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सुन मेरे हमसफर 232

  232    सामने स्टेज पर खड़ी अपनी मां को देखकर सारांश और सिद्धार्थ दोनों के मुंह से एक साथ निकला "मॉम!!!"      सिद्धार्थ जल्दी से बोले "मॉम डांस करने वाली है, वह भी इस उम्र में? तुझे ये बात पता थी क्या छोटे?"      यही सवाल तो सारांश के मन में भी था लेकिन अपने भाई के बाद को वो कैसे सपोर्ट कर सकते थे! उन्होंने नाराज होकर कहा "आपके कहने का मतलब क्या है? मॉम क्या डांस नहीं कर सकती? और इस उम्र से क्या मतलब है आपका? गलती से भी मॉम के सामने यह लाइन मत बोल देना वरना आपकी खटिया खड़ी कर देंगी वह।"      सिद्धार्थ चिढ़कर बोले "मुझे बुड्ढा कहता है तू, खुद दादा बनने की उम्र में खड़ा है। और जो परदादी बनने वाली है उसकी उम्र को लेकर तू सवाल कर रहा है?"     सारांश के पास इसका कोई जवाब नहीं था। फिर भी अपनी बात को एक तरफ रख कर उन्होंने पूछा "आपको किसने कहा कि वह परदादी बनने वाली है? अंशु ने मुझे तो कुछ नहीं कहा।"     सिद्धार्थ ने अपना सर पीट लिया। "ऐसी कोई बात होगी ना तो तेरा बेटा सबसे पहले तुझे पकड़ेगा। किसी और से पहले तुझे पता होगी यह बात। और यह सब

सुन मेरे हमसफर 231

 231     निशि की नजरें अव्यांश के बालों से हट ही नहीं रही थी। अव्यांश कुछ बोल रहा था और उसके होठों पर बड़ी प्यारी सी मुस्कुराहट थी लेकिन निशी थी कि उसके दिमाग में बस एक ही बात चल रही थी 'अव्यांश के बाल किसने सेट किए? ये बंगाली स्टाइल इसने आज से पहले कभी यह स्टाइल यूज नहीं किया और ना घर में कोई ऐसा है जो इसके बाल इतनी जल्दी सेट कर दे। और फिर इसे पसंद नहीं कि कोई इसके बालों को हाथ लगाए। तो फिर यह न्यू स्टाइल कहां से?'       अचानक ही निशि के कानों में रेनू जी की आवाज पड़ी, "निशी....!!! तू सुन भी रही है मेरी बात?"     निशी की तंद्रा टूटी। उसने कहा, "क्या है मम्मी? सुन रही हूं आपकी बात, यहीं पर हूं मैं। बोलो क्या कहना है।"      रेणु जी ने सामने देखकर कहा, "तूने और अव्यांश ने मिलकर कोई परफॉर्मेंस तैयार किया है ना? बता ना!!"     निशी ने झुंझला कर सामने देखते हुए कहा "नहीं मां फिलहाल हमारा ऐसा कोई प्रोग्राम नहीं है। मैं कोई डांस नहीं कर रही।"       रेनू जी नाराज होकर बोली "तेरा दिमाग खराब है। जरूर तूने ही कुछ किया होगा। तूने ही मना किया होगा

सुन मेरे हमसफर 230

  230     समर्थ अव्यांश को ढूंढने के लिए वहां से उठ पाता इतने में एक तीखी सी कान फोड़ू आवाज सुनाई पड़ी। सब ने अपने कानों पर हाथ रख लिए। सारांश ने कहा "क्या हो रहा है यह सब? और यह कैसी आवाज है? माइक पर कौन है?"     इसके बाद अव्यांश की आवाज आई "हेलो! हेलो!! सॉरी सॉरी सॉरी!!! थोड़ी प्रॉब्लम हो गई थी लेकिन अब घबराने वाली कोई बात नहीं है अब सब ठीक है।" सब ने राहत की सांस ली। कुहू ने तो घबरा कर कुणाल की बांह पकड़ ली थी।      अव्यांश की आवाज सुनकर कुहू गुस्से में बोली "किसी का मर्डर करके सॉरी बोल देना तू।"     उसकी यह बात अव्यांश ने सुन ली और वह बोला "डोंट वरी दी! ऐसी कोई नौबत नहीं आएगी। क्योंकि उस टाइम मैं सॉरी बिल्कुल नहीं बोलूंगा।" अव्यांश की बात सुनकर सभी हंस पड़े और कुहू इधर-उधर देखने लगी। अंधेरे में उसे कुछ नजर नहीं आ रहा था। लेकिन वह इतना समझ गई थी कि अव्यांश उसके आसपास ही है जो उसकी बात सुन रहा था।      अव्यांश अपनी धुन में बोल रहा था "दुनिया की सबसे खूबसूरत चीज क्या है, सबसे खूबसूरत एहसास? वह प्यार है। यह प्यार कब किससे कैसे हो जाए हम नहीं

सुन मेरे हमसफर 229

  229      कुणाल अपनी जगह पर बैठा कार्तिक सिंघानिया का इंतजार कर रहा था। उसकी नजर अपने डैड पर गई जो उसे ही देख रहे थे और इशारे में उसे मुस्कुराने को कह रहे थे। कुणाल ने भी जबरदस्ती मुस्कुरा दिया और इधर-उधर देखने लगा। इंतजार भले ही वो अपने दोस्त का कर रहा हो लेकिन नजरे तो शिवि को ही तलाश रही थी।      'कहां रह गई यह? क्या सचमुच इसे अपनी बहन का संगीत अटेंड नहीं करना है? इतनी नाराज है क्या वह? फैमिली में क्या बहाना बनाया होगा उसने?' कुणाल अभी सब कुछ सोच ही रहा था तभी कुहू सुहानी का हाथ पकड़े कुणाल के पास आई। कुणाल ने अचानक ही कुहू को देखा तो देखा ही रह गया। सफेद और पिक के कांबिनेशन कुहू ने भी पहना था लेकिन उसकी ड्रेस बाकी सबसे थोड़ी अलग थी। उसके लहंगे का ब्लाउज थोड़ा सा शोल्डर से नीचे गिरा हुआ था। (अब मुझे फैशन की इतनी जानकारी नहीं है और इस डिजाइन को क्या कहते हैं मुझे नहीं पता तो यह मैं आप लोगों की इमेजिनेशन पर छोड़ती हूं।)      हां तो मैं कहां थी? गुलाबी रंग के डाउन शोल्डर वाले ब्लाउज और सिल्वर रंग का लहंगा जिसमें गुलाबी घेरा बना हुआ था। उस पर से मोतियों की एंब्रॉयडरी। कान में मो

सुन मेरे हमसफर 228

 228        तन्वी ने समर्थ को संभाला और पूछा "आप ठीक हो?"      समर्थ सीधा खड़ा हुआ और अपना सर झटकते हुए बोला "हां मैं ठीक हूं।" तब जाकर समर्थ की नजर उस तूफान पर पड़ी जिससे वह टकराया था। उसके मुंह से निकला "तुम यहां? तुम कब आई?"     ये तूफान और कोई नहीं बल्कि वही लड़की थी जिसे अंशु रिसीव करने गया था। वह मुस्कुरा कर बोली "हां भाई! मैं यहां। अब कोई मुझे बुलाएगा नहीं इसका मतलब यह तो नहीं कि मैं यहां आऊंगी नहीं और क्या लगा आप लोगों को, चुपचाप कुहू दी की शादी हो जाएगी और मुझे पता भी नहीं चलेगा? मुझे इनविटेशन भी नहीं मिलेगा? मतलब हद है! मुझे भूल गए? मुझे भूल गए?? आपको पता है मैं कितनी इंपॉर्टेंट हूं!"     समर्थ ने जल्दी से उस बकबक मशीन के मुंह पर हाथ रखा और बोला "जानता हूं तू बहुत इंपॉर्टेंट है। इसलिए तो तुझे इनवाइट करने के लिए पार्थ को कहा था।"       उस लड़की ने अपने मुंह से समर्थ का हाथ हटा कर बोला "उसको तो मैं अच्छे से सबक सिखाऊंगी और अच्छे से खबर लूंगी। पिछले 1 महीने से बात नहीं की है उसने मुझसे, इनविटेशन देना तो दूर की बात है मुझे त

सुन मेरे हमसफर 227

  227       अव्यांश ने कार्तिक सिंघानिया को अजीब नज़रों से सर से पैर तक घूर कर देखा और बोला "तुम शादी से भाग क्यों रहे हो? तुम में कोई प्रॉब्लम है क्या? आई मीन, देखो हमारी सोच ऐसी नहीं है कि हम तुम्हें जज करेंगे। अगर तुम्हें लड़कियों में इंटरेस्ट नहीं है तो फिर इसमें शर्माने या छुपाने वाली कोई बात नहीं है। तुम चाहो तो मुझे खुलकर बता सकते हो। या फिर अगर बात कुछ और है तो फिर.........!"      कार्तिक सिंघानिया भौचक्का रह गया। उसे बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी कि अव्यांश उसकी बात का ये मतलब निकलेगा। उसने जल्दी से कहा "तुम गलत समझ रहे हो ऐसा कुछ नहीं है। तुम गलत पटरी पर जा रहे हो।"      लेकिन अव्यांश ने उसे समझाते हुए कहा "देखो कार्तिक! मैं समझ रहा हूं, कोई भी इंसान जो नॉर्मल से थोड़ा हटके होता है या फिर उसे कोई प्रॉब्लम होती है और वह भी ऐसी वैसी वाली प्रॉब्लम तो वह किसी से कुछ भी कहने में शरमाता है, झिझक सकता है। और उसका सबसे पहले थॉट यह होती है कि कोई उसे जज करेगा। हम ऐसे नही है। देखो! तुम नॉर्मल हो या नहीं हो इससे हमे कोई फर्क नहीं पड़ता।"      अव्यांश की बेसिर प

सुन मेरे हमसफर 226

  226     अव्यांश की बात सुनकर कार्तिक थोड़ा घबरा गया। फिर उसने खुद को समझाया 'क्या कर रहा है, तू इतना क्यों घबरा रहा है जैसे तूने कुछ गलत किया हो? तुझे तो बस सुहानी से बात करनी थी इसलिए उसके पीछे जा रहा था। वह तुझे अवॉइड करके चली गई इसमें मेरी क्या गलती? और इससे इतना डरने वाली क्या बात है? शादी वाले घर में यह कोई बखेड़ा नहीं करेगा और तू इतना कमजोर भी नहीं है कि कोई तुझे.........."       अव्यांश ने एक बार फिर कार्तिक को आवाज़ लगाई "क्या तुम कंफर्टेबल हो?"     कार्तिक सिंघानिया खिसियानी हंसी हंसते हुए बोला "कंफर्टेबल? वाई नॉट! बिल्कुल!! मुझे क्या हुआ? हम कोई पहली बार तो मिल नहीं रहे। एक दूसरे को काफी टाइम से जानते हैं हम लोग इसमें सोचने वाली क्या बात है। तो बताओ क्या बात करनी है?"     अव्यांश ने फिर उसे याद दिलाया "यहां नहीं कहीं और।"     कार्तिक अंदर ही अंदर थोड़ा घबरा रहा था इस तरह का एक जाना माना केस उसने देखा था जब ऐसे ही शादी के मौके पर अकेले में बात करने के बहाने बुलाकर अपनी बहन के बॉयफ्रेंड का मर्डर कर दिया था। फिर भी खुद को अच्छे से समझा

सुन मेरे हमसफर 225

  225      देवेश ने गुस्से में अपना फोन दीवार पर फेंक कर मारा जिसके कारण फोन कई टुकड़ों में बिखर गया। एक नाजुक सी कलाई देवेश के कंधे पर पड़ी और दूसरी कलाई ने वाइन की ग्लास देवेश के सामने की। देवेश उस ग्लास को अपने हाथ में लिया और एक ही घूंट में खत्म कर दिया। कमरे के दूसरे कोने से आवाज आई "इस तरह अपना गुस्सा फोन पर उतारने से कुछ नहीं होगा। मैंने कहा था ना इतना भरोसा मत करो उसे पर लेकिन तुम्हें तो कुछ ज्यादा ही भरोसा था। आ गई अकल ठिकाने?"      देवेश ने बिना पलटे गुस्से में जवाब दिया "तुम तो कुछ बोल ही मत। इतने सालों में तुमने क्या उखाड़ लिया?"       पीछे से हंसती हुई आवाज आई "मैंने क्या उखाड़ लिया क्या नहीं वह तो बाद में पता चलेगा। लेकिन इतना जान लो तुम, ये लाइफ में बस पहली बार था यह जब मैं हारा था और तुम नौ पहली बार में ही पकड़े गए थे।"     यह बात देवेश को बहुत बुरी लगी। उसने गुस्से में ग्लास को टेबल पर रखा और बोला "मैं हार नहीं मानने वाला, फिर चाहे प्यार से चाहे जबरदस्ती से।" पूरे कमरे में खामोशी छा गई। *****     अव्यांश ने आकर रेहान और लावण्या क

सुन मेरे हमसफर 224

  224      अव्यांश ने सिद्धार्थ की आवाज सुनी तो उसने काया से कहा "जल्दी बता बात क्या है।"     काया को समझ में नहीं आया कि वह आगे क्या पूछे। उसकी नजर भी आने वाले उन दो मेहमानों पर थी और अव्यांश की आवाज से उसकी तंद्रा टूटी। उसने हकलाते हुए कहा "भाई वह मैं........ असल में..........."       अव्यांश परेशान परेशान हो गया। सिद्धार्थ की आवाज सुनकर अव्यांश समझ गया था कि आने वाला मेहमान कोई खास है और उनके स्वागत के लिए अव्यांश का होना जरूरी था। लेकिन काया उसे रोक हुए थी और कुछ बोल भी नहीं रही थी। अव्यांश परेशान होकर बोला "देख कायू, अगर तुझे कोई बात नहीं करनी है तो मुझे जाने दे।"     अव्यांश वापस जाने लगा तो काया ने फिर से उसका हाथ पकड़ लिया और बोली "लेकिन भाई! कुछ जरूरी था।"     अव्यांश से समझाते हुए बोला "देख लल्ली! जो जरूरी है उसे कुछ देर के लिए पोस्टपोन कर दे या फिर तू किसी और से अपना काम करवा ले। फिलहाल मुझे निकलना है और अगर यह काम सिर्फ मैं कर सकता हूं तो फिर बाद में मिलना, ठीक है? ज्यादा टेंशन लेनी की जरूरत नहीं है। अभी मुझे जाना है।" अपने

सुन मेरे हमसफर 223

 223      दरवाजे पर कुणाल और उसकी पूरी फैमिली खड़ी थी। कुणाल अपने एक हाथ में स्टिक लिए वहां मौजूद था। उसके साथ में उसका दोस्त कार्तिक सिंघानिया खड़ा था। काव्या और कार्तिक दोनों मिलकर अपनी बेटी के होने वाले ससुराल वालों का स्वागत करने में लगे थे।     कुणाल, तिलक कराने के बाद अंदर आया तो बाकी सब भी एक-एक कर तिलक लगवा कर अंदर आते गए। कार्तिक सिंघानिया कुणाल के साथ ही था। सच कहूं तो यह कार्तिक सिंघानिया की मजबूरी थी। कुणाल ने उसे बुरी तरह अपने साथ रहने पर मजबूर कर दिया था। न जाने उसे किस बात का डर था और किस चीज की यह घबराहट थी जो कुणाल उसे छोड़ने का नाम ही नहीं ले रहा था।     अंदर आते हुए कार्तिक सिंघानिया ने झुंझलाकर कुणाल से पूछा "अब किस बात का डर है तुझे? ना तो तू ड्राइव कर रहा है और ना ही तेरा एक्सीडेंट होने वाला है। सच कहूं तो अब तक तुझे अपनी हड्डियां तुड़वाने का एक्सपीरियंस अच्छा खासा हो गया होगा। बस टांगे बची थी, वह कसर भी पूरी हो गई। अब तो मेरा हाथ छोड़ दे मेरे भाई! यहां तेरे ससुराल वाले है जो तुझे अपने कंधे पर बिठा कर रखेंगे। तुझे मेरी जरूरत नहीं होगी।"      कुणाल उसे अप