सुन मेरे हमसफर 164

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   कार्तिक सिंघानिया ने अपना सवाल फिर से दोहराया "बता ना! अगर जो कुहू ने तुझे पूछ लिया कि जिस लड़की से तू प्यार करता है वह कौन है और उसमें ऐसा क्या है जो उसके लिए तू कुहू का दिल तोड़ रहा है, क्या जवाब देगा तू उसे? बता पाएगा सच?"


     कुणाल ने अपनी आंखें बंद की और एक गहरी सांस लेकर बोला "अपने दिल के एहसासों को दिल के अंदर दबा कर मैं बहुत बड़ी गलती की है। अब मैं उस गलती को दोहराना नहीं चाहता। मैं नहीं जानता आगे क्या होगा क्या नहीं। मेरी किस्मत मुझे किस ओर ले जाएगी मुझे कोई आईडिया नहीं है। लेकिन अब मुझे किसी से कुछ नहीं छुपाना।"


     कार्तिक सिंघानिया धीरे से चलते हुए कुणाल के पास पहुंचा और उसके कंधे पर हाथ रख अपनी तरफ घूमाकर बोला "क्या तू वाकई में उसे सब सच बता देगा?"


     कुणाल ने कार्तिक की आंखों में आंखें डालकर कहा "हां, मैं उसे सब सच बता दूंगा। मैं कह दूंगा कुहू से कि वह मेरी सिर्फ दोस्त है और जिसे मैं प्यार करता हूं वो उसकी बहन है। मैं शिविका से प्यार करता हूं और उसे बहुत प्यार करता हूं। अगर हमारी शादी हो भी गई तब भी मैं कुहू से कभी प्यार नहीं कर पाऊंगा। मुझे पूरा यकीन है, वो मेरी बात सुनेगी भी और समझेगी भी। अटलीस्ट वह किसी ऐसे इंसान से शादी नहीं करना चाहेगी जो किसी और से प्यार करता हो। वो समझदार लड़की है और काफी प्रैक्टिकल भी है। आज के जमाने की लड़की है। बस मेरी उससे बात हो जाए।"


    कुणाल आगे की तरफ बढ़ गया लेकिन कार्तिक एक बार फिर अपनी जगह पर खड़ा रह गया। वह धीरे से बोला "तू नहीं जानता, कोई भी इंसान कितना भी प्रेक्टिकल क्यों ना हो, लेकिन जब बात प्यार की आती है तो सारी समझदारी गायब हो जाती है। बहुत कम लोग ऐसे होते हैं जो अपने प्यार को अपने हाथों से जाने देते हैं। पता नहीं कुहू कैसे रिएक्ट करेगी।"



*****





    अवनी और श्यामां किचन में जा रहे थे और काया सुहानी इधर-उधर एक दूसरे को पकड़ने और बचने की फिराक में भाग रहे थे। सारांश समर्थ और सिद्धार्थ तीनों वही हाल में आकर बैठ गए और ऑफिस के कुछ बातें डिस्कस होने लगी। उसी वक्त अव्यांश अपने कमरे से लगभग भागता हुआ आया जिसे देख सभी चौंक गए। सबसे ज्यादा चौंकी सुहानी। उसने पूछा "क्या हुआ? तू ऐसा क्यों भाग कर आ रहा है जैसे कोई भूत देख लिया हो? निशि ने तुझे डरा दिया क्या, या फिर मार कर भागा दिया?"


    अव्यांश को लगा नहीं था कि सब इतनी जल्दी नीचे आ जाएंगे। उसके पैर में एकदम से ब्रेक लगा और उसकी चाल नॉर्मल हो गई। लेकिन वह समझ नहीं पाया कि सुहानी के सवाल का जवाब क्या दें। अव्यांश ने सारांश की तरफ देखा और आंखों में आंखों में कुछ इशारा किया। सारांश समझ गए और बोले "कब से तेरा ही इंतजार कर रहा था। अब तू आ गया है तो एक काम कर, शाम का टाइम है जाकर फटाफट सबके लिए ढेर सारे समोसे पैक करवा कर ले आ।"


    अवनी ने सुनी तो नाराज होकर बोली "आपको इस टाइम समोसे खाने हैं, वह भी बाहर के? अगर ऐसा ही था तो बता देते, बहुत पहले बना कर खिला चुकी होती। और यह क्या? बाहर का खाना आप कब से खाने लगे?"


    सारांश के बदले अव्यांश ने जवाब दिया "अरे मॉम! जाने दो ना!! एक तो वैसे ही डैड सबके खाने पर नजर गड़ाए बैठे रहते हैं, यह खाना है यह नहीं खाना है यह पीना है वह नहीं पीना है यह लेना है यह नहीं लेना है। अब जब उनका खुद का मन हो रहा है तो हमें भी तो मौका मिलना चाहिए। मैं काम करता हूं, अभी जाता हूं और सौ डेढ़ सौ समोसे पैक करवा लेता हूं।"


    अवनी उसे डांटते हुए बोली "बिल्कुल नहीं! खबरदार जो ऐसी कोई हरकत की तो! शिवि ने साफ मना किया है, खास तौर पर तेरे डैड को। अभी वह नहीं है तो तुम दोनों बाप बेटे करो अपनी मर्जी! आने दो शिवि को, मैं सब की क्लास लगवाती हूं।"


     सारांश ने अव्यांश को धीरे से वहां से निकलने का इशारा किया और अवनी से बोले "उससे ज्यादा बेहतर जानता हूं मैं। मत भूलिए आप मिसेज सारांश मित्तल कि शिवि आई मीन आपकी डॉक्टर शिविका मित्तल जिसकी धमकी आप हमें दे रही हैं, उसे सीखाने वाले हम ही है।"


    श्यामा ने इस बार सवाल किया "अगर ऐसा है तो फिर आप खुद ही बेवकूफी क्यों कर रहे हैं गुरुजी?" इसी बीच अव्यांश धीरे से सरकते हुए बाहर निकल गया।





*****





   निशि बाथरूम में गीले कपड़े में खड़ी थी। जो कुछ भी अव्यांश ने अभी-अभी किया उसे समझ नहीं आया। 'अभी एकदम से वो मुझे जाने देने को तैयार नहीं था और ऐसा कौन सा जरूरी फोन आ गया, ऐसा कौन सा जरूरी इंसान पैदा हो गया जिसके लिए मुझे छोड़ कर चला गया वह? वो भी इस तरह! आने दो उसे, उसकी तो मैं अच्छे से खबर लूंगी। और ऐसी खबर लूंगी की दोबारा मुझे परेशान करने की सोचेगा भी नहीं।'


    निशी ने अपने हाथ में पड़े टॉवल से उसने अपने बालों को पोछना शुरू किया और बाथरूम में रखें गाउन को पहनकर बाहर निकली। उसे अव्यांश पर इतना ज्यादा गुस्सा आ रहा था कि अगर अव्यांश इस वक्त उसके सामने आ जाता तो वह उसके अच्छे से पिटाई करती। अपने गुस्से पर निशी खुद ही हैरान रह गई। उसने अपने सर पर मारा और बोली "तूने ही तो उसे खुद से दूर कर रखा है, वरना.............! वह तुझे छोड़कर नहीं जाता। होगा कुछ जरूरी काम। ऐसे बिजनेसमैन लोगों को टाइम की खबर थोड़ी होती है। कभी भी कुछ भी मीटिंग शुरू हो जाते हैं।


     निशी ने हेयर ड्रायर उठाया और अपने बाल सुखाने लगी। एक बार फिर अव्यांश की हरकत उसे याद आई। बाल सुखाने में अव्यांश हमेशा उसकी हेल्प करता था। काश इस वक्त भी होता! फिर अपने ख्यालों को झटक कर निशि ने ड्रायर साइड में रख दिया और उठकर खिड़की पर गई। उसे अव्यांश की गाड़ी नजर आ रही थी जो कंपाउंड से बाहर निकलने वाली थी। लेकिन उसे अव्यांश के फोन की रिंगटोन सुनाई दी।


     निशी चौक गई। उसने पलट कर देखा तो वाकई अव्यांश अपना फोन घर पर ही भूल गया था। अब वह करें तो क्या! अव्यांश बाहर निकलने को था और वह खुद बाहर जाने की हालत में नहीं थी और फोन बजे जा रहा था। उसने देखा, नंबर किसी इंस्पेक्टर के नाम से सेव था। निशी सोच में पड़ गई कि वो फोन उठाए या नहीं।

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