ये हम आ गए कहाँ!!! (26)

      रेहान नाराज होकर अपने कमरे में चला गया तो रूद्र बोला, "क्या मां आप भी!! डांट दिया बेचारे को! अभी अभी पापा कम गुस्सा हो कर गए हैं उस पर जो आपने भी सुना दिया उसे! मैंने ही भेजा था उसे लावण्या के साथ डेट पर वरना तो वह कभी ज्यादा भी नहीं। अब शादी होने वाली है उसकी उस दिन में, आजादी के कुछ दिन बचे हैं उसके पास उसके बाद तो परिवार की जिम्मेदारियों में वैसे ही उलझ कर रह जाएंगे दोनों और आप भी क्या उसकी बात का बुरा मान रही हो! हम सभी यह बात अच्छे से जानते हैं कि अगर वो घर सबसे ज्यादा किसी से प्यार करता है तो वह मैं हूं। बड़ी मुश्किल से मानता है वह, अब फिर से बनाना पड़ेगा। आप उसके लिए कॉफी भिजवा दो कमरे में मैं देखता हूं उसे!" कहकर रूद्र ऊपर की ओर जाने लगा तो शिखा बोली, "रूद्र!! ठंड लग जाएगी!"

      अपनी मां की बात सुन रूद्र को अचानक से कल रात की याद आ गई जब वह सपना देख रहा था। हमेशा गुस्से में रहने वाली शरण्या कल रात सपने में कितने प्यार से उसे जगा रही थी और परेशान हो रही थी कि उसे ठंड लग जाएगी। वही एहसास एक बार फिर उसे छूकर गुजरा। खुदको शांत करते हुए रूद्र रेहान के कमरे में गया जहां एक बार फिर वह मुंह फुलाए अपने कमरे में शांति से बैठा हुआ था। "अले मेला राजा बेटा! आज डाँट पड़ गई मम्मी पापा से! नहीं रोते, नहीं रोते, बाबू सब ठीक हो जाएगा। देख ऐसे गुस्से तो ना जाने कितने देखे हैं मैंने। अब गुस्सा होना बंद करो और जल्दी से बड़े हो जाओ, चलो जल्दी जल्दी।" रूद्र रेहान को चिढ़ाने के अंदाज में बोला। बिचारा रेहान आज पहली बार पूरी रात घर से बाहर रहा और आज ही उसे पहली बार अपने मां पापा दोनों से ही डांट सुनने को मिल गई जिससे उसका चेहरा पूरी तरह से उतरा हुआ था। यह देख रूद्र को बुरा तो लग ही रहा था लेकिन अपने भाई को हंसाने का और उसे चिढ़ाने का कोई मौका नहीं छोड़ रहा था। 

     रेहान को कुछ ना बोलता देख रुद्र ने फिर कहा, "छोड़ ना भाई यह सब! और बता तेरी और लावण्या की डेट कैसी रही? वह भी छोड़, हलवा कैसा लगा? देख तेरे लिए लावण्या से खास तौर पर हलवा बनवाया था मैंने, वह भी बिना बताए और उसने बनाया भी और मेरे साथ घर से बिना बताए निकल भी गई सिर्फ तेरे लिए। सच में कितना प्यार करती है वह तुझसे और एक बात मैं तुझे अच्छे से समझा दे रहा हूं, उसे कभी रुलाना मत। यह जो लड़कियां होती है ना, जिनसे प्यार करती है सिर्फ उन्हीं के सामने कमजोर पड़ जाती है वरना जिस दिन तूने इसका दिल दुखा दिया उसके बाद चाहे जितना भी सर पटक ले वह पत्थर से भी ज्यादा पत्थर दिल हो जाती है, मेरी यह बात गांठ बंद करके रख लेना।" 

     "हां क्यों नहीं? तुझसे ज्यादा लड़कियों के मामले में एक्सपीरियंस्ड कोई और हो भी कैसे सकता है? तूने तो पूरा पीएचडी कर रखा है ना लड़कियों पर और जो इंसान रोज नयी लड़कियों के साथ घूमता है वह मुझे ज्ञान दे रहा है एक हैप्पी मैरिड लाइफ बारे में। व्हाट अ जोक!!! लावी के साथ तूने मेरी डेट फिक्स की उसके लिए थैंक यू लेकिन अपना जादू जो तूने मेरी लावण्या पर चलाया है ना उसके लिए मैं तुझे कभी माफ नहीं करूंगा। बाकी लड़कियां कम पड़ गई थी क्या जो तुझे अपने भाई की गर्लफ्रेंड ही दिखी!" रेहान ने भौहे सिकोड कर कहा तो रूद्र को हंसी आ गई। "अबे रिश्ते में भाभी होने वाली है मेरी लेकिन बहन मानता हूं उसे। दिमाग कहां है तेरा गधे? इतना भी भरोसा नहीं है तुझे अपने भाई पर और अपनी होने वाली बीवी पर तो फिर शादी क्यों कर रहा है और मैं क्यों तेरी होने वाली बीवी पर अपना जादू चलाऊँगा? मेरी पर्सनालिटी ही ऐसी है कि कोई लड़की मेरी तारीफ किए बिना रह नहीं सकती तो इसमें मेरी क्या गलती और तुझे किसने मना किया है अपनी पर्सनालिटी सुधारने से?" रेहान ने उसे घूर कर देखा तो रूद्र बोला,"अच्छा जाने दे यह सब! हर किसी की किस्मत में मां पापा की डांट नहीं होती। आज पहली बार तूने खाई है तो थोड़ा किस्मत वाला है और मैं तो रोज ही खाता हूं।"

     रेहान चिढ़कर बोला, "एक तो ना तु अपने यह गंदे पेंट वाले हाथ धो कर आ और दूसरी बात! मैं तेरी तरह बेशर्म नहीं........!" कहते हुए अचानक से वो रुक गया और बोला, "लावण्या को वहां छोड़कर तु किससे मिलने गया था?" रूद्र बोला, "किसी से नहीं। तेरे आने से ठीक पहले मैं वहां से निकल गया था और वहां से सीधे घर आया मैं। कहीं जाने का मन भी नहीं किया। आज पूरा दिन शॉपिंग में इतना ज्यादा थक गया था की हिम्मत ही नहीं हुई कहीं जाने की। वह तो तेरी वजह से चला गया मैं।" रेहान उसे बीच में टोकते हुए बोला, "तु बाहर नहीं गया था तो क्या लड़की आई थी तेरे पास?" रूद्र को कल रात की सपने वाली बात याद आ गई। वह हैरान होते हुए बोला, "तुझे कैसे पता कि मेरे सपने में कोई लड़की आई थी?" रेहान बोला, "सपने में आई थी तो फिर यह छोड़कर कैसे चली गई?" कहते हुए उसने रूद्र के सीने पर से बाल उठाकर उसकी तरफ लहरा दिए। रुद्र ने देखा यह सच में किसी लड़की के ही बाल थे लेकिन कल तो वह किसी से मिला भी नहीं तो फिर किसी लड़की के बाल उसके सीने पर होने का सवाल ही नहीं पैदा होता तो क्या अब तक जिसे वह सपना समझ रहा था वह सपना नहीं हकीकत था? उसने अपने ख्यालों को झटकते हुए कहा, "हो सकता है लावण्या का हो! कल रात को उसी को तो लेने गया था मैं। उसके भी तो लंबे बाल है।"

      रेहान बोला, "माना कि मेरी लावण्या के लंबे बाल है लेकिन इतने लंबे भी नहीं है और यह दोरंगे बाल तो बिल्कुल भी नहीं। अगर यह लावण्या के बाल होते तो तेरे शर्ट पर होते नाकि तेरे सीने पर। ध्यान से देख इसे और सोच कि कल रात किस लड़की के साथ था तू उसके बाद बात करते है", कहते हुए उसने रूद्र को दरवाजे से बाहर धक्का दिया और कमरा बंद कर लिया। रूद्र सोचता हुआ अपने कमरे में आया, "ऐसा कैसे हो सकता है! आज तक कभी ऐसा नहीं हुआ कि मेरे सीने पर किस लड़की के बाल मिले हो, मैं कभी उस हद तक गया ही नहीं! मै तो सो रहा था तो फिर कैसे हो सकता है! कल रात तो सपना देख रहा था मैं। सपने में किसी के बाल कैसे आ सकते है? किसका हो सकता है ये?"

      तभी अचानक उसकी नजर फर्श पर पड़े ब्लैंकेट पर गई। रुद्र को ख्याल आया, उसने तो दरवाजा लॉक कर रखा था तो फिर यह ब्लैंकेट किसने डाला और कल रात तो शरण्या उसके सपने में आई थी तो फिर इसका मतलब सच में आई थी! "मतलब वह सचमुच यहां मेरे कमरे में आई थी और उसने मुझ पर गुस्सा भी नहीं किया!!! मैंने ना जाने क्या कुछ कह दिया उसे! क्या कहा मैंने मुझे खुद भी याद नहीं है लेकिन कुछ कहा था उसे जरूर! अब मैं उसे कैसे पूछूं कि वह यहां आई थी या नहीं लेकिन वह आई थी तो क्यों आई थी और इस तरफ छुपकर खिड़की से?" उसने ब्लैंकेट उठाया और उसे सुंघते हुए मुस्कुरा उठा "अब तो तू खुद कहेगी कि तू आई थी यहाँ मेरे पास और पूरी रात मेरे साथ सोई थी, मेरी बाहों में।"

      

      लावण्या जब घर पहुंची, उस समय अनन्या अभी अभी उठकर किचन में सबके लिए कॉफी बना रही थी। लावण्या चुपके से अपने कमरे की ओर भाग गई और जल्दी से नहा धोकर कपड़े बदल कर निकली। उसे अच्छे से पता था कि इस वक़्त शरण्या अपने कमरे में नहीं होगी फिर भी उसके कमरे में गई तो देखकर हैरान रह गए। शरण्या इस वक्त अपने बिस्तर पर सो रही थी। लावण्या उसे जगाते हुए बोली, "शरण्या क्या हुआ? आज तू काम पर नहीं गई? तेरी तबीयत तो ठीक है? तू इस टाइम सो रही है क्या हुआ तुझे?" शरण्या अंगड़ाई लेते हुए अपने बिस्तर से उठ बैठी और लावण्या को कसकर गले लगा लिया। लावण्या समझ नहीं पाई कि आज सुबह सुबह अचानक से उसका मूड इतना अच्छा क्यों है? हमेशा तो सुबह भागा दौड़ी में रहती थी कि कहीं कोई देख ना ले और कहीं वह देर ना हो जाए। उसे इतने अच्छे मूड में देख लावण्या बोली, "जरूर कोई बहुत ही खूबसूरत सा सपना देखा तूने, है न?"

     शरण्या मुस्कुरा उठी और बोली, "हाँ दी! सपना हीं तो था वो! एक बहुत ही खूबसूरत सपना जो अपनी खुली आंखों से देखा था मैंने और दिल खोलकर महसूस किया था। पता नहीं यह सपना दुबारा मैं देखूंगी भी या नहीं, मुझे नहीं पता! लेकिन उसकी ख्वाहिश मुझे ना जाने कब से थी।" कहते कहते शरण्या की आंखों के सामने रूद्र चेहरा घूम गया और उसकी बातें........ उसके जेहन में एक बार फिर ताजा हो गई। उसे अपने कानों पर भरोसा नहीं हो रहा था और ना ही इस बात पर यकीन हो रहा था कि कल रात वो रूद्र की बाहों में सिमटी हुई थी और उसने वह सारी बातें कही थी जो सुनना चाहती थी। वो एहसास बहुत ज्यादा खुशनुमा था। शरण्या उठी और बाथरूम मे भाग गयी। 

     धनराज ने देखा, शिखा अपने कमरे में काफी बेचैन होकर टहल रही थी। उन्हें शांत कराते हुए उन्होंने सोफे पर बैठाया और बोले, "बात क्या है शिखा? आप इतनी परेशान क्यों है? मैंने रूद्र समझकर रेहान को डांट दिया लेकिन आप इस तरह क्यों भड़क गई? आप जानते हैं ना दोनों भाइयों में जितना प्यार है उतने ही लड़ते हैं दोनों क्योंकि दोनों में कुछ भी ऐसा नहीं है जो एक जैसा हो। पुरोहित जी ने तो उनके जन्म के समय ही कह दिया था इन दोनों की आदतें और हरकतें एक दूसरे से बिल्कुल विपरीत होंगी और इस तरह आप गुस्सा करने वालों में से नहीं है! रुद्र की जैसी हरकतें हैं इसके बावजूद आपने कभी उसे नहीं डांटा तो फिर अचानक से ऐसा क्या हो गया जो आप रेहान पर इस तरह से गुस्सा हो गए? आप कल पुरोहित जी से मिलने गई थी ना? कुछ कहा उन्होंने? शिखा!!! बताइए मुझे!"

     शिखा बोली, "इसी बात की तो परेशानी है राज! हमारे दोनों बच्चों की कुंडली एक दूसरे से बिल्कुल उलट है। पहले इस बारे में इतना नहीं सोचा था हमने लेकिन अब जब इस बारे में सोचती हूं तो डर लगता है। रेहान की फिक्र नहीं है मुझे, फिक्र है तो सिर्फ रूद्र की। कल मिली थी मैं पुरोहित जी से। उन्होंने कहा कि हमें रूद्र पर ज्यादा ध्यान देना होगा। उसकी खुशियों पर किसी भी तरह का कोई आंच ना आने पाए। जो करना चाहता है उसे करने दे क्योंकि आगे जाकर रूद्र......... हमारा रूद्र.......... जो इतना हंसता मुस्कुराता है, उसके जिंदगी से खुशियां हमेशा के लिए चली जाएगी। कुछ ऐसा होगा जिससे उसकी जिंदगी पूरी तरह से बदल जाएगी। आज जब रेहान ने कहा कि वह रूद्र को रुलाएगा , तो ये बात मेरे दिल पर लग गई और मैंने उसे डांट दिया। पुरोहित जी ने साफ साफ यह बात कही है कि एक भाई के जीवन में खुशियां आएगी तो दूसरे भाई की जिंदगी से खुशियां हमेशा के लिए चली जाएगी। रेहान की शादी होने जा रही है, खुशियां उसके जीवन में दस्तक दे रही है इसका मतलब समझ रहे हैं आप? ना सिर्फ इतना कहा उन्होंने बल्कि यह भी कहा कि अपनों की खुशी के लिए वह चुपचाप हर दर्द सह लेगा और किसी से कुछ नहीं कहेगा। मेरा बच्चा अकेला पड़ जाएगा...... दुनिया की भीड़ में पूरी तरह से अकेला....... इसीलिए रूद्र जितना ज्यादा अपनी जिंदगी को जीना चाहता है उसे जीने दे। आप भी उसे बात बात पर डांटा मत करिए वरना मुझ से बुरा कोई नहीं होगा। मैं बस जल्द से जल्द अपने दोनों बच्चों की शादी करवाना चाहती हूं। रेहान की शादी में अभी एक महीने का वक्त है, उसके बाद पंडित जी ने मुहूर्त निकालने का बोला है ना! इसमें अगर हो सके तो रूद्र और शरण्या के रिश्ते की बात चल आऊंगी मैं।"

    शिखा उठी और कमरे से बाहर चली गई रूद्र और शरण्या के रिश्ते की बात सुनकर ही धनराज ने अपना सर पकड़ लिया। 

 

    

     आखिर कैसी है ये भविष्यवाणी और आखिर क्या लिखा है रूद्र की किस्मत में जिसके लिए शिखा इतना ज्यादा बेचैन है? क्या होने वाला है आगे और क्या सच में शरण्या के लिए जो रिश्ता आया है वह उसके लिए हां कर देगी? 



टिप्पणियाँ

  1. बहुत ही बेहतरीन भाग था मैम!! 👌👌 रुद्र भी न!! मतलब रेहान का उतरा चेहरा देख उसे बुरा लग रहा है पर हँसाने के लिए चिढ़ाने का मौका नही छोड़ेगा?! 😆😆 और शरण्या सच मे रुद्र के साथ थी!! 😍💙 नजाने रुद्र ने क्या सोचा जो वो शरण्या के मुंह से ये बात बुलवा के रहेगा?! 😃 और ये भविष्यवाणी... मुझे भी डर लग रहा है, रुद्र के साथ बहुत बुरा नही होना चाहिए बस!!! 😖 अगले भाग का इंतेज़ार रहेगा!! 😊😊

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