सुन मेरे हमसफर 153

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    शिवि के चेहरे का उड़ा रंग देखकर कुणाल बोला "तुम इतना मत सोचो। मैं जानता हूं तुम कुहू बहन हो इसलिए उसके बारे में सोच कर ही तुमने मुझसे ऐसा सवाल किया। तुम्हारी जगह कोई और होता तो वह भी यही करता।" शिवि ने राहत की सांस ली। उसे इस वक्त और किसी पर नही बल्कि पार्थ पर गुस्सा आ रहा था जिसने उसके दिमाग में उल्टा सीधा शक का बीज डाल दिया था।


    कुणाल आगे बोला, "सच कहूं तो मैं खुद भी उसे सब कुछ बताना चाहता हूं। मैं चिल्ला चिल्ला कर उसका नाम पुकारना चाहता हूं लेकिन ऐसा नहीं कर सकता। मैं जानता हूं वह मुझे कुछ खास पसंद नहीं करती। अगर मैंने ऐसा कुछ किया तो वह मुझसे और नफरत करने लगेगी। सच कहूं तो मैं तुम्हें बताना चाहता हूं उसका नाम, लेकिन मुझे डर..........."


    उसी वक्त शिवि की तरफ वाली खिड़की के शीशे पर किसी ने नॉक किया। शिवि और कुणाल, दोनों ही चौंक गए। शिवि ने गाड़ी का शीशा नीचे किया तो उस आदमी ने कहा "मैडम! गाड़ी पार्किंग में ही रखनी है तो रशीद तो कटवा लो! वरना इधर से उधर हो गई तो सिक्योरिटी सही नहीं है कहकर आप लोग ही हमारे ऊपर हमला बोल देंगे।"


     शिवि को एहसास हुआ कि वह लोग अभी मॉल के पार्किंग एरिया में है। उसने जल्दी से अपने पास से कुछ पैसे निकालने चाहे लेकिन पता नहीं क्यों उसके हाथ कांप रहे थे। कुणाल ने जल्दी से अपनी पॉकेट से कुछ पैसे निकाले और पार्किंग मैनेजर की तरफ बढ़ा दिया। ऐसा करते हुए कुणाल शिवि के बेहद करीब आ गया था।


    शिवि घबराकर थोड़ा सा पीछे की तरफ झुकी लेकिन उसे महसूस हुआ कि कुणाल की नजर इस पर गड़ी थी। उस पार्किंग वाले ने पैसे लेकर एक छोटा सा रिसिप्ट कुणाल के हाथ में पकड़ाते हुए कहा "यह पार्किंग एरिया है, यहां लोग आते जाते रहते हैं। उन्हें डिस्टर्ब हो सकता है। आप लोग अपनी गाड़ी सही जगह पर पार्क करिए। और हां! प्लीज आप लोग कहीं और जाकर रोमांस कीजिए।"


     शिवि एकदम से हड़बड़ा गई। उसने डांटते हुए कहा "एक्सक्यूज मी! यह क्या तरीका है किसी से बात करने का? हम तुम्हें यहां ऐसी वैसी हरकत करते नजर आ रहे है? हम सिर्फ बात कर रहे थे।"


    पार्किंग मैनेजर अपनी मशीन संभालते हुए बोला "इतनी देर से आप लोग यहां गाड़ी में बैठकर कर क्या रहे हो, हमे क्या पता? कितनी देर से आप लोग यहां हो, किसी को भी यही कंफ्यूजन होगा, इसमें मेरी क्या गलती? चाहे आप जो कुछ भी कर रहे हो, लोग तो यही समझेंगे। आप प्लीज गाड़ी को साइड में लगाइए।" इतना कहकर वह बंदा बड़ी बेफिक्री से वहां से चला गया।


     घबराहट और शर्म से शिवि का चेहरा लाल पड़ गया। कुछ ऐसा ही हाल कुणाल का भी था, लेकिन उसका चेहरा शर्म से थोड़ा गुलाबी हो गया था। यह तो अच्छा था कि शिवि कुणाल की तरफ देखा नहीं रही थी। शिवि ने गाड़ी को सही लाइन में पार्क किया और बिना कुणाल की तरफ देखें बाहर निकल गई। कुणाल भी उसके पीछे गाड़ी से निकल आया। अब उन दोनों को ही कुहू से मिलना था।




*****




     सारांश अपने केबिन में बैठे थे। उनका काम खत्म हो चुका था इसके बावजूद उनका घर जाने का कोई इरादा नहीं था। सिद्धार्थ ने जब उन्हें इस तरह अपने केबिन में बैठा पाया तो बोले "इंतहा हो गई इंतजार की। आई ना कुछ खबर, मेरे यार की।"


     सारांश ने चौक कर सिद्धार्थ की तरफ देखा और पूछा "अचानक से आपको गाने में इंटरेस्ट कहां से आ गया? और आप क्या भाभी का इंतजार कर रहे हो? आई नहीं वो अभी तक? लेकिन वो तो घर जा चुकी है।"


    सिद्धार्थ जाकर चुपचाप सामने कुर्सी पर बैठकर और बोले "मैं तो अभी अपनी वाली के पास ही जा रहा हूं। लेकिन तेरी तो अभी इस टाइम ऑफिस आएगी नहीं, क्योंकि तुम दोनों के डेट का कोई प्लान नहीं है तो फिर तू यहां किसका इंतजार कर रहा है? घर नहीं जाना क्या? कहीं ऐसा तो नहीं कि अवनी के पीठ पीछे तू यहां किसी को मिलने...........! राम राम राम!!! इस उम्र में यह सब करते हुए तुझे शर्म नहीं आ रही? दो बच्चों का बाप है एक बहू भी है।"


    सारांश आंखें बड़ी-बड़ी करके बोले "क्या बात कर रहे हो भाई आप!! अगर अवनी को पता चल गया तो मुझे कच्चा चबा जाएगी।"


     सिद्धार्थ हंसते हुए बोले "यही तो मैं चाहता हूं कि तेरी अच्छे से कुटाई हो। वह सब छोड़ और यह बता, तुझे घर नहीं जाना? सब लोग घर जा चुके हैं।"


   सारांश बोले "नही भाई, आप जाओ मैं थोड़ी देर के बाद आऊंगा। कुछ काम है।"


     सिद्धार्थ शक जाहिर करते हुए बोले "मतलब तू सच में किसी का इंतजार कर रहा है?"


     सारांश ने इनकार करना चाहा तो सिद्धार्थ बोले "मेरे से झूठ मत बोलना। तेरा लैपटॉप बंद है यानी कि तेरा काम खत्म हो चुका है। सच सच बता, बात क्या है?"


     सारांश ने गहरी सांस ली और बोले "लगता है आपको सब कुछ सच-सच बताना ही पड़ेगा।"


   "अब आया ट्रैक पर। जल्दी बक।"


    "अंशु का वेट कर रहा हूं।"


    सिद्धार्थ ने पीछे मुड़कर दरवाजे की तरफ देखा और बाहर की तरफ झांकते हुए बोले "लेकिन वह तो चला गया है, फिर वह वापस क्यों आएगा? तू बेवजह उसका इंतजार कर रहा है। और वैसे भी, जो भी बात करनी है घर चलकर कर लेना। अभी वह और निशि कहीं बाहर निकले होंगे। तू क्यों उनको डिस्टर्ब कर रहा है?"


     सारांश मुस्कुरा कर बोले "बाप हूं उसका, जब चाहूं उसे डिस्टर्ब कर सकता हूं। वैसे भी, करता क्या है वह घूमने फिरने के अलावा। बुलाया है मैंने उसे, अच्छे से डांट लगाऊंगा इस बार।"


     सिद्धार्थ अपनी जगह से खड़े होकर बोले "वह तो तू घर पर भी कर सकता है। चल यहां से वरना अवनी तेरे लिए परेशान होगी।"


    सारांश बोले "बिल्कुल नहीं! अवनी के रहते मैं कभी अंशु को डांट नही पाऊंगा। वो मुझे ऐसा करने ही नहीं देती। यहां मौका मिलेगा तो अच्छे से उसे सीधा करना है।"


     सिद्धार्थ अपनी कमर पर हाथ रख कर बोले "अच्छा! जैसे तू उसे डांटने देता है! और यह बात तू कर रहा है? अंशु को अगर किसी से डांट पड़ती है तो वह सिर्फ और सिर्फ अवनी है, और उसे भी तू डांटने नहीं देता। आज तू खुद अपने बेटे को डांटने की बात कर रहा है? अचानक से तेरा हृदय परिवर्तन कहां से हुआ, जरा बताना मुझे?"


     सारांश ने कहना चाहा, "आ रहा है वो तो आप........."



 "डैड! चाचू!! आप लोग अभी तक यहां क्या कर रहे हैं? घर चलिए मॉम का फोन आया था। वह तो शाम से पहले ही घर के लिए निकल गई थी और आप लोगों का इंतजार कर रही है।" समर्थ की आवाज सुनकर सिद्धार्थ ने पलट कर देखा।


     सारांश सिद्धार्थ को समर्थ की तरफ दिखाते हुए बोले "घर से फरमान आ गया है भाई, अब जाइए।" सारांश को वहीं छोड़ सिद्धार्थ समर्थ के साथ ऑफिस से बाहर निकल गए। सारांश एक बार फिर गंभीर मुद्रा में वहां बैठे रह गए।




  

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