ये हम आ गए कहाँ!!! (31)

      सगाई का वेन्यू घर के बाहर बड़े से लॉन में रखा गया था ताकि सारे मेहमान एक साथ सगाई में शामिल हो सके और किसी को कोई प्रॉब्लम ना हो। रेहान नर्वस हुआ जा रहा था और रूद्र उसे हिम्मत बंधाने में लगा था। "अभी सगाई में तेरा यह हाल है तो शादी में तेरा क्या होगा? मेरे भाई! तुझ से बेहतर तो लावण्या है जो अभी भी नॉर्मल है। अभी तुम दोनों एक दूसरे को इतने टाइम से जानते हो, इतने सालों से जानते हो फिर भी यह हाल है तेरा!!!" तभी रूद्र की नजर लावण्या पर गई जो अनन्या के साथ चली आ रही थी। लावण्या का गाउन पर्पल और ग्रे कलर का कॉन्बिनेशन था जिस पर बेल्ट की जगह ग्रे कलर के फ्लावर्स लगे हुए थे। दोनों की ही ड्रेस एक दूसरे से पूरी तरह मैच कर रहे थे और रूद्र ने जानबूझकर यह रंग पसंद किया था उन दोनों के लिए।

     रेहान तो बस उसकी खूबसूरती में कहीं खो ही गया। रूद्र उसका मुंह बंद करते हुए बोला, "ज्यादा घूर मत, तेरी ही है। और तुझे पूरा हक है भाई उसे देखने का लेकिन सबके सामने नहीं!" रेहान में रूद्र को घूर कर देखा और लावण्या की तरफ बढ़ गया। लावण्या ने मुस्कुरा कर अपना हाथ रेहान के हाथ में रख दिया और दोनों सेंटर स्टेज की ओर चले गए जो उन दोनों के लिए ही बना था। रूद्र घूमते फिरते अपनी दादी के बगल में आकर बैठ गया तो दादी बोली, "तू यहां क्या कर रहा है? जा यहाँ से,और अपनी उम्र की लड़कियां नहीं दिख रही है क्या तुझे? और यह शरण्या कहां है? कहां रह गयी वो? जा कर देख तो, हो सकता है उसे तैयार होने में तेरी हेल्प की जरूरत हो!" 

     रूद्र ने तिरछी नजर से अपनी दादी को देखा जो उसे देखकर ही शरारत से मुस्कुरा रही थी। रूद्र बोला, "थोड़ा तो अपनी उम्र का लिहाज करो दादी। आश्रम में रहकर अभी भी भगवान का नाम जपना नहीं सीखी हो आप।" दादी बोली, "तेरी दादी हूं! अपने जवानी में हमने भी बड़े-बड़े गुल खिलाए हैं। तु जा और जाकर देख शरण्या कहां है? सगाई का मुहूर्त हो रहा है, उसका होना भी जरूरी है बेटा। जा जाकर देख ले।" दादी ने प्यार से कहा तो रुद्र वहां से उठकर चला गया। फिर उसने सोचा, "मै उसके पीछे क्यों जाऊ? उसे तैयार होने में अगर किसी की जरूरत होगी तो किसी को भी बुला सकती हैं! मैं क्यों जाऊं? वैसे भी उसने तो मुझे चैलेंज किया था कि वो मेरा रिद्धिमा से ब्रेकअप करवा कर रहेगी। मैं भी देखता हूं क्या करने वाली है वह।"

      रूद्र की नजर विहान पर गई जो वही साइड में बैठा हुआ था। रूद्र भी उसके बगल में जाकर बैठ गया। पंडित जी ने रेहान और लावण्या को एक साथ बैठाया और शुभ मुहूर्त देखकर दोनों को तिलक लगाया फिर कुछ मंत्र जाप कर घर के बड़ों को कुछ रस्में निभाने को कहा। सबका ध्यान उन्हीं दोनों पर था लेकिन रूद्र की बेचैनी बढ़ने लगी थी। उसकी नजर चारों ओर सिर्फ शरण्या को ही ढूंढ रही थी तभी दो नाजुक से हाथों होने उसकी आंखों को ढक दिया। रुद्र खुश हो गया लेकिन जैसे ही उसने उन हाथों कुछ हुआ उसके चेहरे की सारी खुशी गायब हो गई और बोला, "रिद्धिमा!!!" रिद्धिमा उछलते हुए रूद्र के सामने आकर खड़ी हो गई और उसके बगल वाली कुर्सी खींच कर बैठते हुए बोली, "तुमने मुझे छूकर पहचान लिया रुद्र? वाओ!! मुझे पता था कि तुम एक न एक दिन, आज नहीं तो कल मेरे प्यार मैं पड़ ही जाओगे लेकिन इतना कि मुझे छूकर पहचान लोगे यह मैंने नहीं सोचा था। मै तो बता नहीं सकती रूद्र मैं कितनी खुश हूं!! और तो और, तुमने मुझे अपने फैमिली फंक्शन में इनवाइट किया, वह भी खासतौर से, स्पेशल इनविटेशन पर! वाओ........! एक मिनट! एक मिनट!! यह तुम्हारा फैमिली फंक्शन है और तुमने मुझे स्पेशल इनवाइट किया! कहीं ऐसा तो नहीं कि तुम मुझे अपने घरवालों से मिलाना चाहते हो? ओ माय गॉड! ओ माय गॉड!! ओ माय गॉड!!! मतलब तुम हमारे रिश्ते को लेकर इतने ज्यादा सीरियस हो? एक मिनट पहले यह तो बताओ कि मैं कैसी लग रही हूं? आज पहली बार मैं तुम्हारे घरवालों से मिलूंगी, उनके सामने मेरा इंप्रेशन अच्छा होना चाहिए ना। एक मिनट पहले अपना मेकअप ठीक कर लेती हूं, इसमें क्या जाता है और वैसे भी अपने होने वाले सास ससुर के सामने मेरा इम्प्रेशन अच्छा होना चाहिए ना। कहीं ऐसा ना लगे उन्हें कि उनकी बहू बहुत ज्यादा बोलती है, या बहुत ज्यादा मेकअप करती हैं या फिर बिल्कुल भी अच्छी नहीं है या फिर मेकअप नहीं करती या फिर बहुत ज्यादा करती है। वैसे तो मैं मेकअप ज्यादा नहीं करती लेकिन फिर भी मैं अपना इंप्रेशन खराब नहीं करना चाहती। वैसे वह लोग है कहां आई होप उन लोगों ने मुझे अभी तक देखा ना हो।"

       रूद्र रिद्धिमा की बकबक से परेशान हो चुका था और वह थी कि बस बोले ही जा रही थी। रूद्र बस उस वक्त को कोस रहा था जब उसने इस दिमाग खाने की मशीन को बुलाने का सोचा था। उसे तो बस शरण्या को चिढ़ाना था और खुद शरण्या ही गायब थी। रूद्र की आंखें बस शरण्या को ढूंढ रही थी। क्योंकि एक सिर्फ वही थी जो इस दिमाग खाने की मशीन को बंद कर सकती थी और उसे टॉर्चर होने से बचा सकती थी। विहान भी वहीं बैठा रिद्धिमा की बकवास सुने जा रहा था और दोनों दोस्त एक दूसरे को ही देखे जा रहे थे। रूद्र जहां लाचारी से विहान को देख रहा था वही विहान का दिल कर रहा था कि वह अभी इसी वक्त रूद्र का खून कर दे। आखिर रिद्धिमा को बुलाने वाला खुद रूद्र हीं था। दोनों दोस्त अपना अपना सर पकड़े बैठे हुए थे। 

      विहान बार-बार दरवाजे की ओर देखे जा रहा था। उसे तो बस मानसी के आने का इंतजार था लेकिन वह किसी से पूछ भी नहीं सकता था। रूद्र ने उसकी आंखों में बेचैनी साफ-साफ महसूस कर ली लेकिन कुछ कहा नहीं। अचानक से विहान उठा और मेन गेट की तरफ बढ़ गया। रूद्र भी उसके पीछे जाने को हुआ लेकिन रिद्धिमा ने उसका हाथ पकड़ते हुए कहा, "क्या हुआ रूद्र? तुम क्या परेशान हो गए हो मुझसे जो इस तरह मुझे छोड़कर जा रहे हो? मैं क्या इतना बोलती हूं? बोलो ना, क्या मैं इतना बोलती हूं जो मेरे बकबक से तुम परेशान हो गए! और मुझे इस तरह छोड़कर जा रहे हो!" रुद्र का दिल किया कि अभी इसी वक्त उसके मुंह पर टेप लगाकर उसे कहीं बाहर फेंक आए लेकिन अपना गुस्सा निगलते हुए उसने कहा, "नहीं रिद्धिमा! तुम बिल्कुल नहीं बोलती। तुम जैसा शांत इंसान मैंने आज तक नहीं देखा था। मुझे तो पता भी नहीं था कि कोई लड़की तुम्हारे जैसी भी हो सकती है। तुम सच में दुनिया में सबसे अलग हो। काश कि शरण्या भी तुम्हारे जैसी होती। वैसे मै विहान के पीछे जा रहा था। उसे कुछ जरूरत है, कुछ काम है तो मैं बस वही करके आता हूं। और क्या है ना कि मेरा भी तो फैमिली फंक्शन है, मैं इस तरह से बैठ तो नहीं सकता। तुम घबराओ मत, देखो मम्मी पापा वहां स्टेज पर है, कुछ रस्में निभा रहे हैं। कुछ जरूरत होगी तो मैं देख कर आता हूं ठीक है! तुम यही बैठो, कहीं जाना मत। अभी शरण्या भी आती होगी और तुमसे बात करेगी।" कहकर रूद्र जितना जल्दी हो सके उतना जल्दी वहां से निकल गया। शरण्या का नाम सुनते ही रिद्धिमा ने मुंह बिचका लिया और बोली, "हुह!!! उस शरण्या की बच्ची को ना कपड़े पहनने का ढंग है और ना हीं बात करने का! वह क्या मुझसे बात करेगी! इसलिए तो अब तक छुप कर बैठी है मुझसे। उसे अच्छे से पता है कि मैं आने वाली हूं। देखती हूं मै भी! आज तो मैं उसकी ऐसी बेज्जती करूंगी ना, ऐसी बैंड बजाऊंगी कि वो कभी मेरे सामने नहीं आएगी। आने दो उसे, मैं भी देखती हूं।"


      रेहान और लावण्या की सगाई का मुहूर्त हो चुका था। रूद्र अपने पूरे परिवार के साथ उन दोनों के साथ ही था। पंडित जी के कहते ही घर के सारे बड़े सेंट्रस्टेज से हटकर सामने लगे टेबल के पास आ गए। रूद्र जैसे ही वहां से जाने को हुआ रेहान ने उसकी बांह पकड़ ली और बोला, "तू रुक जा ना! तू कहां जा रहा है?" रूद्र मुस्कुराते हुए बोला, "तो तू क्या चाहता है, तेरे साथ साथ फेरे मे भी मैं बैठू? बेटा ये जो सफर है ना, यह तुझे अकेले ही लावण्या का हाथ थाम कर तय करना होगा। यहां मैं या कोई और तेरे साथ नहीं होगा। जीवन के सफर में इतना खूबसूरत साथी मिल रही है फिर भी तुझे तेरा भाई चाहिए, क्यों? तू अपनी वाली देख मै अपनी वाली देखता हूं। वैसे अपनी वाली से याद आया, ये शरण्या कहां रह गई? मतलब अंगूठियां कहां रह गई? अंगूठियां तो शरण्या के पास थी ना!" रूद्र ने चारों ओर नजर दौड़ाई और अपने घरवालों की तरफ देखते हुए उसने भौहें उचकाई। सब ने एक-दूसरे को देखा क्योंकि शरण्या वहां किसी को नजर नहीं आ रही थी। सबकी नजर चारों ओर उसी को ढूंढ रही थी, तभी लावण्या बोली,"वो रही शरण्या!!!!"

     सबके साथ साथ रूद्र की नजर भी उसी ओर घूम गई जहां लावण्या देख रही थी। काले रंग के गाउन में बालों का बन बनाएं, शरण्या सधे कदमों से एक हाथ में अंगूठी की थाल और दूसरे हाथ से अपना गाउन पकड़े चली आ रही थी। हल्के से मेकअप से ही शरण्या इतनी ज्यादा खूबसूरत लग रही थी कि रूद्र का मुंह खुला का खुला रह गया। उसने कभी सोचा नहीं था कि शरण्या इस कदर खूबसूरत लग सकती है। आज वैसे तो सगाई लावण्या की थी लेकिन इस वक्त हर किसी की नजर शरण्या पर टिकी थी। लावण्या ने रूद्र का मुंह बंद करते हुए धीरे से कहा, "तुम्हारी वाली है! घबराओ मत, बाद में उसे देख सकते हो। इस तरह सब तुम्हें ही देखेंगे और सब को पता चल जाएगा।" 

     रूद्र को ख्याल आया कि वह कहां खड़ा है और क्या कर रहा है। उसने बड़ी मुश्किल से अपनी नजरें शरण्या से हटाई और दूसरी तरफ कर लिया लेकिन उसकी नजर बार-बार शरण्या पर ही जाती। शरण्या मुस्कुराते हुए स्टेज पर आई और उन दोनों के आगे अंगूठी रखते हुए बोली, "सॉरी!!! वह क्या है ना, थोड़ा तैयार होने में टाइम लग ही जाता है हम लड़कियों को, वैसे मैंने ज्यादा टाइम नहीं लिया।"

      जहां सब की नजर शरण्या पर थी, वही रूद्र के चेहरे के भाव एकदम से बदल गए जब उसकी नजर शरण्या की पीठ पर गई ।उसका गाउन पूरी तरह से बैकलेस था, जिसके कारण हर किसी की नजर शरण्या की पीठ पर ही थी और यह बात रूद्र को गुस्सा दिलाने के लिए काफी थी। उसने शरण्या का हाथ धीरे से दबाया और उसके कान में बोला, "ये क्या पहन रखा है तूने? थोड़े ढंग के कपड़े नहीं मिले तुझे? जा और अभी चेंज करके आ। सबकी नजर तुझे ही देख रही है।" शरण्या ने एक नजर उसे देखा और मुस्कुरा दी। तभी उसकी नजर रिद्धिमा पड़ गई जो कि उसे ही घूर रही थी। शरण्या बड़े प्यार से रिद्धिमा के पास आई और बोली, "हाय रिद्धिमा! काफी टाइम बाद हम मिल रहे हैं, है ना? वैसे मैंने सुना तुम्हें रूद्र ने इनवाइट किया है। अब तुम मेरे घर में हो, मेरी मेहमान हो तो देखना तुम्हें किसी बात की कोई तकलीफ ना हो। अगर कोई प्रॉब्लम होगी तो प्लीज मुझे बताना। वैसे तो मुझसे ड्रेसिंग सेंस का ज्यादा कुछ नॉलेज है नहीं लेकिन फिर भी! क्या तुम बता सकती हो कि मैं कैसी लग रही हूं?"

     रिद्धिमा जो कि आंखें फाड़े उसे ही देख रही थी, शरण्या का सवाल सुन अनजाने में उसके मुंह से निकला, "बहुत खूबसूरत लग रही हो!" जब उसे एहसास हुआ कि उसने अभी-अभी शरण्या को क्या बोला है, उसने झट से अपने दोनों हाथों से अपना मुंह बंद कर लिया और ना में सिर लाते हुए बोली, "मैंने कुछ नहीं कहा! मैंने कुछ नहीं कहा!" शरण्या मुस्कुरा कर वहां से जाने हुई और पलट कर उसके कान में बोली, "लेकिन मैंने तो सब सुन लिया!"







क्रमश:

टिप्पणियाँ

  1. हे भगवान, ये रिद्धिमा तो सच्ची में पूरी पागल है..!! कितना बोलती है पर!! खुद ही सवाल करेगी, अपने ही मन से जवाब बनाकर आगे बकबक करती रहेगी! 🙄😂😂 और दादी और लावण्या, एक मौका नही छोड़ रहे रुद्र को चिढ़ाने का!! और रुद्र एक मौका नही छोड़ता रेहान को चिढ़ाने का!! 🤭🤭 वैसे शरण्या ने तो सबको चौंका दिया..!! रिद्धिमा के मुंह से भी अपनी तारीफ ले ली!! 😆😍 बेहतरीन भाग था! 👌👌 अगले का इंतेज़ार रहेगा!! 😊😊

    जवाब देंहटाएं
  2. Rudra to bawla ho gaya hai pyaar hai bhi par kaboolna bhi nhi 🥰🥰🥰

    जवाब देंहटाएं
  3. Awesome lovely super amazing outstanding jabardust behtreen lajabab part

    जवाब देंहटाएं

एक टिप्पणी भेजें

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

सुन मेरे हमसफर 272

सुन मेरे हमसफर 309

सुन मेरे हमसफर 274