सुन मेरे हमसफर 166

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   कुहू को घर पर आया देख सिर्फ शिवि ही नहीं बल्कि काया और सुहानी भी चौंक गई। कुहू को भी लगा नहीं था कि पूरी मंडली यहां जमा होगी। जब सुहानी ने उसे नाइट आउट का प्लान बताया था तो उसे लगा कि सब इस वक्त मित्तल हाउस में होंगे। इस वक्त तो वह खुद भी चौंक गई थी।


     सुहानी ने भी सवाल किया "दी! आप तो फिल्म देख रहे थे ना? फिर इतनी जल्दी कैसे आ गए?"


     किसी के भी सवाल का जवाब देने की बजाय कुहू ने उल्टा सवाल किया "तुम लोग यहां क्या कर रहे हो? मुझे तो लगा था कि तुम लोग वहां पर होंगे इसीलिए तो मैं यहां चेंज करने आई थी। प्लान कैंसिल हो गया क्या?"


     कोई कुछ कहता उससे पहले ही कुहू आगे बोली "देखो! प्लान चेंज करने की जरूरत नहीं है। हो सकता है यह हमारा आखरी नाइट आउट हो। मैं बस इसे इंजॉय करना चाहती हूं।"


   कुहू बात को घूमाना चाहती थी लेकिन शिवि ने अपना सवाल फिर से दोहराया "दी! आप इतनी जल्दी यहां क्या कर रहे हो? आपको तो फिल्म बहुत पसंद आ रही थी ना? कुणाल ने कहा था आपसे कि उसे कुछ बात करनी है लेकिन आपको फिल्म इतनी अच्छी लग रही थी कि आप उसे छोड़कर उठाना नहीं चाह रहे थे। तो फिर यहां कैसे? कुणाल से बात हुई आपकी?"


     कुहू को समझ नहीं आया कि वह इस बात का क्या जवाब दे। लेकिन अचानक ही उसके दिमाग में आइडिया आया और उसने कहा "मैं तो नहीं आने वाली थी। लेकिन क्या है ना, सुहानी ने मुझे मैसेज किया था। और तुम्हें तो पता है ना हम लोगों का चाहे डे आउट हो या फिर नाइट आउट, मैं मिस नहीं करना चाहती। और फिर अगले कुछ दिनों में मेरी शादी है। मैं यहां से चली जाऊंगी तो फिर इंजॉय थोड़ी ना कर पाऊंगी, वह भी तुम लोगों के साथ। फिर तो रहना तुम तीनों। तीनों क्यों! नेत्रा तुम तीनों को जॉइन करेगी ही। फिर तो तुम लोग चार हो ही जाओगे, फैंटास्टिक फोर। मुझे तो कोई याद भी नहीं करेगा।"


     सुहानी और काया जाकर कुहू के गले लग गई और बोली "आपको हम कभी भूल नहीं सकते। लेकिन याद करेंगे या नहीं, इसकी गारंटी हम नहीं ले सकते।" कुहू नाराज हो गई लेकिन दोनों बहने ठहाके मारकर हंस पड़ी। शिवि चुपचाप बैठी रही।


    कुहू ने पूछा "क्या प्लान है आज का? कहां जाना है? कहीं बाहर या फिर घर में ही पजामा पार्टी करनी है?"


     सुहानी कंधे उचका कर बोली "जैसा आपको ठीक लगे।" उसने काया की तरफ देखा जो अजीब सी शक्ल बनाए खड़ी थी। सुहानी बोली "अब तेरी शक्ल को क्या हुआ है? तुझे कुछ कहना है तो बोल दे।"


    काया के कुछ कहने से पहले ही उसका फोन बजने लगा। शिवि जो बेड पर बैठी हुई थी, उसे काया का फोन बेड पर नजर आया। स्क्रीन पर फ्लैश होते हुए नाम को देख शिवि बोली "यह बदतमीज इंसान कौन है?"


     काया चेहरे का रंग उड़ गया। उसने तो ऋषभ का नंबर इस नाम से सेव कर रखा था। शिवि ने कॉल रिसीव करने की कोशिश की लेकिन काया ने एकदम से उसके हाथ से फोन छीन लिया जिसका नतीजा यह हुआ कि कॉल रिसीव होने की बजाय कट गया। शिवि कुहू और सुहानी तीनों काया के इस हरकत पर हैरान रह गए। शिवि अपना चेहरा टेढ़ा कर बोली "ऐसा कौन सा इंसान है जिसका कॉल अटेंड करने को हमे नहीं मिला? क्या छुपा रही है और किसको छुपा रही है? तेरा कोई बॉयफ्रेंड है?"


   काया जबरदस्ती मुस्कुरा कर बोली "कुछ नहीं दी, आप भी ना! अरे ऐसे कॉल आते रहते हैं। तो ऐसे जितने भी कस्टमर केयर या स्पैम नंबर मुझे मिलते हैं, उसे कुछ भी नाम देकर सेव कर देती हूं। कभी डेबिट कार्ड कभी क्रेडिट कार्ड कभी यह लोन कभी वो लोन! इससे मुझे पता चल जाता है कि मुझे कॉल रिसीव करना है या नहीं।"


     सुहानी उसके सर पर चपत लगाकर बोली "अरे तो सीधे-सीधे उसको ब्लॉक कर ना! ऐसे कॉल भी उठाने वाले होते हैं क्या!"


    काया का फोन एक बार फिर बजने लगा। एक बार फिर ऋषभ उसे कॉल कर रहा था और काया कॉल रिसीव नहीं कर पा रही थी। इससे पहले की ऋषभ नाराज हो जाए, काया ने कॉल रिसीव कर लिया और ऋषभ को सुनते हुए बोली "दी! आप लोग प्लान बनाओ ना, मैं अभी थोड़ी देर में आती हूं।"


    काया बाहर जाने को हुई तो कुहू ने उसे रोकते हुए पूछा "अब तू कहां जा रही है? तेरे बिना प्लान कैसे बनेगा?"


     काया को कुछ याद आया और वह बोली "दी! हमने खाना बाहर से आर्डर किया था। मैं देख कर आती हूं अगर डिलीवरी बॉय आ गया हो तो, ठीक है? आप लोग डिसाइड करो अपना।"


    काया कमरे से बाहर निकली और जाते हुए उसने दरवाजा बंद कर दिया। नीचे जाने की बजाए वह बालकनी की तरफ भागी और फोन कान से लगाकर धीरे से बोली "हेलो!"


     दूसरी तरफ से ऋषभ नाराजगी पर लहजे में बोला "मेरा फोन क्यों काटा?"


   काया बोली "फोन मैंने नहीं काटा था, फोन तो शिवि दी के हाथ में था और गलती से कट गया। तुम बताओ, कहां हो तुम? और फोन कैसे किया?"


     ऋषभ बोला "मैं कैसे बोलूं मान लूं तुम्हारी बात? तुम्हें तो मुझसे बात ही नहीं करनी होती है। आज तक कभी मुझे कॉल किया है तुमने? हमेशा मैं ही करता हूं।"


     काया को इसका जवाब नहीं देना था। वह खुद भी तो ऋषभ के ही कॉल का इंतजार करती थी। लेकिन सवाल उसके नाक का था। वह कैसे ऋषभ को यह जाहिर होने देती कि उसे उसकी नजदीकी अच्छी लगने लगी थी। काया बड़ी बेरुखी से बोली "बदतमीज और फ्लर्ट इंसान उसे में बात नहीं करती। कॉल तो बहुत दूर की बात है।"


    ऋषभ हंस कर बोला "अच्छा तो फिर अभी मुझसे बात क्यों कर रही हो?"


     काया खामोश हो गई। ऋषभ बोला "नीचे आओ।"


    काया चौंक पड़ी। ऋषभ ने दोबारा कहा "नीचे आओ वरना मैं ऊपर आ जाऊंगा।"


    काया बालकनी से नीचे झांकते हुए बोली "तुम नीचे हो? देखो! तुम अभी यहां से जाओ। मैं नहीं आ सकती। मेरी सारी बहनें यहीं है, कोई भी मुझे ढूंढते हुए आ सकती है।"


    ऋषभ ने सख्त आवाज में कहा, "मैने कहा ना! नीचे आओ मतलब नीचे आओ। वरना मैं ऊपर आ गया तो जो तुम छुपाने की कोशिश कर रही हो, वो सबके सामने आ जाएगा।" काया के पसीने छूट गए।

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