सुन मेरे हमसफर 219
219 सुबह से शाम हो चली थी लेकिन अव्यांश का कहीं कोई पता नहीं था। निशी बार-बार अपने कमरे की बालकनी में खड़े होकर बाहर दरवाजे की तरफ देखती लेकिन अव्यांश की गाड़ी आज पूरे दिन में एक बार भी उसे नजर नहीं आई। अव्यांश का फोन भी नहीं लग पा रहा था। एक बार फोन किया भी तो किसी लड़की ने उठाया था। यह सोचते ही निशि को बहुत ज्यादा अजीब लगा। इससे पहले तो कभी किसी लड़की ने अव्यांश का फोन रिसीव नहीं किया था। लेकिन हो सकता है वह काम में लगा हो और अपना फोन कहीं रख कर भूल गया हो इसलिए उसने सीधे-सीधे उस लड़की से अव्यांश तक मैसेज पहुंचने को कहा था ताकि वह कॉल बैक करें लेकिन अब तक अव्यांश का कॉल बैक नहीं आया था। उसने एक बार सुहानी से पूछा भी लेकिन सुहानी ने उसका ही मजाक बनाते हुए इनकार कर दिया। निशी जानती थी सुहानी को उसके और अव्यांश के बीच चल रहे टेंशन के बारे में कुछ नहीं पता इसलिए निशी बस मुस्कराकर रह गई और ज्यादा कुछ पूछ नहीं पाई। उसे किसी भी तरह अव्यांश से बात करनी थी और यह बात क्यों करनी थी वह खुद नहीं समझ पा रही थी। निशी ने फिर से अव्यांश का नंबर डा...