सुन मेरे हमसफर 159

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   शिवि खुदको बड़ी मुश्किल से छुड़ाते की कोशिश करते हुए बोली "तुम अच्छे हो या बुरे, मुझे इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। और मुझे इस फर्क क्यों पड़ना चाहिए? छोड़ो मुझे!"


    कुणाल अभी भी शिवि को छोड़ने को तैयार नहीं था लेकिन शिवि की आंखों में बेरुखी देख कुणाल ने उसे छोड़ दिया और बोला "सच कहा तुमने। तुम्हें कोई फर्क नहीं पड़ता, और पड़ना भी नहीं चाहिए। आखिर हम एक दूसरे को लगाते हैं क्या है! और फिर हमारा रिश्ता ही क्या है। सॉरी! मैं बस तुमसे थोड़ी उम्मीद लगा बैठा था। गलती हो गई। तुम्हें जाना था ना? तुम जाओ। कुहू से मैं खुद बात कर लूंगा।" बात करते हुए कुणाल शिवि की तरफ नहीं देख पा रहा था। वह बस अपनी बात खत्म कर वहां से उल्टे पैर वापस मुड़ गया। शिवि कुछ देर उसे वहां से जाते हुए देखती रही फिर बिना कुछ और सोचे अपने मन के ख्यालों को परे झटक कर वहां से वापस लौट गई।




*****






   सुहानी और काया उछलते कूदते छत पर पहुंचे। उन्हें देख अवनी ने पूछा "हो गया तुम लोगों का? पूरी मार्केट खाली कर दिए क्या तुम लोगों ने? इतनी शॉपिंग कौन करता है!"


    सुहानी ने सारांश से अपनी मम्मी की शिकायत लगाई "डैड देखो ना मॉम को!"


      सारांश भी अवनी पर नाराज होते हुए बोले "क्या आप भी! बच्चे हैं, उनका मन है शॉपिंग करने का तो करने दीजिए ना। भले हमारी जेब खाली हो जाए, इन्हें क्या?"


    सुहानी अपने पापा से भी नाराज होकर बोली "अच्छा है! आज के बाद में मैं कभी शॉपिंग पर जाऊंगी ही नहीं।"


     सारांश हंसते हुए बोले "अरे बेटा! पूरा मार्केट खाली करा आई हो, कल के लिए कुछ बचा ही कहां होगा। लेकिन पूरा मार्केट कहीं नजर नहीं आ रहा। तुम लोग कुछ लेकर नहीं आई क्या?"


      सुहानी ने मुंह बना लिया और दूसरी तरफ घूम कर बैठ गई। काया हंसते हुए बोली "चाचू! ऐसा कुछ नहीं है। असली शॉपिंग तो कुहू दी कर रही है। पता नहीं, ऐसा लग रहा है जैसे वह सारी भड़ास निकाल लेंगी। असल में पूरा मार्केट वह खरीदने वाली है। हम तो परेशान हो गए थे, बड़ी मुश्किल से जान बचाकर भागे वहां से।"


     श्यामा उसके पीछे की तरफ देखते हुए बोली "लेकिन कुहू कहां है? घर चली गई क्या, आई नहीं यहां पर तुम लोगों के साथ?"


     काया परेशान होकर बोली "महारानी जी फिल्म देख रही है, वह भी अकेले-अकेले।"


      सब चौंक गए। शॉपिंग से सीधे फिल्म! यह तो प्लान में नहीं था। सिया ने पूछा "अचानक से ये फिल्म का प्रोग्राम कैसे बना? और वह फिल्म देख रही है तो तुम लोग यहां क्या कर रही हो? तुम लोगो का प्लान नहीं था क्या?"


     सुहानी से अब और चुप नहीं रहा गया। वह उठकर बोली "मन तो हमारा भी था लेकिन यह बात तो आप उन्हीं से पूछो ना दादी! हम लोग उनके शॉपिंग से परेशान हो गए थे तो हम साइड हो लिए, बाद थोड़ा सा मूड फ्रेश करने को। अंशु जाकर निशि को ले गया और वह अकेली रह गई। तो हमसे बदला लेने के लिए वह भी अकेले फिल्म देखने चली गई, वह भी बिना हमें बताएं। आपको पता भी है हमने उन्हें कितना फोन किया कितना कॉल लगाया,मैसेज किए लेकिन किसी का रिस्पांस नहीं दिया उन्होंने। हम लोग तो बुरी तरह डर गए थे।"


     काया थोड़ा डर गई। वह नहीं चाहती थी कि इस बारे में घर वालों को पता चले। लेकिन सुहानी ने अपना मुंह खोल दिया था। ऐसे में कुहू को डांट पड़नी निश्चित थी। अपनी बहन की साइड लेते हुए काया बोली "दादी! आप जानते हो ना कुहू दी कितनी मूडी है। उनको गुस्सा आया और आगे तो कुछ कहने की बात ही नहीं है। वह तो अच्छा हुआ जो कुणाल जीजू और शिवि दी वहां आ गए और हमारी जान बची वरना हमारी समझ में नहीं आ रहा था कि हम आप सब को कैसे बताएं। बहुत ज्यादा डर गए थे हम लोग ।"


     श्यामा को थोड़ी हैरानी हुई। शिवि तो कुणाल के नाम से भी चिढ़ती थी तो फिर दोनों एक साथ मॉल में कैसे पहुंचे? उन्होंने पूछा "शिवि और कुणाल एक साथ मॉल पहुंचे थे या अलग-अलग?"


     सुहानी ने काया की तरफ देखा। इसका जवाब दो वो ही दे सकती थी। काया कुछ याद करके बोली "पता नहीं बड़ी मॉम, मैं उन दोनों को साथ में ही आते देखा था। लेकिन आप क्यों ऐसा पूछ रही है? कुछ हुआ है क्या?"


      श्यामा से कुछ जवाब देते नहीं बना तो सुहानी बोली "तू भी ना, इसमें प्रॉब्लम क्या ही हो सकता है। दोनों रास्ते में मिल गए होंगे या फिर पार्किंग में। यह भी तो सोच, जब कुहू दी हमारा कॉल नहीं उठा रही थी, उन्होंने शिवि दी का कॉल उठाया। तभी तो जीजू ने हमें घर जाने को कहा वरना अभी भी हम लोग उस मॉल में भटक रहे होते।"


      सिया नाराज होकर बोली "आने दे उसे, अच्छे से डांट लगाऊंगी मैं उसको। ऐसी लापरवाही कोई करता है भला? मेरे दोनों बच्चों की जान सूख गई होगी।" सिया ने प्यार से अपने दोनों बहन फैलाई तो सुहानी और काया जाकर सिया के गले लग गए।


     सुहानी कुहू की तरफदारी करते हुए बोली "दादी! आप चिंता मत करिए, आप जानते हो ना कुहू कितनी रिस्पांसिबल है। वह कभी लापरवाही नहीं करती। इस बार थोड़ा सा गुस्से में आकर उन्होंने कुछ कर दिया तो इसमें गुस्सा होने वाली क्या बात है? और उनको डांट कर भी क्या मिलेगा! अगले कुछ दिनों में तो वह ससुराल चली जाएंगी, है ना?"


      श्यामा हंसते हुए बोली "तुम लोग चिंता मत करो, तुम्हारी कुहू दी को कोई नहीं डांटेगा, ठीक है?"


     सुहानी और काया खुश हो गई। सुहानी ने इधर-उधर नजर दौड़ाई और पूछा "निशि कहां है? वह तो अंशु के साथ बहुत पहले चली गई थी ना?"


     अवनी बोली "वो अपने कमरे में सो रही थी। कुछ ज्यादा ही थक गई थी बेचारी।"


     सुहानी अपनी जगह से उठी और बोली "अकेले वह नहीं थकी थी, हम लोग भी थक गए थे। और उससे भी ज्यादा थक गए हैं। उसे तो अंशु लेकर चला आया था लेकिन हम लोगो को तो पूरे मॉल के 50 चक्कर लगाने पड़े हैं। मैं अभी उसे जगा कर लेकर आता हूं। पूरी फैमिली यहां है, वह क्यों यहां से गायब रहेगी?" बिना किसी की बात सुने सुहानी वहां से निकल गई। अवनी उसे समझाना चाहती थी कि अंशु भी नीचे कमरे में है लेकिन वह कुछ कह नहीं पाई।





*****






      निशि की हिम्मत नहीं हो रही थी कि वह कुछ भी कह पाए। अव्यांश के हाथ में जो ड्रेस थी उसे देखकर निशि शर्म से जमीन में गड़े जा रही थी। वह कोई ड्रेस नहीं थी, एक नाइट गाउन था जो काफी रिवीलिंग था। निशि तो यह सब कभी छूती भी नहीं, यह काम कुहू काया और सुहानी का था। जिस वक्त उन तीनो ने नाइट गाउन को देखा था, उस वक्त सब ने मिलकर निशि को बहुत ज्यादा परेशान किया था। लेकिन निशी को वाकई एहसास नहीं था कि यह वाली ड्रेस वह तीनों शरारती बहनें मिलकर उसके बैग में डाल देगी और यहां अव्यांश के हाथ लग जाएगी।


      अव्यांश ने निशि की तरफ बिना देखे कहा "यह वाली तो तुम आज रात पहन सकती हो। तुम पर बहुत अच्छा लगेगा।"


     निशि का दिल किया वह अभी के अभी या तो कहीं भाग जाए या फिर अव्यांश के इस बदतमीजी के लिए उसे अच्छे से पीट डालें। निशि को चुपचाप खड़े देख अव्यांश ने एक बार फिर कहा "तुम क्या सच में आज रात यह पहनने वाली हो?"


      निशि को होश आया और वह जल्दी से अव्यांश के हाथ से वह नाइट गाउन छीन कर बोली "यह मेरा नहीं है। शायद गलती से आ गया है, यह मेरा नहीं है।"


      अव्यांश को भी लगा शायद गलती से आ गया हो लेकिन निशि को घबराया हुआ देख अव्यांश को पूरा यकीन हो गया और उसने पूछा "गलती से कैसे? बिना बिल पेमेंट के तो यह ड्रेस आ नहीं सकती। एक काम करता हूं, मैं कुहू दी या सोनू से ही पूछ लेता हूं। वह तो थी ना वहां पर?"


    निशी ने अपना सर पीट लिया 'हे भगवान! ये आदमी अपनी बहन से ऐसे सवाल करेगा? किस तरह का इंसान है ये?' 


     अव्यांश अपना फोन लेकर नंबर डायल करने को हुआ गान निशी ने उसके हाथ से फोन छीन कर कहा "तुम्हारा दिमाग तो सही है? अपनी बहन से कोई इस तरह के सवाल करता है क्या? क्या कहोगे तुम, या फिर यह ड्रेस दिखाओगे? लाज शर्म नाम की कोई चीज नहीं है तुममें?"


    अव्यांश ने भी उसे गाउन को निशी के हाथ से छीना और बड़ी बेशर्मी से बोला "इसमें शर्माने वाली क्या बात है? मैं बस उससे पूछूंगा कि क्या यह ड्रेस तुमने..........."


      निशि अव्यांश के हाथ से वापस गाउन खींचकर बोली "बिल्कुल नहीं!!! कुछ नहीं पूछोगे तुम उन सबसे। खबरदार जो ऐसा किया तो!"


      निशी नाराजगी में पलट कर वहां से जाने लगी तो अव्यांश ने एकदम से पीछे से उसे पकड़ लिया और धीरे से उसके कान में बोला "ठीक है। बहन से शर्म समझ में आती है लेकिन बीवी के सामने कैसे शर्म? और मेरे सामने तुम्हें क्यों शर्माना है? शर्माना ही है तो पूरी दुनिया से शर्माते हैं ना!"


      निशि खुद को अव्यांश के पकड़ से छुड़ाने की कोशिश करते हुए बोली, "अव्यांश ! छोड़ो मुझे। आखिर तुम चाहते क्या हो?"


     अव्यांश बड़ी मासूमियत से बोला "ज्यादा कुछ नहीं, बस एक बार में तुम्हें इस गाउन में देखना चाहता हूं।"


   निशि का मुंह खुला का खुला रह गया। वह अव्यांश के पेट में कोहनी मारते हुए बोली "तुम पागल हो और बेशर्म भी। छोड़ो मुझे, सब छत पर है कभी भी नीचे आ सकते हैं।"


    अव्यांश ने एकदम से निशि को अपनी तरफ घुमाया और कहा "लेकिन मैंने तो दरवाजा बंद कर रखा है। अभी तुम ही तो मुझे दरवाजा खोलने को कह रही थी, याद है?"


     निशि कुछ भी कह पाती उससे पहले एकदम से कमरे का दरवाजा खुला और सुहानी दनदनाती हुई कमरे के अंदर दाखिल हुई। अव्यांश और निशि को ऐसे रोमांटिक पोज में खड़ा देख सुहानी सीटी बजाते हुए बोली "क्या बात है! सब लोग छत पर तुम दोनों का इंतजार कर रहे हैं और तुम दोनों हो कि यहां रोमांस में लगे हो!"


     निशी घबराकर अव्यांश से दूर होने की कोशिश करने लगी लेकिन अव्यांश को तो सुहानी के आने ना आने से कोई फर्क ही नहीं पड़ना था। अव्यांश सुहानी से नाराज होकर बोला "तू आने से पहले दरवाजा नॉक नहीं कर सकती है क्या?"


     सुहानी अपने कान खुजला कर बोली "तू कोई नया डायलॉग नही मार सकता क्या? एक ही डायलॉग मारते हुए थक नहीं जाता है? कितनी बार कहा है, मैं नॉक करूं उससे अच्छा है कि तू दरवाजा लॉक कर ले। फिलहाल तेरा जो भी प्रोग्राम है उसको रात के लिए पोस्टपोन कर दे अभी मैं निशी को लेकर जा रही हूं।"


    "बिल्कुल नही। तुझे जो भी काम है, तू वो बाद में देख लेना। अभी जा।" अव्यांश अभी भी निशि को छोड़ने के लिए तैयार नहीं था। और निशी अव्यांश की बांहों में कसमसाए जा रही थी।


    सुहानी की नजर जब निशि के हाथ में पड़े उस गाउन पर गई तो वह शरारत से बोली "अच्छा तो यह बात है। देखा मैंने कहा था ना, इस गाउन के बहुत बड़े-बड़े फायदे हैं।"


    अव्यांश ने एक नजर उस गाउन पर डाली और गुस्सा होकर सुहानी से बोला "अच्छा! तुझे बड़े फायदे पता है इसके!! चक्कर क्या है मैडम? तेरा कोई बॉयफ्रेंड है क्या? देख अगर है तो सीधे-सीधे बता दे, उसका मुंह तोड़ देना मैंने।"


     सुहानी उसके कंधे पर कोहनी टिककर बोली "चिल ब्रो! इतनी नॉलेज तो मुझे भी है, और मेरा बॉयफ्रेंड होगा तो पूरी दुनिया को पता होगा। मैं समर्थ भाई के जैसी नहीं हूं और तेरी तरह तो बिल्कुल नहीं हूं।"


     अव्यांश भी उसे चिढ़ाते हुए बोला "हां! तू इस दुनिया में सिंगल पीस है, सिंगल आइटम। अब चल जा यहां से।"


     लेकिन सुहानी ढिंठ की तरह खड़ी रही और बोली "बिल्कुल नहीं। मैं यहां निशि को लेने आई हूं। मैंने कहा ना, तेरा आज जो भी प्लान है वह रात के लिए एक्सटेंड कर दे और इस बसंती को मेरे हवाले कर दे गब्बर।"


    "तेरे सपनो में ठाकुर!" 


      दोनों भाई बहन के बकवास से परेशान हो चुकी निशि को मौका मिला और जैसे ही अव्यांश का ध्यान निशि के ऊपर से हटकर सुहानी पर गया, निशि पर से उसकी पकड़ ढीली हो गई। मौका मिलते ही निशि ने खुद को छुड़ाया और सुहानी का हाथ पकड़ कर बोली "मैं चलती हूं तुम्हारे साथ।"


    सुहानी ने किसी विजेता की तरह अव्यांश को मुंह चिढ़ाया और निशी को लेकर चली गई। अव्यांश ने भी गुस्से में अपना शर्ट निकालकर जमीन पर फेंका और बाथरूम में घुस गया।

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