सुन मेरे हमसफर 95

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     तन्वी की फैमिली को देखकर घर में सभी चौंक पड़े सिवाए श्यामा सिद्धार्थ और सारांश के। अंशु ने मजाक में कहा "क्या बात है तनु, आज फिर से कोई फाइल देने आई हो क्या, वह भी अपनी पूरी फैमिली के साथ?"


      सारांश ने उसे डांट चुप कराया और बोले "अंशु..........! सबको आराम से बैठाओ। यह लोग भी आज हमारे साथ नाश्ता करेंगे।" इससे पहले कि कोई और सवाल करें, सारांश ने फिर कहा "जो भी सवाल जवाब करना है, वह सब बाद में। तन्वी के घरवाले किसी खास वजह से यहां आए हैं। वो आज के हमारे खास मेहमान है, इसलिए कोई बदमाशी नहीं करेगा और कोई परेशान भी नहीं करेगा।" फिर उन्होंने समर्थ को कुछ इशारा किया।


     समर्थ पहले तो हिचकिचाया लेकिन फिर उसने आगे बढ़कर तन्वी का हाथ पकड़ लिया और उसके डाइनिंग टेबल तक ले आया फिर अपने बगल वाली एक कुर्सी खींच कर तन्वी को वहां बैठा दिया। समर्थ का यह बिहेवियर देखकर सब को थोड़ा शॉक तो लगा, लेकिन सुहानी खुशी से उछल पड़ी और जाकर तन्वी को पीछे से हग कर लिया।


     तन्वी वैसे ही थोड़ी सी घबराई हुई थी। सुहानी के इस तरह गले लगाने से वो पीछे की तरफ गिरने को हुई लेकिन सुहानी ने संभाल लिया और धीरे से कान में बोली "मुझे नहीं पता था, मेरे भैया की पसंद तुम हो। तुम तो बड़ी छुपी रुस्तम निकली। मैं बहुत खुश हूं तुम दोनों के लिए।"


   तन्वी, जिसे पता ही नहीं था कि उसे और उसके परिवार को यहां क्यों बुलाया गया है, वह बहुत ही असहज महसूस कर रही थी और अभी भी यकीन करने की कोशिश कर रही थी समर्थ ने उसके और अपने रिश्ते के बारे में अपनी पूरी फैमिली को बता दिया है। या फिर शायद किसी को नहीं। वह खुद में कंफ्यूज थी।


     मिस्टर एंड मिसेस अरोड़ा को अवनी और श्यामा ने बैठने के लिए जगह दी। थोड़ी देर में मिस्टर मुखर्जी अपनी बेटी के साथ चले आए। आज का नाश्ता सबसे स्पेशल था। नाश्ते के टाइम किसी ने कुछ नहीं कहा लेकिन समर्थ जो तन्वी के बगल में ही बैठा हुआ था, उसने धीरे से तन्वी का दूसरा हाथ पकड़ लिया ताकि वो आराम से नाश्ता भी कर सके और किसी को शक भी ना हो।


     तन्वी का दिल तो अभी भी बुरी तरह धड़क रहा था। वहीं उसके मां पापा इतने बड़े घर को देखकर थोड़े घबराए हुए थे। उन्हें यहां क्यों बुलाया गया था, इस बारे में अभी भी उन्हें कोई खबर नहीं थी। नाश्ता खत्म करने के बाद मिस्टर मुखर्जी अपनी बेटी के साथ आराम करने चले गए। पूरी रात की फ्लाइट जर्नी के कारण उन्हें इसकी बेहद जरूरत थी। और वैसे भी, वहां अभी फैमिली मैटर डिस्कस होना था। ऐसे में उनका वहां होना सही नहीं था।


     उनके जाने के बाद सारांश ने बात छेड़ी "आप लोगों को मैंने बताया नहीं कि हमने आपको यहां क्यों बुलाया है।"


     मिस्टर अरोड़ा चुपचाप अपनी बेटी के बॉस को देख रहे थे। सारांश ने श्यामा की तरफ इशारा किया और उनसे कुछ कहने को कहा तो श्यामा बोली "हम अपने बेटे समर्थ के लिए आपकी बेटी तन्वी का हाथ चाहते हैं।"


    यह बात सुनकर ही जैसे उन लोगों को कोई शॉक लगा। तन्वी की मां को यकीन नहीं हो रहा था कि उनकी बेटी के लिए इतने बड़े घर से रिश्ता सकता है। लेकिन मिस्टर अरोड़ा के माथे पर शिकन आ गई। उन्होंने हाथ जोड़कर कहा "आपके परिवार को कौन नहीं जानता। इस घर से रिश्ता जोड़ना किसी सौभाग्य से कम नहीं है। लेकिन हमारी बेटी का रिश्ता पहले तय हो चुका है। ऐसे में उस रिश्ते को इस तरह तोड़ना.............! माफ कीजिएगा, लेकिन पहले हमें इस बारे में अपने परिवार से बात करनी होगी।"


     सिद्धार्थ बोले "आपका जो भी फैसला होगा, आप बेझिझक हमे बता सकते हैं। लेकिन इतना जान लीजिए, आप अपनी बेटी का रिश्ता वहां करिए जहां की बेटी की खुशी है। बड़ा घर, बड़ा परिवार यह सब कोई मायने नहीं रखता जब तक कि आपकी बेटी खुश ना रहे। और जहां तक मैं जानता हूं, आपकी बेटी इस घर में बहुत खुश रहेगी। मेरा बेटा समर्थ उसे बहुत पसंद करता है। तन्वी मेरे बेटे की जिंदगी में आने वाली पहली लड़की है। वरना हमे तो यह उम्मीद नहीं थी कि हमारा बेटा कभी शादी के लिए हां भी करेगा। हम बस दोनों बच्चों की खुशी मांग रहे हैं आपसे।"


     श्यामा भी हाथ जोड़कर निवेदन करते हुए बोली "दोनों बच्चों की खुशियां आपके हाथ में है अरोड़ा साहब। तन्वी का रिश्ता सिर्फ तय हुआ है, शादी नहीं हुई। इसलिए इस रिश्ते को तोड़ने में आपको कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए। किसी और के लिए ना सही, लेकिन एक बार अपनी बेटी से तो आप पूछ ही सकती है कि उसे क्या चाहिए।" इस बार तन्वी ने समर्थ का हाथ पकड़ लिया। समर्थ ने भी अपने दूसरे हाथ से उसका हाथ थाम कर उसे भरोसा दिया।


     मिसेस अरोड़ा बोली "आप लोगों की बातें मैं समझ सकती हूं लेकिन इस तरह रिश्ते तोड़ने से कहीं हमारे अपने लोग..........! आप समझ सकते हैं मैं क्या करने की कोशिश कर रही हूं। हमें बहुत खुशी होगी अगर हमारी बेटी आपके घर की बहू बनती है तो। लेकिन वो लोग काफी खतरनाक है। कहीं हमारी वजह से आप लोग मुश्किल में न आ जाए।"


     सिक्योरिटी गार्ड की आवाज ने सबका ध्यान अपनी तरफ खींचा। सब ने देखा, दरवाजे पर एक अधेड़ उम्र का पति पत्नी का जोड़ा घर में घुसे चले आ रहे थे। अंशु आगे बढ़कर उन दोनों को रोका और सिक्योरिटी गार्ड को बाहर जाने का इशारा किया, फिर उन दोनों पति पत्नी से बोला "आप लोग कौन है और इस तरह हमारे घर में घुस आने की वजह क्या है? आप जानते भी हैं जो आपने किया है वह क्राइम है और इसके लिए आपको अच्छी खासी जेल की हवा खानी पड़ सकती है?"


     वह आदमी अंशु को खुद से झटककर दूर करता हुआ बोला "ओए परे हट! आपकी प्राइवेट प्रॉपर्टी में घुसना क्राइम है तो हमारी बहू का इस तरह जबरदस्ती उठाकर लाना क्या कोई क्राइम नहीं है? करो मुझ पर केस, मैं भी करूंगा। तुम लोगों को जेल भेजूंगा।"


     मिस्टर अरोड़ा और मिसेज अरोड़ा घबराकर उठ खड़े हुए। अंशु ने सवाल किया "कहने का मतलब क्या है आपका? हम क्यों आपकी बहु को जबरदस्ती उठाकर ले आएंगे? आपको केस करना है तो कीजिए, हम भी बताते हैं कि हम क्या कर सकते है। फिलहाल निकलिए यहां से, अभी के अभी।" समर्थ ने आगे बढ़कर उन्हें रोकना चाहा लेकिन तन्वी ने उसका हाथ कसकर पकड़ा और रोक दिया। तन्वी की आंखों में घबराहट साफ नजर आ रही थी।


     समर्थ ने सवालिया नज़रों से तन्वी को देखा तो तन्वी धीरे से बोली "यह वही लोग हैं जिनके बेटे से मेरा रिश्ता.........." तन्वी ने अपना सर झुका लिया। समर्थ ने गुस्से में उन जबरदस्ती घुस आए बिन बुलाए मेहमानों की तरफ देखकर बोला "किस हक से आप तन्वी को अपनी बहू कह रहे हैं? शादी हुई है आपके बेटे की या फिर सगाई हुई है? अगर सगाई हुई थी है तो भी आप का क्या हक बनता है तन्वी पर? बिना शादी के आप उसे अपनी बहू कैसे कह सकते हैं?"


     वह आदमी तो जैसे अड़ गया था। "ओय बकवास बंद करी अपना! तन्वी मेरी बहू है, होने वाले ही सही लेकिन है तो। अभी परसों ही रिश्ता जोड़ कर आए थे हम, ऐसे कैसे रिश्ता टूट जाएगा और किस से पूछ कर यह लोग यहां आए हैं अपनी बेटी का रिश्ता करने? अगर यही सब करना था तो फिर हमें क्यों परेशान किया? हम क्या जवाब देंगे अपने समाज को? कैसे रिश्ता टूटा? कोई कुछ भी कर ले, तन्वी मेरे ही घर की बहू बनेगी। अगर नहीं बनी, तो उठा कर ले जाएंगे इसको, फिर समझ लेना आप लोग।"


    समर्थ को गुस्सा आ गया। उसने गुस्से में तन्वी के हाथ से अपना हाथ छुड़ाया और उस इंसान की तरफ लपका। बेटा कहीं गुस्से में कुछ गलत ना कर दे, यह सोचकर सिद्धार्थ खुद उठ खड़े हुए और जाकर उस इंसान का कॉलर पकड़कर बोले "सबसे पहली बात, एक तो तू बिना हमारी परमिशन के जबरदस्ती हमारे घर में घुस आया है। इस बात के लिए तो हम तुझे लंबी भेजेंगे। घर के अंदर आकर तूने क्या कुछ किया है उसका इल्जाम तो आएगा ही, जो नहीं किया उसका इल्जाम भी तुझ पर आएगा और इस बात की गारंटी मैं तुझे देता हूं। रही बात तन्वी की तो वो मेरी बहू है। उसका ख्याल अपने दिमाग से निकाल दो वरना इस उम्र में हड्डियां जुड़ती नहीं है और मुझे तोड़ने में बहुत मजा आता है।"


     साथ में आई उस औरत ने सिद्धार्थ का हाथ पकड़ा और उसकी पकड़ से अपने पति को छुड़ाने की कोशिश करते हुए बोली "छोड़िए इनको! सिद्धार्थ भैया छोड़िए इनको!!"

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