सुन मेरे हमसफर 229

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     कुणाल अपनी जगह पर बैठा कार्तिक सिंघानिया का इंतजार कर रहा था। उसकी नजर अपने डैड पर गई जो उसे ही देख रहे थे और इशारे में उसे मुस्कुराने को कह रहे थे। कुणाल ने भी जबरदस्ती मुस्कुरा दिया और इधर-उधर देखने लगा। इंतजार भले ही वो अपने दोस्त का कर रहा हो लेकिन नजरे तो शिवि को ही तलाश रही थी।


     'कहां रह गई यह? क्या सचमुच इसे अपनी बहन का संगीत अटेंड नहीं करना है? इतनी नाराज है क्या वह? फैमिली में क्या बहाना बनाया होगा उसने?' कुणाल अभी सब कुछ सोच ही रहा था तभी कुहू सुहानी का हाथ पकड़े कुणाल के पास आई। कुणाल ने अचानक ही कुहू को देखा तो देखा ही रह गया। सफेद और पिक के कांबिनेशन कुहू ने भी पहना था लेकिन उसकी ड्रेस बाकी सबसे थोड़ी अलग थी। उसके लहंगे का ब्लाउज थोड़ा सा शोल्डर से नीचे गिरा हुआ था। (अब मुझे फैशन की इतनी जानकारी नहीं है और इस डिजाइन को क्या कहते हैं मुझे नहीं पता तो यह मैं आप लोगों की इमेजिनेशन पर छोड़ती हूं।)


     हां तो मैं कहां थी? गुलाबी रंग के डाउन शोल्डर वाले ब्लाउज और सिल्वर रंग का लहंगा जिसमें गुलाबी घेरा बना हुआ था। उस पर से मोतियों की एंब्रॉयडरी। कान में मोतियों वाले झुमके, नाक में एक डायमंड वाली लॉन्ग, गले में मीडियम साइज मोती की लंबी सी माला। बस एक कलाई में डायमंड की ब्रेसलेट। अब सब यही सोच रहे थे ना कि कलाई में भी मोतियों की ही ब्रेसलेट होगी? नहीं। वह क्या है ना, बहुत सारी मोतियां हो जाएगी तो फिर ज्यादा शक्कर भी कड़वा लगता है, तो इसलिए डायमंड की ब्रेसलेट। बालों को एक साइड कर पिन-अप किया गया था और उसमें सफेद रंग के फूल लगे थे।


    कुणाल बिना कुछ सोचे मुस्कुरा कर बोला "कुहू! तुम बहुत खूबसूरत लग रही हो।" कुणाल के इस असली रिएक्शन को देखकर कुहू बहुत ही ज्यादा खुश हो गई, क्योंकि एक अरसे के बाद या यू कहूं कि शादी तय होने के बाद यह पहली बार था जब कुणाल ने कुहू को दिल से कंप्लीमेंट दिया था। सुहानी उन दोनों के बीच नहीं आना चाहती थी इसलिए उसने कुहू को कार्तिक की जगह पर बैठा दिया तो कुणाल बोला, "अरे! यह जगह तो कार्तिक की............" और आगे बात अधूरी छोड़ दी।


      कुहू ने नाराजगी से कुणाल की तरफ देखा लेकिन सुहानी बोली "अरे जीजा जी! आई मीन होने वाले जीजा जी! कब तक अपने दोस्त का हाथ पकड़े चलेंगे? अब आपकी शादी हो रही है और शादी के बाद दोस्त की जगह पत्नी की हो जाती है। शादी से पहले जो आप अपने दोस्तों के साथ घूमते थे, अब अपनी पत्नी जी के होते हुए करके दिखाइए तब जानूंगी मैं। और रही बात आपके दोस्त की तो वो कोई छोटा बच्चा नहीं है जो रोने लगेगा। यहां पर बहुत सी जगह खाली है कहीं भी आकर बैठ जाएंगे आपके दोस्त महाशय।" सुहानी तुनक कर वहां से चली गई।


      कुणाल ने उसे जाते हुए देखा और कुहू से पूछा "इसको क्या हुआ है?"


     कुहू ने भी अपने कंधे उचका दिए और बोली "पता नहीं। कल से देख रही हूं इसे, थोड़ी उखड़ी सी है।"


    "तुमने पूछा नहीं उससे?" कुणाल के सवाल पर कुहू इनकार में सिर हिलाकर बोली "इन सारी तैयारियों में टाइम ही नहीं मिला। वैसे भी मैं कुछ पूछूंगी तो वह बताएगी यह जरूरी नहीं है। इसके बारे में सारे राज काया को ज्यादा पता होता है। उसी से पूछना होगा।"

 

     कुणाल मजाक में बोला "काया! मुझे तो लगता है इस बारे में कार्तिक से पूछना होगा। आजकल वह और सुहानी कुछ ज्यादा ही क्लोज नजर आ रहे हैं मुझे।"


    कुहू ने अजीब नजरों से कुणाल की तरफ देखते हुए कहा "यह तुम क्या कर रहे हो? सिंघानिया और सुहानी? वह दोनों दोस्त है, और वैसे भी घर वाले सिंघानिया के फैमिली से उसके और काया के रिश्ते की बात करने वाले हैं।"


     अब चौंकने की बारी कुणाल की थी। कार्तिक और काया, यह कांबिनेशन कुणाल के समझ से परे थी क्योंकि अब तक तो उसने काया को कार्तिक से नाराज देखा था। इन फैक्ट उसने कार्तिक को दो बार थप्पड़ भी मारा था वह भी बिना किसी वजह के। पूरी बात क्या थी की ये तो कुणाल को भी नहीं पता थी। उसने चारों तरफ नजर दौड़ाई। ना तो उसे काया नजर आई और ना ही कार्तिक कहीं दिखा।


    'कहीं सच में इन दोनों के बीच तो नहीं कुछ चल रहा, और मुझे ही कोई गलतफहमी हुई है?' कुणाल सच में पड़ गया। लेकिन चारों तरफ नजर दौड़ते हुए एक बार फिर कुणाल को शिवि की याद आई। उसने कुहू की तरफ देखा और थोड़ा झिझकते हुए पूछा "कुहू! सारे घर वाले हैं ना यहां पर?"


    कुहू चारों तरफ देखकर बोली "हां! सारे घर वाले हैं और सारे गेस्ट भी आ चुके हैं। अब कुणाल शिवि के बारे में सीधे सीधे कैसे पूछे उसने सब तरफ देखा और बोला "हां सब लोग हैं लेकिन नाना जी और नानी मां नहीं नजर आ रहे हैं।"


      कुहू ने उसे एक तरफ दिखा कर कहा "वह रहे। नानाजी नानी मां, बड़ी दादी और दादी मां चारों एक साथ बैठे हुए हैं।"


    कुणाल जबरदस्ती मुस्कुरा दिया और एक बार फिर बोला "हां! लेकिन काया भी कहीं नजर नहीं आ रही। कुहू की नजर एंट्री गेट से आते हुए काया और अव्यांश पर पड़ी तो उसने कुणाल को उस ओर इशारा किया। 'अब किस बहाने से शिवि के बारे में पूछूं?' कुणाल ने एक बार फिर से हिम्मत जुटाई और कुहू से बोला "हां सब लोग तो है यहां पर फिर ऐसा क्यों लग रहा है कि कोई मिसिंग है? आई मीन, होता है ना मुझे ऐसी फीलिंग आ रही है।"


      कुहू उसके बाल सही करते हुए बोली "इतना मत सोचो। सब लोग यहीं पर है, कुछ यहां हॉल में है तो कुछ हॉल के पीछे। वह कहते हैं ना कैमरे के आगे कैमरे के पीछे, तो वही हाल है।"


   उसी वक्त पूरे हॉल की लाइट गुम हो गई। सभी घबरा गए। ना समर्थ को ना ही सिद्धार्थ को और ना ही सारांश को इसके बारे में कुछ भी पता था। सभी को घबराया देख समर्थ बोला "मैं चेक करता हूं। अंशु यहीं कहीं होगा उसे पता होगा इस बारे में।"

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