी खुद भी अपने रिश्ते को एक स्टेप आगे लेकर जाना चाहती थी।     सोचते हुए निशि एकदम से जाकर किसी से टकराई। उसने देखा तो सामने सुहानी खड़ी थी। निशी ने सवालिया नजरों से सुहानी को देखकर पूछा "क्या हुआ? तुम मुझे ऐसे क्यों देख रही हो? और ऐसे यहां, हम तो ऊपर जा रहे थे ना?"      सुहानी ने अपने दोनों हाथ आपस में बांधा और भौंहें मटका कर बोली "अच्छा? लेकिन तुम कहां जा रही थी?"     निशी अकचका कर बोली "मैं? मैं तो तुम्हारे साथ ही जा रही थी। तुम मुझे कहां ले जा रही थी?"     सुहानी ने दो तीन बार अपनी पलकें झपकाई और बोली "बहुत अच्छे से जानती हूं मैं कि तुम्हारा दिमाग कहां अटका हुआ है। तुम क्या सोच रही हो और क्या करना चाहती हो वो

सुन मेरे हमसफर 159

  159    शिवि खुदको बड़ी मुश्किल से छुड़ाते की कोशिश करते हुए बोली "तुम अच्छे हो या बुरे, मुझे इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। और मुझे इस फर्क क्यों पड़ना चाहिए? छोड़ो मुझे!"     कुणाल अभी भी शिवि को छोड़ने को तैयार नहीं था लेकिन शिवि की आंखों में बेरुखी देख कुणाल ने उसे छोड़ दिया और बोला "सच कहा तुमने। तुम्हें कोई फर्क नहीं पड़ता, और पड़ना भी नहीं चाहिए। आखिर हम एक दूसरे को लगाते हैं क्या है! और फिर हमारा रिश्ता ही क्या है। सॉरी! मैं बस तुमसे थोड़ी उम्मीद लगा बैठा था। गलती हो गई। तुम्हें जाना था ना? तुम जाओ। कुहू से मैं खुद बात कर लूंगा।" बात करते हुए कुणाल शिवि की तरफ नहीं देख पा रहा था। वह बस अपनी बात खत्म कर वहां से उल्टे पैर वापस मुड़ गया। शिवि कुछ देर उसे वहां से जाते हुए देखती रही फिर बिना कुछ और सोचे अपने मन के ख्यालों को परे झटक कर वहां से वापस लौट गई। *****    सुहानी और काया उछलते कूदते छत पर पहुंचे। उन्हें देख अवनी ने पूछा "हो गया तुम लोगों का? पूरी मार्केट खाली कर दिए क्या तुम लोगों ने? इतनी शॉपिंग कौन करता है!"     सुहानी ने सारांश से अपनी मम्मी की