ये हम आ गए कहाँ!!! (24)

     रात को रेहान अपने कमरे में बैठा कुछ काम कर रहा था । रूद्र ने उसके दरवाजे पर दस्तक दी तो उसने एक नजर देख कर अपना चेहरा घुमा लिया, जैसे उसने उसे देखा ही ना हो। उसकी यह हरकत देख रूद्र मुस्कुराए बिना ना रह सका। यह रेहान की बचपन की आदत थी, जब भी वह रूद्र से गुस्सा होता था, हमेशा इसी तरह मुंह फेर लेता और रूद्र उसे उसकी सबसे प्यारी चीज ला कर देता तब जाकर वह मानता। रूद्र कमरे में आया और उसके टेबल पर कॉफी का मग रखते हुए बोला, "अभी भी नाराज है मुझसे!" रेहान ने उसकी बात पर कोई जवाब नहीं दिया तो वह बोला, "जब नाराजगी मुझसे है तो खाने पर क्यों उतारी तूने? इस तरह जरा जरा सी बात पर लड़कियों की तरह मुंह फुलाएगा और खाना छोड़ देगा तो कैसे काम चलेगा? तेरी शादी होने वाली है छोटे! कमजोर पड़ जाएगा तो लावण्या तुझे छोड़कर भाग जाएगी।" 

      रूद्र के इस बात पर रेहान ने उसे घूर कर देखा और बिना कुछ कहे उठकर बाथरूम में चला गया। "छोटे! छोटे!!" रूद्र उसे आवाज़ देता रह गया। वो समझ गया कि इस बार भी उसे कुछ करना होगा तब जाकर मानेगा वो। उसने फटाफट कॉफी खत्म की जो वह रेहान के लिए लेकर आया था और बिना किसी को कुछ भी बताए घर से निकल गया।

      लावण्या अपने कमरे में बैठे हुए आज के बारे में सोच रही थी और उसके चेहरे पर एक मुस्कान साफ नजर आ रही थी। रेहान से उसकी इतनी नजदीकियां उसने कभी सोचा नहीं था। जाने कब से उसने इस पल का इंतजार किया था जब वह और रेहान एक दूसरे के इतने करीब हो। यह सब कुछ किसी सपने से कम नहीं था। उसकी सगाई होने जा रही थी वह भी उस इंसान से जिससे बचपन से ही प्यार किया लेकिन उससे अपने प्यार का इजहार करने से भी वह घबरा रही थी। सब कुछ इतना अचानक से होगा और यू उसकी जिंदगी एकदम से करवट ले लेगी उसे अभी भी यकीन नहीं हो रहा था। आज उसे समझ आया की लोग कॉर्नर सीट क्यों ढूंढते हैं। रेहान ने ना जाने कितने ही दफा अंधेरे का फायदा उठाया होगा यह सोचकर ही लावण्या बुरी तरह शरमा गई और अपने बिस्तर पर रखें टेडी बेयर में अपना चेहरा छुपा लिया। 

     "क्या दी!!! रेहान के साथ खेलने की उम्र में आप टेडी बेयर के साथ खेल रहे हो! बहुत बुरी बात है ये।" लावण्या ने देखा तो दरवाजे पर शरण्या खड़ी मुस्कुराए जा रही थी। लावण्या ने अपना टेडी फेंक कर उसे मारा और बोली, "तू इस वक्त यहां क्या कर रही है? नींद नहीं आ रही है क्या तुझे? और इतनी रात तक जगी है, कल सुबह रेडियो स्टेशन कौन जाएगा! कहीं ऐसा तो नहीं कि तुझे जॉब से निकाल दिया है उन लोगों ने?" शरण्या ने उसे घूर कर देखा और बोली, "आप मेरी ही दी हो ना! तो फिर उस रूद्र की तरह बातें क्यों कर रहे हो आप? देख रही हूं आपको पिछले दो दिन में ही अपने ससुराल वालों के रंग मे रंग गई हो आप। जब शादी हो जाएगी तब तो आप मुझे पहचानना ही भूल जाओगे।" 

     लावण्या उसका कान पकड़ते हुए बोली, "तेरी बातें हमेशा रूद्र पर ही क्यों अटकती है? उससे लड़ती भी है और उस के बारे में बात किए बिना रह भी नहीं पाती है। सच-सच बता, क्या चल रहा है तुम दोनों के बीच?" शरण्या ने अपना हाथ सर पर दे मारा और बोली,"हमारे बीच ना कुछ है और ना कुछ होगा। रूद्र को आप जानती हैं वह कैसा है। आज इसके साथ कल उसके साथ! आपको लगता है वह कभी किसी एक के साथ जिंदगी भर रह सकता है! जिस दिन ऐसा हुआ ना उस दिन कयामत आ जाएगी। उसका कुछ नहीं हो सकता। पूरी दुनिया सुधर सकती है लेकिन वह नहीं, इसलिए आप अपना दिमाग चलाना बंद करो और रेहान पर ध्यान लगाओ, मैं चली सोने।" कहकर शरण्या उठकर जाने लगी तो लावण्या ने उसका हाथ पकड़ रोकते हुए कहा, "रुद्र का तो मुझे पता नहीं पर तेरे दिमाग में क्या है, खासकर तेरे दिल में! तू क्या सोचती है उसके बारे में? तेरी फीलिंग क्या है?" 

     शरण्या को समझ नहीं आया कि वह क्या जवाब दें। उसने अपना सर झुका लिया और धीरे से बोली,"ऐसा कुछ नहीं है दी! आप बेवजह अपना दिमाग दौड़ा रहे हो। रात बहुत हो गई है मुझे सुबह उठना भी है, गुड नाइट।" कहकर शरण्या अपने कमरे में चली गई। लावण्या सोच में पड़ गई। जो कुछ भी शरण्या ने कहा और जो कुछ भी उसकी आवाज में था, वह दोनों ही एक दूसरे से बिल्कुल अलग था। उसकी आंखों में कुछ ऐसा था जो उसकी बातों को गलत साबित करने पर तुला था। लावण्या को समझ नहीं आ रहा कि वह क्या करें! उसका और रेहान का रिश्ता जोड़ने में रूद्र का बहुत बड़ा हाथ था तो क्या रूद्र और शरण्या का रिश्ता वह जोड़ पाएगी? क्या रूद्र भी शरण्या के लिए वही महसूस करता है जो शरण्या उसके लिए करती है? क्या ऐसा हो भी पाएगा कभी या नहीं?          

       लावण्या अपने ख्यालों में ही डूबी थी कि तभी उसका फोन बजा। उसने कॉलर का नाम देखा तो रुद्र का ही था। फोन उठाते ही वो बोली, "सौ साल जियोगे तुम रूद्र! अभी अभी तुम्हारे बारे में ही बात कर रही थी मै।" रुद्र चौकते हुए बोला, "मेरे बारे में बात कर रही थी!!! जरूर उस शाकाल से ही बात कर रही होगी। उसके अलावा कोई और है ही नहीं जो मेरे बारे में इतना इंटरेस्ट से बात कर सके। उसने तो मेरे ऊपर जैसे पीएचडी कर रखी है। मैं कब क्या सोचता हूं, कब क्या करता हूं, मेरी हर हरकत पर नजर रहती है उसकी।" लावण्या उसे रोकते हुए बोली, "रूद्र!!! रिलैक्स! तुम दोनों इतना लड़ते क्यों हो, जब एक दूसरे को इतने अच्छे से जानते हो। शरण्या की बातें सिर्फ तुम्हारे बारे में होती है और तुम्हारी सारी बातें सिर्फ शरण्या के बारे में होती है। सच-सच बताओ रूद्र चक्कर क्या है तुम दोनों के बीच?"

    रूद्र मन हीं मन बोला, "जब मैं खुद नहीं समझ पा रहा हूं लावण्या तो फिर मैं तुम्हें क्या समझाऊं? इस एहसास को मैं खुद नहीं समझ पा रहा हूं, जिस दिन समझ जाऊंगा सबसे पहले शरण्या को ही बताऊंगा और फिर पूरी दुनिया को लेकिन तब तक मैं किसी से यह बात कभी नहीं सकता।" "रूद्र....! कहां खो गए तुम?.......हेलो....." लावण्या की आवाज सुन रूद्र होश में आया और बोला, "अरे वो सब छोड़ो! लावण्या एक काम करो, अभी खाने के लिए कुछ है क्या? अगर नहीं है तो क्या तुम प्लीज मेरे लिए कुछ बना सकती हो? बहुत भूख लग रही है यार अगर नहीं खाया तो मर जाऊंगा। तुम्हें तो पता ही है मुझसे भूख बर्दाश्त नहीं होती तो जल्दी करो और कुछ लेकर आओ मैं तुम्हारे घर के बाहर ही खड़ा हूं।" 

     लावण्या हड़बड़ा कर अपने बिस्तर से उठ बैठी और बोली, "तुम थोड़ी देर रुको, मैं अभी देखती हूं किचन में कुछ हुआ तो! नहीं तो फिर मैं कुछ बना कर ले आती हूं तुम बस इंतजार करो मेरा।" कहकर लावण्या ने फोन रख दिया और भागते हुए किचन में गई। रात के तकरीबन 12:00 बज रहे थे और पूरे घर में सन्नाटा पसरा था। लावण्या ने फ्रिज में देखा लेकिन वहां कुछ नहीं था उसने जल्दी से बेसन और घी निकाला और फटाफट जितनी जल्दी हो सके उतनी जल्दी हलवा बनाकर एक टिफिन में डाल कर चुपके से बाहर निकल आई। बाहर आकर देखा तो रूद्र दरवाजे के बाहर सड़क के दूसरी तरफ खड़ा था। जहां से लावण्या और शरण्या, दोनों के ही कमरे की बालकनी खुलती थी। रुद्र की नजर शरण्या के बालकनी की तरफ ही थी। लावण्या के आते ही रूद्र ने गाड़ी का दरवाजा खोला और उसे बैठने को कहा। लावण्या बोली, "रूद्र......! इस वक्त इतनी रात को इस तरह घर से निकलना सेफ नहीं होगा। यह तुम लो और खा लो। आई थिंक इतना काफी होगा तुम्हारे लिए।" कहते हुए उसने टिफिन रूद्र की तरफ बढ़ा दिया। 

    रूद्र ने खोलकर देखा तो उसमें बेसन का हलवा था जो कि रेहान के पसंद का था। उसने टिफिन बंद की और बोला, "यह तो मेरी पसंद का नहीं है! यह तो सिर्फ और सिर्फ रेहान खाता है। तो काम करते हैं ना, अब जिस की पसंद का तुमने बनाया है उसे ही खिला दो क्योंकि आज रात का खाना उसने नहीं खाया सिर्फ इसलिए क्योंकि वह मुझ पर गुस्सा है। हां तुम्हें तो पता ही है जब से गुस्सा आता है तब उसे उसकी पसंद की चीज ही मना सकती है। अब यह हलवा और यह हलवा बनाने वाली, दोनों ही उसकी पसंद के है, दोनों को एक साथ देख वह डबल खुश हो जाएगा। अब चलो जल्दी वरना भूख से उसका बुरा हाल हो जाएगा।"

    लावण्या उसकी बात सुन शर्मा गई और चुपचाप जाकर गाड़ी में बैठ गई। वहां से कुछ दूर जाकर एक सुनसान रास्ते पर रूद्र ने गाड़ी रोकी और बाहर निकला। वहां आसपास सिर्फ खाली प्लॉट ही थे और एक प्लॉट पर एक छोटा सा मचान जैसा बना हुआ था जिस पर एक छोटा सा लालटेन जल रहा था। लावण्या को यह जगह बड़ी अजीब लगी। वह बोली, "यह तो किसी चौकीदार का लग रहा है! लेकिन हम लोग यहां क्यों आए हैं? वह भी इतनी सुनसान जगह पर! रूद्र सब ठीक तो है!" रूद्र मुस्कुरा कर बोला, "सब कुछ बिल्कुल ठीक है। तुम्हारा वह जो होने वाला पति है ना वह बचपन में भी वैसा ही था और अभी भी उसकी हरकतें वैसे ही है, बच्चों वाले। मुझे कहता है कि हम बड़े हो चुके हो लेकिन उसकी खुद की हरकतें सुधरने का नाम नहीं लेती। अब छोटा भाई है मेरा, थोड़ा तो बचपना दिखाएगा ही ना मेरे सामने! और बड़े भाई होने के नाते मेरा भी फर्ज बनता है कि मैं उसका ख्याल रखु। यह प्लॉट हमारी है, मेरे और रेहान के नाम। हम दोनों ने ही यहां कोई कंस्ट्रक्शन नहीं होने दिया और यह जो सामने मचान दिख रहा है ना! यह मैंने और रेहान ने मिलकर बनाई थी, खुद अपने हाथों से। अक्सर हम यहां आते रहते हैं। मैंने उसे फोन कर दिया है वह भी आता ही होगा।

     लावण्या बोली, "एक बात पूछूं! तुम अपने भाई से बहुत प्यार करते हो ना, तुम दोनों भाई एक दूसरे से बिल्कुल उलट हो लेकिन इसके बावजूद तुम दोनों में मैंने प्यार देखा है। तुम्हें भूख नहीं लगी थी फिर भी तुमने मुझसे खाने के लिए कहा। और ये बात तुम अच्छे से जानते थे कि अगर किचन में कुछ नहीं हुआ तो मै रेहान के पसंद का ही बनाऊंगी। सिर्फ इसलिए क्योंकि रेहान ने खाना नहीं खाया, तुम उसके लिए मुझे यहां तक ले आए!" रूद्र मुस्कुराते हुए बोला, "बड़ा भाई हूं उसका! हाँ माना जरा सा ही फर्क है हम दोनों के बीच, फिर भी वह छोटा है मुझसे। उसकी खुशियों का ख्याल रखना मेरा फर्ज है और अपने छोटे के लिए मैं कुछ भी कर सकता हूं। अब उसकी खुशी तुम से जुड़ी है लावण्या। एक वादा मैं तुमसे भी करता हूं, चाहे कुछ भी हो जाए, तुम्हारी हर खुशी अब मेरी जिम्मेदारी होगी। तुम दोनों एक साथ बहुत अच्छे लगते हो तो तुम दोनों हमेशा ऐसे ही साथ रहोगे यह मेरा वादा है तुमसे।"

   रूद्र ने किसी बड़े भाई की तरह लावण्या के सर पर हाथ रखा और वहां से जाने को हुआ तो लावण्या बोली, "तुम्हें समझना बहुत मुश्किल है रूद्र! तुम्हारी आदतों और हरकतों से लगता नहीं कि तुम इतने समझदार हो और इतना जिम्मेदार भी। जो लोग तुम्हें नहीं जानते या जानते भी हैं वह भी तुम्हारा यह रूप इमेजिन नहीं कर सकते।" रूद्र ने अपने दोनों हाथ पैंट की पॉकेट में डाली और बोला, "मुझे समझना ना टेढ़ी खीर है। इस पूरी दुनिया में अगर कोई मुझे मुझसे बेहतर जानता है वह सिर्फ दो ही लोग हैं, एक मेरी मां और दूसरी तुम्हारी बहन!!! इसलिए मेरे बारे में इतना मत सोचो, रेहान आता ही होगा और डोंट वरी उसे तुम्हारे साथ टाइम स्पेंड करना था। एक महीना है तुम्हारे पास, जी भर के एक दूसरे को टाइम स्पेंड कर लो। जो इतने सालों से नहीं कर पाए वह एक महीने में निपटा लो वरना शादी के बाद घर बच्चे यही रह जाएंगे तुम दोनों की जिंदगी में। इसलिए खुल कर जी लो। घर पर कोई तुम्हारे और रेहान के बारे में नहीं पूछेगा क्योंकि इस वक्त तुम्हारे घर में भी सब सो रहे होंगे और मेरे घर में भी। तुम दोनों के पास सुबह होने तक का वक्त है।" कहते हुए रूद्र ने पॉकेट से अपना फोन निकाला और जीपीएस पर रेहान का लोकेशन देखते हुए बोला, "पहुंच गया वो, अब मैं निकलता हूं। कबाब में हड्डी बनने का मुझे कोई शौक नहीं है। उसे खिला देना और मेरी तरफ से सॉरी बोल देना।" रूद्र उसे बाय बोल कर गाड़ी में बैठा और वहां से निकल गया। लावण्या उसे जाते हुए देखती रही। रूद्र की यह साइड आज पहली बार उसे देखने को मिली थी। 




क्रमश:

टिप्पणियाँ

  1. बहुत ही बेहतरीन भाग था मैम!👌👌 ये वाला पार्ट तो न बहुत पंसद आया मुझे...!! रुद्र भी पूरी समझदारी और जिम्मेदारी समझता है!! कितना प्यार है रुद्र और रेहान के बीच...!! दोनो एकदम उल्टे है फिर भी एक है...!! दोनो की बॉन्डिंग कमाल है...!! 😇😇 और लावण्या को पता लगा के शरण्या रुद्र से प्यार करती है तो क्या वो कुछ कर पाएगी?? 🤔🤔 अगले भाग का इंतेज़ार रहेगा!! 😊😊

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