सुन मेरे हमसफर 100
100 निशी अव्यांश के करीब आई और फिर से पूछा "बताओ ना, तुम ऐसे मेरी शादी छोड़ कर क्यों चले गए थे?" अव्यांश जिस तरह अपना मुंह दबाए बैठा था, उससे निशी को उससे परेशान करने में मजा आने लगा था। लेकिन जब अव्यांश ने ये बात महसूस की तो उसने तिरछी नजरों से देखा, निशी के होठों पर बड़ी शैतानी मुस्कान थी। निशी के मन में चल रही शरारती को महसूस कर अव्यांश भी कहां पीछे रहने वाला था। निशी उससे इतनी दूर भी नहीं थी कि वह उसे पकड़ ना पाए। बिना निशी को कुछ रिएक्ट करने का मौका दिए अव्यांश ने एकदम से उसकी कमर में हाथ डाला और अपने करीब खींच लिया। निशी का दांव उसको अपने पर ही उल्टा पड़ता हुआ महसूस हुआ तो उसने घबराकर अव्यांश की पकड़ से छूटने की कोशिश की, लेकिन अव्यांश की पकड़ से छूटना निशी के लिए इतना भी आसान नहीं था। निशी घबराते हुए बोली "अव्यांश, छोड़ो मुझे कोई आ जाएगा।" अव्यांश ने उसे छोड़ने की बजाए उसे अपने और करीब खींच लिया और बोला "क्यों, तुम्हें तो जवाब चाहिए था ना, फिर भाग क्यों रही हो? अपने सवाल का जवाब नहीं चाहिए तुम्हें?" ...