सुन मेरे हमसफर 167

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    काया के जाने के बाद शिवि को यही सही मौका लगा। उसने सुहानी से कहा "सोनू! जाकर मेरे लिए और कुहू दी के लिए एक गिलास पानी ले आ। और हो सके तो थोड़ी चाय भी बना देना।"


     सुहानी नाराज हो गई और बोली "सिर्फ चाय? कहो तो थोड़े पकोड़े भी ले आती हूं बनाकर।"


   शिवि मुस्कुरा कर बोली "तूने मेरे दिल की बात कह दी। मैं तुझे यही कहने वाली थी लेकिन मुझे लगा शायद आज के शॉपिंग के बाद तू थक गई होगी।" सुहानी पैर पटकते हुए वहां से निकल गई। शिवि और कुहू हंस पड़े। लेकिन उसके जाते ही दोनों की हंसी गायब हो गई।


    शिवि ने जाकर दरवाजा बंद किया और कुहू के सामने खड़ी होकर बोली "कुणाल से बात हुई आपकी? वो आपसे कुछ कहने के लिए डेसपरेट हुआ जा रहा है।"


    कुहू शिवि से नजरे नहीं मिल पा रही थी। वह जाकर बिस्तर पर बैठ गई और बोली "मेरी उससे मुलाकात नहीं हो पाई। मैं थिएटर से निकली लेकिन मुझे वह कहीं दिखा नहीं तो मुझे लगा शायद चला गया होगा। इसलिए मैं वापस आ गई।"


     शिवि नाराज होकर बोली "वो वहीं था। आप समझ भी रहे हो आप क्या कर रहे हो? कुणाल आपसे बात करना चाहता है।"


    कुहू ने एकदम से कर उठाया और शिवि की आंखों में आंखें डाल कर कहा "मैं जानती हूं वह मुझसे बात करना चाह रहा है और मैं ये भी बहुत अच्छे से जानती हूं कि वह मुझसे क्या कहने की कोशिश कर रहा है। लेकिन मुझे उसकी कोई बात नहीं सुननी। मैं उसे नहीं खो सकती।"


     शिवि ने अपना सर पकड़ लिया। वह कुहू पर लगभग चिल्लाते हुए बोली "क्यों अपनी लाइफ स्पॉयल करने पर तुली हो आप? क्यों नहीं समझ रही? ये जो आप कर रहे हो ना, बहुत गलत है। आज अपने पागलपन में जो आप कर रहे हो, ज्यादा वक्त नहीं लगेगा जब खुद अपना सर दीवार पर फोड़ोगे। कुणाल आपसे प्यार नहीं करता, वह कभी किसी जन्म में आपसे प्यार नहीं करेगा।"


    कुहू भी बिस्तर से उठी और पर पटकते हुए कमरे में इधर-उधर चलने लगी। "मैं जानती हूं वह मुझसे प्यार नहीं करता, लेकिन मैं यह भी जानती हूं कि वह किस से प्यार करता है, और मैं उसे उसका नहीं होने दूंगी।"


     शिवि ने हैरानी से कुहू को देखा और बोली "आप जानते हो वह कौन है?"


    कुहू ने अपनी गर्दन हिलाई और कहां "वो नेत्रा से प्यार करता है, और मैं नेत्रा को मुझसे मेरा प्यार छीनने नहीं दूंगी। कुणाल मेरा है सिर्फ मेरा है। नेत्रा हमेशा मुझे जलती आई है और यह सब कुछ भी उसी का किया धरा है वरना मेरा कुणाल कभी मुझसे ऐसी बातें कर ही नहीं सकता। पता है हमारी सगाई में कितना खुश था वो!"


    शिवि अवाक रह गई। 'नेत्रा....! लेकिन ऐसा कैसे हो सकता है?' शिवि ने दोनों हाथों से अपना सर थाम लिया और वहीं जमीन पर बैठ गई। कुहू उसे इस तरह देखा तो बोली "देखा! मैंने कहा ना तुझे भी शॉक लगेगा। नेत्रा जानबूझकर यह सब कर रही है ताकि मुझे परेशान कर सके।"


   शिवि को बिल्कुल भी यकीन नहीं था कि जो कुछ भी कुहू कह रही है वह सच है। क्योंकि कुणाल ने खुद से यह बात कही थी कि जिससे वह प्यार करता है वह लड़की कभी उसकी लाइफ में आना नहीं चाहती और ना ही कभी वह उसे मिलेगी। अगर वह लड़की नेत्रा है तो फिर कुणाल इतने विश्वास से यह बात कैसे कह रहा था? क्योंकि नेत्रा का झुकाव कुणाल के प्रति साफ नजर आता है। उसने सवाल किया "आप इतने यकीन से कैसे कह सकते हो कि नेत्रा ही वह लड़की है? कोई और भी हो सकती है! क्या कुणाल ने खुद से यह बात आपको कही है?"


  कुहू बेबसी से बोली "तुझे लगता है कि कुणाल ने मुझसे ऐसी बातें की होती तो वह मुझे इतनी बेचैनी से ढूंढता? उसने खुलकर भले ही कुछ नहीं कहा हो लेकिन मैं जानती हूं। मेरा यकीन कर मैं तुझसे झूठ नहीं बोल रही। कुणाल और नेत्रा की जो बॉन्डिंग है, और जिस तरह नेत्रा पूरे कॉन्फिडेंस से कह रही थी कि कुणाल मेरा कभी नहीं हो सकता। उसमें शक की कोई गुंजाइश ही नहीं रहती। लेकिन एक बात जो कुणाल नहीं समझ रहा वह यह कि कुणाल उससे प्यार नहीं करता। उसे बस ये लग रहा है कि उसे नेत्रा से प्यार है जबकि ऐसा नहीं है। ये बात नेत्रा ने उसके दिमाग में डाली है ताकि कुणाल को मुझसे दूर कर सके।"


     शिवि ने उसे समझाने की कोशिश की "दी रिलैक्स! ऐसा कुछ नहीं है। आप गलत समझ रहे हो। नेत्रा इस तरह किसी का ब्रेन वाश नहीं कर सकती। और क्या कुणाल इतना छोटा बच्चा है जो किसी के बहकावे में आ जाएगा?"


     कुहू ने हैरानी से शिवि की तरफ देखा और बोली "देखा! उसने तुझे भी अपनी बातों में फंसा ही दिया। तुझे मेरी बातों पर यकीन नहीं है। अब तुझे भी मैं गलत लगने लगी हूं।सी




*****






     कायरा सबसे छुपाते हुए बाहर निकली। बाहर आते ही ऋषभ ने एकदम सबसे दबोच लिया और उसे दीवार से लगा कर बोला "तुम्हें देखता हूं तो मुझे समझ में नहीं आता कि तुम्हारे दिमाग में क्या चल रहा है। आंखें कुछ और कहती है और जुबान कुछ और। अब बताओ मेरा फोन क्यों काटा?"


     काया अपने दिल के धड़कनों को संभालते हुए बोली "मैंने बताया तो था, फोन मैंने नहीं काटा।"


     ऋषभ ने काया का फोन उसके हाथ से छीना और उसके कॉल लॉग में जाकर देखने लगा। ऋषभ के होठों पर स्माइल आ गई। उसने कहा "इस बदतमीज इंसान की बदतमीजी देखना चाहोगी?"


    काया ने उसे खुद से दूर धकेलने की कोशिश करते हुए कहा "छोड़ो मुझे। मुझे नहीं देखनी तुम्हारी कोई बदतमीजी। वैसे भी इतना देख चुकी हूं, अब और नहीं देखना।"


     ऋषभ उसके चेहरे पर आए बालों की लटों को साइड करता हुआ बोला "लेकिन मुझे तो करनी है"


    काया एक बार फिर ऋषभ से दूरी बनाने की कोशिश करते हुए बोली "तुम तो जाने वाले थे ना, तो अब तक गए क्यों नहीं? और यहां क्या लेने आए हो?"


    ऋषभ मुस्कुरा दिया और बोला "तुमसे गुड बाय लेने आया था।" काया जानती थी उसके कहे का मतलब। ऋषभ की नजदीकियों को महसूस कर उसने अपनी आंखे बंद कर ली।

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