ये हम आ गए कहाँ!!! (27)

     लावण्या ने अभी अभी अपनी कॉफी खत्म की थी और ऑफिस जाने से पहले कुछ फाइल के काम देख रही थी। तभी उसका फोन बजा, स्क्रीन पर रेहान का नाम देखते ही उसके चेहरे पर एक बड़ी सी स्माइल आ गई। उसने चहकते हुए फोन उठाया तो उधर से रेहान की आवाज आई, "आज सगाई की अंगूठी पसंद करने जाना है, याद तो है ना तुम्हें? मैं भी तो देखूं मेरी पसंद की पसंद कैसी है?" लावण्या शरमाते हुए बोली, "मुझे याद है और मैं टाइम से पहुंच भी जाऊंगी। वैसे भी मैं ऑफिस जा रही थी, वहां से हम दोनों ही साथ में निकल लेंगे और रही बात मेरी पसंद की तो उसके लिए तुम्हें कुछ और करने की जरूरत नहीं है। आईना देख सकते हो तुम, खुद पता चल जाएगा कि मेरी पसंद कितनी खराब है।"

      रेहान बोला, "अच्छा जी! बहुत खराब पसंद है आपकी! काश, मेरी पसंद भी इतनी खराब होती। वैसे भी ऑफिस से तो हम दोनों साथ में निकल लेंगे लेकिन शरण्या को भी बोल देना, वह भी हमारे साथ ही आ जाएगी। उसे भी अगर अपने लिए कुछ लेना हो तो ले लेगी। मैं अपनी तरफ से उसके लिए कुछ खरीदना चाहता हूं। आफ्टर ऑल इकलौती साली है मेरी, उसके नखरे नहीं उठाऊंगा तो फिर मैं जीजा कैसा! आज हम तीनों जमकर शॉपिंग करेंगे।"

    तीन का नाम सुन लावण्या बोली, "हम तीन? मतलब रूद्र नहीं आ रहा हमारे साथ? देखो रेहान! अगर तुमने उसे हमारे साथ आने से मना किया या उसे इनवाइट नही किया तो समझ लेना, मै भी नही आऊँगी शॉपिंग पर!" टाई बांधते रेहान के हाथ एकदम से रुक गए। उसे अपने कानों पर भरोसा नही हुआ जो कुछ भी लावण्या ने अभी अभी कहा। "तो अब तुम्हें उसकी ज्यादा परवाह होने लगी? तुम मेरी होने वाली बीवी हो लव! उसने तुम पर भी अपना जादू चला ही दिया, है न? इस कमीने को तो म छोडूंगा नही!" 

     "खबरदार जो से कुछ भी कहा तो, मुझसे बुरा कोई नहीं होगा। तुम कितने जलकुकडे हो रेहान! अपने भाई से इतना झगड़ते हो! वह भाई जो तुम्हारे लिए इतना कुछ करता है, जिसके लिए तुम इतना कुछ करते हो। तुम्हें पता भी है, तुम्हारे मेल बॉक्स से उसने मुझे मेल किया था तुम्हारे नाम से। उसने मुझे एक लंबा चौड़ा लव लेटर भेजा था क्योंकि उसे अच्छे से पता था कि तुम कभी कुछ बोलोगे नहीं। कल चाहता तो वह शॉपिंग मॉल में हमें अकेला छोड़ सकता था लेकिन वहां सिर्फ हम दोनों नहीं थे रेहान। बाकी सब भी थे और तुम्हारी हरकतें कुछ खास शरीफों वाली नहीं थी इसलिए कल रात उसने वह सब कुछ प्लान किया हम दोनों के लिए। खुद आया मुझे लेने। तुमने कल रात खाना नहीं खाया था इसकी भी परवाह थी उसे। रूद्र खुद को लेकर भले ही लापरवाह हो रेहान लेकिन अपने रिश्तो को लेकर अपने परिवार को लेकर वह लापरवाह नहीं है। और मै बोल दे रही हूं, उसे लेकर आना शॉपिंग के लिए वरना भूल जाओ।" कहकर लावण्या ने फोन रख दिया, रेहान झुंझला गया। 

      ऑफिस निकलने का टाइम हो चुका था। धनराज तैयार होकर जब नाश्ते की टेबल पर पहुंचे उस वक्त तक रेहान भी तैयार होकर नीचे आ चुका था लेकिन रूद्र गायब था। शिखा ने सबके लिए नाश्ता लगाया तो धनराज बोले, "कहां है आपके लाडले? आज फिर गायब है नाश्ते की टेबल से! कभी तो लड़का चैन से बैठकर हमारे साथ कम से कम नाश्ता तो कर ले। पूरा दिन पूरी रात पता नहीं क्या करते रहता है? 24 घंटे में एक वक्त तो ऐसा हो जब हमारा पूरा परिवार एक साथ बैठा हो यहां लेकिन यह बात उसकी समझ में आने से रही।" शिखा बीच में रोकते हुए बोली, "मैंने आप से मना किया था ना उसे कुछ मत कहिए! और सो नहीं रहा है वह और ना ही अय्याशी कर रहा है। बेटे की सगाई है, जरा सा भी ध्यान है आपको? आप भूल गए, मैं भूल गई लेकिन जिसे लापरवाह कहते हैं वह नहीं भुला! गया है अपनी दादी को लाने, आ जाएगा तीन से चार दिन में। अब उन्हें मनाने में थोड़ा वक्त लगेगा ही। आप तो जानते ही हैं कितनी जिद्दी हैं आपकी मां, जैसे आप हो। एक बात आप भी जानते है की वो सिर्फ रूद्र की बात ही मानती है वरना किसी की नहीं सुनती। आइंदा मेरे बच्चे को लापरवाह कहने से पहले 10 बार सोच लीजिएगा।"

        रेहान सोच में पड़ गया "रूद्र यहां नहीं है और तीन-चार दिन तक आएगा नहीं। यह अच्छा मौका है, यानी कबाब में हड्डी नहीं है। अब बताता हूं मैं लावण्या को, बहुत उसकी तरफदारी कर रही थी ना। अब जमकर खरीदारी होगी।" रेहान मन ही मन खुश हो रहा था तभी धनराज बोले, "बेटा आप ऑफिस आ रहे हो? आप की शॉपिंग हो गई क्या?" रेहान बोला, "नहीं पापा! वह कुछ जरूरी मीटिंग थी, मेरे भी और लावण्या के भी तो हम दोनों ने यह डिसाइड किया कि मीटिंग खत्म करने के बाद हम लोग रिंग लेने चले जाएंगे। काम भी तो जरूरी है। मेरा नाश्ता हो गया अब मुझे निकलना होगा वरना मीटिंग के लिए देर हो जाएगी। आप आराम से आइए कोई जल्दी नहीं है आपको।" कहकर रेहान वहां से उठ कर चला गया। 

    शॉपिंग के वक्त शरण्या ने भी रेहान और लावण्या को ज्वाइन किया। रूद्र को वहां ना पाकर लावण्या और शरण्या दोनों ही एक साथ बोल पड़े,"रूद्र कहां है? वह नहीं आएगा?" दोनों को एक साथ रूद्र के लिए पूछता देख रेहान ने उन दोनों को ही घूर कर देखा तो दोनों ही झेंप गई। इसके बावजूद लावण्या बोली, "कम ऑन रेहान! वह होता है तो माहौल हल्का-फुल्का लगता है। टाइम कैसे गुजर जाता है पता ही नहीं चलता। तुम्हें उसे लेकर आना चाहिए था।" रेहान फिर रूद्र के नाम को सुनकर रुक गया और बोला, "अच्छा हुआ ना नहीं लेकर आया! और वैसे भी वह है नहीं यहाँ। वह नैनीताल गया है दादी को लेने। आज सुबह ही निकल गया वो घर से, हम मे से किसी को भी पता नहीं था लेकिन मां को तो उसकी हर खबर रहती है। अब ज्यादा टाइम बर्बाद मत करो और चलो जिस काम के लिए आए हैं पहले वह कर लेते हैं। पापा भी यही कह रहे थे।" कहते हुए रेहान उन दोनों को ही ज्वेलरी शोरूम में लेकर गया जहां पहले से ही उन दोनों के लिए सगाई की अंगूठी तैयार रखी गई थी। कुछ डिजाइंस देखने के बाद लावण्या ने अपने और रेहान के लिए सिंपल लेकिन एक जैसी डिजाइन चुनी जोकि शरण्या को भी बहुत पसंद आई। रेहान ने अपनी तरफ से एक ब्रेसलेट शरण्या के लिए खरीदी जिसे देख बहुत ज्यादा खुश हो गई फिर अचानक से ही उसके मुंह से निकला, "और रूद्र के लिए कौन सी है?"

     लावण्या उससे चिढ़ाते हुए बोली, "उसके नाम से इतना चिढ़ती भी है और उसके लिए इतना सोचती भी है। तुम दोनों ना एक दूसरे से लड़े बिना रह सकते हो और ना एक दूसरे से मिले बिना। तेरी शादी तय होने जा रही है शरण्या! अब अपनी आदत छोड़ दे। कुछ टाइम बाद रूद्र की भी शादी हो जाएगी, फिर तु अपनी दुनिया में खुश वो अपनी दुनिया में खुश।" लावण्या की बात सुन शरण्या खामोश हो गई। उसे भी एहसास हुआ कि वह कुछ ज्यादा ही रूद्र को लेकर बेचैनी हो रही है। "बिना बताएं अपनी दादी के पास चला गया, एक बार बता तो सकता था, जाने से पहले एक बार मिल तो सकता था!" शरण्या के दिमाग में यही सब चल रहा था। उसकी नजर एक पेंडेंट पर गई तो कुछ पल को ठहर सी गई। वो एक ओम का पेंडेंट जिस पर बड़ी खूबसूरती से कारीगरी की गई थी। उसे देखते ही शरण्या को सबसे पहला ख्याल रूद्र का ही आया। किसी और के नजर पड़ने से पहले ही उसने उस पेंडेंट को उठाया और धीरे से उसे पैक करने को बोल दिया। 

     इतनी देर में विहान भी वहां चला आया और इधर उधर देखते हुए बोल पड़ा, "शरण्या तू अकेली आई है? नेहा कहां है?" विहान के मुंह से नेहा का नाम सुन शरण्या ने उसे घूर कर देखा और बोली, "आजकल बड़ा नेहा नेहा कर रहा है तु! कल भी उसे घर छोड़ने गया था ना! आज इतनी जल्दी उसकी याद आ गई जो आते ही अपने दोस्त के बारे में पूछने की बजाए मेरी दोस्त के बारे में पूछ रहा है।" लावण्या भी बीच में बोल पड़ी,"मुझे तो कुछ गड़बड़ लग रही है शरण्या! इतना नेहा नेहा तो कभी नहीं किया इसने! फिल्म देखने भी दोनों साथ बैठे थे, कैंटीन में भी दोनों एक ही प्लेट से खा रहे थे, कुछ तो चक्कर है दोनों के बीच।" तभी दूर से नेहा की आवाज आई, "हेलो एवरीवन! सॉरी मै लेट तो नहीं हो गई? क्या है ना हॉस्पिटल का काम ज्यादा था इसलिए छुट्टी नहीं मिल रही थी। बड़ी मुश्किल से निकल कर आई हूं। आप लोगों की शॉपिंग हो गई क्या? अगर हो गई हो तो चले कुछ खा ले पहले, बहुत भूख लग रही है। सुबह से बिल्कुल भी टाइम नहीं मिला कुछ खाने को।"

     शरण्या लावण्या और रेहान ने शरारत से विहान की ओर देखा तो विहान उनसे नजर चुराते हुए बोला, "आप लोग देखो मैं तब तक कुछ आर्डर करता हूं।" कहकर वह बाहर चला गया। उन तीनों ने ही एक दूसरे को देखा फिर नेहा को। नेहा कंफ्यूज्ड सी उन सब को देखे जा रही थी कि आखिर ऐसा क्या है जो वह लोग उसे ही घूर रहे हैं। उसने इशारे से पूछा तो तीनों ने ही एक साथ ना में गर्दन हिला दिया। नेहा को अपने लिए कुछ नहीं लेना था। शरण्या ने जो रूद्र के लिए पसंद किया था उसका पेमेंट कर वह बाहर निकल गए। जब तक वह चारों कैंटीन पहुंचे तब तक विहान सबके लिए खाने को आर्डर कर चुका था। सब लोग थे वहां सिवाय रूद्र के। तो नेहा ने विहान से बात करने के लिए मौका ढूंढा और बोली, "विहान!तुम्हें पता है रूद्र यहां नहीं है!"

     विहान खाते हुए बोला, "हां बिल्कुल पता है! आज सुबह ही गया है वह। उसे आने में तीन-चार दिन तो लग ही जाएंगे। आफ्टर ऑल गर्लफ्रेंड है उसकी, थोड़े नखरे तो दिखाएगी आने में। थोड़ा मनाने में वक्त लगेगा थोड़ा लाने में वक्त लगेगा। तुम्हें तो पता है ना रूद्र की दादी कितने गुस्से वाली है और इस पूरी दुनिया में सिर्फ एक रूद्र ही है जिस पर वह गुस्सा नहीं करती। रेहान संभाल के तुम्हारे घर में ज्वालामुखी आने वाली है।" विहान की बात सुन सभी हंस पड़े। सब ने नाश्ता कर लिया और कुछ देर मॉल में बस यूं ही भटकने के बाद रेहान लावण्या को लेकर चला गया। शरण्या अपनी बाइक पर बैठी और नेहा को आंख मारते हुए निकल गई। विहान के पास दूसरा कोई ऑप्शन नहीं था सिवाय इसके कि वह नेहा को घर छोड़ दे। हालांकि उसे खुद भी इस मौके की तलाश थी। उसने नेहा को अपनी गाड़ी में बैठने का इशारा किया और उसके बैठते हैं उसे लेकर वहां से निकल गया। नेहा उससे बात करना चाह रही थी लेकिन उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह किस तरह से और कहां से शुरू करें। विहान ने हीं पहल करते हुए कहा, "इस वक्त तुम्हारे घर पर और कौन-कौन होगा?" नेहा बोली, "भइया और पापा तो ऑफिस में है। मॉम 2 दिनों के लिए अपने फ्रेंड के यहां गई है उनके यहां शादी है ना तो उसी की तैयारियों के लिए, वह तो कल ही आएंगी। इस वक्त घर में सिर्फ भाभी होंगी और तुम्हें पता है! भाभी बहुत अच्छा खाना बनाती है। उनके हाथ का खाना ना मैं बता नहीं सकती। जब से वह आई है घर की रसोईये की छुट्टी कर रखी है। दोपहर का खाना वह खुद अपने हाथों से सबके लिए बनाती है। तुम चलो मैं तुम्हें खिलाती हूं। वैसे ही मैंने उनसे बोल दिया था कि मैं घर आकर ही खाना खाऊंगी तो उन्होंने बनाकर रखा होगा।"

     विहान को तो जैसे खजाना हाथ लग गया हो। अपनी खुशी को छुपाना उसके लिए मुश्किल हो रहा था। एक बार फिर ना सिर्फ मानसी उसकी नजरों के सामने होगी बल्कि उसके हाथ का खाना भी उसे नसीब होगा यह सोचकर ही विहान के मन में एक गुदगुदी सी होने लगी। यह जानते हुए भी के मानसी अब किसी और की है, इसके बावजूद विहान खुद को रोक नहीं पा रहा था और अपनी हद भी जानता था। कुछ ही देर में वो दोनों नेहा के घर के सामने खड़े थे। गाड़ी से उतरकर विहान अपनी हिम्मत बटोर रहा था ताकि वह उस घर के अंदर जा सके। नेहा ने उसे वहां खड़ा देखा तो उसका हाथ पकड़ अंदर खींच कर ले गई और बोली, "भाभी!! भाभी कहां हैं आप? देखो तो मैं किसी लेकर आई हूं!"

     नेहा की आवाज सुन मानसी किचन से बाहर निकली तो विहान को अपने सामने खड़ा पाया। मानसी के चेहरे पर पसीने की बूंदें किसी मोतियों की तरह चमक रहे थे और थकान होने के बावजूद मानसी और भी ज्यादा खूबसूरत लग रही थी। विहान बस उसे देखता ही रह गया।


     

      

      


क्रमश:

टिप्पणियाँ

  1. बहुत ही बेहतरीन भाग था मैम!! 👌👌 बेचारे रुद्र को तो सब कुछ न कुछ बोलते ही रहते है पर कोई समझता नही के कितना प्यारा और जिम्मेदार है वह..!! 😇😇 अपनी दादी को लाने निकल गया, बस अब दादी कोई झोल न करे आकर!! 😄😄 और रेहान भी, रुद्र से जल रहा है..!! 🤦😂 बाकी शरण्या तो खोई सी ही है रुद्र में...!! पर ये विहान,, इसे भी मौका मिल गया मानसी के हाथों का खाना खाने की, पर मानसी उसकी हो नही सकती!! 🙄🙄 पर चलिए, इसी बहाने वो नेहा के करीब रहता है, शायद उधर दाल गल जाए!! अगले भाग का इंतेज़ार रहेगा!! 😊😊

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