सुन मेरे हमसफर 162

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   सुहानी और काया ने नाइट आउट का प्लान बनाया था और सभी काया के घर जाने वाले थे। घरवालों ने भी किसी तरह का रोक टोक नहीं किया। बच्चे एक साथ कुछ वक्त गुजार ले उसके बाद तो एक-एक कर सबको दूर चले जाना है। 


    श्यामा ने कहा "वो सब तो ठीक है लेकिन कुहू को भी आने देते। अभी तो शिवि भी नहीं आई है।"


     सुहानी बड़े आराम से बोली "उसकी आप टेंशन मत लो बड़ी मॉम! कुहू दी को आने में टाइम है। उनका शो खत्म होगा एटलिस्ट एक डेढ़ घंटे के बाद ही। और शिवि दी को मैं कॉल कर देती हूं, वह आ जाएंगी।"


    काया खुश होकर बोली "ठीक है। एक काम करते हैं, निशि भाभी को भी अपने साथ ले चलते हैं। वह कभी हमारे नाइट आउट में शामिल नहीं हुई है। मैं उनको बुला कर लाती हूं, ठीक है?" कहकर काया वहां से जाने को हुई लेकिन सुहानी ने एकदम से उसकी बांह पकड़ी और खींचते हुए उसे गोल घुमा कर जमीन पर पटक दिया।


    काया धम्म से नीचे गिरी और अपनी कमर सहलाते हुए बोली "यह क्या पागलपन है तेरा सुहानी? तू कब क्या कर जाती है किसी को कुछ समझ ही नहीं आता। तुझे खुद भी समझ आती है क्या? फिर से पागलपन के दौरे पड़े हैं क्या तुझे?"


     सुहानी ने नजर उठाकर सब की तरफ देखा तो सारे उसे ही सवालिया नजरों से देख रहे थे। सुहानी जबरदस्ती मुस्कुरा कर काया से बोली "तेरा दिमाग खराब है? हम बहनों का अलग ग्रुप है यार! हम इसमें निशी को शामिल नहीं कर सकते।"


     अवनी को बुरा लगा। वह बोली "ये क्या तरीका है सोनू? निशी भाभी है तेरी! इस घर की एक सदस्य है और हमारी बेटी भी। तुझ में और उसमें कोई फर्क नहीं है। तो तू इस तरह क्यों बात कर रही है?"


    समर्थ ने भी सुहानी को समझाते हुए पूछा, "निशी से तेरा झगड़ा हुआ है क्या? घरवालों की बातो को कभी दिल पर नही लेते।"


   सारांश ने भी निशी की साइड ली और बोले, "जो भी रीजन हो, लेकिन सोना! ऐसे अपनी भाभी के लिए तुम कुछ भी नही कह सकती। अरे उसे अपने ग्रुप में शामिल नहीं करोगी तो तुम सबके साथ उसकी बॉन्डिंग स्ट्रॉन्ग कैसे होगी!"


    सुहानी को समझ नहीं आ रहा था कि वो अपनी बात कैसे समझाए। सिया बोली, "सोनू बेटा! तुम इस घर की बेटी हो। तुम्हे एक दिन यहां से चले जाना है। हम कब तक रहेंगे! बाद में तो सब निशी और तन्वी को ही संभालना है। उनके साथ अपने रिश्ते को खराब मत होने दो। जो भी लड़ाई है, जाकर उसको सॉल्व करो।"


   सुहानी अपने सर पर हाथ मार कर बोली "क्या दादी आप भी! निशी से मेरी लड़ाई क्यों होगी? वह बहुत प्यारी है। लेकिन क्या है ना, कुहू दी कुछ दिनों में यहां से चली जाएगी तो निशि उनकी जगह ले लेगी। हम चार लोग का ग्रुप है। कभी कुहू दी होती है तो कभी नेत्रा। मतलब पांच लोगों का ग्रुप कभी बन ही नहीं और शायद पांच लोगों का ग्रुप हमारे लिए सही नहीं होगा। भगवान भी शायद यही चाहते हैं। इसलिए कभी हम पांच ने एक साथ बैठकर मस्ती नहीं किया। इस बार भी रहने दो ना! और वैसे भी निशि बेचारी थक गई है थोड़ा सा आराम कर रही है। मैं गई थी उसे देखने तो वह सो रही थी। उसे क्यों डिस्टर्ब करना.........."


     काया को उसकी बात समझ नहीं आई। उसने सुहानी को टोकते हुए कहा "तेरा दिमाग खराब है? अभी सो रही है तो जाहिर सी बात है रात भर जागेगी। यह तो और अच्छी बात है। हम सब मिलकर बहुत मस्ती करेंगे।"


    सुहानी का दिल किया अभी वह काया का गला घोट दे। वो चिल्लाते हुए बोली "तो अंशु क्या करेगा? रात भर मच्छर मारेगा?"


   सुहानी क्या कहने की कोशिश कर रही थी अब जाकर सब की समझ में आया, और किसी ने भी अपना मुंह खोलने की हिम्मत नहीं की। काया और सुहानी, दोनों ने दांतों तले जीभ दबा ली, काया अपनी बेवकूफी पर और सुहानी अपने ज्यादा बोलने पर। अवनी उसे डांटते हुए बोली, "बदतमीज लड़की! कब क्या कहां कितना बोलना है अभी तक समझ नहीं आई इसको! शादी के लायक हो गई लेकिन अगर इसकी शादी करवा दी जाए तो ससुराल में जाकर ना कटवाएगी हमारा।"


    सारांश अपनी बेटी की साइड लेते हुए बोले "बच्ची है अभी, इतनी जल्दी शादी थोड़ी होगी!"


     सुहानी ने भी हां में हां मिलाते हुए कहा तो अवनी बोली "अच्छा! अंशु की शादी हो गई और अभी यह बच्ची है! आप भी ना सारांश हद करते हैं। बच्चों को सर पर चढ़ा रखा है।"


     सारांश मासूमियत से बोले, "क्या बात कर रही है आप? मेरे सर पर तो बाल है।" अवनी ने अपना सर पीट लिया और नाराज होकर वहां से उठ कर चली गई।


     उनके जाते ही सुहानी बोली "क्या डैड आप भी! वैसे एक बात बताओ, आप अभी भी इतने यंग हो, कैसा लगेगा अगर आप दादा बन गए तो?"


    सारांश सोच में पड़ गए और अपने होठों पर एक उंगली रखकर बोले "यह बात तो सही है। मतलब कौन मानेगा कि मेरा एक पोता है। लोग तो यह यकीन करने को तैयार नहीं होते कि मेरे दो बच्चे हैं। आई एम स्टिल यंग! एक काम कर, अंशु को बोल इस प्रोग्राम को कैंसिल करें। एटलिस्ट कुछ सालों के लिए, जब तक मेरे पास सफेद नहीं हो जाते।"


     समर्थ बोला "चाचू! बाल सफेद करने की बात है तो मैं अभी कर देता हूं। इसमें कौन सी बड़ी बात है?"


    सिद्धार्थ ने आग में घी डालने का काम किया और बोले "अरे ठीक से इसके बाल को साइड करके देख, अंदर सारे सफेद ही मिलेंगे। व्हाइटनर की जरूरत ही नहीं पड़ेगी।"


     सारांश अपने बालों में स्टाइल से हाथ फिराते हुए बोले "मेरे बाल नेचरली काले हैं। मुझे डाई की जरूरत नहीं पड़ती। वैसे भाभी, डाई है या खत्म हो गया?"


     सिद्धार्थ ने अपने बगल में पड़ा कुशन उठाकर सारांश की तरफ जोर से फेंका। सारांश अपनी जगह से थोड़ा सा साइड हुए और कुशन उनके पीछे जाकर गिरा और वह हंसते हुए बोले "भाई! आपका निशान बहुत कच्चा है। इतने साल हो गए लेकिन आज भी आपका निशान मुझ पर नहीं लगा।"


    सिद्धार्थ अपनी जगह से उठकर दोनों बाजू फोल्ड करते हुए बोले "अभी बताता हूं किसका निशान कच्चा है और किसकी किस्मत अच्छी है।"


     सारांश उनसे बचने के लिए अपनी मां के पीछे जाकर छुप गए। सिया बोली "बस करो तुम दोनों! इतने बड़े हो गए हो, बूढ़े हो चुके हो, अभी भी बच्चों की तरह लड़ते हो। शर्म नहीं आती तुम दोनों को?" फिर वो समर्थ से बोली, "जरा मेरी स्नाइपर तो लाना।"


    

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