सुन मेरे हमसफर 163

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   निशी ने जब अव्यांश को इस हालत में देखा तो वो बहुत ज्यादा घबरा गई। उसने जल्दी से जाकर अव्यांश को पकड़ा और उसे खींचकर उठाने की कोशिश करने लगी लेकिन अव्यांश को संभाल पाना उसके बस का नहीं था। वह परेशान हो गई। घबराहट में उसका दिमाग काम करना बंद कर गया था। वह अपना सर पकड़ कर सोचने लगी। अचानक से उसे पानी का ध्यान आया और उसने जल्दी से जाकर सबसे पहले तो नल बंद किया। उसके बाद टब का ड्रेनेज होल ढूंढने लगी।


     उसे एहसास हुआ कि अव्यांश ठीक उसी के ऊपर लेटा हुआ था। अब निशि की हालत खराब। अव्यांश को हिलाना उसके बस में नहीं था, यह कोशिश करके वह देख चुकी थी। लेकिन टब से पानी को खाली कैसे करें? उसके दिमाग में जो आया उसने वही करना शुरू किया। अपने हाथ से ही पानी उछालकर वह टब से बाहर फेंकने लगी। कम से कम उसे इतना पानी बाहर निकालना था जिससे अव्यांश डूबे नहीं, और वह अव्यांश को होश में ला सके। डर और घबराहट में निशि कब रोने लगी, उसे पता ही नहीं चला।


   कुछ देर मेहनत करने के बाद फाइनली निशी को अव्यांश का चेहरा टब के बाहर नजर आया। उसने अव्यांश को दोनों कंधे से पकड़ा और खींचकर थोड़ा सा ऊपर एडजस्ट किया ताकि उसे जगह सके। निशि ने उसके चेहरे पर हल्की सी थपकी दी। "अव्यांश! अव्यांश उठो प्लीज!! उठो न!!!"


    निशी ने अव्यांश के नाक के पास उंगली रखी तो यह देखकर उसकी खुद की सांस रुक गई। अव्यांश की सांस नहीं चल रही थी। निशी ने जल्दी से अव्यांश के सीने पर हाथ रखा, दिल की धड़कन अभी भी चल रही थी। निशी ने राहत की सांस ली और एक बार फिर अव्यांश को जगाने की कोशिश करने लगी। जब उसे लगा कि अव्यांश अब नहीं उठेगा तो फाइनली उसने अव्यांश को मुंह से सांस देने की कोशिश करने लगी। लेकिन ऐसा करते हुए उसकी खुद की चीख निकल गई।


    निशि ने अपने होठों को छूकर देखा तो उस पर खून लग गया था। वह हैरानी से अव्यांश को देखने लगी तो अव्यांश ने धीरे से अपनी आंखें खोली और कहा "तुम्हारी पनिशमेंट है। मुझे छोड़ कर जाओगी तुम, वो भी मेरे मना करने के बाद?"


     निशि को गुस्सा आ गया। उसने अव्यांश के कंधे पर मुक्के बरसाने शुरू कर दिए और कहने लगी "पागल हो तुम, पूरी तरह पागल हो। तुम्हें पता है मेरी हालत क्या थी! मैं कितनी ज्यादा डर गई थी! लेकिन तुम्हें क्या फर्क पड़ता है इस सबसे। तुम्हें तो बस अपने मन की भड़ास निकालनी है ना?"


    अव्यांश ने निशी को अपने दोनों बाहों में समेट लिया और बोला "और तुम जो अभी कर रही हो, उसका क्या? क्या ये तुम्हारे मन की भड़ास नहीं है? जब भी मैं तुम्हारे करीब आने की कोशिश करता हूं तुम कुछ ना कुछ बहाना बनाकर मुझसे दूर चली जाती हो। पति हूं तुम्हारा, क्या मेरा इतना भी हक नहीं कि मैं तुम्हारे साथ थोड़ा सा क्वालिटी टाइम स्पेंड कर सकूं? जब देखो कभी मॉम के साथ, कभी बड़ी मॉम के साथ कभी दादी के साथ कभी उस चांडाल चौकड़ी के साथ। मेरे लिए तो तुम्हारे पास टाइम ही नहीं है। देख लेना, जब मैं तुम्हे टाइम नही दूंगा और तुमसे दूर चला जाऊंगा, तब थे एहसास होगा। जब से हम बेंगलुरु से आए हैं तुमने तो मुझे पूरी तरह अवॉयड कर रखा है।"


     निशि उससे दूर होने की कोशिश करते हुए बोली "अव्यांश छोड़ो मुझे वरना कोई आ जायेगा।"


     लेकिन अव्यांश बोला "आज नहीं, आज बिल्कुल नहीं। अब यहां कोई नही आने वाला।" कहते हुए उसने निशि के कंधे पर से पल्लू हटा दिया।






*****





   कुणाल कार्तिक सिंघानिया को जैसे तैसे मनाकर वापस मॉल के अंदर आ चुका था। कार्तिक कुणाल को छोड़ना नहीं चाहता था। वह जनता था कि कुणाल के दिमाग में कुछ तो ऐसी बात चल रही है जिसके बारे में उसके अलावा और कोई नहीं जानता। और इसके बारे में कार्तिक का जानना बहुत जरूरी था। अब तक कुणाल इतनी गलतियां कर चुका था कि अब वो आगे उसे कोई मौका नहीं देना चाहता था।


    कुणाल बोला, "तुझे शॉपिंग करनी है? एक काम करते हैं, थोड़ी बहुत शॉपिंग कर लेते हैं। तब तक कुहू भी बाहर आ जाएगी।"


     कार्तिक सिंघानिया परेशान होकर बोला "तू ना, पहले एक बार डिसाइड कर ले कि क्या करना है। कभी तू कहता है कि तुझे शिविका से बात करनी है और कभी कहता है कि तुझे कुहू से बात करनी है और अभी तुझे शॉपिंग करनी है। तू एक बार में कुछ डिसाइड क्यों नहीं कर लेता?"


    कुणाल ने उसके कंधे पर हाथ रखा और साइड से हग करते हुए बोला "जानता हूं तू मेरा दोस्त है और मेरे लिए बहुत सोचता है। मैं बहुत खुश हूं कि मेरी लाइफ में तू है और हम दोनों मिलकर शिविका को मेरी लाइफ में ले आएंगे।" 


     कार्तिक सिंघानिया ने कुणाल का हाथ अपने कंधे पर से हटाया और नाराज होकर बोला "तेरी अपनी प्लानिंग तेरी लाइफ, तुझे जो करना है कर। मैं अब तक तुझे समझ कर थक चुका हूं। तेरे चेहरे को देखकर लग नहीं रहा कि तुझे किसी तरह का कोई टेंशन है।"


    कुणाल गंभीर होकर बोला "पता है, एक बार शिवि ने मुझसे कहा था, जब मैं हॉस्पिटल में एडमिट था। उसने कहा था कि हमारी पूरी लाइफ प्रॉब्लम से भरी पड़ी है। हम एक सॉल्व करेंगे तो दूसरा सिर उठाएगा, और इस तरह हमारी पूरी लाइफ किसी न किसी प्रॉब्लम को सॉल्व करने में निकल ही जाती है। ऐसे में अगर हम मुस्कुराना छोड़ देंगे, खुश रहना छोड़ देंगे तो फिर जिंदगी बहुत लंबी और प्रॉब्लम बहुत बड़ी हो जाएगी। इसलिए जिस वक्त टेंशन लेना है उस वक्त टेंशन लो और जिस वक्त टेंशन नहीं लेना उस वक्त खुश रहो। वैसे तो कभी टेंशन नहीं लेना चाहिए लेकिन फिर भी, अपने हर एक मोमेंट को हम दिल से जीने की कोशिश तो कर ही सकते हैं; फिर चाहे हम किसी के साथ हो या फिर अकेले तो। तो जब तक कुहू नहीं आ जाती, हम लोग थोड़ी शॉपिंग कर लेते हैं।"


     कुणाल आगे बढ़ा लेकिन कार्तिक वहीं पीछे खड़ा रह गया और वहीं से आवाज देकर बोला "जब कुहू आएगी तो तू उससे क्या कहेगा?"


    कुणाल बिना पीछे पलटे बोला "मैं उससे कह दूंगा कि मैं उससे नहीं बल्कि किसी और से प्यार करता हूं। एक सिंपल सी बात और कुछ नहीं।"


     कार्तिक के पास सवाल तैयार था, "अगर उस लड़की का नाम पूछ लिया उसने तो तू क्या करेगा?" कुणाल खामोश हो गया।


   अब क्या जवाब देगा कुणाल?

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