सुन मेरे हमसफर 160

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   निशि सुहानी के साथ भागते हुए अव्यांश से बचकर कमरे से बाहर तो निकल आई लेकिन उसे अव्यांश के लिए थोड़ा बुरा लग रहा था। इतने वक्त में उसे अव्यांश की इन बदमाशियों की आदत पड़ गई थी। वह खुद भी तो अव्यांश की नजदीकीयो की आदि हो चुकी थी। अव्यांश का यूं उसे परेशान करना, बार बार उसके करीब आना निशी को अच्छा लगने लगा था। सिर्फ अव्यांश ही नहीं बल्कि निशी खुद भी अपने रिश्ते को एक स्टेप आगे लेकर जाना चाहती थी।


    सोचते हुए निशि एकदम से जाकर किसी से टकराई। उसने देखा तो सामने सुहानी खड़ी थी। निशी ने सवालिया नजरों से सुहानी को देखकर पूछा "क्या हुआ? तुम मुझे ऐसे क्यों देख रही हो? और ऐसे यहां, हम तो ऊपर जा रहे थे ना?"


     सुहानी ने अपने दोनों हाथ आपस में बांधा और भौंहें मटका कर बोली "अच्छा? लेकिन तुम कहां जा रही थी?"


    निशी अकचका कर बोली "मैं? मैं तो तुम्हारे साथ ही जा रही थी। तुम मुझे कहां ले जा रही थी?"


    सुहानी ने दो तीन बार अपनी पलकें झपकाई और बोली "बहुत अच्छे से जानती हूं मैं कि तुम्हारा दिमाग कहां अटका हुआ है। तुम क्या सोच रही हो और क्या करना चाहती हो वो भी जानती हूं। जो कुछ भी तुम बोल रही हो, वह सब कुछ तुम्हारे हाव भाव से बिल्कुल भी मैच नहीं हो रहा।"


     निशि नजरे चुराते हुए बोली "ऐसा कुछ नहीं है। तुम कुछ ज्यादा ही सोच रही हो। अपने भाई के संगत का असर हो गया है तुम पर। अब चले सब हमारा इंतजार कर रहे होंगे।"


     निशी वहां से आगे जाने को हुई तो सुहानी ने एकदम से उसकी कलाई पकड़ ली और उसे रोक कर बोली "कोई इंतजार नहीं कर रहा तुम्हारा वहां। अगर कर रहा होता तो कोई ना कोई तुम्हे लेने जरूर आ जाता। अभी ऊपर मत जाओ।"


    निशी ने एक बार ऊपर सीढ़ियों की तरफ देखा और फिर सुहानी से बोली "लेकिन तुम तो मुझे बुलाने आई थी ना?"


     सुहानी ने उसे बोली, "हां आई थी और अपनी मर्जी से आई थी, किसी के कहने पर नहीं। देखो निशी! मैने अभी जो कुछ भी अंशु के सामने किया वो मेरा हक था। लेकिन ये भी सच है कि तुम्हारा और अंशु का रिश्ता पहले से काफी बेहतर हुआ है। तुम्हे उसके साथ होना चाहिए। एक काम करो, अभी अपने कमरे में जाओ। इस वक्त तुम्हारा पति किसी बंदर की तरह अपना पूरा चेहरा लाल किए हुए बैठा होगा। और जाकर मानाओ उसे।"


     निशी ने उसे कहना चाहा "लेकिन सुहानी! घर के सब लोग ऊपर........."


     लेकिन सुहानी उसकी बात काट कर बोली "घर वालों की टेंशन तुम क्यों ले रही हो? यह टेंशन लेने का काम तुम्हारा नहीं है। वैसे भी घरवाले कभी भी तुम दोनों को डिस्टर्ब नहीं करना चाहेंगे। इसलिए चुपचाप अपने कमरे में जाओ। आखिर मुझे भी तो अपने भतीजे या भतीजी का इंतजार है।"


    निशी अभी भी हिचक रही थी तो सुहानी बोली, "मेरा भाई दुनिया का सबसे अच्छा इंसान है, बिल्कुल डैड की तरह। वो कहे, ना कहे लेकिन तुमसे बहुत प्यार करता है। और तुम भी तो इस रिश्ते में ढल गई हो। दिल की बात जुबान पर लाते हुए देर नही करनी चाहिए। वो तो फिर भी तुम्हारा ही है। अब जाओ वरना वो लाल बंदर काला पड़ जाएगा फिर तुम ही उसको देखकर डर जाओगी।" कहते हुए सुहानी निशी को धीरे से कमरे की तरफ धक्का देकर वहां से चली गई।


    निशी की नजरे शर्म से ऊपर उठ नहीं पा रही थी। उसे अव्यांश के गुस्से का ध्यान आया। सुहानी ने जो कुछ भी बताया था, लेकिन उसे मनाना कैसे हैं इस बारे में तो सुहानी ने या फिर किसी और ने कुछ कहा ही नहीं था। फिर वो अपने ही सर पर हाथ मार कर बोली "उसे मनाना कौन सा मुश्किल काम है! वैसे भी वह ज्यादा देर तक गुस्सा नहीं कर सकता है। मैं भी बेवजह डर रही थी।"





*****





     शिवि भागते हुए पार्किंग लॉट में पहुंची और सीधे जाकर अपनी गाड़ी के अंदर घुस गई। यह वही जगह थी जहां अभी कुछ देर पहले उसने अपनी हीरोपंती दिखाई थी लेकिन इस वक्त इतनी ज्यादा घबराई हुई थी कि उसके हाथ बुरी तरह कांप रहे थे। उसके साथ क्या हो रहा था यह तो शिवि खुद भी नहीं जानती थी। एक बेचैनी एक घबराहट, यह अजीब सा एहसास जो पहले कभी नहीं हुआ। दिल की धड़कन तो मानो रेस में सबको पीछे छोड़ने को तैयार था।


    खुद को संभालने के लिए शिवि ने अपनी आंखें बंद की और धीरे-धीरे गहरी सांस लेने लगी। लेकिन यह सब उसके लिए बहुत मुश्किल हो रहा था। जिस कुणाल को वह बिल्कुल पसंद नहीं करती थी उसी कुणाल का यूं करीब आना उसे बेचैन कर गया, क्यों? कुणाल की आंखों में जब भी उसने झांक कर देखा उसे कुछ ऐसा नजर आया जो उसे सही नहीं लगा, लेकिन क्या वह गलत था?


       शिवि ने गाड़ी की चाबी की-हॉल में लगाने की कोशिश की लेकिन उसके हाथ इतनी बुरी तरह कांप रहे थे कि चाबी उसके हाथ से छूटकर नीचे जाकर गिरी। शिवि ने बड़ी मुश्किल से चाबी को ढूंढा लेकिन एक बार फिर वह चाबी लगाने में नाकाम हुई तो उसने अपने दोनों हाथों से अपना सर पकड़ लिया और स्टीयरिंग व्हील पर अपना सर टिका दिया। कुछ देर आंखें बंद कर बैठे रहने के बाद शिवि धीरे-धीरे नॉर्मल हुई और कुणाल पर गुस्सा करते हुए बोली "कुछ तो है! कुछ तो गड़बड़ जरूर है इस बंदे में। कोई ऐसा ट्रिक या कोई काला जादू जानता है यह। कम ऑन यार! एक डॉक्टर होकर भी काला जादू पर तू यकीन करती है? हो भी सकता है। दुनिया में क्या नहीं है! हम किसी बात से इनकार नहीं कर सकते। लेकिन कुछ तो हुआ है, वरना ऐसी घबराहट मुझे पहले कभी नहीं हुई। प्लीज भगवान जी, मेरी हेल्प कीजिए। हे कान्हा जी!"


      दूसरी तरफ कुणाल मॉल की सीढ़ियों पर बैठा कुछ सोच रहा था। उसे कुहू का इंतजार भी करना था और उससे मिलकर काफी कुछ कहना था। लेकिन उसे बिल्कुल उम्मीद नहीं थी कि शिवि वाकई उसे ऐसे छोड़ कर चली जाएगी। कुछ पल उसे अपने प्यार के साथ जो मिला तो, थोड़ा और वक्त पाने को उसका मन मचल उठा। लेकिन शायद यह जरूरी भी था। अभी कुछ देर पहले तक शिवि के साथ सब कुछ कितना अच्छा लग रहा था। एक बार फिर उसके मन को एक उदासी ने घेर लिया।


     अचानक किसी का हाथ उसके कंधे पर पड़ा तो कुणाल ने बिना पीछे देखे कहा "मेहरबानी आपकी।"



  कार्तिक सिंघानिया बोला, "तू ऐसे क्यों बोल रहा है?"


    कुणाल कुछ नही बोला तो कार्तिक सिंघानिया उसके बगल में बैठकर बोला "तूने तो बस अपना लोकेशन भेज दिया था। पता है, पूरे मॉल में तुझे ढूंढते हुए ज्यादा नहीं तो आधा किलो वजन मेरा कम हो ही गया होगा!"


     कुणाल उसका मजाक बनाते हुए बोला "हां क्यों नहीं! तेरे लिए अच्छा ही है। अटलीस्ट 5 से 10 किलो कम करवाना चाहिए था तेरा।"


     कार्तिक सिंघानिया नाराज होकर बोला "तुझे मैं मोटा लग रहा हूं? देख मुझे, मेरी तरफ देख!" कहते हुए वह कुणाल के सामने दो तीन सीढियां नीचे उतरकर खड़ा हो गया और अपने दोनों बाहें फैला कर बोला "मेरे जैसा स्लिम इंसान तुझे मिलेगा क्या? तेरे से ज्यादा फिट हूं मैं।"


    कुणाल की हंसी छूट गई। उसे हंसते देख कार्तिक सिंघानिया वापस आकर कुणाल के बगल में बैठ गया और बोला "चल! कमसे कम तेरे होठों पर स्माइल तो आई। अब बता, बात क्या है? कुछ हुआ क्या? कुहू से तेरी बात हुई या शिवि से? शिवि ने कुछ कहा क्या तुझे?"


  कुणाल अभी भी खामोश था। कार्तिक ने कुणाल के कंधे पर हाथ रखा और उसे हिलाते हुए बोला "क्या हुआ, तू चुप क्यों है? कुछ बोल ना! शिवि से तेरी बात हुई? कुछ कहा तूने उसे? अपने दिल की बात बताई?" कुणाल ने बस इनकार में अपना सर हिला दिया।


    कार्तिक अपना सर पकड़कर बोला "तुझे कितना समझना पड़ेगा! तेरी समझ में कुछ क्यों नहीं आता? तू सीधे-सीधे शिविका को जाकर अपने दिल की बात क्यों नहीं बता देता? मुझे तो दूसरा कोई सॉल्यूशन नजर नहीं आ रहा जो सबसे आसान हो।"


    कुणाल उठ खड़ा हुआ और कार्तिक की आंखों में आंखें डाल कर बोला "उसे बता दूं? शिविका मित्तल को? डॉक्टर शिविका मित्तल, जिसे खून खराबे से कोई एतराज नहीं है? जो किसी का गला काटने में एक सेकंड नहीं लगाती! तुझे लगता है अगर मैंने उससे ऐसी बात की तो मैं जिंदा मिलूंगा तुझे?"


     कार्तिक सिंघानिया शॉक्ड होकर कुणाल को देखता रहा लेकिन जब सारी बाते उसकी समझ में आई तो उसकी हंसी छूट गई। कार्तिक वही अपना पेट पकड़कर सीढ़ियों पर लेट गया। कुणाल जानता था कार्तिक का रिएक्शन क्या होगा। लेकिन यह बात उसके दिल में काफी देर से खटक रही थी। कुछ वक्त पहले जो उसने शिविका के साथ किया वह कैसे किया और इसमें इतनी हिम्मत कैसे आई यह बात उसे खुद भी समझ नहीं आ रही थी। दो पल को तो वह भूल ही गया था कि शिविका कौन सी तोप है।


     कार्तिक सिंघानिया हंसते हुए बोला "एक बात बता, तेरी क्यों इतनी फटी पड़ी है? ऐसा क्या कर दिया डॉक्टर शिविका मित्तल ने जो तेरी ऐसी हालत हो रखी है?"


     कुणाल ने बेबसी से कार्तिक की तरफ देखा और वापस उसके पास बैठकर बोला "इसी मॉल के पार्किंग में अभी कुछ वक्त पहले जो कुछ भी हुआ अगर तू वहां होता तो तेरे होश उड़ गए रहते।" कहते हुए कुणाल ने सारी बात एक सांस में बता दी, उसके बाद बोला "तब से मेरे दिमाग में बस यही सब खटक रहा है। शिविका को उसे गुंडे से कोई प्रॉब्लम नहीं थी। बस अपनी जान बचाने और उसे अरेस्ट करवाने के लिए उसने सब कुछ किया। जरा सोच, एक तो वह मुझे पसंद नहीं करती, दूसरे मैं उसकी बहन से अपना रिश्ता तोड़ने वाला हूं, तीसरा वह ऐसे ही मुझसे नफरत करती है। जरा सोच अगर मैंने उसे बता दिया कि मैं उसे कितना प्यार करता हूं तो वह क्या करेगी? अगर गलती से उसे पता भी चल गया कि मैं जिससे प्यार करता हूं वह और कोई नहीं वह खुद है तो वह मेरा क्या हाल करेगी? मेरी तो हिम्मत नहीं हो रही यार उसे अपने प्यार का इजहार करने को!"


     कार्तिक सिंघानिया खुद भी थोड़ा हैरान हो गया था। वैसे एक डॉक्टर के लिए इस तरह चाकू यूज करना कोई बड़ी बात नहीं थी लेकिन वाकई अगर थोड़ा सा भी इधर से उधर हो जाता तो बेचारे की हालत खराब हो जाती। ऑपरेशन थिएटर में तो फिर भी कई लोगों के बीच में यह काम होता है लेकिन इस तरह एक झटके में किसी की गर्दन उड़ा देना, ये सोच कर ही कार्तिक सिंघानिया के रोंगटे खड़े हो गए। उसने कुणाल के कंधे पर हाथ रखा और फिर साइड से उसे अपनी बाहों में भरकर बोला "मुझे तुझसे हमदर्दी है, बहुत ज्यादा हमदर्दी है। तू चिंता मत कर, एक न एक दिन तुझ में इतनी हिम्मत जरूर आ जाएगी कि तू उसे अपने प्यार का इजहार कर सकेगा। दिल की डॉक्टर है वो, मरीज का ख्याल तो उसे रखना ही होगा। अपने पेशेंट पर वो सख्ती नहीं दिखा सकती।"


     अचानक ही कुणाल के दिमाग की बत्ती जली। उसने अजीब नजरों से कार्तिक की तरफ देखा। कार्तिक उससे थोड़ा सा दूरी बनाते हुए बोला "तू मुझे ऐसे क्यों देख रहा है? देख! तेरे दिमाग में जो भी चल रहा है उसे अपनी तरफ ही रख। मेरे से ज्यादा क्लोज होने की जरूरत नहीं है। तू एक लड़का है और मैं भी। हम उनमें से नहीं है यार!"


     लेकिन कुणाल ने एकदम से कार्तिक के चेहरे को अपने दोनों हाथों से पकड़ा और एक्साइटेड होकर बोला "क्या आईडिया दिया है तूने यार! दिल खुश हो गया।" इतना कहकर उसने कार्तिक के गाल पर पप्पी ले ली और वहां से उठकर भाग गया। कार्तिक अपने गाल पोंछता हुआ उसके पीछे भागा। "अबे कोई बेवकूफी मत कर देना! यक छी! ऐसे कौन किस करता है यार!"


     कार्तिक सिंघानिया ने कुणाल के पीछे भागते हुए साइड में देखा तो वहां आइसक्रीम स्टॉल लगी थी। अपने गाल को एक हाथ से पोंछते हुए वह आइसक्रीम स्टॉल पर पहुंचा और वहां साइड में रखें टिशू पेपर को उठाने लगा तो अकाउंटर पर खड़े लड़के ने कार्तिक सिंघानिया का हाथ पकड़ लिया और बोला "कुछ लोग आइसक्रीम की चोरी करके जाते हैं भाई साहब! आप तो सीधे टिशू पेपर पर हाथ मार रहे हो!"


    कार्तिक सिंघानिया बोला, "भाई! एक दो टिशु की बात है, मैं कौन सा तेरा खजाना ले रहा हूं!"


     कार्तिक उस ओर देखने लगा जिधर से कुणाल निकला था। इससे पहले कि वह आंखों से ओझल हो जाए कार्तिक अपना छुड़ाकर जाने को हुआ लेकिन उसे लड़के ने कसकर कार्तिक की कलाई पकड़ रखी थी। कार्तिक ने सीधे से सवाल किया "चाहते क्या हो तुम?"


    उस लड़के ने बड़ी मासूमियत से जवाब दिया "मेरा टारगेट पूरा होने में भी 15 आइसक्रीम और बाकी है। उसे खरीदो फिर यह पूरा टिशू पेपर आपका।"


     "क्या मुसीबत है!" कहते हुए कार्तिक ने अपने पॉकेट से पांच पांच सौ के दो नोट निकाले और काउंटर पर रख कर बोला "जितनी भी आइसक्रीम आती है, उसका बिल बनाओ और सबको बांट दो। मुझे सिर्फ टिशू पेपर की जरूरत है।"


      वह लड़का मुस्कुरा कर बोला "इतने में तो आप कई बंडल टिशू पेपर खरीद लेते सर! वैसे थैंक यू!"


    कार्तिक ने पूरा टिशू पेपर का पैकेट उठाया और गुस्से में उसे घूरते हुए, एक टिश्यू से अपना गाल पोंछते हुए वो कुणाल के पीछे भागा। उसे कैसे भी करके कुणाल को कोई बेवकूफी करने से रोकना था।




   

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