सुन मेरे हमसफर 309
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अव्यांश उठकर वहां से जाने लगा तो निशी ने दौड़कर जाकर मेन दरवाजा बंद किया और अव्यांश के सामने खड़ी होकर पूछा "कहां जा रहे हो तुम, शिल्पी से मिलने? डेट पर जा रहे हो? ओह नही, मूवी डेट पर। उसके बाद क्या करने का प्लान है?"
अव्यांश ने सपाट लहजे में में पूछा "तुम्हें इससे क्या मतलब है? मैंने तो कभी तुम्हें नहीं रोका। तुम जो चाहे करो, तुम आजाद हो। तुम्हें कोई रोकने वाला नहीं है तो मैं भी यह एक्सपेक्ट कर सकता हूं तुमसे।"
निशि ने आगे बढ़कर एकदम से अव्यांश का कॉलर पकड़ लिया और कहा, "तुम ऐसा करके तो देखो, मैं तुम्हारी जान ले लूंगी।"
अव्यांश निशी की आंखों में यही आग देखना चाहता था, हमेशा से लेकिन क्या वह जो कुछ कर रही थी वह सच था या दिखावा, अव्यांश यकीन नहीं कर पा रहा था। निशी ने एक बार फिर पूछा "अव्यांश मित्तल! मैं तुम्हारी बीवी तुम्हारे सामने खड़ी हूं और तुम मुझे छोड़कर किसी और के पास जाना चाहते हो? कितनी आसानी से मुझ पर ब्लेम लगा दिया तुमने कि मैं किसी और के साथ इंवॉल्व हूं। क्या तुमने एक बार भी मुझसे बात करने की कोशिश की? क्या एक बार भी तुमने मुझसे पूछा कि मैं क्या चाहती हूं, मेरे साथ क्या हो रहा है? नहीं बिल्कुल नहीं। और कब देख लिया तुमने मुझे किसी और के साथ जरा बताओगे मुझे?"
अव्यांश ने अपना कॉलर निशी के हाथ से छुड़ाते हुए कहा "मैंने कभी तुम्हें ब्लेम नहीं किया है। मेरे लिए तुम्हारी खुशी ज्यादा मायने रखती थी, हमेशा से। तुम्हें जिसके साथ रहना है रह सकती हो। तुम्हारी लाइफ है तुम्हारी मर्जी।"
निशी ने इस बार अपने दोनों हाथों से अव्यांश का चेहरा थामा और उसके आगे मिन्नत करते हुए कहा "मेरी खुशी तुम हो अव्यांश! मुझे तुम्हारे साथ रहना है। क्या तुम मुझे ऐसा करने दोगे? मुझे हमारा रिश्ता चाहिए, क्या तुम मुझे वह दोगे? मुझे हमारी फैमिली बनानी है हम दोनों की, क्या तुम मेरा साथ दोगे?"
अव्यांश कुछ देर तक निशि की आंखों में देखता रह गया। लेकिन उसे खुद को निशि की बातों में उलझने नहीं देना था। वो नहीं चाहता था कि एक बार फिर निशी उसके इमोशंस के साथ खेले। वह एक बार फिर निशि पर भरोसा नहीं करना चाहता था। उसने पूछा, "तुम्हें पता है तन्वी के साथ क्या हुआ है?"
निशि एकदम से चौंक गई। उन दोनों के बीच तन्वी कहां से आ गई? निशी ने इनकार में अपना सर हिला दिया तो अव्यांश ने कहा "जिस शाम मैंने तुम्हें एयरपोर्ट पर छोड़ा था, उस रात देवेश और उसके लोगों ने मिलकर तन्वी का किडनैप किया था। उसे मोलेस्ट किया उसे हर्रास किया। इसके अलावा अगर कुछ और किया है तो इस बारे में सिर्फ भाई को पता है क्योंकि उन्होंने रिपोर्ट अपने पास रखी है।"
निशि यह सुनकर पूरी तरह चौक गई। उसके हलक से आवाज नहीं निकल पा रही थी। बड़ी मुश्किल से उसने हकलाते हुए कहा "तन्वी? तन्वी के साथ.....! तुम कहना चाहते हो कि यह सब देवेश ने....?"
अव्यांश ने एक बार फिर निशि का हाथ अपने से दूर किया और कहा "इस बात की कोई सफाई दे सकती हो तुम? उसे बचाने के लिए तुम यहां आ गई और तुम कहती हो कि तुम्हें मेरे साथ रहना है। काश कि यह बात सच होती! सच कहता हूं निशी मिश्रा! मुझसे ज्यादा खुश और कोई नहीं होता। अपने आप को गुनहगार मानता हूं मैं, तन्वी का सबसे बड़ा गुनहगार। क्योंकि मैंने तुमसे प्यार किया और इतना किया कि तुम्हारे कहने पर मैंने देवेश को जेल से बाहर निकाला। उसके खिलाफ सारी कंप्लेंट वापस ले ली, वह भी यह जानते हुए कि उसने दो बार हम दोनों की जान लेने की कोशिश की थी। फिर भी मैंने उसे जाने दिया सिर्फ तुम्हारी खातिर। नहीं करना चाहिए था, बिल्कुल नहीं करना चाहिए था"
निशी समझ नहीं पाई कि अव्यांश किस बात को लेकर रिग्रेट कर रहा है, उसकी बात मानने के लिए या उससे प्यार करने के लिए? अव्यांश ने कहा "मेरी बात मानो, यहां से चली जाओ। मेरे पास तुम्हें देने के लिए कुछ नहीं है। खुद की नजरों में गुनहगार बन चुका हूं मैं।"
निशि को तो अभी भी यकीन नहीं हो रहा था की देवेश ऐसा कुछ कर सकता है। उसे मारने की कोशिश की यह बात वो फिर भी करने को तैयार थी क्योंकि दिवस थोड़ा इंपल्सिव नेचर का था लेकिन रेप या मॉलेस्टेशन इस तरह की कोई हरकत देवेश कर सकता है यह मानना उसके लिए थोड़ा मुश्किल था। निशि ने पूछा "तुम्हें बुरा यकीन है कि यह सब उसी ने किया है?"
अव्यांश दर्द में मुस्कुरा दिया और कहा "देखा, तुम उसके लिए आई थी। तुम्हें भरोसा नहीं है कि तुम्हारा देवेश ऐसा कुछ कर सकता है। अगर तुम मेरे लिए यहां तो तुम्हें मेरी बातों पर यकीन होता। निशी! मैंने कभी तुम्हें बांध कर नही रखा था, बस तुम्हें अपने साथ जोड़कर रखना चाहता था। जब तुमसे पहली बार मिला था ना, तभी तुम मुझे अपनी सी लगी थी। जब तुम्हें दुल्हन के रूप में देखा था तब ऐसा लगा जैसे मुझे कुछ मेरा ही ऐसा छूट रहा है और किस्मत देखो, हमारी शादी हो गई। मुझे लगा जैसे मुझे बिना मांगे सब कुछ मिल गया जैसा की हमेशा से होता आया था। मुझे लाइफ में कभी स्ट्रगल नहीं करना पड़ा इसलिए उस स्ट्रगल को एक्सपीरियंस करने के लिए ही मैं बेंगलुरु आया था और यहां से लौटते हुए मुझे तुम मिली। मुझे कुछ और चाहिए ही नहीं था। कब तुमसे प्यार कर बैठा नहीं पता। लेकिन निशी, अगर एक बार फिर तुम मेरे इमोशंस के साथ खिलवाड़ करना चाहती हो, मुझे तोड़ना चाहती हो तो कंग्रॅजुलेशंस। तुम वैसा कर चुकी हो इसलिए प्लीज मेरे सामने कोई नाटक मत करना लकी मुझ पर तुम्हारे इस नाटक का कोई असर नहीं होने वाला। मैं तुम्हारी कोई हेल्प नहीं कर सकता, तुम जा सकती हो।"
अव्यांश ने निशी को एक तरफ किया और दरवाजा खोलकर बाहर निकल गया। निशि अव्यांश की बातों में छुपे दर्द को महसूस कर रो पड़ी और उसके पीछे भागी। निशी ने जल्दी से जाकर अव्यांश की बांह पकड़ कर उसे रोकते हुए कहा "कहां जा रहे हो तुम? मेरी बात सुने बिना तुम नहीं जा सकते। मैं यहां तुम्हारे लिए आई हूं किसी और के लिए नहीं। और तुम मुझे छोड़ कर जा रहे हो? अव्यांश, मैं तुमसे बहुत प्यार करती हूं बहुत ज्यादा। नहीं रह पाऊंगी तुम्हारे बिना। प्लीज एक बार मेरी बात पर यकीन करके देखो।"
अव्यांश ने बड़ी लाचारी से कहा "मुझे खुद पर भरोसा नहीं रहा मैं कैसे वह भरोसा तुम्हें दूं? मैं चाह कर भी नहीं कर पा रहा हूं। किसी पर नहीं। जाओ निशी, मेरे पास तुम्हें देने के लिए कुछ नहीं है। अंदर से खालीपन सा महसूस हो रहा है। तुम घर जाओ।"
अव्यांश की आंखों से दो बूंद आंसू उसके गाल पर लुढ़क आए लेकिन इससे पहले की निशी उन आंसुओ को देख पाती, अव्यांश ने चुपके से उन्हें साफ किया और गाड़ी में बैठकर वहां से निकल गया। निशी बस उसे जाते देखती रही
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Oh no ab to baat jyada hi bad gyi
जवाब देंहटाएंH
जवाब देंहटाएंawesome mind-blowing faboulus part but ab patchup kar dijiye
जवाब देंहटाएंPlease next part daal de 15 se zyada din ho gaye
जवाब देंहटाएंYaa plss complet rha story
जवाब देंहटाएंAap aage k part kyu nhi de rhe are you ok
जवाब देंहटाएंLekhikaji please story ko aage badhao
जवाब देंहटाएंWhen the next part will come
जवाब देंहटाएंNext part kab aayega mam
जवाब देंहटाएंKya story likhni band kar di hai please complete the story
जवाब देंहटाएंWaiting vigorously
Story discontinue kar di kya please complete the story
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