सुन मेरे हमसफर 93

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      एक तनाव भरे बोझिल दिन के गुजरने के बाद अगले दिन सुबह काफी शांति थी। समर्थ श्यामा के कारण अभी भी नाराज था अपने डैड से, और अपनी दादी से भी। इसलिए नाश्ता करने सबके साथ नहीं आया। श्यामा अपने बेटे को मनाने उसके कमरे में पहुंची तो देखा, समर्थ बालकनी के दरवाजे से टिक कर खड़ा हुआ था और कुछ सोच रहा था। श्यामा ने उसके कंधे पर हाथ रखा और कहा "क्या हुआ? आज नाश्ता नहीं करना? चलो ना! फिर ऑफिस भी तो निकलना है।"


     समर्थ ने बाहर देखते हुए कहा "मेरा मन नहीं कर रहा।"


     श्यामा ने समर्थ को अपनी तरफ किया और बोली "किस बात की नाराजगी है तुम्हें? जो कुछ हुआ वह सब बीत गया। रात गई बात गई। अपने परिवार वालों से कोई ज्यादा देर तक नाराज नहीं रह सकता।"


     "थोड़ी देर के लिए तो रह सकता है ना?" समर्थ ने जवाब दिया और वापस से बालकनी की तरफ पलट गया। श्यामा ने एक बार फिर उसे अपनी तरफ घुमाया और बोली "थोड़ी देर नाराज रहा जा सकता है, और वह टाइम खत्म हो गया। तुमने अपने पापा और अपनी दादी, दोनों को बहुत कुछ सुनाया है। घर में किसी को नहीं छोड़ा। और सब चुपचाप तुम्हारा गुस्सा झेल गए, तो अब तुम भी सबके साथ चल कर नाश्ता करो। उसके बाद सब को सॉरी बोल देना।"


     समर्थ ने अपना हाथ छुड़ा लिया और बोला "मैं किसी को सॉरी नहीं बोलूंगा। जिनकी गलती थी, मैंने उन्हें सुना दिया। इसमें मेरी कोई गलती नहीं।"


     श्यामा ने उसे मनाते हुए कहा "अच्छा ठीक है, तुम्हारी मर्जी। तुम्हें नहीं सॉरी कहना तो कोई बात नहीं, लेकिन चलकर सबके साथ नाश्ता तो करो!"


    श्याम उसे खींच कर अपने साथ ले जाने लगी तो समर्थ ने श्यामा का हाथ पकड़ते हुए कहा "मां! मिस्टर मुखर्जी अपनी बेटी के साथ आज अपने घर आ रहे हैं।"


    श्यामा को भी ध्यान आया कि सारांश ने आज की ही बात की थी। वह भी सोचते हुए बोली "हां शायद। देखते हैं अगर वो लोग आज आने वाले होंगे तो।"


     समर्थ ने अपनी मां को दोनों कंधों से पकड़ा और कहा "मां! मैंने आपको सब कुछ बता तो दिया, जो भी मेरे मन में था, सब कुछ। अब इस रिश्ते को होने से आप को रोकना होगा। मैं तनु को अपनी लाइफ में चाहता हूं। मैं अपनी मर्जी के खिलाफ किसी से शादी नहीं करने वाला।"


     श्यामा सोच में पड़ गई। उसे सोचते देख समर्थ ने फिर कहा "मैं कह दे रहा हूं, मैं बिना मर्जी के शादी नहीं करूंगा, मतलब बिल्कुल नहीं करूंगा, और किसी और से तो बिल्कुल नहीं।"


    श्यामा मुस्कुराकर समर्थ के चेहरे छूकर बोली "तुम चिंता मत करो, मैं तुम्हारे पापा से बात करती हूं। वह मेरी बात नहीं टालेंगे और सारांश उनके बात नहीं टालेंगे। तुम चिंता मत करो, मैं करती हूं कुछ।"


     श्यामा समर्थ को लेकर कमरे से निकली और सबके साथ नाश्ते के लिए चली आई। समर्थ का अभी भी मूड ऑफ था तो वहीं खड़ा रहा। श्यामा ने जबरदस्ती उसे उसकी कुर्सी पर बैठाया और उसकी प्लेट लगाने लगी।


    सिया ने अपने चारों तरफ देखते हुए पूछा "सारांश कहां है? आज उसको ऑफिस नहीं जाना क्या? सुबह-सुबह पता नहीं कहां चला गया है!"


    सिद्धार्थ ने कहा "सुबह सुबह एयरपोर्ट गया है वो मॉम! बताया तो था, मिस्टर मुखर्जी और उनकी बेटी या आ रहे हैं। अब जिस काम के लिए वो लोग आ रहे हैं उन्हें कोई ड्राइवर रिसीव करने जाए, ये अच्छा नहीं लगता। इसलिए छोटे खुद गया है उन्हें रिसीव करने।"


     समर्थ ने सुना तो उसने नाराजगी और उम्मीद से अपनी मां की तरफ देखा। श्यामा को समझ नहीं आया कि वह इस सब में क्या कहें। उन्होंने बात करने की कोशिश की "सिद्धार्थ जी! आपको नहीं लगता कि ये सब थोड़ा ज्यादा हो रहा है!"


     सिद्धार्थ अनजान बनते हुए बोले "क्या ज्यादा हो रहा है? हां समर्थ की उम्र ज्यादा हो रही है। यह बात बिल्कुल सही कही तुमने।" सिद्धार्थ ने कनखियो से समर्थ को देखा। उन्हें लगा अपनी उम्र का जिक्र सुनकर समर्थ कुछ रिएक्ट करेगा लेकिन ऐसा कुछ हुआ नहीं। 


     श्यामा ने अपनी बात को समझाते हुए कहा "आप समझ नहीं रहे हैं। समर्थ जब ये शादी नहीं करना चाहता फिर क्यों आप लोग उसके पीछे पड़े है?"


    इस पर सिद्धार्थ ने नाराजगी से जवाब दिया "यह बात पिछले कई सालों से सुनते आ रहे हैं हम लोग। लेकिन क्यों, इसका जवाब कभी नही मिला। कल तक तो तुम भी चाहती थी कि सोमू की शादी हो जाए। आज अचानक से क्या हुआ? वो सब भी छोड़ो, कल दोनों राक्षसी जो बकवास करके गई हमारे बेटे के बारे में, वो कुछ गलत तो नहीं कहा। या तो इसे सन्यासी बनना है या फिर किसी के चक्कर में है और वह लड़की इसे छोड़ कर जा चुकी है, तभी तो ये देवदास बना फिर रहा है। वरना शादी ना करने की और कौन सी वजह हो सकती है? और आप क्यों इसकी साइड ले रहे हो? आपका बेटा है इसका मतलब यह तो नहीं कि उसके हर सही गलत फैसले में इसका साथ देंगे! आपको अपने बेटे की परवाह नही, कोई बात नही। आप उसकी साइड लो, मैं अपने भाई के साथ खड़ा हूं। समर्थ की शादी तय हो चुकी है और उसी लड़की से तय हुई है जिसे सारांश पसंद करके लेकर आया है। इसको किसी लड़की के पीछे देवदास बनना है तो यह बने, हमें कोई फर्क नहीं पड़ता। हमे बस इस घर में बहू चाहिए, चाहे जो भी हो।"


     समर्थ ने नाराजगी से अपने पापा की तरफ देखा और बोला "बस कीजिए आप लोग! मैं कोई सामान नहीं हूं और ना ही जिस लड़की की बात आप कर रहे हैं, वह सामान है, जिसे बस घर में ले आए। शादी कोई मजाक नहीं होता है और यह बहुत अच्छे से जानते हैं। मुझे तो अभी तक यकीन नही हो रहा कि मैं आप लोगों को जानता भी हूं!"


    सारांश की गाड़ी की हॉर्न घर के मेन गेट पर बजा जो घर के अंदर तक सुनाई दिया। सिद्धार्थ ने दरवाजे की तरफ देखा और बोले "लो! इंतजार की घड़ी भी खत्म हुई। सारांश आ गया सब को लेकर। अब बस जल्द से जल्द यह रिश्ता तय हो जाए, फिर मैं चैन से रहूंगा। सुन ले समर्थ! उन लोगों के सामने थोड़ा तमीज से पेश आना। ऐसी सड़ी हुई शक्ल लेकर मत जाना। खबरदार जो किसी तरह की कोई गड़बड़ी की तो! मेरी होने वाली बहू आ रही है, तेरे सड़े से चेहरे पर रौनक होनी चाहिए।"


     समर्थ परेशान होकर बोला "पापा! मैं उस लड़की से शादी नहीं करने वाला।"

 

   इस बार सिया, सुहानी, शिवि और अंशु ने सवाल किया "क्यों नहीं करने वाला?"


      "क्योंकि मैं किसी और से प्यार करता हूं।" समर्थ का इतना कहना था कि सभी शॉक में चले गए। अंशु जो उसके ठीक पीछे खड़ा था, उसने जल्दी से रिएक्ट किया और आकर समर्थ को अपने कंधे पर उठा लिया। समर्थ जब लड़खड़ा कर गिरने को हुआ तब जाकर उसे एहसास हुआ कि अभी अभी उसने क्या कह दिया है। फिलहाल उसे अंशु से डर लग रहा था कि कहीं वह उसे गिरा ना दे। 


     "अंशु छोड़ मुझे, नीचे उतार। वरना मैं सही में गिर जाऊंगा।" समर्थ चिल्लाया तो अंशु ने ज्यादा देर नहीं लगाई और उसे नीचे उतार दिया।


     "भाई! आप पहले से बहुत भारी हो गए हो।" कहते हुए अव्यांश ने अपने सीने पर हाथ रखा और जाकर कुर्सी पर बैठ गया। फिर ऐसे नाटक करने लगा जैसे उसने कितना ज्यादा मेहनत का काम किया हो। समर्थ ने उसे एक किक लगाया, फिर सबकी तरफ देखा जो मुस्कुरा कर उसे ही देख रहे थे। समर्थ थोड़ा झेंप गया और बोला "आप लोग ऐसे क्यों देख रहे हैं मुझे? मैं कोई एलियन नहीं हूं।"


    सिया अपने आंखों से काजल लेकर समर्थ के कान के पीछे लगाते हुए बोली "तू कोई एलियन नहीं है। बस आज तसल्ली हो गई। और इस बात की खुशी है हमें, वरना जो तू कर रहा था, उसके बाद तो हमें यकीन हो गया था कि तू इंसान नहीं है। अब जल्दी से बता, कौन है वह। हम अभी जाकर उससे बात करेंगे।"


     समर्थ कुछ कहने को हुआ लेकिन फिर चुप रह गया। सिद्धार्थ बोले "अब तू बोलेगा या मैं ही तेरे राज खोलूं?"


   सुहानी से और इंतजार नहीं हो रहा था। वह जल्दी से बोली "बड़े पापा! जल्दी बताइए ना, कौन है वह?"


     सिद्धार्थ प्यार से उसके गाल खींचते हुए बोले "तू बहुत अच्छे से जानती है उसे।"


      इतने में सारांश, मिस्टर मुखर्जी के साथ घर के अंदर दाखिल हुए। सब को इस तरह शांत और चुपचाप देख उन्होंने अपने भैया की तरफ इशारे से सवाल किया और उनसे वापस इशारों में जवाब पाकर सारांश के होठों पर बड़ी सी स्माइल आ गई। लेकिन सारांश के बगल में खड़े मिस्टर मुखर्जी को देखकर समर्थ परेशान हो गया और सोचने लगा 'इस उम्र में भी इतने यंग दिखते हैं यह! मानना पड़ेगा। लेकिन मुझे इनसे क्या करना है, सीधे-सीधे इस रिश्ते के लिए मना कर दूंगा फिर चाहे जो भी हो।'


    सारांश, मिस्टर मुखर्जी के साथ अंदर आए और उनके लिए सुबह की पहली कॉफी का इंतजाम करने को कहा।


    शिवि सुहानी और अंशु काफी एक्साइटेड थे अपनी होने वाली भाभी का नाम जानने के लिए। सिद्धार्थ ने तीनों के सर पर हल्की सी चपत लगाई और बोले "थोड़ा सा रुक जाओ।"


      अंशु बोला "सब्र ही तो नहीं हो रहा है बड़े पापा।"


    शिवि भी उसका साथ देते हुए बोली "इतने टाइम से हम सब भाई के लिए परेशान थे और उन्होंने अचानक से लड़की पसंद कर ली, और हमें खबर ही नहीं पड़ी! कौन है वो?"


     समर्थ ने छूटते हुए कहा "वो सब बाद में। चाचू जो भी करने वाले हैं, आप प्लीज उन्हें रोकिए। आप जानना चाहते थे, मैंने बता दिया है। इस सब के बावजूद आप अगर मेरी शादी किसी और से करवाना चाहते हैं तो यह बहुत गलत बात है।"


      सिद्धार्थ मुस्कुरा कर बोले "इतनी जल्दी भी क्या है! पहले लड़की से मिल तो लो। फिर इंकार कर देना इस शादी से।"


    समर्थ कुछ कहता तबतक मिस्टर मुखर्जी की बेटी भागती हुई आई और अपने पापा के गले से लिपट गई। समर्थ और बाकी सब उसको देखकर चौंक गए।


(Sorry readers! छोटे बेटे के साथ एक accident हो गया है। इसीलिए कहानी सही से नही लिख पा रही। उसकी तबीयत ठीक होते ही कहानी वापस से अपनी लय में आ जाएगी। तब तक के लिए sorry!)


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