सुन मेरे हमसफर 97

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     अंशु जल्दी से जाकर अपने कमरे से एक बॉक्स ले आया जिसे उसके डैड ने बहुत संभाल कर रखने को दिया था। अंशु ने बॉक्स लेकर सारांश के हाथ में दे दिया और सारांश वह बॉक्स अपनी भाभी और समर्थ की मां के हाथ में दे दिया। श्यामा ने जब डब्बे को खोला तो उनके होठों पर प्यारी सी मुस्कान आ गई।


     "बहुत प्यारे हैं।" श्यामा ने कहा। सभी जानना चाहते थे कि उस बॉक्स में क्या है। श्यामा ने वो बॉक्स उन सब की तरफ घुमा दिया और सामने टेबल के बीचो बीच रख दिया। सब की नजर उस पर पड़ी जिसमें बड़े प्यारे 1 जोड़ी अंगूठियां रखी थी।


     सिया ने उन दोनों अंगूठियों को देखा और कहा "बहुत प्यारी है।"


    अंशु बीच में हो बोला "क्यों नहीं होंगे? डैड ने खुद से इसकी डिजाइनिंग करवाई है। यानी मैं जलन में ये कह सकता हूं कि जो मुझे नहीं मिला वो भाई को मिल रहा है।"


     सारांश ने अपने ही बेटे को ताना देते हुए कहा "क्यों? तुझे भी सगाई करनी है? शादी तो हो चुकी है तुम दोनों की। जो करना चाहिए वह तो करनी नही है।"


     अंशु शरमा गया और थोड़ा सकपका कर बोला "डैड आप भी ना, कैसी बात कर रहे हो!"


    अवनी अपने बेटे का साइड लेते हुए बोली "सारांश! थोड़ा तो माहौल और जगह देख लिया करिए।"


     अंशु ने निशी की तरफ देखा जो खुद को कहीं छुपाने की कोशिश में लगी हुई थी। उसकी असहजता को देख अंशु ने कहा "अरे! जब अंगूठियां यहां रखी है और जब पहनने वाले और पहनाने वाले यही है, आशीर्वाद देने के लिए सारे घर वाले भी यही है तो, अगर मुहूर्त सही हो तो काम भी संपन्न किया जाए?"


    मिस्टर अरोड़ा हिचकिचाते हुए बोले "माफ कीजिएगा मित्तल साहब! लेकिन हमारी तरफ से अभी ऐसी कोई तैयारी नहीं है।" उनके चेहरे पर परेशानी की लकीरे साफ नजर आ रही थी।


      सिया ने उन्हें आश्वासन देते हुए कहा "इसकी कोई जरूरत भी नहीं है। हमारे बच्चे की शादी है तो हम कोई कमी नहीं रहने देंगे, और ना ही आप पर इसका भार पड़ने देंगे। आप देख रहे हैं, सारी तैयारी हो चुकी है। अंगूठियां तैयार है दोनों बच्चे यहां है, इससे ज्यादा और क्या चाहिए? आप बस दोनों बच्चों को आशीर्वाद दीजिए और अपनी बेटी की विदाई की तैयारी कीजिए। हम जल्द से जल्द तन्वी को अपने घर की बहू बनाकर लाना चाहते हैं।" तन्वी के मम्मी पापा ने कृतज्ञता से अपने दोनों हाथ जोड़ लिए।


    कार्तिक ने चुप्पी तोड़ी और कहा, "वैसे इस सब में किसी का ध्यान मेरी बातों पर नहीं गया।"


    सारांश ने उनका मजाक बनाते हुए कहा, "कौन सी बात? ऐसी कौन सी बात कह दी तुमने जिसपर हमें ध्यान देना चाहिए?"


   कार्तिक ने सारांश को इग्नोर किया और कहा, "बड़ी मां! याद है जब अंशु की शादी होनी थी और हम सब इस बारे में बातें कर रहे थे?"


    सिया ने कुछ सोचते हुए कहा, "हां याद है। लेकिन ऐसी सोचने वाली कौन सी बात हो गई थी? उस वक्त तो सब ने कुछ न कुछ कहा ही था।"


    काव्या उन्हें याद दिलाते हुए बोली, "बड़ी मां! याद है, कार्तिक ने कहा था, जैसे अवनी के इस घर में आने के बाद सिद्धार्थ भैया की शादी हो गई। वैसे ही, हो सकता है निशी के कदम इस घर में पड़ते ही समर्थ की भी बैंड बज जाए! और देखिए, ऐसा हुआ भी।"


    सिद्धार्थ कुछ सोचते हुए बोले, "उस हिसाब से तो पहले समर्थ के बच्चे होंगे उसके बाद अंशु नंबर लगाएगा?"


    एक बार फिर टॉपिक को उधर ही तरफ जाते देख अंशु ने झुंझला कर कहा "आप लोग फिर से शुरू हो गए? अरे अभी भाई की सगाई करवानी है यार! पहले वह तो देख लीजिए, उसके बाद हमारे बच्चों पर आते रहना, पहले शादी हो जाए। पंडित जी को बुलाया आप लोगों ने?"


     सारे खामोश हो गए। क्योंकि वाकई में पंडित जी को किसी ने नहीं बुलाया था। अंशु अपनी कॉलर ऊपर करता हुआ बोला "मुझे पता था आप लोग ऐसा ही करोगे, भूल जाओगे। इसलिए मैंने पहले ही उन्हें फोन करके आने को कह दिया था। वो आते ही होंगे।"


    अंशु की नजर दरवाजे पर गई जहां से पंडित जी अंदर आ रहे थे। उन्हें देख अंशु बोला "लो, आ गए पंडित जी। अब करो प्रोग्राम शुरू।"




*****




    कुणाल पूरा दिन अपने कमरे से बाहर नहीं निकला था। आज भी उसका ऐसा कोई इरादा नहीं था। वो अपने कमरे में बिस्तर पर बैठा ऑफिस के काम निपटाने में लगा था। उसकी मां कमरे में दाखिल हुई और अपने बेटे को इस तरह खोया देख बड़े प्यार से पूछा, "नाश्ते के लिए नीचे क्यों नहीं आए?"


   कुणाल ने उन्हें कोई जवाब नही दिया तो उसकी मां ने फिर कहा, "तुम्हारी नाराजगी अपने पापा से है, और ये होनी भी चाहिए। लेकिन तुम्हे नही लगता, तुम अपनी नाराजगी में मुझे हर्ट कर रहे हो?"


   कुणाल ने बिना उनकी तरफ देखें मुस्कुरा कर कहा "मैं क्यों किसी से नाराज होने लगा? और वैसे भी, इस घर में मेरे दर्द से, मेरी तकलीफ से क्या किसी को फर्क पड़ता है?"


   मिसेज रायचंद ने कुणाल की तरफ देखा। उसके होंठो पर तो मुस्कान थी लेकिन उस मुस्कान में खुशी नहीं बल्कि ताना था। उन्होंने खुद को समझाया और कुणाल के पास आकर बोली, "ये तुम कैसी बातें कर रहे हो? हमारे इकलौते बेटे हो तुम। तुम्हे पाने के लिए मैंने और तुम्हारे डैड ने कहां कहां मन्नत नही मांगी थी! आखिर तुम ऐसा सोच भी कैसे सकते हो? तुम्हारी खुशी हमारे लिए सबसे ज्यादा जरूरी है।"


     उन्होंने कुणाल के सर पर हाथ फेरा तो कुणाल ने उनका हाथ अपने से दूर झटक दिया और बोला "मेरी खुशी या फिर इस घर का स्टेटस? मिस्टर रायचंद और मिसेज रायचंद को किसी की लाइफ से ज्यादा इस घर के स्टेटस से फर्क पड़ता है, फिर चाहे उसके लिए अपने इकलौते सो कॉल्ड बेटे की बलि ही क्यों ना चढ़ाना पड़े!"


    मिसेज रायचंद चिल्लाई, "कुणाल......! तुम होश में तो? तुम समझ भी रहे हो तुम क्या बोल रहे हो? एक लड़की के लिए तुम अपने परिवार के खिलाफ जाने को तैयार हो! इसी से पता चलता है कि वो किस तरह की लड़की होगी।"


     कुणाल को हँसी आ गई। उसने बड़ी मुश्किल से अपनी हँसी को कंट्रोल किया और बोला, "वो बेचारी! उसको तो पता भी नही कि उसके पीठ पीछे उसके नाम से यहां क्या कुछ हो रहा है और क्या कुछ हो गया है। मुझे नहीं पता वो मुझे अपनाएगी भी या नहीं। मुझे कुछ नहीं पता लेकिन उसे पाने की अपनी इस कोशिश में मैं इतना तो जान गया हूं कि इस घर में मेरी क्या अहमियत है। 


    क्या कहा था आपने? आपने और आपके महान पति ने आई मीन मेरे पूज्य पिता जी ने मुझे बड़ी मन्नतो से पाया है? जरूर किया होगा उन्होंने ऐसा, लेकिन जानती है क्यों? इसलिए नहीं क्योंकि उन्हें एक बच्चा चाहिए था, बल्कि इसलिए ताकि उन्हें एक ऐसा गुलाम मिल जाए जो उनके वंश को भी आगे ले जाए और उनके इस झूठे शानो शौकत को भी बनाए रखे। लेकिन जब उन्हें पता चला कि मैं ऐसा कुछ नहीं करने वाला तब उन्होंने इमोशन कार्ड खेला और मुझे मेरे पैशन से अलग कर दिया। मुझे अपने इस बिजनेस की दुनिया में घसीट लिया। और जब मैने एक लड़की को अपने लिए पसंद किया तो उन्होंने अपनी एड़ी चोटी का जोर लगा दिया उसे मुझसे दूर करने में। एक बार! अरे बस एक बार उस लड़की के बारे में पता लगाया होता! एक बार उस मामूली सी दिखने वाली नर्स के बारे में पता किया होता तो उन्हे पता चलता कि जिसे वो मामूली नर्स समझ रहे है वो एक डॉक्टर है, एक हार्ट सर्जन। कोई मामूली लड़की नहीं है जिसे कोई भी कुछ भी कहकर चला जाए। किसी की औकात नही है उसकी तरफ एक उंगली उठाने की। अगर उन्होंने थोड़ी सी भी उसे जानने की कोशिश की होती तो आज वो खुद उस लड़की के घरवालों के क़दमों में लेट गए होते ताकि हमारी शादी करवा सके। लेकिन अब बहुत देर हो चुकी मां! अब कुछ नही हो सकता। मैं अब और यहां नही रह सकता इसीलिए मैं इस घर से दूर जा रहा हूं।"


    कुणाल ने अपना बैग निकाला और अपनी अलमारी से कपड़े निकालने शुरू कर दिए। मिसेज रायचंद ने उसे रोका और उसका हाथ पकड़कर बोली, "तुझे जाना है? तू मुझे छोड़कर सच में जाना चाहता है? तेरे लिए तेरी मां कोई मायने नहीं रखती क्या?"


     कुणाल बिना उनकी तरफ देखें बोला "इस सब में मिस्टर रायचंद का साथ तो आप ने भी दिया था ना? तो सजा सिर्फ उन्हें क्यों मिले?" कुणाल ने अपना हाथ छुड़ाया और वापस से अपनी पैकिंग में लग गया।


    मिसेज रायचंद ने पूछा, "जाने से पहले उस लड़की की पहचान नहीं बताएगा? कौन है वो?"


   क्या कुणाल बताएगा अपनी मां को शिवि की सच्चाई? क्या होगा उसके इस एक तरफा एहसास का अंजाम? बने ऐहिए हमारे साथ।


    

टिप्पणियाँ

  1. Saransh to bhout hi smart hai.. Last season me bhi aur ab jb nye generation aa gye hai tb bhi bhout smartly sb pr najer rkhta hai aur pure parivaar ko sath le kr chlta hai👏👏

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