ये हम आ गए कहाँ!!! (30)
रूद्र जैसे ही बाथरूम से निकला तभी शिखा रुद्र के कपड़े लेकर आई और बिस्तर पर रखते हुए बोली, "जल्दी से तैयार हो जा, और जा कर देख ले एक बार अपने भाई को वह ठीक से तैयार हुआ है या नहीं। और तू भी थोड़ा अच्छे से तैयार होना। क्या पता किसी की नजर तुझ पर पड़ जाए और वही बैठे-बिठाए मुझे बहू मिल जाए।" रूद्र हंसते हुए बोला, "माँ आप भी ना! किसी की नजर मुझ पर पड़े या ना पड़े आपको सच में लगता है कि आपका यह बेटा शादी करने वाला है? मुझे नहीं लगता! और वैसे भी आपको लगता है किसी की नजर मुझ पर पड़ने के लिए मुझे ढंग से तैयार होने की जरूरत है? आपका बेटा वैसे ही काफी हैंडसम और चार्मिंग है, कोई भी उसे देखते ही पसंद कर ले। आप भी जल्दी से तैयार हो लीजिए मैं जाकर एक बार उस फट्टू को भी देख लेता हूं।" शिखा मुस्कुरा कर कमरे से बाहर जाने को हुई तो रूद्र ने पूछा, "मां! दादी तैयार हो गई क्या?" शिखा ने हाँ मे सिर हिलाया और कमरे से बाहर चली गई। रूद्र जल्दी से तैयार हुआ और रेहान के कमरे की ओर जाने को हुआ। तभी उसे शरण्या का ख्याल आया। उसने अपना फोन निकाला और रिद्धिमा का नंबर डायल कर दिया।
रेहान अपने कमरे में तैयार हो रहा था। पर्पल रंग की शर्ट और ग्रे सूट जिसमें वो बहुत स्मार्ट लग रहा था लेकिन उसकी बस एक ही कमजोरी थी कि उसे टाई बांधना नहीं आता था। बेचारा रेहान! जाने कब से टाइ बांधने में उलझा हुआ था। जब नहीं बंधी तो उसने झुंझला कर उसे दूर फेंक दिया और शर्ट के ऊपर के दो बटन खोल दिए। "अबे सगाई पर जा रहा है, डेटिंग पर नहीं जो हीरोइन तेरी चेस्ट देखेगी। वहाँ इस तरह गया ना तो लावण्या तेरी बैंड बजा देगी। कम से कम यहां तो डीसेंट बन कर जा, जिस तरह ऑफिस में रहता है। रेहान ने पलट कर देखा तो रूद्र दरवाजे पर खड़ा था। उसने टाई उठाई और उसके मुंह पर मारते हुए बोला, "मुझे नहीं आती बांधने!" रूद्र ने मुस्कुराते हुए टाइको उसकी गर्दन में लपेटा और नॉट बांटते हुए बोला, "तेरी बचपन से यही कमजोरी रही है। अब तक नहीं आई तुझे कितनी बार सिखा चुका हूं लेकिन तू है कि सीखना ही नहीं चाहता। सारे काम कर लेगा बस यही एक काम तुझसे नहीं होता। अब क्या जिंदगी भर मै हीं तेरी गले में बाहें डालते रहूंगा क्या? आई होप लावण्या को टाई बांधने आती हो।"
"पिछले 4 दिनों में आश्रम में तुझे कोई लड़की नहीं मिली क्या जो तू मेरे साथ रोमांटिक हो रहा है? थोड़ा डिस्टेंस बना कर रख मेरे भाई वरना लोगों को गलतफहमी हो सकती है!" रेहान रूद्र के इतने करीब होने से थोड़ा घबरा रहा था क्योंकि उसे पता था रुद्र कब क्या कर जाएगा कोई बता नहीं सकता। रूद्र भी कहां किसी से कम था। अपने भाई को परेशान करने में उसे जो मजा आता था वह मजा कहीं और नहीं मिलता था उसने रेहान के चेहरे को अपने दोनों हाथों में थामा और अपने करीब खींचते हुए बोला, "अब तु क्या रुलाएगा मुझे पगले!! तुझे कैसे पता कि पिछले 4 दिनों से मैं किसी लड़की से नहीं मिला हूं। चल आ जा, इसी बात पर एक चुम्मी दे दे मुझे!" रेहान की आंखें हैरानी से फैल गई। उसने जबर्दस्ती खुद को छुड़ाते हुए कहा, "अबे छोड़ मुझे! आज सगाई है मेरी! तू तो शादी से पहले ही मेरा तलाक करवा देगा।"
रेहान भागकर जाकर सोफे के पीछे छुप गया और बोला, "तु निकल मेरे कमरे से! अभी के अभी तु निकल जा। वैसे भी तू आज सुबह क्यों आया? शाम को आता ना सगाई के बाद! कमीने! मेरा भाई होने के बावजूद तूने मेरी सगाई में किसी तरह की कोई तैयारी नहीं की। मैं भी तेरी शादी में कोई तैयारी नहीं करूंगा देख लेना तू।" रूद्र ने उसे घूर कर देखा और बोला, "अच्छा बेटा! यह तेरी टाई से लेकर जूते है ना! वह सब मेरी पसंद के हैं। तेरी और लावण्या की ड्रेस दोनो मैंने डिजाइन करवाई थी वरना तुझे लगता है कोई डिजाइनर इतनी जल्दी ड्रेस तैयार करके दे देगा। उसके लिए तो तु मुझे थैंक यू बोल, सगाई की आधी से ज्यादा तैयारी जो है ना वो मैंने फोन पर किया है। वहां आश्रम में बैठकर दादी को भी मना रहा था और तेरी सगाई की तैयारी भी कर रहा था। मेरे सामने तो बकवास करना भी मत तु वरना अभी के अभी मैं तेरी.........." कहते हुए रूद्र ने अपना निचला होंठ दबा दिया। रेहान चिल्लाया, "मां!!!! मां!!!!! देखो आपका बेटा क्या कर रहा है, आपका लाडला बेटा। दादी कहां हो आप? बचाओ मुझे!!!"
"मेरी बच्ची को किसी की नजर ना लगे। आज तो सबकी नजर तुम पर ही होगी। कितनी खूबसूरत लग रही हो तुम। रुक जाओ! पहले मै तुम्हारी नज़र तो उतार लू।" अनन्या ने एक काला टिका लावण्या के कान के पीछे लगाया और उसकी बलाये लेकर मुस्कुराती हुई बाहर चली गयी। अपनी माँ को इस तरह प्यार लुटाता देख शरण्या की आँखे भर आई। उसका भी दिल किया कि अनन्या उसे भी प्यार करें, उसका भी माथा चूमे और गले लगाए लेकिन उसे पता था अनन्या कभी ऐसा कुछ नहीं करेगी। उसके लिए तो सिर्फ एक ही बेटी थी उसकी और वो थी लावण्या। शरण्या जैसे इस दुनिया में थी नहीं उसके लिए।
लावण्या की नजर जब शरण्या पर गई तो उसे अपनी बहन के लिए बुरा लगा। वह चाहकर भी अपनी मां से इस बारे में बात नहीं कर पाती थी। उनसे इस बारे में बात करने का मतलब शरण्या को और भी ज्यादा तकलीफ पहुंचाना था। अनन्या अपना सारा प्यार लावण्या पर लुटाती थी तो अपना सारा गुस्सा शरण्या पर उड़ेल देती थी। ऐसा क्यों था, ये बात ना लावण्या जानती थी और ना ही शरण्या।
लावण्या प्यार से शरण्या को गले लगाते हुए बोली, "अब तू भी इसी तरह से रहेगी क्या? तुझे भी तो तैयार होना है। देख सब लोग पहुंचते ही होंगे, रेहान का फोन आया था। जा जल्दी से तैयार हो जा। मैं भी तो देखूं मेरी बहन तैयार होने के बाद कैसी लगती है! तभी तो मुझे भी पता चलेगा मेरी बहन अपनी सगाई में कैसी लगेगी। तेरे लिए ड्रेस ना मैं खुद डिजाइन करूंगी। तुझे पता है जिससे पापा ने तेरा रिश्ता तय किया है उस लड़के का नाम क्या है? तूने तस्वीर देखी है उसकी?" शरण्या मुस्कुरा कर बोली, "नहीं दी! ना तो मैंने उसकी तस्वीर देखी है और ना ही मुझे उसका नाम जानने में कोई इंटरेस्ट है। पापा ने तय किया है तो सोच समझ कर ही किया होगा। नाम जानकर क्या करूंगी मैं।"
शरण्या! तु उससे प्यार नहीं करती। शादी के बाद हो जाएगा प्यार लेकिन जब तू किसी और से प्यार करती है तो फिर क्यों कर रही है शादी। सीधे-सीधे बोल दे पापा को कि तुझे ये रिश्ता पसंद नहीं है क्योंकि तुझे कोई और पसंद है। एक तो वैसे भी कल की बात को लेकर मन वैसे ही डरा हुआ है। तुझे पता है दादी ने तेरी और रूद्र के रिश्ते की बात की और पापा ने साफ इंकार कर दिया। उन्होंने साफ-साफ कहा कि उन्हें रूद्र पसंद नहीं। बच्चा! प्यार को पाने के लिए लड़ना पड़ता है। मेरे और रेहान की किस्मत अच्छी थी जो हमारे घर वाले एक झटके में मान गए। लेकिन यहां तक पहुंचने में हम दोनों को कितनी मुश्किल हुई यह हम ही जानते हैं। तुझे उस से प्यार है तो तुझे खुद से आगे बढ़कर उसे कहना होगा। एक बार कोशिश तो कर अपने प्यार को पाने की वरना कहीं ऐसा ना हो कि बाद में तू बस काश कहती रह जाए। तुझसे इतना मार खाने के बाद भी बेशर्मों की तरह तेरे पास चलाता है, इसका मतलब तो यही हुआ ना कि वह भी तुझसे दूर नहीं रह पाता! प्यार तुम दोनों के दिल में है तो फिर छुपा क्यों रहे हो?"
"कौन क्या छुपा रहा है? मैं तो सब जान कर रहूंगा!" लावण्या ने पलट कर देखा तो रुद्र दरवाजे पर खड़ा मुस्कुरा रहा था। शरण्या घबरा गई। कहीं रूद्र ने सारी बातें सुन ना ली हो। वह बोली, "यह कौन सा तरीका है किसी लड़की के कमरे में आने का? मेरे कमरे में तो बेधड़क घुस जाता है लेकिन इतनी तमीज तो रख कि यह तेरी भाभी का कमरा है। इस तरह शादी के बाद भी तो अपने भाई भाभी के कमरे में यूं ही घुस जाएगा क्या मुह उठा कर? और कुछ नहीं तो थोड़ा तमीज तो रख कि किसी के भी कमरे में आने से पहले नॉक किया जाता है!"
"लेकिन मै तो दरवाजे पर ही खडा हु। अंदर तो अभी तक आया ही नही। और ये क्या? तु अभी भी उन्ही कपड़ो मे घूम रही है? तुझे तैयार नही होना क्या या फिर ऐसे ही आने का इरादा है? कहीं ऐसा तो नही कि तुझे मेरी रिद्धि से डर लग रहा है कि वो तुझसे ज्यादा खूबसूरत है और तु उसके सामने आने से डर रही है? हो भी सकता है! लेकिन बाहर तो तुझे आना ही पड़ेगा, आखिर तु दुल्हन की बहन जो है। चाहें कुछ भी कर ले तुझे तो मेरी रिद्धि का सामना करना ही पड़ेगा।"
"तूने आज कचरा खाया था क्या? इतना बदबू क्यों मार रहा है तू? बड़े बुजुर्ग इसीलिए कहते हैं, संगत अच्छी हो तो इंसान की बोली भी अच्छी होती है लेकिन अगर संगत खराब हो तो इंसान का पूरा कैरेक्टर खराब हो जाता है। इसलिए उस कचरे की पेटी के साथ रहेगा तो तू भी कचरा ही बनेगा और रही बात तेरी उस मेकअप की दुकान की तो आने दे उसे, फिर मैं भी देखती हूं! आज तेरा ब्रेकअप ना हुआ तो मेरा नाम बदल देना। अगर सच में तुम दोनों का कोई सीन चल रहा है ना तो आज तु बुरी तरह से मार खाएगा उसके हाथों। ये चैलेंज है मेरा तुझे, जस्ट वेट एंड वॉच।" कहकर शरण्या टशन देती हुई कमरे से बाहर निकल गई। लावण्या उन दोनों की नोकझोंक देख मुस्कुराए बिना ना रह पाई। वह बोली, "रूद्र! क्या है यह सब और कौन मेकअप की दुकान, कचरे की पेटी? किसकी बात कर रहे हो तुम दोनों, कौन आने वाली है?"
रूद्र बोला, "अरे कुछ नहीं लावण्या! तुम्हें तो पता ही है शरण्या और रिद्धिमा के बीच की लड़ाई! दोनों एक दूसरे को फूटी आंख नहीं भाती है। उसे यहाँ मैंने इनवाइट किया था और मैं चाहता हूं कि शरण्या भी थोड़ा अच्छे से तैयार हो जाए। जब देखो लड़कों वाले कपड़े पहन कर घूमती है। एक बार साड़ी में देखा है मैंने उसे, सच में बहुत खूबसूरत लग रही थी। इसलिए मैं चाहता हूं कि लड़के वाले कपड़े पहनना बंद कर दे वो और आज के लिए क्या करने वाली है वह तो मुझे भी नहीं पता। आई होप की कोई तमाशा खड़ा ना करें और थोड़े ढंग के कपड़े पहन कर आए वरना अनन्या आंटी उस पर फायर हो जाएंगी। मैं नहीं चाहता आंटी बात बात पर उस पर गुस्सा करें। मैं चलता हूं तुम जल्दी से आ जाओ।"
रूद्र जब वहां से जाने को हुआ तो लावण्या बोली, "रूद्र! एक बात पूछूं? तुम शरण्या की इतनी फिक्र करते हो, उसके बारे में इतना सोचते हो। भले ही लड़ झगड़ कर चिढ़ाकर, गुस्सा दिला कर ही सही तुम उसके लिए कुछ अच्छा करना चाहते हो। तुम्हें इतना मारती है फिर भी तुम्हें कोई फर्क नहीं पड़ता उससे। सच सच बताओ! क्या तुम्हारे दिल में शरण्या के लिए कोई फीलिंग है? देखो रूद्र! मुझसे झूठ मत बोलना। एक बात तो तय है, जहां रूद्र का नाम आता है वहां शरण्या का नाम जरूर आता है। और जहाँ शरण्या का नाम होता है वहाँ रूद्र का नाम अपने आप आ जाता है। तुम दोनों के नाम एक दूसरे से जुड़े है। हर कोई तुम दोनों का नाम एक साथ लेता है। अगर तुम्हारे दिल में उसके लिए कोई फीलिंग है तो उसे कह क्यों नहीं देते! रूद्र उसकी शादी तय होने जा रही है! वो किसी और की हो जाएगी।"
रूद्र बीच में उसे रोकते हुए बोला, "ऐसा कुछ नही है लावण्या! तुम कुछ ज्यादा ही सोच रही हो।" कहकर रूद्र बाहर निकल गया। लावण्या खुद से बोली, "तुम दोनो का ये ऐसा कुछ नही है" बहुत कुछ कह रहा है रूद्र! तुम दोनो के दिल मे जो है वो समझने और कहने मे कहीं देर ना हो जाए इस बात से डरती हु मै।"
क्रमश:
Nice part
जवाब देंहटाएंबहुत ही बेहतरीन भाग था मैम!! 👌👌 रुद्र एक मौका नही छोड़ता रेहान को चिढ़ाने का...!! टाई बांधते हुए भी तंग कर दिया!! 😂😂 और अब तो रिद्धि की हालत पतली होने वाली है, मतलब रुद्र की भी.... शरण्या कुछ तो करेगी ही!! 😛🙂 वैसे बेचारी शरण्या, माँ के प्यार की तरसी है...!! और रुद्र अभी मना कर रहा है पर दोनो के बीच कुछ तो है!! अगले भाग का इंतेज़ार रहेगा!! 😊😊
जवाब देंहटाएंNice part
जवाब देंहटाएंSuperb
जवाब देंहटाएंBeautiful
जवाब देंहटाएंAwesome lovely super amazing outstanding jabardust behtreen lajabab part
जवाब देंहटाएंNice part
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