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अगस्त, 2021 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

ये हम आ गए कहाँ!!! (32)

       रूद्र शरण्या को देख गुस्से मे लाल पिला हुआ जा रहा था। तो वहीं शरण्या उसे अवॉइड कर उसके गुस्से को और भी ज्यादा हवा दे रही थी। ऊपर से रिद्धिमा किसी जोक की तरह उससे चिपकी हुई थी। रूद्र चाह कर भी उससे अपना पीछा नहीं छुड़ा पा रहा था और ना ही शरण्या से बात कर पा रहा था। अपने आसपास हर उठती नजर उसे शरण्या को घूरती हुई दिख रही थी। रूद्र ने शरण्या का हाथ पकड़ा और से खींच कर अपने साथ एक तरफ ले गया। शरण्या खुद को उससे छुड़ाने की कोशिश करने लगी। उसे रूद्र के इस बदले व्यवहार से हैरानी हो रही थी। आखिर अब तक सिर्फ वही थी जो रूद्र पर गुस्सा करती थी लेकिन आज रुद्र का यूँ उस पर गुस्सा करना उसे अजीब लग रहा था। जहां हर कोई उसकी तारीफ कर रहा था वही रूद्र चाहता था कि शरण्या यह कपड़े बदल ले और यही बात शरण्या को समझ नहीं आ रही थी कि आखिर किस हक से रूद्र उसे यह सब कह रहा है।       "यह क्या बदतमीजी है रुद्र? करना क्या चाहता है तू? इस तरह किसी ने देख लिया तो क्या सोचेगा?" शरण्या अपने गुस्से को दबाते हुए बोली तो रूद्र बोला, "अच्छा!!! इस बात की फिक्र है तुझे, लेकिन इस बात की फिक्र नहीं है जो ल

ये हम आ गए कहाँ!!! (31)

      सगाई का वेन्यू घर के बाहर बड़े से लॉन में रखा गया था ताकि सारे मेहमान एक साथ सगाई में शामिल हो सके और किसी को कोई प्रॉब्लम ना हो। रेहान नर्वस हुआ जा रहा था और रूद्र उसे हिम्मत बंधाने में लगा था। "अभी सगाई में तेरा यह हाल है तो शादी में तेरा क्या होगा? मेरे भाई! तुझ से बेहतर तो लावण्या है जो अभी भी नॉर्मल है। अभी तुम दोनों एक दूसरे को इतने टाइम से जानते हो, इतने सालों से जानते हो फिर भी यह हाल है तेरा!!!" तभी रूद्र की नजर लावण्या पर गई जो अनन्या के साथ चली आ रही थी। लावण्या का गाउन पर्पल और ग्रे कलर का कॉन्बिनेशन था जिस पर बेल्ट की जगह ग्रे कलर के फ्लावर्स लगे हुए थे। दोनों की ही ड्रेस एक दूसरे से पूरी तरह मैच कर रहे थे और रूद्र ने जानबूझकर यह रंग पसंद किया था उन दोनों के लिए।      रेहान तो बस उसकी खूबसूरती में कहीं खो ही गया। रूद्र उसका मुंह बंद करते हुए बोला, "ज्यादा घूर मत, तेरी ही है। और तुझे पूरा हक है भाई उसे देखने का लेकिन सबके सामने नहीं!" रेहान में रूद्र को घूर कर देखा और लावण्या की तरफ बढ़ गया। लावण्या ने मुस्कुरा कर अपना हाथ रेहान के हाथ में रख दिया

ये हम आ गए कहाँ!!! (30)

      रूद्र जैसे ही बाथरूम से निकला तभी शिखा रुद्र के कपड़े लेकर आई और बिस्तर पर रखते हुए बोली, "जल्दी से तैयार हो जा, और जा कर देख ले एक बार अपने भाई को वह ठीक से तैयार हुआ है या नहीं। और तू भी थोड़ा अच्छे से तैयार होना। क्या पता किसी की नजर तुझ पर पड़ जाए और वही बैठे-बिठाए मुझे बहू मिल जाए।" रूद्र हंसते हुए बोला, "माँ आप भी ना! किसी की नजर मुझ पर पड़े या ना पड़े आपको सच में लगता है कि आपका यह बेटा शादी करने वाला है? मुझे नहीं लगता! और वैसे भी आपको लगता है किसी की नजर मुझ पर पड़ने के लिए मुझे ढंग से तैयार होने की जरूरत है? आपका बेटा वैसे ही काफी हैंडसम और चार्मिंग है, कोई भी उसे देखते ही पसंद कर ले। आप भी जल्दी से तैयार हो लीजिए मैं जाकर एक बार उस फट्टू को भी देख लेता हूं।" शिखा मुस्कुरा कर कमरे से बाहर जाने को हुई तो रूद्र ने पूछा, "मां! दादी तैयार हो गई क्या?" शिखा ने हाँ मे सिर हिलाया और कमरे से बाहर चली गई। रूद्र जल्दी से तैयार हुआ और रेहान के कमरे की ओर जाने को हुआ। तभी उसे शरण्या का ख्याल आया। उसने अपना फोन निकाला और रिद्धिमा का नंबर डायल कर दिया। 

ये हम आ गए कहाँ!!! (29)

      शरण्या का दिल जोरो से धड़क रहा था। दादी ने आज उसके और रुद्र के रिश्ते की बात चला कर उसके मन में हलचल सी मचा दी थी। जो बात वह हमेशा से सुनना चाहती थी आजकल वही सब कुछ क्यों हो रहा था। ऐसे अचानक से रूद्र का यों उसके करीब आना, उससे वह सब कहना और आज दादी के मुंह से अपने लिए बहू सुनना!!! यह सब कुछ अपने आप में ही खास था। शरण्या अपने कमरे में खड़ी अपने चेहरे को दोनों हाथों से ढक कर अपने दिल की धड़कनों को शांत करने की कोशिश करने में लगी थी कि तभी उसे अपने पीछे दरवाजा बंद होने की आवाज आई। "आज थोड़ा ढंग से तैयार होना तु!"      शरण्या ने पलट कर देखा तो पाया रूद्र उसके कमरे में खड़ा था। उसे इस तरह अचानक अपने कमरे में देख वह हड़बड़ा गई और बोली, "तु मेरे कमरे में क्या कर रहा है? आदत हो गई है क्या तुझे मेरे कमरे में घुस आने की? देख मैं बोल दे रही हूं तुझे, आइंदा मेरे कमरे में बिना मुझसे पूछे मत आना। मुझे यह बिल्कुल भी नहीं पसंद। तू निकल यहां से अभी के अभी! निकल जा यहां से वरना मैं चिल्लाऊंगी।" रूद्र उसे शांत कराते हुए बोला, "अबे यार! ऐसी भी क्या हड़बड़ी है तुझे! और ऐसा क

ये हम आ गए कहाँ!!! (28)

     सगाई वाले दिन सुबह सुबह रूद्र अपनी दादी को लेकर घर पहुँचा। घर आते ही दादी ने हंगामा शुरू कर दिया, "अरे नालायकों! बेशर्मों! कम्बख्तों! कहाँ मर सब के सब? अरे एक तो मै यहाँ रहती नही हु और जब आई भी हु तो सारे ना जाने कहाँ मरे पड़े है। ये नही की घर का कोई बुजुर्ग आया है, आकर पैर छुए, पैर धोये, पानी दे चाय लाये, नही......! सब पता नही किस दुनिया मे है। वो तो सिंघानिया साहब बोल गए थे की उनके जाने के बाद उनका आश्रम मै संभालू और वही रहु इसीलिए मै यहाँ नही रहती, इसका मतलब ये तो नही कि सब के सब मिलकर मुझे भूल ही जाओ। मै यहाँ रहती तो बताती सब को और एक एक कर सब को सीधा कर देती। पता नही किस तरह संभाला है इस घर को मेरे बिना।"      दादी की आवाज सुन घर के सभी भागते हुए बाहर निकले तो देखा दादी हॉल में खड़ी गुस्से से सबको घूर रही थी। शिखा ने उन्हें देखते ही सिर पर पल्लू डाला। एक-एक कर सब में उनके पैर छुए। रूद्र गाड़ी से उनका सामान ले आया और उनके कमरे में रखवा दिया। दादी ने प्यार से उसका माथा सहलाया तो रूद्र बोला, "दादी आप जल्दी से फ्रेश ही लीजिए, उसके बाद में सगाई की तैयारी भी तो करनी

ये हम आ गए कहाँ!!! (27)

     लावण्या ने अभी अभी अपनी कॉफी खत्म की थी और ऑफिस जाने से पहले कुछ फाइल के काम देख रही थी। तभी उसका फोन बजा, स्क्रीन पर रेहान का नाम देखते ही उसके चेहरे पर एक बड़ी सी स्माइल आ गई। उसने चहकते हुए फोन उठाया तो उधर से रेहान की आवाज आई, "आज सगाई की अंगूठी पसंद करने जाना है, याद तो है ना तुम्हें? मैं भी तो देखूं मेरी पसंद की पसंद कैसी है?" लावण्या शरमाते हुए बोली, "मुझे याद है और मैं टाइम से पहुंच भी जाऊंगी। वैसे भी मैं ऑफिस जा रही थी, वहां से हम दोनों ही साथ में निकल लेंगे और रही बात मेरी पसंद की तो उसके लिए तुम्हें कुछ और करने की जरूरत नहीं है। आईना देख सकते हो तुम, खुद पता चल जाएगा कि मेरी पसंद कितनी खराब है।"       रेहान बोला, "अच्छा जी! बहुत खराब पसंद है आपकी! काश, मेरी पसंद भी इतनी खराब होती। वैसे भी ऑफिस से तो हम दोनों साथ में निकल लेंगे लेकिन शरण्या को भी बोल देना, वह भी हमारे साथ ही आ जाएगी। उसे भी अगर अपने लिए कुछ लेना हो तो ले लेगी। मैं अपनी तरफ से उसके लिए कुछ खरीदना चाहता हूं। आफ्टर ऑल इकलौती साली है मेरी, उसके नखरे नहीं उठाऊंगा तो फिर मैं जीजा कैसा

ये हम आ गए कहाँ!!! (26)

      रेहान नाराज होकर अपने कमरे में चला गया तो रूद्र बोला, "क्या मां आप भी!! डांट दिया बेचारे को! अभी अभी पापा कम गुस्सा हो कर गए हैं उस पर जो आपने भी सुना दिया उसे! मैंने ही भेजा था उसे लावण्या के साथ डेट पर वरना तो वह कभी ज्यादा भी नहीं। अब शादी होने वाली है उसकी उस दिन में, आजादी के कुछ दिन बचे हैं उसके पास उसके बाद तो परिवार की जिम्मेदारियों में वैसे ही उलझ कर रह जाएंगे दोनों और आप भी क्या उसकी बात का बुरा मान रही हो! हम सभी यह बात अच्छे से जानते हैं कि अगर वो घर सबसे ज्यादा किसी से प्यार करता है तो वह मैं हूं। बड़ी मुश्किल से मानता है वह, अब फिर से बनाना पड़ेगा। आप उसके लिए कॉफी भिजवा दो कमरे में मैं देखता हूं उसे!" कहकर रूद्र ऊपर की ओर जाने लगा तो शिखा बोली, "रूद्र!! ठंड लग जाएगी!"       अपनी मां की बात सुन रूद्र को अचानक से कल रात की याद आ गई जब वह सपना देख रहा था। हमेशा गुस्से में रहने वाली शरण्या कल रात सपने में कितने प्यार से उसे जगा रही थी और परेशान हो रही थी कि उसे ठंड लग जाएगी। वही एहसास एक बार फिर उसे छूकर गुजरा। खुदको शांत करते हुए रूद्र रेहान के कमर

ये हम आ गए कहाँ!!! (25)

पंडित जी की बातों ने शिखा को सोचने पर मजबूर कर दिया था। आगे कुछ तो ऐसा होने वाला था जिसके बारे में पंडित जी नहीं बता रहे थे और कुछ ऐसा जो सिर्फ पुरोहित जी जानते थे। उन्हें तो पता ही था कि उन दोनों भाइयों की कुंडली एक दूसरे से बिल्कुल अलग है लेकिन इसके बावजूद दोनों की ही कुंडलियां एक दूसरे से जुड़ी हुई है। जैसे दोनों भाई स्वभाव से एक दूसरे के विपरीत है लेकिन फिर भी दोनों एक दूसरे से जुड़े हैं। एक किसी की जिंदगी में बदलाव दूसरे की जिंदगी में भी असर करेगा, यह बात पुरोहित जी ने उनके जन्म लेते ही कहा था और शादी के बाद उन दोनों की जिंदगीयों मे काफी बदलाव होने थे लेकिन अच्छा या बुरा यह उन्होंने नहीं कहा था। उसपर भी रूद्र की कुंडली मे जीवनसाथी का योग।       बदलाव अच्छा हो एक मां के दिल को सुकून रहता है लेकिन जरा सी भी परेशानी की बात एक माँ के माथे पर चिंता की लकीर खींच ही देती है। शिखा चाह कर भी इन सब बातों से अपना ध्यान नहीं हटा पा रही थी। वह बेचैनी में उठी और रेहान के कमरे की ओर गई। उसके कमरे की लाइट ऑफ थी। धीरे से दरवाजा खोल कर देखा तो पाया कि रेहान अपने बिस्तर पर पूरी तरह से चादर ओढ़े सो र

ये हम आ गए कहाँ!!! (24)

     रात को रेहान अपने कमरे में बैठा कुछ काम कर रहा था । रूद्र ने उसके दरवाजे पर दस्तक दी तो उसने एक नजर देख कर अपना चेहरा घुमा लिया, जैसे उसने उसे देखा ही ना हो। उसकी यह हरकत देख रूद्र मुस्कुराए बिना ना रह सका। यह रेहान की बचपन की आदत थी, जब भी वह रूद्र से गुस्सा होता था, हमेशा इसी तरह मुंह फेर लेता और रूद्र उसे उसकी सबसे प्यारी चीज ला कर देता तब जाकर वह मानता। रूद्र कमरे में आया और उसके टेबल पर कॉफी का मग रखते हुए बोला, "अभी भी नाराज है मुझसे!" रेहान ने उसकी बात पर कोई जवाब नहीं दिया तो वह बोला, "जब नाराजगी मुझसे है तो खाने पर क्यों उतारी तूने? इस तरह जरा जरा सी बात पर लड़कियों की तरह मुंह फुलाएगा और खाना छोड़ देगा तो कैसे काम चलेगा? तेरी शादी होने वाली है छोटे! कमजोर पड़ जाएगा तो लावण्या तुझे छोड़कर भाग जाएगी।"        रूद्र के इस बात पर रेहान ने उसे घूर कर देखा और बिना कुछ कहे उठकर बाथरूम में चला गया। "छोटे! छोटे!!" रूद्र उसे आवाज़ देता रह गया। वो समझ गया कि इस बार भी उसे कुछ करना होगा तब जाकर मानेगा वो। उसने फटाफट कॉफी खत्म की जो वह रेहान के लिए लेकर आ

ये हम आ गए कहाँ!!! (23)

       रेहान और लावण्या दोनों ही अपनी शॉपिंग में लगे हुए थे। रेहान को तो बस लावण्या के साथ कुछ वक्त गुजारने थे।इसी बहाने दोनों को ही रोमांस का मौका मिल गया था। लावण्या जब एक ड्रेस लेकर ट्रायल रूम में पहुंची तो पीछे पीछे रेहान भी चलाया। लावण्या उसे रूम से बाहर निकालते हुए बोली,"यहां! पब्लिक प्लेस में!!! कोई देखेगा तो क्या कहेगा? अभी जाओ तुम वरना वह दो शैतान जो है ना! कभी भी आ टपकेगे।" रेहान उसका हाथ पकड़ रोकते हुए बोला, "यह ट्रायल रूम है! यहां कोई भी ऐसे ही मुंह उठा कर नहीं आ सकता तो फिलहाल यह हमारा सेफ प्लेस है, जहां हम बिना किसी के रोक-टोक के जी भर के रोमांस कर सकते है।" लावण्या बोली, "अच्छा जी! यह पब्लिक प्लेस का ट्रायल रूम है जहां लाइन लगाकर बाहर लोग खड़े रहते हैं। अभी अगर किसी ने बाहर नॉक किया तो तुम्हारे रोमांस की बैंड बज जाएगी।"      लावण्या ने रेहान की एक न सुनी और उसे धक्का मारते हुए ट्रायल रूम से बाहर कर दिया। रेहान जब वहाँ से जाने को हुआ तो लावण्या बोली, "मुझे बहुत भूख लग रही है। तुम चलकर तब तक कैंटीन में मेरे लिए कुछ आर्डर कर दो मैं आती हूं

ये हम आ गए कहाँ!!! (22)

   अगले दिन से सब की खरीदारी शुरू हो गई। लावण्या शरण्या रूद्र रेहान! सबको अपनी पसंद के कपड़े लेने थे और बाकी के सामान भी। वो लोग सगाई में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहते थे। सब ने मिलकर तय किया था कि सगाई घर से होगी और शादी होगी खुद के बैंक्विट हॉल से जो कि शहर का सबसे बड़ा और जाना माना बैंक्विट हॉल था। लावण्या शरण्या को लेकर मॉल पहुंची और वहां अपने लिए कुछ कपड़े देख रही थी। रेहान और रूद्र भी वही पहुंच गए। रेहान ने लावण्या को इशारा किया साथ चलने का लेकिन वो रूद्र और शरण्या को ऐसे छोड़कर जा भी नहीं सकती थी। उसे हिचकीचाता देख रूद्र ने कहा, "आप चले जाओ लावण्या......सॉरी! भाभी!!! वरना मेरा यह भाई मुझे ताने दे देकर मार डालेगा। जाओ और आप दोनों अपनी अपनी तैयारी करो, खरीदारी करो। हम लोग अपना देख लेंगे। वैसे यह विहान है कहां? आज फिर नहीं आया यह लड़का! आजकल कर क्या रहा है मेरी कुछ समझ नहीं आ रहा! हर बार उसे फोन करना पड़ता है। पता ही नहीं चलता है उसके दिमाग में क्या चल रहा है। मै उसे कॉल करता हूं।" कहकर रूद्र ने विहान को कॉल लगाया।        उधर से बिहान की अलसाई हुई आवाज आई तो रूद्र गुस्सा करते