सुन मेरे हमसफर 157

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    ऑफिस से निकलते हुए समर्थ गाड़ी लेकर दरवाजे पर ही खड़ा था। सिक्योरिटी गार्ड ने उसकी गाड़ी को बाहर खड़े देखा तो उसके पास आया और पूछा, "सर! कोई प्रॉब्लम है क्या? गाड़ी में कोई समस्या?"


    समर्थ इंकार करते हुए बोला, "नही मैं बस ऐसे ही। तुम जाओ अभी, मुझे थोड़ा टाइम और लगेगा।"


    वो गार्ड थोड़ा सा कंफ्यूज हो कर बोला, "लेकिन सर आप ऐसे! गाड़ी के अंदर बैठ जाते वरना सर्दी लग जायेगी आपको।"


    समर्थ सख्ती से बोला, "मैने कहा ना, तुम जाओ! मैं यही कंफर्टेबल हूं।" बेचारा गार्ड क्या ही कह सकता था! वो चुपचाप अपनी जगह जाकर वापस बैठ गया।


     समर्थ को तो तन्वी का इंतजार था जो ज्यादा लंबा नहीं था। तन्वी भी इस वक्त अव्यांश के बाकी सारे काम निपटा कर ऑफिस से बाहर ही निकल रही थी। उसकी नजर समर्थ पर गई तो समर्थ ने उसे अपनी तरफ आने का इशारा किया।


     तन्वी जाकर समर्थ के बगल में बैठ गई और अपना बैग पीछे तरफ रख कर अपने बालों का जुड़ा बना लिया। समर्थ ने इस बार उसे परेशान करना सही नहीं समझा। उसने गाड़ी स्टार्ट की और घर के लिए निकल पड़ा। तन्वी आराम से पीछे सीट एडजस्ट करके बैठ गई तो समर्थ ने पूछा "तुम्हारा बॉस कुछ ज्यादा खडूस नहीं हो रहा? मेरा मतलब, सारा काम तुमसे करवाता है और खुद इधर-उधर भागता फिरता है। तुम्हें अपने बॉस की अच्छे से खबर लेनी चाहिए। उसकी शिकायत सुपर बॉस से करो।"


    तन्वी आंखें बंद करके बोली, "मेरे बॉस के बारे में कुछ मत बोलना आप। बहुत अच्छे है वो और उनसे अच्छा बॉस मुझे कभी मिल ही नहीं सकता था। सारांश सर ने काफी सोच समझकर मेरे लिए ऐसे बॉस को चुना है।"


    समर्थ ने गाड़ी रोकी और मुंह बनाकर बोला, "हुंह! तुम्हारा बॉस कितना अच्छा है वो तो दिखता है मुझे और बाकी सबको। बस एक तुम ही आंखे बंद किए बैठी हो। उसका खडूसपन और कामचोरी तुम्हे नजर नहीं आ रही। बाद में पता चलेगा तुम्हें। उसकी क्लास लगाना ही पड़ेगा वरना हमारी शादी तक तुम्हारे चेहरे की सारी रौनक गायब हो जाएगी। झुर्रियां पड़ जायेगी।"


    तन्वी ने अभी भी अपनी आंखे नही खोली और पूछा "मेरे चेहरे की झुर्रियों से आपको फर्क पड़ता है?"


     समर्थ बिना कुछ सोचे बोला, "बिल्कुल नहीं।"


   "तो फिर........? प्रॉब्लम क्या है? खबरदार जो मेरे बॉस के बारे में कुछ भी उल्टा सीधा बोला तो! जब मैं बोल रही हूं कि मेरा बॉस सबसे अच्छा है तो क्यों आप उसके पीछे पड़े हो?" तन्वी ने सवाल किया तो समर्थ बोला, "मेरी ये समझ नही आ रहा कि तुम उसकी इतनी साइड क्यों ले रही हो? कुछ ज्यादा ही प्यार नही आ रहा तुम्हें उसपर?" तन्वी ने कुछ नहीं कहा, बस मुस्कुरा कर रह गई।


     समर्थ चिढ़कर बोला "अच्छा है! दोनो देवर भाभी मिलकर अभी से टीम बना रहे हो, बहुत अच्छा है!!" समर्थ ने नाराजगी दिखाई तो तन्वी ने मुस्कुरा कर समर्थ का चेहरा अपने दोनो हाथों में लेकर कहा "तो आपको तो खुश होना चाहिए कि सिर्फ आपसे ही नही बल्कि आपके पूरे परिवार से मेरा बॉन्ड स्ट्रॉन्ग हो रहा है। अव्यांश तो हमेशा से ही मुझे मानता था। भले ही सुहानी की दोस्त होने के नाते मुझे चिढ़ाता या परेशान करता था लेकिन कभी कोई तकलीफ नहीं होने दी। आज भी वो वैसा ही है।"


     समर्थ तन्वी की आंखों में आंखें डालकर बोला "और मैं?"


    तन्वी भी शरारत से बोली, "आप बहुत बदल गए हो। मुझे नहीं पता था कि आप ऐसे भी हो सकते है।" तन्वी ने खुद को समर्थ से दूर किया लेकिन समर्थ ने उसकी कमर में हाथ डालकर उसे अपनी तरफ खींच लिया।





*****


   



    निशी को इस वक्त सोना सही नही लगा। वो उठी और बाहर निकली। पूरे घर में शांति छाई थी। उसने इधर उधर देखा लेकिन कोई भी उसे नजर नहीं आया। इस वक्त घर के सभी छत पर चाय के साथ गप्पों का मजा उठा रहे थे और यह बात निशि जानती थी। अकेले उसे बहुत अजीब फील हो रहा था इसलिए वह भी छत की तरफ जाने को हुई लेकिन दूसरी तरफ के कॉर्नर पर बने एक कमरे से उसे कुछ आवाज आती हुई सुनाई दी।


      निशि ने चौक कर उसे ओर देखा और दो पल को वह ठहर गई। इतने दिन से वह इस घर में थी लेकिन अभी भी उसने पूरे घर को अच्छी तरह से नहीं देखा था और जहां से ये आवाज आ रही थी उसे तरफ तो वो कभी गई भी नहीं थी, और ना ही किसी से पूछा था कि उसे तरफ क्या है। बिना कुछ सोच निशी के कदम उस ओर बढ़ चले।


     जैसे जैसे वो अगर बढ़ती जा रही थी, आवाज साफ होती जा रही थी। गिटार के म्यूजिक की धुन निशि साफ़ सुन पा रही थी। इस घर में उसने इतने दिन में किसी को म्यूजिक इंस्ट्रूमेंट बजाते हुए नहीं सुना था। वैसे तो सबकी ही पर्सनालिटी ऐसी थी लेकिन वह कौन हो सकता है, निशी ये तय नहीं कर पा रही थी।


     एक कमरे के बाहर जाकर निशि के कदम रुक गए। दरवाजा बंद था लेकिन शायद अंदर से बंद नहीं हो, ये सोचकर उसने अंदर झांकने का सोचा। पहले तो वो थोड़ा सा घबराई। 'क्या मुझे झांक कर देखना चाहिए? ऐसे किसी के पर्सनल मोमेंट को स्पॉइल करना क्या सही होगा? लेकिन इसमें गलत क्या है! ऐसे तो परिवार में कभी किसी बात के लिए कोई रोक-टोक नहीं करता लेकिन अगर डांट पड़ी तो? क्यों डांटेगा कोई? अगर किसी ने डांटा तो मैं बोल दूंगी कि मुझे लगा कोई चोर है, क्योंकि सारे लोग तो ऊपर है ना! फिर यह कौन है जो इस तरह चुपचाप अकेले कमरे में बैठा गाना बजा रहा है?'


    अपने आप से सवाल जवाब करती निशि जाकर उस कमरे के दरवाजे पर टिक गई और वह दरवाजा एकदम से खुल गया। निशि लड़खड़ा कर गिरने को हुई लेकिन उसने जल्दी से उस दरवाजे को पकड़ा और खुद को गिरने से बचाया।


    कुछ देर अपने दिल की धड़कन को संभालने के बाद निशी ने चौंक कर कमरे के अंदर देखा क्योंकि म्यूजिक अभी भी चालू था जैसे अंदर बैठे इंसान को उसके आने ना आने से कोई फर्क ही नहीं पड़ा हो। निशी ने हैरानी से देखा तो सामने बैठे इंसान को देखकर चौंक गई।




*****




    कुहू को बाहर आने में वक्त था और इतने टाइम शिवि कुणाल के साथ नही रह सकती थी। उसने कहा, "मैं चलती हूं। तुम्हें कुहू से बात करनी थी ना? तो उनका इंतजार करो।"


    कुणाल मैं सुन तो चौंक गया वह नही चाहता था कि शिवि उसे छोड़कर जाए। उसने कहा, "इंतजार करूं? लेकिन कैसे? वो तो बीच में उठकर आने से रही। इतने देर मैं अकेला क्या करूंगा?"


    शिवि बेफिक्री से बोली, "जो भी करना है करो, जो भी तुम्हे पसंद हो। बहुत कुछ है यहां करने को। अपना देख लो तुम। ये मेरी प्रॉब्लम नहीं है।"


     कुणाल ने घबराकर कहा "लेकिन तुम कहां जा रही हो? तुम मुझे छोड़कर ऐसे नहीं जा सकती। मैं अकेले बोर हो जाऊंगा।"


    शिवि भी चीढ़कर बोली "मैं यहां तुम्हें एंटरटेन करने के लिए नहीं बैठी हूं। और वैसे भी, मैंने कहा ना तुम मेरी प्रॉब्लम नहीं हो। तुम्हें जो करना है वह करो। जो सिचुएशन तुमने क्रिएट की है उसे तुम्हें ही सॉल्व करना है। इस सब में मेरा कोई रोल नहीं है। मैं क्यों अपना दिमाग खराब करू?"


    कुणाल धीरे से बोला "लेकिन यह सब की वजह तो तुम ही हो।"


     शिवि हैरान होकर बोली "कुछ कहा तुमने?"


    कुणाल हड़बड़ा कर बोला "नहीं कुछ नहीं। मैं तो बस यह कह रहा था कि मुझे कुहू से जो भी बात करनी है तुम्हें अच्छे से पता है। इस बारे में बात करते हुए अगर तुम भी वहां हमारे साथ रहोगी तो मुझे थोड़ी हिम्मत मिलेगी।"


      शिवि परेशान होकर बोली "तुम्हें क्या लगता है मैं कौन हूं? मेरे होने ना होने से तुम्हें क्या फर्क पड़ता है?"


      कुणाल भी तपाक से बोला "बहुत ज्यादा फर्क पड़ता है। देखो, तुम भी नहीं चाहती कि यह शादी हो। मैं भी नहीं चाहता कि ये शादी हो। तो ऐसे में हम दोनों मिलकर अगर उसे समझाएंगे तो शायद उसे बात समझ में आए और वह भी इस रिश्ते से इनकार कर दे। देखो! बात तुम्हारी बहन की है और मेरी भी। हमारे लिए तो तुम यहां रुक ही सकती हो।"


     शिवि को कुणाल की बातें कुछ-कुछ सही लग रही थी लेकिन वह इतनी देर कुणाल के साथ नहीं रहना चाहती थी इसलिए उसने कहा "देखो कुणाल! जब तक कुहू दी बाहर आएगी, मैं वापस आ जाऊंगी। फिलहाल मुझे घर जाना है।"


     लेकिन इससे पहले कि शिवि की बात पूरी हो पाती , कुणाल एकदम से बोला "तुमने कभी स्कर्ट ट्राई किया है?"


      शिवि चौक कर बोली "क्या?"


      कुणाल ने आगे कहा "तुम हमेशा जींस और कुर्ता पहनती हो ना? तुमने कभी स्कर्ट ट्राई किया है? तुम पर अच्छी लगेगी"


    शिवि को बिल्कुल पसंद नहीं था कि कोई उसके ड्रेसिंग सेंस के बारे में कुछ भी कमेंट करें। कम से कम कोई बाहर वाला तो बिल्कुल नहीं। उसने गुस्से में कुणाल को घूर कर देखा लेकिन कुणाल उसे इग्नोर कर उसका हाथ पकड़ा और लेकर एक शॉप के अंदर चला गया। शिवि उससे अपना हाथ छुड़ाने की कोशिश करती रह गई।


     शॉप के अंदर जाकर ही कुणाल ने उसका हाथ छोड़ा और बोला "जानता हूं तुम्हे मेरा हाथ पकड़ना अच्छा नहीं लगता लेकिन क्या है ना, कभी-कभी कुछ अलग भी ट्राई कर लेना चाहिए। हमेशा एक ही तरह के चीजों से इंसान बोर हो जाता है, चाहे वह खाना हो या कपड़े।"


      शिवि गुस्से में बोली "फिर तो यह सब में इंसान भी शामिल होना चाहिए?"


      कुणाल ने भी बड़े कैजुअल अंदाज में बोला "नही। इंसान को सामान से मत तोलो। हम बिना खाए रह सकते हैं बिना सांस लिए रह सकते हैं लेकिन जिससे प्यार करते हैं उनके बिना हम 1 मिनट नहीं रह सकते। इसलिए इंसान इस सब में इस समय शामिल नहीं होता और अब तुम अपना दिमाग चलाना बंद करो और मुझे फॉलो करो।" कुणाल आगे बढ़कर शिवि के लिए कुछ कपड़े देखने लगा।


     एक अटेंडेंट की नजर जब दोनों पर पड़ी तो वह बड़े स्टाइल से चलते हुए आई और कुणाल से बोली "गुड इवनिंग सर! मैडम के लिए कपड़े लेने है? हमारे पास कपल आउटफिट भी है, क्या आप लोग उसे ट्राई करना चाहेंगे?"


     कुणाल बोला"नहीं, फिलहाल इनके लिए कुछ स्कर्ट और कुछ ए-लाइन कुर्ते दिखाइए।"


     फिर उसने एकदम से शिवि की तरफ पलट कर देखा और पूछा "तुम ए-लाइन कुर्ती पहनती हो ना? या फिर शॉर्ट वाली?" 


    शिवि ने कुछ कहने के लिए अपना मुंह खोला लेकिन कुणाल उसे इग्नोर कर अटेंडेंट से बोला "एक काम करिए, लॉन्ग वाली दिखाइए और स्कर्ट के साथ जो कुर्ती मैचिंग आती है वह वाली और कुछ लेटेस्ट ट्रेंडिंग डिजाइन जो होगी वो सभी।"


    शिवि उस अटेंडेंट को रोकते हुए बोली "लिसन मिस! ऐसा कुछ नहीं है। हमें कुछ नहीं चाहिए आप रहने दीजिए। हमें कुछ नहीं लेना। सॉरी!" शिवि ने कुणाल की बाजू का शर्ट पकड़ा और उसे अपने साथ चलने का इशारा करने लगी। वह अटेंडेंट बोली "मैम प्लीज! जब सर आपको इतने प्यार से कह रहे हैं तो आपको भी उनका दिल रखने के लिए कुछ ले लेना चाहिए। वरना आजकल के बॉयफ्रेंड कभी जबरदस्ती अपनी गर्लफ्रेंड को शॉपिंग के लिए लेकर नहीं जाते ।"


    कुणाल मुस्कुरा दिया। आखिर किसी ने तो शिविका को उसकी गर्लफ्रेंड समझा था। लेकिन शिवि एकदम से उसकी गलतफहमी दूर करते हुए बोली "मैं इनकी कोई गर्लफ्रेंड नहीं हूं, इसलिए मैं इनसे कुछ नही ले सकती। जिस दिन मेरा बॉयफ्रेंड होगा मैं उसके साथ शॉपिंग करने के लिए आउंगी और यहीं आऊंगी। फिलहाल के लिए थैंक यू सो मच!" कोई कुछ और कहे या सोचे, इससे पहले ही शिवि कुणाल को छोड़कर शॉप से बाहर निकल गई। कुणाल भी उसके पीछे पीछे भागा।




*****





     निशी अपने सामने अव्यांश को बैठा देख चौंक गई। वो अव्यांश जिसे उसने कभी म्यूजिक सुनते हुए नहीं देखा था वह उसके सामने बड़े आराम से गिटार बजा रहा था और वह भी काफी अच्छे तरीके से।


     कान में हेडफोन हाथ में गिटार सामने माइक और कई तरह के म्यूजिक इंस्ट्रूमेंट उसके आसपास घिरे हुए थे जिन्हें वह ठीक से नहीं जानती थी। ओवरऑल देखने पर उसे अव्यांश इस वक्त बहुत ही प्यारा लग रहा था। वह मंत्र मुक्त हो कर अव्यांश को देखते रही।


     अव्यांश को भी एहसास नहीं हुआ उस कमरे में कोई आया है। वह बस अपनी धुन में गए जा रहा था। कुछ देर के बाद जब उसकी रिकॉर्डिंग खत्म हुई तो उसने गिटार साइड में रखा और कैमरा ऑफ करके अपने कान से हेडफोन हटाए। उस हेडफोन को उसके स्टैंड पर रखने के दौरान उसकी नजर दरवाजे पर खड़े निशि पड़ गई तो उसने चौक कर पूछा "तुम? तुम कब जागी? और यहां क्या कर रही हो?"

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