सुन मेरे हमसफर 230
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समर्थ अव्यांश को ढूंढने के लिए वहां से उठ पाता इतने में एक तीखी सी कान फोड़ू आवाज सुनाई पड़ी। सब ने अपने कानों पर हाथ रख लिए। सारांश ने कहा "क्या हो रहा है यह सब? और यह कैसी आवाज है? माइक पर कौन है?"
इसके बाद अव्यांश की आवाज आई "हेलो! हेलो!! सॉरी सॉरी सॉरी!!! थोड़ी प्रॉब्लम हो गई थी लेकिन अब घबराने वाली कोई बात नहीं है अब सब ठीक है।" सब ने राहत की सांस ली। कुहू ने तो घबरा कर कुणाल की बांह पकड़ ली थी।
अव्यांश की आवाज सुनकर कुहू गुस्से में बोली "किसी का मर्डर करके सॉरी बोल देना तू।"
उसकी यह बात अव्यांश ने सुन ली और वह बोला "डोंट वरी दी! ऐसी कोई नौबत नहीं आएगी। क्योंकि उस टाइम मैं सॉरी बिल्कुल नहीं बोलूंगा।" अव्यांश की बात सुनकर सभी हंस पड़े और कुहू इधर-उधर देखने लगी। अंधेरे में उसे कुछ नजर नहीं आ रहा था। लेकिन वह इतना समझ गई थी कि अव्यांश उसके आसपास ही है जो उसकी बात सुन रहा था।
अव्यांश अपनी धुन में बोल रहा था "दुनिया की सबसे खूबसूरत चीज क्या है, सबसे खूबसूरत एहसास? वह प्यार है। यह प्यार कब किससे कैसे हो जाए हम नहीं कह सकते। लेकिन किस्मत भी जरूरी है मेरे दोस्त! कब हमारी किस्मत हमें हमारी मंजिल के करीब ले जाए, वही किस्मत हमे हमारे प्यार से बहुत दूर ले जाए, कह नहीं सकते। चाहे दूर रहे या पास, ये प्यार का एहसास ही है जो मरते दम तक हमारे दिल में कहीं ना कहीं दफना होकर रहता है। भले ही हमारे पास कितनी खुशियां क्यों ना हो, हमारा दिल उसे एक एहसास को याद करके मायूस हो ही जाता है।"
सिद्धार्थ ने धीरे से सारांश से कहा "ये अंशु क्या बकवास कर रहा है? इस टाइम इस फिलॉसफी की क्या जरूरत थी?" सारांश कुछ बोल नहीं पाए वह समझ रहे थे, उनका बेटा अपने दिल की हालत बयां कर रहा है।
अव्यांश को खुद भी एहसास हुआ कि वह कुछ ज्यादा ही इमोशनल हो गया है। इसलिए बात बदलते हुए बोला "यह सब तो जिंदगी के अलग-अलग पहलू है। लेकिन यह प्यार जिस खूबसूरती से हमारी जिंदगी में आता है, हमारी जिंदगी खुशबुओं से भर देता है। हमें सब कुछ अच्छा लगता है। जानते हैं क्यों? यार यह कमबख्त आंखें! इन सारी परेशानियों की जड़ यह आंखें होती है। जब नजरें चार होती है तब जाकर ही तो प्यार होता है। वैसे एक्सेप्शन बहुत है इस दुनिया में लेकिन फिलहाल उसको रहने देते हैं।"
समर्थ ने चिल्ला कर कहा "तू बोलना क्या चाह रहा है साफ-साफ बोल!"
अव्यांश तो नहीं लेकिन गाने के बोल तब तक पहुंची "डार्लिंग......! आंखों से आंखें चार करने दो।"
अब तक जहां अंधेरा था, वही सेंटर स्टेज पर एक फ्लड लाइट जाकर गिरी और उसे लाइट के बीचों बीच दो लोग खड़े थे जो आज के म्यूजिक सेरेमनी को शुरू करने वाले थे। उन्हें देखकर कुहू जोर से चिल्लाई "चित्रा मॉम....!!!"
कुहू बहुत ज्यादा एक्साइटेड थी। ये पहली बार था जब वह चित्रा को इस तरह सेंटर ऑफ़ अट्रैक्शन बनते देख रही थी। यों तो हमारी चित्रा सबसे अलग थी लेकिन आज वह प्रॉपर परफॉर्मेंस देने वाली थी। चित्रा सेंटर स्टेज पर अपना पोजीशन लिए खड़ी थी और निक्षय ने अपना हाथ आगे बढ़ाया। चित्रा ने निक्षय के हाथ में हाथ डाला और दोनों ने सालसा डांस शुरू किया। कुहू की एक्साइटमेंट बढ़ती जा रही थी और उस एक्साइटमेंट को बढ़ाने के लिए स्टेज पर एक और फ्लड लाइट आकर गिरा। उसके नीचे से शिवि और पार्थ थे। उन दोनों ने भी चित्रा और निक्षय को फॉलो करना शुरू किया।
शिवि को वहां देख सिर्फ कुहू ही नहीं बल्कि वहां मौजूद पूरे घर वाले किसी से उछल पड़े। क्योंकि डांस और शिवि कहीं दूर-दूर तक कोई रिश्ता नहीं था और ऐसे में शिवि को डांस करते देख सब की खुशी का ठिकाना नहीं रहा सिवाए कुणाल के। क्योंकि शिवि पार्थ के साथ डांस कर रही थी और दोनों काफी क्लोज नजर आ रहे थे। श्यामा तो अपनी बेटी का डांस रिकॉर्ड करने में लगी थी।
परफॉर्मेंस खत्म होते ही वहां फिर से अंधेरा छा गया और कुहू अपनी जगह से उछल कर तालियां बजने लगी। कुहू को ऐसे बच्चों की तरह रिएक्ट करते देख कुणाल ने उसे संभाल और कहा "क्या कर रही हो तुम? सब देख रहे हैं!"
कुहू बेबाकी से बोली "देखने दो! आज जो मैंने देखा है मुझे कभी लाइफ में देखने को नहीं मिला। मैं तो आज सिटी बजा कर रहूंगी।" कुणाल जब तक उसे रोकता, कुहू ने वाकई एक जोर की सिटी बजाई।
हाल में अब हल्की-हल्की रोशनी करती गई थी ताकि लोग एक दूसरे से टकराए नहीं और अपने साथ बैठे इंसान को पहचान सके। इसी रोशनी में सुहानी ने अपने बगल में बैठे इंसान को देखा तो चौंक गई। उसके बगल में कार्तिक सिंघानिया बैठा हुआ था जिसका ध्यान उस पर बिल्कुल नहीं था। सुहानी चुपचाप उठी और वहां से चली गई।
निशि भी अपने मम्मी पापा के साथ बैठकर यह सब इंजॉय कर रही थी। रेनू जी की नजर जब अपनी बेटी पर गई तो उन्होंने खुश होकर कहा "मैं दावे से कह सकती हूं इसमें सारा का सारा दिमाग पर सारी प्लानिंग सिर्फ और सिर्फ अव्यांश की है। कोई इतना परफेक्ट कैसे हो सकता है! मुझे तो तेरी नजर उतारती चाहिए कि तुझे ऐसा पति मिला है।"
परफेक्ट? क्या वाकई अव्यांश परफेक्ट है? आजतक मां ने तो कभी पापा को भी परफेक्ट नही कहा!' निशि सोच में पड़ गई। हल्की रोशनी में भी वह अपनी मां का चेहरा बहुत अच्छे से देख सकती थी। अव्यांश की तारीफ करते हुए रेनू जी के चेहरे पर शिकन नाम की कोई चीज नहीं थी। मिश्रा जी भी काफी खुश नजर आ रहे थे।
एक बार फिर से सेंटर की लाइट ऑन हुई और इस बार अव्यांश सबके सामने था। ऊपर से गिरती लाइट और उस कलर कॉम्बिनेशन में वो और भी ज्यादा हैंडसम लग रहा था। निशि ने बड़े ध्यान से अव्यांश को देखा। उसके बिखरे हुए बाल बड़े करिने से सेट किए हुए थे। उसने मन ही मन सोचा 'यह...... इसने इतनी जल्दी अपने बाल कैसे ठीक कर लिए, वह भी इतना बिजी होते हुए? इसको तो एक घंटा लगता है।'
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