ये हम आ गए कहाँ!!! (28)

     सगाई वाले दिन सुबह सुबह रूद्र अपनी दादी को लेकर घर पहुँचा। घर आते ही दादी ने हंगामा शुरू कर दिया, "अरे नालायकों! बेशर्मों! कम्बख्तों! कहाँ मर सब के सब? अरे एक तो मै यहाँ रहती नही हु और जब आई भी हु तो सारे ना जाने कहाँ मरे पड़े है। ये नही की घर का कोई बुजुर्ग आया है, आकर पैर छुए, पैर धोये, पानी दे चाय लाये, नही......! सब पता नही किस दुनिया मे है। वो तो सिंघानिया साहब बोल गए थे की उनके जाने के बाद उनका आश्रम मै संभालू और वही रहु इसीलिए मै यहाँ नही रहती, इसका मतलब ये तो नही कि सब के सब मिलकर मुझे भूल ही जाओ। मै यहाँ रहती तो बताती सब को और एक एक कर सब को सीधा कर देती। पता नही किस तरह संभाला है इस घर को मेरे बिना।"

     दादी की आवाज सुन घर के सभी भागते हुए बाहर निकले तो देखा दादी हॉल में खड़ी गुस्से से सबको घूर रही थी। शिखा ने उन्हें देखते ही सिर पर पल्लू डाला। एक-एक कर सब में उनके पैर छुए। रूद्र गाड़ी से उनका सामान ले आया और उनके कमरे में रखवा दिया। दादी ने प्यार से उसका माथा सहलाया तो रूद्र बोला, "दादी आप जल्दी से फ्रेश ही लीजिए, उसके बाद में सगाई की तैयारी भी तो करनी है। वैसे तो सब कुछ हो ही गया है लेकिन आपके तरफ की थोड़ी सी तैयारी बाकी है। आपने इस घर की होने वाली बहू को तो देखा ही नहीं अभी तक।" दादी हंसते हुए बोली, "अरे पगले! लावण्या को तो मैं बचपन से जानती हूं। उसे तो तब से देखा है जब वह पैदा हुई थी। तुझे क्या लगता है मैं भूल गई हूं उसे!"

     रूद्र उन्हें कमरे में ले जाते हुए बोला, "अरे दादी! मैंने यह कब कहा कि आप उसे भूल गई है या फिर आप लावण्या को नहीं जानती! मैं तो सिर्फ इतना कह रहा हूं कि आपने अब तक जिसे जाना वह आपकी बच्ची थी। अब वो आपकी होने वाली बहू है। आपने कभी उसे इस नजर से नही देखा है। आज आप उसे इस नजर से देखोगे ना तो पहली बार देखोगे। इसलिए कह रहा हूं, आपने अभी तक अपनी होने वाली बहू को देखा ही नहीं है। आप जल्दी से तैयार हो लीजिए फिर मैं आपको लेकर चलता हूं आप के पोते के होने वाले ससुराल में।" दादी ने प्यार से रूद्र के गाल पर थप्पड़ मारा और बाथरूम में चली गई। रूद्र कमरे का दरवाजा बंद कर जैसे ही बाहर हॉल में आया, सब ने चैन की सांस ली। उन सब को इस तरह देख रूद्र की हंसी छूट गई। धनराज ने कहा, "उनकी ऐसी आदत की वजह से ही बाबा ने उन्हें घर में रहने से मना किया था और आश्रम की जिम्मेदारी दे दी थी ताकि घर में शांति बना रहे।"

      रेहान बोला, "भाई! कैसे कर लेता है तु यह सब? मतलब हर लड़की को अपने इशारे पर नचाना!  ये हुनर कहां से सीखा है? यहां तक की दादी को भी नहीं छोड़ा है तूने, वह भी तेरी कोई बात नहीं टाल पाती है। यह हुनर तूने सीखा कहां से है?" रूद्र हंसते हुए बोला, "भाई यह हुनर ना सीखा नहीं जाता, भगवान खुद देते हैं। अब मुझ में यह हुनर है तो यह तो भगवान की देन है, इसमें मैं कुछ नहीं कर सकता। अब आप लोग आराम से तैयारियां कीजिए, मैं भी जाकर थोड़ा फ्रेश हो लेता हूं लेकिन उससे भी पहले........भाई मेरे..........!" कहते हुए रूद्र ने दोनों बाहें फैलाकर रेहान को गले लगने का इशारा किया लेकिन इससे पहले कि रूद्र उसे पकड़ भी पाता, रेहान भागते हुए अपने कमरे में जाकर दरवाजा बंद कर लिया और बोला, "पहले नहा कर आ कमीने...! उसके बाद जो करना है करते रहना।"

      रूद्र हंसते हुए अपने कमरे में चला गया तो रेहान ने चैन की सांस ली और लावण्या को फोन कर बता दिया की दादी आ चुकी है। रेहान भी अपने कुछ काम निपटा कर नहाने चला गया। इधर लावण्या अभी-अभी फ्रेश होकर निकली थी जब रेहान का फोन आया था। उसके फोन रखते ही शरण्या बोली, "आ गया कमीना? मिल गई फुर्सत उसे?" लावण्या ने उसे घूर कर देखा और मुस्कुराते हुए बोली, "हां! आ गया तेरा कमीना! बहुत याद कर रही थी ना तु उसे इसलिए रह नहीं पाया तेरे बिना। साथ में उसकी दादी भी आई है। वह लोग बस कुछ घंटे में निकल जाएंगे घर से। तू बता तू क्या पहनने वाली है आज? कुछ तो बताया नहीं तूने और क्या खरीदा है यह भी नहीं दिखाया।" शरण्या भी कहां कम थी! वह बोली, "यह तो जब मैं पहनूंगी ना तभी सबको पता चलेगा मेरी लावी दी! वैसे इतना तो तय है कि आज किसी ना किसी का मर्डर करके रहना है मुझे।" कहकर मुस्कुराते हुए अपने कमरे में चली गई। लावण्या बोली, "अच्छे से जानती हूं तुझे किसका मर्डर करना है! जब इतना प्यार है तुझे उससे तो कह क्यों नहीं देती? उसे भी तो एहसास हो तेरे प्यार का!"

      करीब दो घंटे के अंदर ही रूद्र शिखा और दादी को अपने साथ लेकर रॉय हाउस चला आया। उन्हें देखते ही घर के सभी इकट्ठा हो गए। अनन्या ने जाकर सबसे पहले उनके पैर छुए। दादी ने तो आते ही सबसे पहले लावण्या को ही आवाज लगाई। लावण्या जैसे ही अपने कमरे से निकलकर नीचे उतरी, अनन्या ने उसके सर पर पल्लू डाल दिया। लावण्या ने जब दादी के पैर छुए तो दादी बड़े प्यार से उसके सर पर हाथ फेरते हुए बोली, "सदा खुश रहो और हमेशा ऐसे ही मुस्कुराते रहो। मुझे पता था तुम जिस घर में जाओगी वहां खुशियां ही खुशियां फैलाओगी लेकिन मुझे नहीं पता था कि तुम मेरे ही घर आओगी। जब रूद्र ने बताया मैं तो खुद ही वहां से भाग आती लेकिन सिर्फ इस पागल की वजह से, उसने ही मुझे मना किया अकेले आने से। शिखा......! अब जल्दी से रोके की रसम हो जाए, यह रेहान कहां रह गया? उल्लू का पट्ठा!!!"

     रेहान दादी के ठीक पीछे ही खड़ा था। अपने लिए उल्लू का पट्ठा सुन बेचारे का चेहरा उतर गया। वही रूद्र की हँसी छूट गई। रेहान धीरे से बोला, "ज्यादा हंस मत! वो पापा को गाली दे रही है।" रूद्र भी कहां कम था, वह बोला, "पापा को नहीं, वह अपने बेटे को गाली दे रही है और तुझे भी।" रूद्र की बात सुन रेहान को भी हंसी आ गई। इससे पहले की रुद्र कुछ और बोलता, दादी बोली, "अरे यह हमारी शरण्या कहां है? अभी से तैयार होने में लग गई क्या वह? मैं आई हूं, एक बार भी अपना चेहरा नहीं दिखाया उसने! अरे जाने इसके बाद कब आऊंगी मैं, एक बार देख तो लू उसका सुंदर सा मुखड़ा।"

     "मैं यहां हूं दादी!!!" कहते हुए शरण्या दरवाजे से अंदर आई। उसके हाथ में रोके के लिए शगुन की थाली थी जो शिखा लेकर आई थी और गाड़ी में ही रह गई थी। रुद्र उसे पूरे 4 दिन बाद देख रहा था। उसे देखकर रूद्र को वह रात याद आ गई जब शरण्या उसकी बाहों में सिमटी सोई थी। "तुझसे तो उगलवा कर रहूंगा मैं सब, तू बस देखती जा।" वही शरण्या चाह कर भी रूद्र की तरफ नहीं देख पा रही थी। आज कई दिनों बाद वह नजर आया था। शरण्या का दिल किया कि वह जी भरकर रूद्र को निहारे लेकिन वैसा कर नहीं सकती थी। अपने जज्बातों को अपने दिल में दबा कर रूद्र के बगल से होते हुए दादी के पास जाकर बैठ गई। 

     दादी उसकी बलाए लेते हुए बोली, "कितनी खूबसूरत हो गई है तू? और पहले से तो और भी ज्यादा प्यारी! जब भी तुझे देखती हूं ना तु मुझे इतनी ज्यादा प्यारी लगती है!" शरण्या मुस्कुरा कर बोली, "यह तो आप इसलिए कह रही है दादी क्योंकि आप मुझे बहुत प्यार करती है वरना तो मैं बिल्कुल वैसे ही हूं जैसे पहले थी। कुछ नहीं बदला है। बस आप थोड़ी ज्यादा खूबसूरत हो गई है, राज क्या है दादी आपके इस ग्लो का?" दादी भी मुस्कुराए बिना ना रह सकी और उसके गाल पर एक थपकी लगाते हुए बोली, "धत् पगली! मुझसे मजाक करेगी, तू भी ना बिल्कुल रूद्र की तरह हो गई है। वह सब छोड़ यह बता तू मेरी बहू कब बनेगी?" दादी की बात सुन शरण्या के मन में जैसे हजारों लड्डू फूटे हो लेकिन वह यह बात दिखा नहीं सकती थी और बात को टालते हुए बोली, "बहू तो मैं आपकी बन जाऊ दादी लेकिन रेहान की शादी मेरी लावी दी से हो रही है और मुझे आपका एक और पोता कहीं नजर नहीं आ रहा!"

     मैं रूद्र की बात कर रही हूं। तू और रूद्र एक साथ बहुत अच्छे लगते हो मुझे। जिस तरह लड़ते हो झगड़ते हो यही तो प्यार की शुरुआत होती है। देख लेना, तुम दोनों एक दूसरे के लिए बने हो।" दादी की बात सुन रूद्र बीच में टोकते हुए बोला, "उस सबसे पहले मैं सुसाइड कर लूंगा दादी!" शरण्या भी कहां पीछे हटने वाली थी! वो भी सब को सुनाते हुए बोली, "और उससे पहले मैं इसे गोली मार दूंगी। हम दोनों जहां होंगे दादी मां बस लड़ाई होगी और कुछ नहीं। वैसे भी पापा और मां ने मेरे लिए कहीं और रिश्ता देख रखा है। अगर आप चाहे तो उस लड़के को गोद ले सकती हैं।" शरण्या की बात सुन दादी हंसने लगी। माहौल एकदम हल्का फुल्का हो गया था। दादी ने रेहान और लावण्या को एक साथ बैठा कर रोके की रसम शुरू की और शिखा को एक-एक कर सारे रस्मों के बारे में बताती गई। रूद्र का पूरा ध्यान सिर्फ शरण्या पर था। शरण्या जैसे ही सब के बीच से उठकर अपने कमरे मे गयी, रूद्र भी सब से नज़र बचाते हुए उसके पीछे चला गया। 

      

      

      




क्रमश:

टिप्पणियाँ

  1. बहुत ही बेहतरीन भाग था मैम!! 👌👌 दादी तो सच मे कमाल है, सबकी छुट्टी कर दी..!! 😆😆 पर रुद्र का तो जलवा ही अलग है...!! और दादी आपको शरण्या के लिए देखा गया लड़का गोद लेना पड़ेगा तो लंबी प्रोसेस होगी न उससे बेहतर है शरण्या और रुद्र की ही शादी करवाईएगा!! 😁😂 अगले भाग का इंतेज़ार रहेगा...!! 😊😊

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