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दिसंबर, 2023 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

सुन मेरे हमसफर 230

  230     समर्थ अव्यांश को ढूंढने के लिए वहां से उठ पाता इतने में एक तीखी सी कान फोड़ू आवाज सुनाई पड़ी। सब ने अपने कानों पर हाथ रख लिए। सारांश ने कहा "क्या हो रहा है यह सब? और यह कैसी आवाज है? माइक पर कौन है?"     इसके बाद अव्यांश की आवाज आई "हेलो! हेलो!! सॉरी सॉरी सॉरी!!! थोड़ी प्रॉब्लम हो गई थी लेकिन अब घबराने वाली कोई बात नहीं है अब सब ठीक है।" सब ने राहत की सांस ली। कुहू ने तो घबरा कर कुणाल की बांह पकड़ ली थी।      अव्यांश की आवाज सुनकर कुहू गुस्से में बोली "किसी का मर्डर करके सॉरी बोल देना तू।"     उसकी यह बात अव्यांश ने सुन ली और वह बोला "डोंट वरी दी! ऐसी कोई नौबत नहीं आएगी। क्योंकि उस टाइम मैं सॉरी बिल्कुल नहीं बोलूंगा।" अव्यांश की बात सुनकर सभी हंस पड़े और कुहू इधर-उधर देखने लगी। अंधेरे में उसे कुछ नजर नहीं आ रहा था। लेकिन वह इतना समझ गई थी कि अव्यांश उसके आसपास ही है जो उसकी बात सुन रहा था।      अव्यांश अपनी धुन में बोल रहा था "दुनिया की सबसे खूबसूरत चीज क्या है, सबसे खूबसूरत एहसास? वह प्यार है। यह प्यार कब किससे कैसे हो जाए हम नहीं

सुन मेरे हमसफर 229

  229      कुणाल अपनी जगह पर बैठा कार्तिक सिंघानिया का इंतजार कर रहा था। उसकी नजर अपने डैड पर गई जो उसे ही देख रहे थे और इशारे में उसे मुस्कुराने को कह रहे थे। कुणाल ने भी जबरदस्ती मुस्कुरा दिया और इधर-उधर देखने लगा। इंतजार भले ही वो अपने दोस्त का कर रहा हो लेकिन नजरे तो शिवि को ही तलाश रही थी।      'कहां रह गई यह? क्या सचमुच इसे अपनी बहन का संगीत अटेंड नहीं करना है? इतनी नाराज है क्या वह? फैमिली में क्या बहाना बनाया होगा उसने?' कुणाल अभी सब कुछ सोच ही रहा था तभी कुहू सुहानी का हाथ पकड़े कुणाल के पास आई। कुणाल ने अचानक ही कुहू को देखा तो देखा ही रह गया। सफेद और पिक के कांबिनेशन कुहू ने भी पहना था लेकिन उसकी ड्रेस बाकी सबसे थोड़ी अलग थी। उसके लहंगे का ब्लाउज थोड़ा सा शोल्डर से नीचे गिरा हुआ था। (अब मुझे फैशन की इतनी जानकारी नहीं है और इस डिजाइन को क्या कहते हैं मुझे नहीं पता तो यह मैं आप लोगों की इमेजिनेशन पर छोड़ती हूं।)      हां तो मैं कहां थी? गुलाबी रंग के डाउन शोल्डर वाले ब्लाउज और सिल्वर रंग का लहंगा जिसमें गुलाबी घेरा बना हुआ था। उस पर से मोतियों की एंब्रॉयडरी। कान में मो

सुन मेरे हमसफर 228

 228        तन्वी ने समर्थ को संभाला और पूछा "आप ठीक हो?"      समर्थ सीधा खड़ा हुआ और अपना सर झटकते हुए बोला "हां मैं ठीक हूं।" तब जाकर समर्थ की नजर उस तूफान पर पड़ी जिससे वह टकराया था। उसके मुंह से निकला "तुम यहां? तुम कब आई?"     ये तूफान और कोई नहीं बल्कि वही लड़की थी जिसे अंशु रिसीव करने गया था। वह मुस्कुरा कर बोली "हां भाई! मैं यहां। अब कोई मुझे बुलाएगा नहीं इसका मतलब यह तो नहीं कि मैं यहां आऊंगी नहीं और क्या लगा आप लोगों को, चुपचाप कुहू दी की शादी हो जाएगी और मुझे पता भी नहीं चलेगा? मुझे इनविटेशन भी नहीं मिलेगा? मतलब हद है! मुझे भूल गए? मुझे भूल गए?? आपको पता है मैं कितनी इंपॉर्टेंट हूं!"     समर्थ ने जल्दी से उस बकबक मशीन के मुंह पर हाथ रखा और बोला "जानता हूं तू बहुत इंपॉर्टेंट है। इसलिए तो तुझे इनवाइट करने के लिए पार्थ को कहा था।"       उस लड़की ने अपने मुंह से समर्थ का हाथ हटा कर बोला "उसको तो मैं अच्छे से सबक सिखाऊंगी और अच्छे से खबर लूंगी। पिछले 1 महीने से बात नहीं की है उसने मुझसे, इनविटेशन देना तो दूर की बात है मुझे त

सुन मेरे हमसफर 227

  227       अव्यांश ने कार्तिक सिंघानिया को अजीब नज़रों से सर से पैर तक घूर कर देखा और बोला "तुम शादी से भाग क्यों रहे हो? तुम में कोई प्रॉब्लम है क्या? आई मीन, देखो हमारी सोच ऐसी नहीं है कि हम तुम्हें जज करेंगे। अगर तुम्हें लड़कियों में इंटरेस्ट नहीं है तो फिर इसमें शर्माने या छुपाने वाली कोई बात नहीं है। तुम चाहो तो मुझे खुलकर बता सकते हो। या फिर अगर बात कुछ और है तो फिर.........!"      कार्तिक सिंघानिया भौचक्का रह गया। उसे बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी कि अव्यांश उसकी बात का ये मतलब निकलेगा। उसने जल्दी से कहा "तुम गलत समझ रहे हो ऐसा कुछ नहीं है। तुम गलत पटरी पर जा रहे हो।"      लेकिन अव्यांश ने उसे समझाते हुए कहा "देखो कार्तिक! मैं समझ रहा हूं, कोई भी इंसान जो नॉर्मल से थोड़ा हटके होता है या फिर उसे कोई प्रॉब्लम होती है और वह भी ऐसी वैसी वाली प्रॉब्लम तो वह किसी से कुछ भी कहने में शरमाता है, झिझक सकता है। और उसका सबसे पहले थॉट यह होती है कि कोई उसे जज करेगा। हम ऐसे नही है। देखो! तुम नॉर्मल हो या नहीं हो इससे हमे कोई फर्क नहीं पड़ता।"      अव्यांश की बेसिर प

सुन मेरे हमसफर 226

  226     अव्यांश की बात सुनकर कार्तिक थोड़ा घबरा गया। फिर उसने खुद को समझाया 'क्या कर रहा है, तू इतना क्यों घबरा रहा है जैसे तूने कुछ गलत किया हो? तुझे तो बस सुहानी से बात करनी थी इसलिए उसके पीछे जा रहा था। वह तुझे अवॉइड करके चली गई इसमें मेरी क्या गलती? और इससे इतना डरने वाली क्या बात है? शादी वाले घर में यह कोई बखेड़ा नहीं करेगा और तू इतना कमजोर भी नहीं है कि कोई तुझे.........."       अव्यांश ने एक बार फिर कार्तिक को आवाज़ लगाई "क्या तुम कंफर्टेबल हो?"     कार्तिक सिंघानिया खिसियानी हंसी हंसते हुए बोला "कंफर्टेबल? वाई नॉट! बिल्कुल!! मुझे क्या हुआ? हम कोई पहली बार तो मिल नहीं रहे। एक दूसरे को काफी टाइम से जानते हैं हम लोग इसमें सोचने वाली क्या बात है। तो बताओ क्या बात करनी है?"     अव्यांश ने फिर उसे याद दिलाया "यहां नहीं कहीं और।"     कार्तिक अंदर ही अंदर थोड़ा घबरा रहा था इस तरह का एक जाना माना केस उसने देखा था जब ऐसे ही शादी के मौके पर अकेले में बात करने के बहाने बुलाकर अपनी बहन के बॉयफ्रेंड का मर्डर कर दिया था। फिर भी खुद को अच्छे से समझा

सुन मेरे हमसफर 225

  225      देवेश ने गुस्से में अपना फोन दीवार पर फेंक कर मारा जिसके कारण फोन कई टुकड़ों में बिखर गया। एक नाजुक सी कलाई देवेश के कंधे पर पड़ी और दूसरी कलाई ने वाइन की ग्लास देवेश के सामने की। देवेश उस ग्लास को अपने हाथ में लिया और एक ही घूंट में खत्म कर दिया। कमरे के दूसरे कोने से आवाज आई "इस तरह अपना गुस्सा फोन पर उतारने से कुछ नहीं होगा। मैंने कहा था ना इतना भरोसा मत करो उसे पर लेकिन तुम्हें तो कुछ ज्यादा ही भरोसा था। आ गई अकल ठिकाने?"      देवेश ने बिना पलटे गुस्से में जवाब दिया "तुम तो कुछ बोल ही मत। इतने सालों में तुमने क्या उखाड़ लिया?"       पीछे से हंसती हुई आवाज आई "मैंने क्या उखाड़ लिया क्या नहीं वह तो बाद में पता चलेगा। लेकिन इतना जान लो तुम, ये लाइफ में बस पहली बार था यह जब मैं हारा था और तुम नौ पहली बार में ही पकड़े गए थे।"     यह बात देवेश को बहुत बुरी लगी। उसने गुस्से में ग्लास को टेबल पर रखा और बोला "मैं हार नहीं मानने वाला, फिर चाहे प्यार से चाहे जबरदस्ती से।" पूरे कमरे में खामोशी छा गई। *****     अव्यांश ने आकर रेहान और लावण्या क

सुन मेरे हमसफर 224

  224      अव्यांश ने सिद्धार्थ की आवाज सुनी तो उसने काया से कहा "जल्दी बता बात क्या है।"     काया को समझ में नहीं आया कि वह आगे क्या पूछे। उसकी नजर भी आने वाले उन दो मेहमानों पर थी और अव्यांश की आवाज से उसकी तंद्रा टूटी। उसने हकलाते हुए कहा "भाई वह मैं........ असल में..........."       अव्यांश परेशान परेशान हो गया। सिद्धार्थ की आवाज सुनकर अव्यांश समझ गया था कि आने वाला मेहमान कोई खास है और उनके स्वागत के लिए अव्यांश का होना जरूरी था। लेकिन काया उसे रोक हुए थी और कुछ बोल भी नहीं रही थी। अव्यांश परेशान होकर बोला "देख कायू, अगर तुझे कोई बात नहीं करनी है तो मुझे जाने दे।"     अव्यांश वापस जाने लगा तो काया ने फिर से उसका हाथ पकड़ लिया और बोली "लेकिन भाई! कुछ जरूरी था।"     अव्यांश से समझाते हुए बोला "देख लल्ली! जो जरूरी है उसे कुछ देर के लिए पोस्टपोन कर दे या फिर तू किसी और से अपना काम करवा ले। फिलहाल मुझे निकलना है और अगर यह काम सिर्फ मैं कर सकता हूं तो फिर बाद में मिलना, ठीक है? ज्यादा टेंशन लेनी की जरूरत नहीं है। अभी मुझे जाना है।" अपने

सुन मेरे हमसफर 223

 223      दरवाजे पर कुणाल और उसकी पूरी फैमिली खड़ी थी। कुणाल अपने एक हाथ में स्टिक लिए वहां मौजूद था। उसके साथ में उसका दोस्त कार्तिक सिंघानिया खड़ा था। काव्या और कार्तिक दोनों मिलकर अपनी बेटी के होने वाले ससुराल वालों का स्वागत करने में लगे थे।     कुणाल, तिलक कराने के बाद अंदर आया तो बाकी सब भी एक-एक कर तिलक लगवा कर अंदर आते गए। कार्तिक सिंघानिया कुणाल के साथ ही था। सच कहूं तो यह कार्तिक सिंघानिया की मजबूरी थी। कुणाल ने उसे बुरी तरह अपने साथ रहने पर मजबूर कर दिया था। न जाने उसे किस बात का डर था और किस चीज की यह घबराहट थी जो कुणाल उसे छोड़ने का नाम ही नहीं ले रहा था।     अंदर आते हुए कार्तिक सिंघानिया ने झुंझलाकर कुणाल से पूछा "अब किस बात का डर है तुझे? ना तो तू ड्राइव कर रहा है और ना ही तेरा एक्सीडेंट होने वाला है। सच कहूं तो अब तक तुझे अपनी हड्डियां तुड़वाने का एक्सपीरियंस अच्छा खासा हो गया होगा। बस टांगे बची थी, वह कसर भी पूरी हो गई। अब तो मेरा हाथ छोड़ दे मेरे भाई! यहां तेरे ससुराल वाले है जो तुझे अपने कंधे पर बिठा कर रखेंगे। तुझे मेरी जरूरत नहीं होगी।"      कुणाल उसे अप

सुन मेरे हमसफर 222

  222     कुहू अपनी हल्दी के लिए पूरी तरह तैयार थी। उसके चेहरे को देखकर कहीं से भी यह नहीं लग रहा था कि उसके दिमाग में कुछ चल रहा हो। वह बहुत ज्यादा खुश थी। चित्रा ने उसके कंधे पर चुनर डाली और धीरे से उसके कंधे पर हाथ रखा।      आईने में कुहू ने अपनी चित्रा मॉम को दिखा और मुस्करा उठी। चित्रा ने भी अपने होठों पर मुस्कान सजा ली लेकिन उस मुस्कान में वह बात नहीं थी जो कुहू के मुस्कान में थी। चित्रा से वहां ज्यादा देर रुका नही गया और काम का बहाना बनाकर वहां से निकल गई।      इस सबसे बेखबर काया का ध्यान बार-बार अपने फोन की तरफ जा रहा था जिसके कारण वह चाह कर भी कुहू को पायल नहीं पहना पा रही थी। कुछ देर तक तो कुहू ने यह सब इग्नोर किया लेकिन फिर झुंझला कर बोली "कायु! क्या कर रही है तू? एक पायल तक पहनाना नहीं हो रहा है तेरे से! ध्यान कहां है तेरा, सोच क्या रही है तू?"    काया हड़बड़ाई और जल्दी से कुहू के पायल की पेच कसने लगी। "कुछ नहीं दी बस इसके पेच मुझे कुछ समझ में नहीं आ रही थी। हो गया, बस हो गया।" काया ने जल्दी से अपना काम खत्म किया और वहां से उठकर बिना कुहू की तरफ देखें दू

सुन मेरे हमसफर 221

  221     अव्यांश फोन पर किसी से बात कर रहा था और परेशानी में अपने बाल खराब कर रहा था, इस बात से बेखबर कि निशी ठीक उससे कुछ दूरी पर खड़ी उसे ही देख रही है। अव्यांश नाराज होकर बोला, "मिस्टर सहनी! मैंने जो डिजाइंस दिए थे, सब कुछ वैसे ही होगा। मुझे ऑर्किड के फूल चाहिए। गुलाब तो बिल्कुल मत लगाना वरना आपके पूरे बजट को काट दूंगा मैं। रही बात मंडप की तो मंडप में ऑर्किड और रजनीगंधा यह दोनों फूल लगेंगे...........…। नहीं मिलेंगे का क्या मतलब? मुझे रजनीगंधा चाहिए मतलब चाहिए! चाहे वह इस सीजन में मिले या नहीं.............। आप जैसे भी करिए, मुझे यही फूल चाहिए। और वैसे भी माना रजनीगंधा गर्मी में खिलते हैं लेकिन अभी तो बसंत का मौसम है। इस मौसम में तो हर फूल खिलते हैं फिर आपको क्या प्रॉब्लम है...............? मिस्टर सहनी मुझे कोई डिस्कशन नहीं चाहिए। कल के लिए आप जैसे भी हो वैसे इंतजाम करिए। और हो सके तो कैटरिंग वाले से मेरी बात करवाइए। कौन देख रहा है यह काम? देखिए मिस्टर सहनी मेनू वही होगा जो मैंने दिया था। आपको कोई भी चेंज करने होंगे आप सीधे मुझसे बात करेंगे या फिर समर्थ भाई से। और जो भी चेंज हों

सुन मेरे हमसफर 220

  220     निशी जैसे ही संगीत वेन्यू पर पहुंची, उसे वहां खड़ी सुहानी दिख गई। सुहानी ने भी जैसे ही निशी को आते हुए देखा वह भाग कर उसके पास गई और बोली "कहां रह गई थी तुम? कब से तुम्हारा इंतजार कर रही थी!"      निशी थोड़ा झिझकते हुए बोली "वह मैं बस थोड़ा.........." लेकिन इससे पहले कि निशी अपनी बात पूरी कर पाती, सुहानी अपनी ही धुन में बोली "पता है यहां पर कितना कुछ करना बाकी है! वो अंशु आलसी! उसने सारा काम हमारे ऊपर डाल दिया है और जब मैंने उससे पूछा कि तुम कहां हो तो उसने सीधे-सीधे बोल दिया कि मैं खुद फोन करके तुम्हें बुला लूं, नकचढ़ा कहीं का!"         अव्यांश का नाम सुनकर निशि को एक उम्मीद जगी। उसने पूछा "अ अव्यांश यहां है? कहां है वह?"      सुहानी बड़े बेमन से बोली "होगा यहीं कहीं, कहां जाएगा। एक जगह दिखता थोड़ी है। यहां ढूंढो तो वहां मिलेगा और वहां ढूंढो तो यहां मिलेगा। वेट! कहीं तुम दोनों की लड़ाई तो नहीं हुई है?"      निशि एकदम से हड़बड़ा गई। उससे कोई जवाब देते नहीं बना लेकिन सुहानी तो अपनी ही धुन में थी। वह निशि का हाथ पकड़ के अपने साथ