सुन मेरे हमसफर 155

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  शिवि और कुणाल अभी पार्किंग एरिया में ही थे कि इतने में एक गुंडा टाइप आदमी कहीं से भागते हुए आया। इससे पहले कि शिवि या कुणाल कुछ समझ पाते, उस आदमी ने शिवि को पीछे से पकड़ा और उसके गले पर चाकू लगाकर बोला, "हिलने की कोशिश भी मत करना वरना ये लड़की जान से जायेगी।"


    कुणाल शिवि को खतरे में देख घबरा गया। उसके पीछे पीछे तीन पुलिस वाले भी भागते हुए आए लेकिन शिवि को निशाने पर देख वो तीनों भी थोड़ा पीछे हट गए। कुणाल ने आगे बढ़कर शिवि को बचाने की कोशिश की लेकिन वो गुंडा कुणाल की तरफ से भी सतर्क हो गया और सबकी तरफ देखते हुए बोला, "खबरदार जो किसी ने भी आगे बढ़ने की कोशिश की तो!एरी इस लड़की से कोई दुश्मनी नहीं है। अगर ये मर भी गई तो मुझे कोई फर्क नहीं पड़ेगा। लेकिन तुम लोगो को जरूर पड़ेगा। अगर इसकी जान बचाना चाहते हो तो यहां की किसी एक गाड़ी की चाबी मेरे हवाले कर दो। मुझे बाद यहां से बाहर निकलना है।" फिर वो शिवि से बोला, "देख लड़की! मुझे बस यहां से निकलने में तेरी हेल्प चाहिए इसीलिए चुपचाप मेरे साथ चल।" कुणाल को समझ नहीं आया कि वो शिवि को कैसे बचाए।


   उस पुलिस वाले ने ना चाहते हुए भी अपनी गाड़ी की चाबी उस गुंडे की तरफ उछाल कर फेंका। उस गुंडे ने जैसे ही गाड़ी की चाबी लेने के लिए अपना हाथ आगे बढ़ाया, मौका मिलते ही शिवि ने उसे गुंडे के हाथ से एक झटके में चाकू छीना और घूम कर इस चाकू से उसका गला काट दिया।


    शिवि की इस हरकत को देखकर वहां मौजूद सभी दो पल को फ्रिज होकर रह गए लेकिन शिवि के माथे पर जरा सी भी सीकन नहीं थी, ना ही उसके चेहरे पर कोई परेशानी नजर आ रही थी। कुणाल के तो जैसे हाथ पैर ठंडे पड़ गए जब वह गुंडा अपना गला पड़कर जमीन पर गिर पड़ा और तड़पने लगा।


      वह तीनों पुलिस वाले भागते हुए आए और शिवि से बोले "मैडम! आपको यह नहीं करना चाहिए था। आप जानती हैं, आप पर अब मर्डर का चार्ज लगेगा। अगर बच गया तो भी आप पर एटेम्ट टू मर्डर का चार्ज तो लगेगा ही।"


     शिवि में उन तीनों पुलिस वालों को इग्नोर किया और बड़े आराम से अपनी गाड़ी की तरफ चलकर जाने लगी। कुणाल होश में आया और उसने शिवि को दोनों कंधे से पकड़ कर बोला "तुम चिंता मत करना, मैं अभी उसे अस्पताल लेकर जाता हूं, कुछ नहीं होगा उसे। और तुम्हें कुछ नहीं होने दूंगा।"


     कुणाल के चेहरे पर घबराहट देखकर शिवि बड़े बेफ्रिक अंदाज में बोली "कुछ नहीं हुआ उसे, नौटंकी कर रहा है।"


     एक पुलिस वाला चिल्ला कर बोला "जल्दी से एंबुलेंस को फोन करो। हमे इसे जिंदा पकड़ना था। किसी भी तरह इसे मरने नहीं देना है।"


    शिवि गई और अपनी गाड़ी से फर्स्ट एड किट लाकर उस गुंडे के सामने बैठ गई। वह गुंडा शिवि को देखकर और ज्यादा घबरा गया और पैनिक करने लगा। शिवि उसे आंखें दिखा कर बोली "शांत रहो! जितना छटपटाओगे उतना ज्यादा खून निकलेगा तुम्हारा। और इतना भी नहीं काटा है कि तुम यहीं पर मर जाओ। तुम्हारे पास अभी भी 20 मिनट है। एंबुलेंस को यहां आने में 10 मिनट लग जाएंगे लेकिन बीच में ट्रैफिक मिला तो क्या होगा? एक कम करो, भगवान से प्रार्थना करो कि एंबुलेंस जल्दी से जल्दी यहां पहुंच जाए। लेकिन उससे पहले, इस तरह छटपटाना बंद करो। वरना अगर एंबुलेंस टाइम पर पहुंच भी गई तब भी ज्यादा ब्लड लॉस होने से तुम नहीं बचोगे और निकाल लोगे हमेशा के लिए। मेरे ऊपर कोई ब्लेम नहीं आयेगा। मैं तो कह दूंगी कि यह सब कुछ मैंने अपने डिफेंस में किया और मेरे पास इसका सबूत भी है। ये सारे गवाह भी है और ऊपर सीसीटीवी कैमरा भी है। अब तुम सोच लो तुम्हें क्या करना है। अपनी मौत के जिम्मेदार तुम खुद होगे।"


    पुलिस वाले अजीब नजरों से शिवि को देखने लगे तो शिवि बोली "रिलैक्स! मैं डॉक्टर हूं और बहुत अच्छे से जानती हूं कहां कितना काटना है। आप लोग चिंता मत करिए, मैंने फर्स्ट एड दे दिया है इतनी जल्दी नहीं मरेगा।" इतना बोलकर शिवि आराम से वहां से निकल गई। कुणाल शॉक्ड होकर उसे देखता रहा फिर वह भी उसके पीछे-पीछे लिफ्ट की तरह भागा। 


    लिफ्ट में पहुंचते ही दरवाजा बंद हो गया। शिवि पहले ही बटन प्रेस कर चुकी थी। कुणाल को अभी भी समझ नहीं आ रहा था कि जो कुछ भी उसने देखा वह सब क्या था। क्या शिवि के लिए किसी का गला काटना इतना आसान था? बेचारे की जान जाते जाते बची। कुणाल से रहा नही गया तो उसने पूछा, "वो बच तो जायेगा ना?"


    शिवि अपने फोन में देखते हुए बोली, "कुछ नहीं हुआ है उसे। सिर्फ स्किन काटी है मैने कोई नस नही। ऊपर से पट्टी भी कर दी है तो घबराने वाली कोई बात नही है।"


    कुणाल ने राहत की और बोला, "बड़ी खतरनाक निकली तुम तो! अगर थोड़ा सा भी इधर उधर हो जाता तो वो आदमी तो निकल लेता।"


    "तुम्हे बड़ी फिक्र हो रही है उसकी! कोई लगता है क्या तुम्हारा?"


    "मुझे उसकी नही, तुम्हारी फिक्र हो रही थी। अगर उसे कुछ हो जाता तो तुम्हारे लिए प्रॉब्लम हो जाती। ये सब पुलिस के सामने हुआ वरना तो सीसीटीवी फुटेज को गायब करवा कर मैं ये ब्लेम अपने ऊपर ले लेता। मेरे दिमाग में तो यही चल रहा था।"


    शिवि ने कुणाल को ऐसे देखा जैसे किसी एलियन को देख रही हो। कुणाल को लगा शायद वो कुछ ज्यादा बोल गया है। उसने पूछा , "ऐसे क्या देख रही हो? जानता हूं बहुत हैंडसम हूं मैं। लड़कियां दो बार मुड़कर जरूर देखती है मुझे।"


    शिवि भी उसे ताना मारते हुए बोली, "हां दिख रहा है, अंधों में काना राजा। वैसे मेरा ब्लेम तुम अपने सिर क्यों लेते? सोशल वर्कर हो? समाज में लड़कियों को बचाने का ठेका ले रखा है? अब तक कितनों का ब्लेम अपने ऊपर ले चुके हो? कितनी लड़कियों को रेस्क्यू किया है?"


    "मैं तो बस अपना समझकर........." कुणाल थोड़ा शर्मिंदा हो गया। वाकई उसने थोड़ा ज्यादा बोल दिया था।


     शिवि उससे नजर फेर कर बोली "मेरी टेंशन लेने की सोचना भी मत। ऐसे ऐसे कई टेंशन को हैंडल करना आता है और तुम जैसे को भी। कोई नाजुक छुईमुई नही हूं मैं। अपना ख्याल खुद रख सकती हूं। आज जो किया वो मेरा रोज का काम है।"


     कुणाल धीरे से मन में बोला, 'अब तो बहुत सोच समझकर बोलना पड़ेगा, वरना कहीं ये मेरा भी.............'




*****





   काया परेशान होकर कुहू को इधर उधर ढूंढ रही थी। लेकिन कुहू न जाने कहां छिपी थी जो कहीं भी नजर नहीं आ रही थी। अब काया को घबराहट होने लगी। उसने सुहानी को फोन लगाया और पूछा, "कुहू दी मिली तुझे?"


    सुहानी भी परेशान होकर बोली, "नही यार! पाया नही कहां है वो, किस शॉप में है, कुछ समझ नही आ रहा। कहीं वो वापस तो नही चली गई?"


     काया बोली, "नही। मैने घर फोन किया था। मम्मी ने पूछा कि आज कुहू दी अपनी सारी शॉपिंग पूरा करके ही घर आएगी क्या! समझ में नहीं आ रहा कि वो जा कहां सकती है! मुझे लगता है भाई को और घर में सबको बता देना चाहिए। या फिर पुलिस में........…......."


    "एक बार कुणाल जीजू से पूछे? हो सकता है जीजू आए हो और कुहू दी उनके साथ कहीं चली गई हो! हो सकता है। दोनों की कुछ और ही शॉपिंग करनी हो!" सुहानी बोली तो काया ने कहा, "मुझे भी ऐसा लग रहा था लेकिन इसका कोई फायदा नही है। वो जीजू के साथ भी नही है।"


    सुहानी ने पूछा, "तुझे कैसे पता? तूने कॉल किया था उन्हें?"


    काया सामने की तरफ देखते हुए बोली, "नही। कुणाल जीजू अभी मेरे सामने ही है। वो शिवि दी के साथ चले आ रहे है। और कुहू दी मुझे कहीं नजर नहीं आ रही। एक काम कर, तू यहां आ जा। मुझे लगता है कमसे कम हमे कुणाल जीजू को इस बारे में बता देना चाहिए। वो और शिवि दी ही हमारी हेल्प कर सकते है। अगर फिर भी हमारे हाथ कुछ न लगा तो हमे घर में खबर करना ही पड़ेगा।"


    शिवि की नजर काया पर गई तो कुणाल के साथ उस ओर बढ़ चली। नजदीक आते हुए उसके कानों में काया की कही आखिरी लाइन पड़ी। उसने पूछा ,"घर में क्या खबर करनी है तुझे? और तू यहां अकेली क्यों खड़ी है, बाकी सब कहां है?"


    काया पहले तो कुछ भी कहने से हिचकिचाई लेकिन कुणाल ने पूछा, "क्या हुआ काया, इतनी घबराई हुई क्यों हो? सब ठीक है ना?"


     काया को न जाने क्या हुआ, वो कुणाल के गले लगकर रो पड़ी। शिवि भी उसका रोना देखकर डर गई। कुणाल काया के सिर पर हाथ फेरकर बोला, "रोते नही बच्चा! सब ठीक हो जाएगा। क्या हुआ बताओ तो। चुप हो जाओ। नहीं मेरा बच्चा!"


     शिवि कुणाल के इस अवतार को देख रही थी। कैसे वो किसी बड़े भाई की तरह काया को संभाल रहा था ये देखकर शिवि बहुत अच्छा लगा। लेकिन काया अभी भी रोए जा रही थी। कुणाल बोला, "देखो, अगर किसी ने तुम्हे परेशान किया है तो मुझे बस उसका नाम बताओ, फिर देखो मैं उसकी कैसे हजामत बनाता हूं।" रोती हुई काया अचानक ही मुस्कुरा उठी।


    शिवि ने काया के पीठ पर हाथ फेरा और बोली "क्या हुआ है तुझे? तू इतना क्यों रो रही है? और बाकी सब लोग कहां है, कोई नजर नहीं आ रहा? और तू यहां अकेली क्या कर रही है?"


   काया कुणाल से अलग हुई और रोते हुए बोली, "कुहू दी का कुछ पता नहीं चल रहा है। मैं और सुहानी उन्हें ही ढूंढने की कोशिश कर रहे है।" कुणाल और शिवि चौंक गए।


   


    


    


    

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