सुन मेरे हमसफर 156



कुणाल और शिवि ने एक दूसरे की तरफ देखा। उन दोनों को ही काया की कही बातें ठीक से समझ नही आ रही थी। ऊपर से काया बार बार सिसक रही थी। कुणाल शिवि से बोला, "तुम सभालो इसे, मैं पानी लेकर आता हूं।" कुणाल ने काया को शिवि के हवाले किया और वहां से पानी लेने चला गया।


     शिवि काया को सीढ़ियों के पास ले गई और उसे वहां आराम से बैठा कर बोली, "तू क्या बोल रही, होश में तो है? कुहू दी मिल नही रही, इसका क्या मतलब?"


    काया ने रोना बंद किया और बोली, "पता नही दी, हम सब कुहू दी की शॉपिंग से परेशान थे तो सुहानी ने अंशु को फोन करके निशी भाभी को ले जाने को कहा और हम दोनो भी बहाने से निकल गए। उसके बाद जब हमे लगा कि अब बहुत ज्यादा देर रहो गई है तो मैं और सुहानी, दोनों उसी जगह पहुंचे जहां हमने उन्हें छोड़ा था। लेकिन कुहू दी वहां नहीं थी। हमने पूरा मॉल ढूंढ लिया, उन्हें कॉल भी किया लेकिन उन्होंने फोन नही उठाया। कई बार ट्राई किया लेकिन वो कॉल रिसीव नहीं कर रही है। घर पर पूछा लेकिन वो वहां भी नही है। मेरी समझ में नहीं आ रहा कि वो कहां जा सकती है। कहीं उनको कोई किडनैप तो नही कर ले गया?"


    इतने में कुणाल पानी का बोतल लेकर आया और काया के सिर पर चपत लगाकर बोला, "कुछ भी सोचती है पागल! ऐसे किस मे इतनी हिम्मत है जो इस भीड़ भरे एरिया से कोई उसको किडनैप कर ले जायेगा?"


     शिवि काया को पानी देते हुए बोली, "तू परेशान मत हो, कुहू दी यहीं कहीं होगी। तालाब में रह कर मगरमच्छ से बैर! इस शहर में ऐसे किस में इतनी हिम्मत आ गई जो मित्तल परिवार से दुश्मनी मोल लेना चाहेगा! यहां किसी में इतनी हिम्मत नहीं है। अगर ऐसा कुछ होता तो हमे जरूर खबर होती या फिर हमारे आसपास इतनी सिक्योरिटी होती कि कोई हमें दोबारा मुड़कर देख भी ना पाए। ऐसा कुछ भी नही है जैसा कि तू सोच रही है। चल उठ! हम सब मिलकर उन्हें ढूंढेंगे और ढूंढ भी लेंगे। बस अपनी हिम्मत बनाए रख।"


     शिवि ने कुहू को फोन लगाया। रिंग जा रही थी लेकिन कुहू फोन नही उठा रही थी। सुहानी भी इतनी देर में वहां पहुंच गई थी। काया की ऐसी हालत देख उसने भी काया को समझाते हुए कहा, "तू चिंता मत कर कायु! देखना, वो किसी शॉप में या फिर कोई मिल गया होगा जिसके साथ वो बाहर निकल गई होगी। है ना शिवि दी?" सुहानी ने उम्मीद से शिवि की तरफ देखा।


     शिवि भी उसकी बातों को सपोर्ट करते हुए बोली, "हां बिलकुल! यही तो मैं इसे समझा रही हूं।"


     कुणाल ने उन सबके कन्वर्सेशन में दखल देकर कहा, "हां लेकिन ऐसे बैठे रहने से वो नही मिलने वाली। हम सब को मिलकर देखना होगा। एक काम करो, सुहानी! तुम काया को लेकर कुहू को देखो, मैं और शिवि दूसरी तरफ देखते है। हर एक शॉप में जाकर देखना। हम यहां कुहू को कॉल लगाते है।" 


    सुहानी और काया निकल पड़े मिशन पर। कुणाल ने भी शिवि का हाथ पकड़ा और उसे लेकर दूसरी तरफ चल पड़ा। शिवि हैरानी से कुणाल के हाथ में अपना हाथ देखती रही।


   शिवि की नजरे कुणाल के हाथ पर टिकी थी। कुछ देर तक तो वह एक तक कुणाल के हाथ को देखते रही और उसके पीछे पीछे चलती रही लेकिन एकदम से उसने कुणाल के हाथ से अपना हाथ छुड़ाया। इस तरह झटका लगने से कुणाल भी थोड़ा चौक गया। उसने पीछे पलट कर शिवि की तरफ सफलिया नजरों से देखा और पूछा "अब क्या हुआ तुम्हें?"


     शिवि को पता नहीं किस बात से गुस्सा आया और वह कुणाल पर भड़क कर बोली "हिम्मत कैसे हुई तुम्हारी मुझे टच करने की? हिम्मत कैसे हुई तुम्हारी मेरा हाथ पकड़ने की? मिस्टर कुणाल रायचंद! जो हरकत तुमने आज की है वह दोबारा नहीं होनी चाहिए।"


      शिवि ने क्या कहा क्यों कहा, इससे कुणाल को कोई मतलब नहीं था। वह बस शिवि की नाराजगी को देख रहा था। क्या सिर्फ हाथ पकड़ने से शिवि इतना ज्यादा नाराज हो गई थी? क्या सच में, या फिर बात कुछ और थी? 


     कुणाल को सोचता हुआ छोड़ शिवि आगे बढ़ी और उसने अपने हाथ में पड़ा फोन से एक बार फिर कुहू को कॉल लगाने लगी। लेकिन अचानक से उसके पैर थम गए। स्क्रीन पर उसकी नज़रें ठहर गई। उसे यकीन नहीं हुआ कि कुहू ने कॉल रिसीव कर लिया था। लेकिन उसने जरा सा भी ध्यान नहीं दिया की कुहू ने कॉल कब रिसीव किया।


     शिवि खुश होकर बोली "कहां हो आप दी? पता है हम सब आपको ढूंढते हुए कितने परेशान हो गए हैं! सबसे पहले तो यह बताओ कि आप हो कहां और किसी का फोन क्यों नहीं उठा रहे हो आप? काया बेचारी का रो रो कर बुरा हाल हो गया था। बड़ी मुश्किल से उसे समझाया हमने। आप इतनी लापरवाह कब से हो गई?"


      दूसरी तरफ से कुहू बोली "तुम लोग क्यों इतना परेशान हो रहे हो? मैं कोई छोटी बच्ची नहीं हूं जो कहीं भीड़ में गुम हो जाऊंगी।"


    कुहू की आवाज में थोड़ी तल्खी थी जिसे शिवि ने महसूस की और उसने पूछा "क्या हुआ दी, सब ठीक तो है? आप इतनी परेशान क्यों लग रही है, कुछ हुआ है क्या? किसीने कुछ कहा है?"


     कुहू अपने आवाज में थोड़ी नरमी लाकर बोली "कुछ नहीं यार! मुझे नहीं पता था, मेरी शॉपिंग से सब इतने परेशान होंगे कि सब ने मुझे अकेला छोड़ दिया। तो मुझे भी गुस्सा आ गया इसलिए बिना किसी को बताएं मैं ऊपर थिएटर में चली आई और अब मैं आराम से फिल्म देख रही हूं।"


      शिवि चौक कर बोली "सच में? आप सच में फिल्म देख रहे हो? यहां हमारी हालत खराब हो गई और आप फिल्म देख रहे हो?"


     कुणाल ने एकदम से आगे आकर शिवि के हाथ से उसका फोन लिया और कुहू से बोल "दिमाग खराब है क्या तुम्हारा? एक बार किसी को बता कर या किसी को एटलिस्ट मैसेज छोड़ कर जा सकती थी! तुम फिल्म देखो या शॉपिंग करो, किसी को इससे कोई प्रॉब्लम नहीं है, किसी को कोई परेशानी नहीं है, बस प्रॉब्लम है तो तुम्हारी लापरवाही से। तुम्हारी बहन तुम्हारे लिए किस हद तक परेशान थी, काश तुमने ये देखा होता।"


    कुहू मायूस होकर बोली "और तुम कुणाल! क्या तुम भी मेरे लिए परेशान थे?"


    कुणाल खामोश हो गया। कुहू के सवाल का जवाब उसके पास नहीं था। उसने अपनी ही बात आगे बढ़ाते हुए कहा "हम सब ने मिलकर तुम्हें कब से कॉल पर कॉल किया जा रहे हैं, लेकिन तुम्हें तो किसी से कोई मतलब ही नहीं है। आखिर ऐसी कौन सी मूवी है जिसे देख कर तुम्हें हमारे इतने सारे कॉल का पता ही नहीं चला?"


       कुहू धीरे से बोली "सॉरी! फोन साइलेंट पर था इसलिए मुझे कुछ पता नहीं चला। मैं............ मैं थोड़ा गुस्से में थी इसलिए यहां चली आई और अब जब गुस्सा शांत हुआ तो मैंने सोचा कि सबको एक बार बता दूं कि मैं कहां हूं। लेकिन उससे पहले इतने सारे मिस्ड कॉल मुझे नजर आए और इससे पहले कि मैं किसी को कॉल बैक कर पाती, मुझे शिवि का नंबर दिखाई दिया तो मैंने कॉल रिसीव कर लिया।"


      कुणाल नाराजगी से बोला "हो गया? मन भर गया नाराज होकर? तुम्हारे मन को शांति मिल गई हो तो अब एक काम करो, फिल्म को गोली मारो और बाहर निकलो, मुझे तुमसे बहुत जरूरी बात करनी है।"


      कुहू को कुणाल से कुछ नहीं सुनना था। उसने बहाना बनाते हुए कहा "सॉरी कुनाल, लेकिन मुझे यह फिल्म बहुत अच्छी लग रही है। मुझे डिस्टर्ब नहीं करो। मैं इसको बीच में छोड़कर नहीं जा सकती।"


     कुणाल बोला "ठीक है, तो इंटरवल होते ही तुम बाहर निकल आना और हमारी बात सुन लेना। उसके बाद तुम्हें कोई नहीं रो।"


    कुहू मन में ही बोली 'उसके बाद तो मैं तुम्हें नहीं रोक पाऊंगी। सॉरी कुनाल! लेकिन मुझे तुमसे नहीं मिलना।' 


    कुणाल ने फिर से उसे आवाज लगाई "तुम सुन रही हो मेरी बात?"


     कुहू बोली "हां सुन रही हूं और समझ भी रही हूं। लेकिन मैं फिल्म छोड़कर नहीं आऊंगी। पहली बार अकेले मौका मिला है। और इंटरवल के तुरंत बाद मेरा फेवरेट गाना आने वाला है, मैं उसे मिस नहीं करने वाली। इसलिए अगर तुम्हें मुझसे बात करनी है तो बैठकर ढाई घंटे मेरा इंतजार करो या फिर घर चले जाओ हम कल बात कर लेंगे।"


    कुणाल समझ गया कि कुहू उससे भी कहीं ज्यादा जिद्दी है, लेकिन वह भी कम नहीं था। उसने कहा "ठीक है मैं यही मॉल में तुम्हारा इंतजार करता हूं। तब तक तुम अपनी मूवी एंजॉय करो, हम बाहर तुम्हारा इंतजार कर रहे हैं।" कुणाल ने कॉल कट किया और फोन शिवि की तरफ बढ़ा दिया।





*****





    निशि ने नींद में करवट ली तब उसे कुछ महसूस हुआ जिससे उसकी आंखें खुल गई। उसने हैरान होकर देखा तो अव्यांश उसके पास नहीं था। इस वक्त कहां जा सकता है, सोचते हुए निशी ने जब घड़ी की तरफ देखा तो अभी घड़ी में सिर्फ शाम के 7:00 बज रहे थे। तब जाकर निशि को याद आया कि वह तो गाड़ी में ही सो गई थी और वह अव्यांश से थोड़ा नाराज भी थी। कितनी बुरी तरह से डाटा था उसने।


    ये याद आते ही निशी भी नाराज हो गई और बोली "मुझे क्या फर्क पड़ता है, कहीं भी जाओ। मैं तो जल्दी सोने।लेकिन अभी सो कर क्या फायदा, पूरी रात जागना पड़ेगा। सोच ले निशी! तुझे करना क्या है। यहां सोना है या उसे ढूंढने जाना है।"


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