सुन मेरे हमसफर 149

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शिवि को कुणाल की कोई भी बकवास नहीं सुननी थी। उसने कुणाल को इग्नोर किया और वहां से जाने लगी तो कुणाल ने उसे पीछे से आवाज लगाई और कहा "शिविका सुनो! मेरा एक्सीडेंट हुआ है, क्या तुम मुझे लिफ्ट दे सकती हो?"


   शिवि ने नाम बिना मुड़े कहा "एक्सीडेंट मेरा भी हुआ है शायद, अकेले तुम्हारा नहीं।"


      कुणाल दौड़कर जाकर शिवि के सामने खड़ा हो गया और बोला "मानता हूं एक्सीडेंट हम दोनों का हुआ है, लेकिन मेरे सर पर चोट आई है और मेरा सर इस वक्त बहुत ज्यादा घूम रहा है। ड्राइवर को साथ नहीं लाया और अभी गाड़ी ड्राइव नहीं कर पाऊंगा मैं।"


    शिवि ने बड़ी लापरवाही से जवाब दिया "जहीर सी बात है, ड्राइवर लाते तो ये सब होता ही नही। खैर! यहां पर बहुत सारी टैक्सी घूम रही है। चाहो तो ऑटो कर लो और निकल जाओ। तुम मेरी प्रॉब्लम नहीं हो।"


     कुणाल मन ही मन बोला 'आप पर से सीधे तुम पर आ गई। ऐसे भी क्या नाराजगी जो सीधे मुंह बात नहीं कर सकती।' उसने मुस्कुरा कर कहा "बात वह नहीं है। एक्चुअली मैं कंफर्टेबल नहीं हो पाऊंगा। और अगर मैं रास्ते में बेहोश हो गया तो? प्लीज! अगर तुम मुझे लिफ्ट दे दो तो मेरा ही फायदा है। अगर रास्ते में मुझे कुछ हो गया तो एंबुलेंस के आगे सुसाइड करने जैसा ही बात होगा।"


    शिवि झुंझला कर बोली "आपका दिमाग खराब है?"


     कुणाल ने ना में सिर हीलाया तो शिवि बोली "हो भी सकता है। सर पर चोट आई है तो हो सकता है कि सर में कोई नस दब गई हो जिससे आपके दिमाग तक ब्लड सर्कुलेशन ना पहुंच रहा हो।"


   कुणाल मासूमियत से बोला, "फिलहाल तो ऐसा कोई चक्कर नहीं है। और मेरे दिमाग की हालत बिल्कुल ठीक है। लेकिन लगता है तुम्हारे पीछे मैं पक्का पागल हो जाऊंगा।"


    शिवि ने उसे घूर कर देखा और बोली "कुछ कहा आपने?"


    कुणाल थोड़ी ऊंची आवाज में बोला "नहीं नहीं! मेरे कहने का मतलब, मैं बिल्कुल ठीक हूं मुझे कुछ नहीं हुआ है। लेकिन बस सिर दर्द कर रहा है और चक्कर आ रहे हैं। इसलिए कह रहा था, अगर आप मुझे लिफ्ट देती तो मैं किसी को बोलकर अपनी गाड़ी यहां से हटवा लूंगा। वैसे भी ये गाड़ी अब इस हालत में नहीं है कि चला सकूं।"


     शिवि परेशान होकर बोली "तुम्हारा दिमाग वाकई खराब हो चुका है। हमारी गाड़ी की टक्कर आमने-सामने हुई थी। इसका मतलब समझ रहे हो?"


     कुणाल ने अपनी गाड़ी की तरफ देखा, फिर शिवि की गाड़ी की तरफ और अपने दोनों कंधे उचका दिए। शिवि बोली "इसका मतलब हम दोनों ही अलग-अलग डायरेक्शन में जा रहे थे। मुझे नहीं पता तुम कहां जा रहे थे और तुम्हें नहीं पता कि मैं कहां जा रही थी।"


     कुणाल जल्दी से सफाई देते हुए बोला "मैं एक्चुअली कुहू से मिलने जा रहा था। मैं उससे मिलने उसके घर गया था लेकिन वह घर पर नहीं थी। इस वक्त शॉपिंग करने निकली है वह। आई मीन, निकली तो सुबह ही थी लेकिन अभी तक घर नहीं आई है तो मैंने सोचा कि मैं उसको वही शॉपिंग मॉल में ही मिल लेता हूं। तुम चलोगी मेरे साथ, प्लीज!" कुणाल चाहता था कि उसके और कुहू के बीच जो भी बातें हो वह शिवि के सामने हो ताकि आगे जाकर शिवि के मन में उसे लेकर कोई किसी तरह की गलतफहमी ना रहे। उसने उम्मीद भरी नजरों से शिवि की तरफ देखा।


    शिवि के माथे पर बल पड़ गए। उसने खुद से सवाल किया, 'कुणाल इतनी बेचैनी से कुहू को मिलने जा रहा था, आखिर क्यों? क्या वह कुछ कहना चाहता है? वो अपने मुंह से खुलकर कह दे, इसी में सब की भलाई है। कम से कमकुहू दी अपनी जिद तो छोड़ेगी। यही सही होगा सबके लिए।' सोचते हुए शिवि ने कुणाल से कहा, "ठीक है, मेरी भी थोड़ी शॉपिंग हो जायेगी। वैसे भी, कुहू दी की शिकायत रहती है कि मैं उनके साथ नहीं जाती।" फिर उसने कुणाल को गाड़ी में बैठने का इशारा किया। कुणाल को तो बस यही चाहिए था। वो जल्दी से जाकर गाड़ी के अंदर बैठ गया।


     शिवि ने ड्राइविंग सीट संभाल ली। अपना सीट बेल्ट लगाकर उसने गाड़ी स्टार्ट किया लेकिन गाड़ी आगे नहीं बढ़ाया। गाड़ी आगे बढ़ाने की बजाए वह आराम से सीट पर बैठ गई। कुणाल ने पूछा "किसी का इंतजार कर रही हो? कोई आने वाला है क्या?"


    शिवि ने बिना कुणाल की तरफ देखें कहा "जो एक बार गलती करें उसे हम इंसान कहते हैं, और समझदार वही होता है जो अपनी गलती दोबारा न रिपीट करें।"


     कुणाल भी इसी बात में सहमत होकर बोला "हां! और जो बार-बार गलती करता है उसे तो हम गधे से भी कंपेयर नहीं कर सकते।"


    शिवि मुस्कुरा कर बोली "बिल्कुल! हम तो उसे गधे से भी कंपेयर नहीं कर सकते क्योंकि पता है, गधों के अंदर भी थोड़े बेसिक सेंस होते हैं। वह इतने बेवकूफ नहीं होते जितना हम उन्हें समझते हैं। हम इंसान जो सीधे-सीधे सीढ़ियां चढ़ते हैं और आधे सीढ़ियों पर ही थक जाते हैं। लेकिन वही गधों को देख लो, वही सीढ़ियां चढ़ते हुए वह गधे थकते नहीं है। क्योंकि वह सीधे-सीधे नहीं चढ़ते हैं, बल्कि जिगजैग बनाकर चलते हैं, Z की तरह, जो की फिजिक्स का एक भी नियम है।"


     कुणाल थोड़ा कंफ्यूज होकर बोला "यह बात तो सही है। लेकिन तुम इस वक्त यह बातें क्यों कर रही हो? मैंने तो सिंपल सा पूछा था, क्या तुम्हें किसी का इंतजार है?"


     शिवि ने कुणाल की तरफ देखा और जबरदस्ती मुस्कुरा कर बोली "पिछली बार आपके सर पर चोट लगा था, क्योंकि आपने सीट बेल्ट नहीं लगाई थी। इस बार भी आपके सर पर चोट लगी है, जाहिर सी बात है इस बार भी अपने सीट बेल्ट नहीं लगाई होगी।"


    कुणाल ने कुछ बोलने के लिए अपना मुंह खोल लेकिन शब्द उसके कंठ से नहीं फूटे। शिवि समझ गई और उसकी तरफ प्वाइंट आउट कर कर बोली "अभी भी अपने सीट बेल्ट नहीं लगाया है।"


     कुणाल को अब ध्यान आया कि वाकई उसने सीट बेल्ट नहीं लगाया था और गधों की कहानी जो शिवि ने सुनाई वह सीधे-सीधे उसी के ऊपर थी। कुणाल शर्मिंदा हो गया और उसने जल्दी से अपना सीट बेल्ट लगा लिया। एक बार फिर शिवि के सामने उसकी इज्जत का फालूदा बन गया था।

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