सुन मेरे हमसफर 158
158 अव्यांश की आवाज से निशि डर गई। उसे लगा अव्यांश अब जरूर उसे डांटेगा और गुस्सा करेगा। वह दो कदम पीछे हटी और बोली "नहीं मैं......... मैं जानबूझकर यहां नहीं आई थी। मैंने तो बस यहां से कुछ आवाज सुनी थी तो मैं चली आई। मैं तो ऊपर छत पर जा रही थी।" अव्यांश एकदम से उसके पास आया और बिना कुछ कहे निशी को अपनी गोद में उठा लिया। निशी घबरा कर बोली "क्या कर रहे हो तुम? अव्यांश देखो! तुम मुझे यहां से फेक नहीं सकते। घर वाले सभी ऊपर है, जब उन्हें पता चलेगा तो वह तुम्हें बहुत डांटेंगे।" निशि की बचकानी बात सुनकर अव्यांश को हंसी आ गई। वो निशी को लेकर ऊपर सीढ़ियों की तरफ बढ़ा तो निशि और ज्यादा घबरा गई। उसने अव्यांश के कंधे पर मुक्का मारते हुए कहा "छोड़ो मुझे, उतारो! तुम इतनी सी बात के लिए मुझे छत से फेंकने जा रहे हो? मत भूलो कि सब लोग ऊपर ही है। वह तुम्हें ऐसा नहीं करने देंगे।" अव्यांश भी उसके मजे लेते हुए बोला "अरे हां! यह बात तो मैंने सोचा ही नहीं। छत पर सब लोग हैं, उन्होंने अगर देख लिया तो मैं जो करने वाला हूं वह क...