सुन मेरे हमसफर 151

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   शिवि को एहसास ही नहीं था कि जहां उसने गाड़ी को ब्रेक मारी थी वह रास्ता नहीं बल्कि उसी मॉल का पार्किंग एरिया था जहां कुहू बाकी सब के साथ शॉपिंग करने आई थी। और किसी की नजर उन दोनों पर ही गड़ी हुई थी।


     शिवि थोड़ा सा नरम पड़ी और उसने कहा "गलतफहमियां जितनी जल्दी मिटा दी जाए उतना ही अच्छा होता है। किसी भी घाव को बढ़ने देने की बजाय शुरू में ही उसका इलाज कर दिया जाए तो इंसान की जान बच सकती है। तुम्हें नहीं लगता कि तुमने काफी देर कर दी है। अगर ऐसा ही था तो तुम्हें यह सगाई करनी ही नहीं चाहिए थी।"


     कुणाल अपनी बेबसी पर मुस्करा उठा। उसने पीछे सीट पर अपना सर लगाया और बोला "मैंने तो हर मुमकिन कोशिश की थी। घर वालों ने मेरे सामने शर्त रखी थी की सगाई से पहले अगर मुझे मेरी पसंद की लड़की ना मिली तो मुझे कुहू से शादी करनी होगी और अगर मिल गई तो यह रिश्ता हमेशा के लिए टूट जाएगा। मेरे पास यह आखरी मौका था उसे ढूंढने का लेकिन मेरी किस्मत जिसने मुझे कुहू के साथ बांध दिया।"


    शिवि को कुणाल की आंखों में वह बेबसी साफ नजर आ रही थी। उसने पूछा "तो अब क्यों ये रिश्ता तोड़ना चाहते हो? क्या वह लड़की तुम्हें मिल गई?"


     कुणाल ने मुस्कुराकर शिवि की तरफ देखा और कहा "मिली। मिली वह लड़की मुझे, वह लड़की जिससे मैं कब प्यार कर बैठा मुझे पता ही नहीं चला। मिली वो जिसे ढूंढने के लिए मैं पागलों की तरह भटकता फिरा। हां मिली वो लेकिन कुहू से सगाई के बाद। अब मेरी समझ नहीं आ रहा कि मैं क्या करूं। अगर उसके लिए मैं इस रिश्ते को तोड़ता हूं तो वह कभी मेरे पास नहीं आएगी।"


     शिवि को कुणाल की बाते कुछ समझ आई और कुछ नहीं आई। उसने पूछा "कुहू दी से रिश्ता तोड़ने के बाद भी वह लड़की तुम्हारे लाइफ में नहीं आएगी, ये बात तुम जानते हो तो फिर क्यों कर रहे हो यह सब? तुम्हें पता है कुहू दी तुमसे कितना प्यार करती है! देखो मिस्टर रायचंद! सच कहूं तो मैं भी बिल्कुल नहीं चाहती कि यह शादी हो, क्योंकि मैं जानती हूं मेरी बहन कभी खुश नहीं रह पाएगी। इसके बावजूद मैं तुमसे यह सवाल कर रही हूं। मुझे हक है अपनी बहन की खुशियों के बारे में जानने का।"


     कुणाल मुस्कुरा कर बोला "मैं जानता हूं वह मेरी लाइफ में वापस नहीं आएगी। मैं तो मान चुका था की वह कोई छलावा है, मेरी नजरों का धोखा है। लेकिन अचानक ही सच्चाई बनकर वह मेरे सामने खड़ी हो गई। अगर वह मुझे ना मिली होती तो मैं खुशी-खुशी कुहू को अपनाने को तैयार था। जानता हूं वह मुझे बहुत प्यार करती है लेकिन मैं उसके प्यार का अपमान नहीं करना चाहता। उसके साथ होते हुए मैं किसी और के बारे में सोचू, ये तो साफ साफ उसके साथ अन्याय होगा। सब कुछ तो ठीक था। मान चुका था कि ये सब मेरा भ्रम है, मान चुका था कि जिसे मैं ढूंढ रहा हूं वह कभी नहीं मिलेगी लेकिन अब जब मैं जानता हूं कि वह कौन है तो मैं चाह कर भी कुहू को वो प्यार नहीं दे पाऊंगा जो उसे चाहिए होगा, जिस पर उसका हक है। मैं जानता हूं कभी वह मेरी लाइफ में नहीं आएगी लेकिन सिर्फ इसलिए कि वह मेरी लाइफ में नहीं आएगी मैं कुहू की लाइफ बर्बाद नहीं कर सकता। वह मेरी लाइफ में आए या ना आए, वो अलग बात है लेकिन कुहू को पूरा हक है अपनी जिंदगी की खुशियों को महसूस करने का, और यह शादी उसे ऐसा करने नहीं देगी। मुझे अपने प्यार को खोने का दर्द नहीं है क्योंकि इस दर्द को मैं पिछले 1 साल से महसूस कर रहा हूं। मुझे इसकी आदत पड़ चुकी है। लेकिन मैं अपने दोस्त को नहीं खो सकता। प्लीज शिवि! समझओ उसे मनाओ उसे की वो इस रिश्ते से इनकार कर दे।"


    शिवि ने सीधे से सवाल किया "क्या मैं जान सकती हूं कि लड़की कौन है?"  



*****





   "मुंह खोला उसने?" अव्यांश ने सवाल किया तो वो आदमी बोला, "नही सर! हमने बहुत कोशिश की लेकिन इतना तोड़ने के बाद भी वो कुछ बोलने को तैयार नहीं है।"


     अव्यांश तेजी में आगे बढ़ा और एक साथ दो सीढ़ियां लांघता हुआ ऊपर की तरफ थर्ड फ्लोर पर पहुंचा। पीछे-पीछे वह आदमी भी लगभग दौड़ते हुए अव्यांश के साथ ही ऊपर पहुंचा। वहां अव्यांश के कुछ बॉडीगार्ड खड़े थे और बीच में कोई कुर्सी पर रस्सियों से बंधा पड़ा था। 


   अव्यांश ने पहले तो उसे इंसान को सर से पैर तक अच्छे से घूर कर देखा और फिर बड़े आराम से उसके पास चल कर आया। एक बॉडीगार्ड ने जाकर जल्दी से अव्यांश के लिए कुर्सी लगाई और वापस अपनी पोजीशन में खड़ा हो गया। अव्यांश उस कुर्सी पर बैठ गया और बड़े आराम से अपने पैर पर पैर चढ़ाकर सामने बैठे इंसान को देखता रहा। उस इंसान की हालत ठीक से पहचान में नहीं आ रही थी। अव्यांश के बॉडीगार्ड ने जैसे अपनी सारी ताकत उसे पर लगा दी थी।


     कुछ देर उसे यूं ही देखने के बाद अव्यांश ने अपने दोनों पैर जमीन पर रखे और थोड़ा सा झुककर उसकी तरफ देखते हुए बोला "क्या मिला तुम्हें यह सब करके? अच्छी खासी लाइफ एंजॉय कर रहे थे, एक अच्छी सी जॉब थी। सब कुछ भूल कर तुम्हें आगे बढ़ना चाहिए था, लेकिन नहीं! तुम्हें तो अपनी लाइफ स्पॉइल करनी थी। तुमने की एक बार भी अपने मां बाप के बारे में नहीं सोचा? अपने करियर के बारे में नहीं सोचा, अपने फ्यूचर के बारे में नहीं सोचा?"


     उस आदमी ने धीरे से अपनी आंखें खोली। सूजन के कारण उसकी आंखें ठीक से खुल भी नहीं पा रही थी। बड़ी मुश्किल से उसने अव्यांश की तरफ देखा और कुछ कहने के लिए अपना मुंह खोला लेकिन जबड़े के दर्द के कारण वह कुछ बोल नहीं पाया। अव्यांश ने थोड़ा नरम लहजे में पूछा "मेरी तुमसे कभी कोई दुश्मनी नहीं रही। तुम तो मुझे ठीक से जानते तक नहीं तो फिर तुमने यह सब क्यों किया? आई नो की यह सब कोई पहली बार नहीं है। ट्रक वाले को भी तुम ने ही पैसे दिए थे हमारा एक्सीडेंट करवाने को, लेकिन शिकार कोई और बना, है ना? लेकिन एक सवाल और भी कि इतने पैसे तुम्हारे पास आए कहां से? सच-सच बताओ, कौन है वह जिसके इशारे पर तुमने यह सब कुछ किया?"


टिप्पणियाँ

  1. Aaj ka part bhout hi aacha hai.. Aaj pehli baar kunal khul kr apne mann ki baat kisi se shere kr rha hai aur bechare ka bhagye to dekho jisse baat kr rha hai vhi uska pyar hai.. Pr vo apne mann ko aache se samjha chuka hai k use ku hu se shadi todne ke baad bhi uska pyar nhi milega.. Pr kya kuhu ko nhi smjhna chayee k vo ek baar khul kr kunal se baat kre.. Girls ki six sense to bhout strong hoti hai phir kyu kuhu apni jindgi barbad krne pr tuli hai.. I hope kunal aur shivi ki baato ke baad shivi ka najariya kunal ko lekr kuch theek hoga

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