सुन मेरे हमसफर 227

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     अव्यांश ने कार्तिक सिंघानिया को अजीब नज़रों से सर से पैर तक घूर कर देखा और बोला "तुम शादी से भाग क्यों रहे हो? तुम में कोई प्रॉब्लम है क्या? आई मीन, देखो हमारी सोच ऐसी नहीं है कि हम तुम्हें जज करेंगे। अगर तुम्हें लड़कियों में इंटरेस्ट नहीं है तो फिर इसमें शर्माने या छुपाने वाली कोई बात नहीं है। तुम चाहो तो मुझे खुलकर बता सकते हो। या फिर अगर बात कुछ और है तो फिर.........!"


     कार्तिक सिंघानिया भौचक्का रह गया। उसे बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी कि अव्यांश उसकी बात का ये मतलब निकलेगा। उसने जल्दी से कहा "तुम गलत समझ रहे हो ऐसा कुछ नहीं है। तुम गलत पटरी पर जा रहे हो।"


     लेकिन अव्यांश ने उसे समझाते हुए कहा "देखो कार्तिक! मैं समझ रहा हूं, कोई भी इंसान जो नॉर्मल से थोड़ा हटके होता है या फिर उसे कोई प्रॉब्लम होती है और वह भी ऐसी वैसी वाली प्रॉब्लम तो वह किसी से कुछ भी कहने में शरमाता है, झिझक सकता है। और उसका सबसे पहले थॉट यह होती है कि कोई उसे जज करेगा। हम ऐसे नही है। देखो! तुम नॉर्मल हो या नहीं हो इससे हमे कोई फर्क नहीं पड़ता।"


     अव्यांश की बेसिर पैर की बात सुनकर कार्तिक सिंघानिया ने अपने बाल नोच लिए और चिल्लाते हुए बोला "अरे यार! मैं नॉर्मल हूं और मुझे कोई प्रॉब्लम नहीं है हेल्थी हूं मैं पूरी तरह से अव्यांश ने सवाल या नजरों से उसकी तरफ देखा तो कार्तिक सिंघानिया बोला मेरी एक गर्लफ्रेंड थी स्कूल टाइम में जो मेरी मम्मी को पसंद नहीं थी उसके बाद से कभी किसी लड़की से हुकअप करने का सोचा नहीं दोस्ती तक ठीक है वह कहते हैं ना पहला प्यार मेरी प्रॉब्लम यही है वह मेरी पहली और इकलौती गर्लफ्रेंड थी उसके बाद मैंने अपना पूरा फोकस अपनी पढ़ाई और करियर को दिया और एक वही वजह है जिसके कारण मैं शादी से भागता हूं और इस तरह के किसी रिलेशन से भी।"


     अव्यांश ने सुनी तो उसे बहुत अजीब लगा। क्योंकि कोई इंसान इस उम्र में रिलेशनशिप से भागता है वह भी अपनी एक इकलौती गर्लफ्रेंड की वजह से, इसमें उसे कोई लॉजिक नजर नहीं आया। इसलिए उसने समझते हुए कहा देखा"देखो कार्तिक! मेरी भी स्कूल में काफी सारी गर्लफ्रेंड रही है और स्कूल के बाद भी मेरे भी बहुत से ब्रेकअप हुए हैं। कई सारी तो मेरी मम्मी को पसंद नहीं थी और कहीं तो मेरे डैड को भी पसंद नहीं थी लेकिन इसका मतलब यह तो नहीं कि मैंने शादी नहीं की। अगर तुम्हें कोई और प्रॉब्लम हो तो फिर तुम कह सकते हो। मुझसे छुपाने की जरूरत नहीं है।"


    कार्तिक सिंघानिया झूंझलाकर बोला "तुम फिर उसी लाइन पर चले गए यार! मैंने कहा ना मैं इमोशनली बहुत वीक हूं एक और ब्रेकअप में हैंडल नहीं कर पाऊंगा बस इसी से डरता हूं। तुम्हें मानना है तो मानो नहीं मानना है मत मानो मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता। अगर तुम्हारी बात हो गई हो तो मुझे जाना है।" अव्यांश की बातों से परेशान कार्तिक सिंघानिया वहां से फौरन निकल गया। 


    पीछे खड़ा अव्यांश सोचता रह गया कि वह इस बारे में किस से बात करें और क्या। एक तरफ सुहानी दूसरी तरफ कायरा। घरवाले काया और कार्तिक सिंघानिया के रिश्ते की बात कर रहे हैं और इधर कार्तिक सिंघानिया सुहानी से ज्यादा क्लोज फील करता है। हे भगवान! मेरी बहनों की लाइफ में ऐसा क्यों लिखा है? क्या इन चारों की लाइफ में कुछ भी सीधे से नहीं हो सकता?' 


    अव्यांश परेशान खड़ा ऐसी सबके बारे में सोच रहा था तभी काया ने उसे करने से पकड़ा और जोर से हिलाते हुए कहा भाई कहां हो तुम कहां गुम हो अव्यांश अपनी सोच से बाहर निकाला और घबरा कर बोला यही तो हूं तेरे सामने इतना चिल्ला क्यों रही है काया परेशान होकर बोली चिल्लाओ नहीं तो क्या करूं यहीं पर हो लेकिन कब से आवाज दे रही हूं सुनाई नहीं देता क्या होते तब तो सुनते अव्यांश के दिमाग में ऐसे ही बहुत कुछ चल रहा था उसने सीधे से सवाल किया क्या काम था काया भूली गई थी क्यों से अव्यांश से कुछ काम था उसने अपने सर पर हाथ मारा और बोली भाई वह मैं पूछ रही थी कि बड़े पापा के जो वह दोस्त है ना जिनका बेटा जीजू का दोस्त है वह लोग अव्यांश ने सीधे से सवाल किया तो कार्तिक सिंघानिया की बात कर रही है काया ने अपना सर नीचे कर लिया अव्यांश बोल मुझे तेरी कोई बात छिपी नहीं है तुम मेरे सामने तो बहाने मत बना और वैसे भी उसके घर वाले आए हुए हैं शक्ल देखकर पहचान जाएगी उन लोगों को अव्यांश को लगा उसने काया को उसके सवाल का जवाब दे दिया है इसलिए वह वहां से जाने लगा काया एकदम से उछलते हुए उसके पीछे आई और अव्यांश को रोकते हुए बोली लेकिन भाई मैं क्या सोच रही थी अव्यांश चलते-चलते एक तब से पलटा और बोला तुझे उसके पेरेंट्स से मिलना है तो थोड़ा इंतजार करना होगा यह बात घर वालों ने शुरू की थी उन्हें ही करने दे अपनी एक्साइटमेंट कंट्रोल कर वरना सब गड़बड़ कर देगी



*****



    समर्थ तन्वी का इंतजार कर रहा था लेकिन तन्वी बस 5 मिनट बोलकर आधा घंटा लग चुकी थी। इस वक्त वह उसी वेन्यू के एक कमरे के बाहर खड़ा था। उसने एक बार फिर आवाज लगाई "तन्वी! यार जल्दी करो। सबसे लेट हम लोग होंगे। सारे मेहमान आ रहे हैं और सबको रिसीव करने की जिम्मेदारी बेचारे अकेले अव्यांश पर आ गई है।"


      तन्वी ने जल्दी से दरवाजा खोला और अपने कान में एक झुमका डालते हुए बोली "मैं तैयार हूं, चलते हैं।"


     समर्थ ने तन्वी को एक नजर सर से पैर तक देखा। इस सिल्वर पिक लहंगे में तन्वी बहुत खूबसूरत लग रही थी। वह तन्वी को देखकर मुस्कुराने लगा तो तन्वी ने पूछा "क्या हुआ, अब देर नहीं हो रही?"


   समर्थ ने तन्वी की आंखों से हल्का सा काजल लेकर उसे कान के पीछे लगाया और बोला "किसी की नजर ना लगे। बहुत खूबसूरत लग रही हो।"


    तन्वी शरमा कर रह गई और बोली "अब चले?"


     समर्थ ने तन्वी का हाथ पकड़ा और उसे लेकर जैसे ही निकलने को हुआ, एक तेज तूफान से वह टकराया। दोनों की चीख निकल गई।

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