सुन मेरे हमसफर 218

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ये रात बहुत मुश्किल थी, हर किसी के लिए। सब की वजह अलग-अलग थी और सभी एक दूसरे से अनजान। रात सब की आंखों में कटी। सुबह होते ही अव्यांश घर से बाहर निकलने लगा। कुहू ने उसे जाते हुए देखा तो उसे आवाज लगा कर बोली "इतनी सुबह कहां जा रहा है? अंशु रुक!"


   अव्यांश ने गाड़ी की चाबी उठाते हुए कहा "बस आ रहा हूं दी, कुछ काम है।"


    कुहू ने एक बार फिर उसे रोका और बोली "हां तो रुक जा मैं तेरे लिए कॉफी बना दे रही हूं।"


     अव्यांश रुका और वापस पलट कर कुहू के पास आया। उसने मुस्कुरा कर उसको दोनों कंधे से पकड़ा और बोला "शगुन की हल्दी लग गई है आपको, रसोई में कैसे जाओगे? आप चिंता मत करिए मैं बाहर कॉफी ले लूंगा। और वैसे भी मेरे पास टाइम बिल्कुल नहीं है। अगर होता तो फिर मैं खुद से कॉफी बना लेता।"


    अव्यांश पलट कर वहां से जाने लगा तो कुहू ने फिर सवाल किया "अरे लेकिन जा कहां रहा है इतनी हड़बड़ी में जो तेरे पास टाइम नहीं है?"


    अव्यांश ने बाहर निकलते हुए ही उसे कहा "जा रहा हूं दी, बस किसी को लेने जाना है। सरप्राइज है आकर बताता हूं।"


    कुहू सोच में पड़ गई। सारे गेस्ट आ चुके थे फिर ऐसा कौन था जिसे लेने वो गया है? कुहू अपने सर पर हाथ मार कर बोली "इस लड़के का भी ना, कुछ पता नहीं चलता कब क्या करता है। शादी के बाद भी नहीं बदला।"


      काव्या ने उसे पीछे से पकड़ा और बोली "कौन नहीं बदला?"


     कुहू मुस्कुरा कर अपनी मां के गले लग गई और बोली "कोई नहीं मां। अपने अंशु के अलावा कोई और हो सकता है! पता नहीं सुबह-सुबह कहां निकल गया है कॉफी तक नहीं ली उसने।"


     काव्या प्यार से उसके चेहरे को छूकर बोली "कोई बात नहीं, तू पी लेना। मैं बना कर लाती हूं।" इतना कहकर काव्या किचन में चली गई और कुहू वही डाइनिंग टेबल की तरफ चली आई। उसने नजर घूमाकर गेस्ट रूम की तरफ देखा जहां चित्रा आराम से सोई हुई थी, ऐसा कुहू को लग रहा था।


     चित्रा भी कमरे से बाहर निकाल कर आई तो देखा कुहू वहीं हॉल बैठी है तो वह भी जाकर कुहू के बगल में ही बैठ गई और बोली, "गुड मॉर्निंग!"


   कुहू ने अचानक से चित्रा को देखा बोली "गुड मॉर्निंग मॉम!आप सोए नहीं क्या?"


    चित्रा की आंखें थकी हुई सी लग रही थी जिन्हें देख किसी को भी साफ समझ में आ जाता कि चित्रा रात भर सोई नहीं। उसने उबासी लेते हुए कहा "तूने ही पागल बना रखा है, और कुछ नहीं।"


   काव्या अपने हाथ में कॉफी मग लेकर आई तो चित्रा की कही कुछ बात उसके कान में पड़ी। उसने पूछा "किसने पागल बना रखा है, वो भी तुम्हे?"


    चित्रा ने कुहू के कान पकड़ लिए और बोली "इसके अलावा और किसकी इतनी हिम्मत है! वैसे काव्या, मेरी कॉफी?"


    काव्या ने भी मुस्कुरा कर कॉफी का दूसरा मग चित्रा की तरफ बढ़ते हुए कहा "मुझे पता था। मैंने तुम्हें अपने कमरे से निकलते हुए देख लिया था। यह कॉफी ले लो, तुम्हें इसकी जरूरत है।"


    चित्रा ने जल्दी से काफी मांग लिया और एक घूंट लेकर बोली "सच में मुझे इसकी बहुत ज्यादा जरूरत है।"


     काव्या ने चित्रा के हाथ पर हाथ रखा और बोली "जब बेटी की शादी होने को है और जब उसकी विदाई होने को है, तो एक मां को नींद नहीं आती। मैं समझ सकती हूं, तुम भी रात भर सो नहीं पाई हो, है ना?"


     चित्रा इमोशनल हो गई। उसने कुहू की तरफ देखा और आंखों ही आंखों में थोड़ी नाराजगी जाहिर की। कुहू को खुद भी बहुत बुरा लग रहा था लेकिन उसने अपनी नजर दूसरी तरफ कर ली।



*****




    निशि के लिए रात बहुत भारी थी। वह खुद ही कुछ तय नहीं कर पा रही थी। उसे अव्यांश से बात करना था लेकिन अव्यांश था कि अपना फोन बंद किए हुए था या फिर उसका कॉल नहीं उठा रहा था। निशी ने रात में कई कोशिश की उससे बात करने की लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। अव्यांश के कॉल का इंतजार करते-करते निशि कब वही बिस्तर पर एक साइड सो गई, उसे पता ही नहीं चला।


   सुबह अवनी उसे जगाने के लिए आई लेकिन उसका सर बहुत ज्यादा भारी हो रहा था इसलिए अवनी ने उसे सर दर्द की दवाई दी और वापस से उसे सुला दिया। उसकी ऐसी हालत देख निशी के मम्मी पापा भी उसके पास आकर बैठ गए।



    तो वहीं दूसरी तरफ अव्यांश एयरपोर्ट के वेटिंग एरिया के पास खड़ा किसी के आने का इंतजार कर रहा था। खुद को बिजी करने का हर तरीका उसके लिए बेकार हो रहा था। दिमाग बार-बार निशि की कही बातों को ही दोहरा रहा था और दिल का दर्द आंसू के जरिए उसकी आंखों से निकलने की कोशिश कर रहे थे। लेकिन अव्यांश को खुद को मजबूत बनाना था। वह इतना कमजोर नहीं था कि किसी भी बात से टूट जाए लेकिन सच बात तो यह भी थी कि जो कुछ भी हो रहा था उसके लिए बिल्कुल नया था 


     तो क्या वाकई अव्यांश और निशि एक दूसरे से अलग हो जाएंगे या निशि और अव्यांश कुछ करेंगे इस रिश्ते को बचाने के लिए?




    खड़े-खड़े 2 घंटे कब निकल गए अव्यांश को पता ही नहीं चला। जिस फ्लाइट के आने का इंतजार उसे था वो फ्लाइट लैंड भी हो चुकी थी और जिसके लिए वह आया था, वह कब का फ्लाइट से उतर चुकी थी। लेकिन अव्यांश था कि अपनी ही दुनिया में खोया हुआ था। उसकी तंत्र तब टूटी जब उसे अपने दोनों गालों पर जोर का दर्द महसूस हुआ।


      नहीं नहीं! किसी ने अव्यांश को थप्पड़ नहीं मारा था, बल्कि किसी ने बड़े प्यार से अव्यांश के दोनों गाल पड़कर खींच दिए थे। अव्यांश दर्द में चिल्लाया "आह! क्या कर रही हो यार?"


     एक मीठी सी खिलखिलाहट माहौल में घुल गई। अव्यांश ने अपने सामने खड़ी अपने हमउम्र उस लड़की को देखा। गाढ़े हरे रंग का क्रॉप टॉप और व्हाइट कलर की फुल लेंथ स्कर्ट। कान में झुमके नाक में नथ, एक हाथ में पूरे भरकर चूड़ियां और दूसरे में ब्रेसलेट। मेकअप के नाम पर बस हल्का सा टच अप और हल्की सी लिपस्टिक, ऊपर से आंखों पर काला चश्मा। ओवरऑल वह ट्रेडिशनल के साथ-साथ मॉडर्न भी लग रही थी। 


     कौन है यह मोहतरमा? और इसके आने से अंशु और निशि की लाइफ में क्या फर्क पड़ेगा?

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