सुन मेरे हमसफर 212

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     अपने हाथों में लगी मेहंदी को देखकर निशि थोड़ी इमोशनल हो गई। उसे अपनी शादी याद आ गई। उस वक्त भी तो उसे ऐसे ही मेहंदी लगी थी, बिल्कुल दुल्हनों वाली। और उसकी शादी में उसके साथ क्या हुआ था यह भी वह कभी भूल नहीं सकती थी। इतना बड़ा धोखा जो किसी और से नहीं, उसे अपने पति से मिला था। 


    'लेकिन अव्यांश ऐसा नहीं है। मेरा दिल ये मानने को तैयार नहीं है कि वह मुझे इतना बड़ा धोखा दे सकता है।' लेकिन निशि के दिमाग ने कहा 'और क्या सबूत चाहिए तुझे? उसने खुद एक्सेप्ट किया है यह बात। भले ही खुलकर उसने कुछ ना कहा हो लेकिन तेरे सारे इल्जाम उसने एक्सेप्ट किए हैं। तेरे सारे ब्लेम उसने अपने सिर लिए हैं तो फिर तू कैसे सबको झुठला सकती है? सच से आंखें मूंद लेने से वह सच बदल नहीं जाता। और सच यही है कि तू एक बहुत बड़े धोखे का शिकार हुई है, और इस धोखे की प्लानिंग उसने न जाने कब से कर रखी थी। कोई मासूम नहीं है वह।' 


     लेकिन दिल बोला 'अव्यांश की मासूमियत उसकी आंखों में झलकती है और आंखें दिल का आईना होती है, तू इस बात से कैसे इंकार करेगी? एक बार अपने मन में चल रही उथल-पुथल उसके सामने तो रख! और किसी को नहीं तो पूरे हक़ से तू अव्यांश से इस बारे में बात तो कर।' 


    दिमाग बोला 'बकवास बंद कर अपनी। क्या करेगी तू? सब कुछ जानने के बाद भी तू उसे अपना पाएगी? उसके धोखे को भूल जाएगी? क्या वह तेरे पापा की प्रॉपर्टी तुझे वापस करेगा? तूने जो किया सही नहीं था लेकिन जो उसने किया क्या वह सही था? उसने भी तो तेरी फिलिंग्स को हर्ट किया! और तूने उसका बदला लिया है। वह हर्ट है, उसे तकलीफ हुई है इसलिए वह तुझसे बात नहीं कर रहा और वह गलत है इसलिए वह तेरे सामने नहीं आ रहा। तेरे पास और कोई चॉइस नहीं है। इससे पहले कि...........' 


    इससे पहले की निशी और कुछ सोच समझ पाती, मेहंदी वाली ने कहा "मैडम हो गया आपका।"


     काया ने निशि के कंधे पर हाथ रखा और बोली "भाभी उठो, अब मेरी बारी।" निशि की तंद्रा टूटी और वह चुपचाप उठकर वहां से चली गई। पीछे गार्डन में टहलते हुए बस उसे अपने दिल और दिमाग की लड़ाई ही सुनाई दे रही थी। तभी उसे अपने फोन की घंटी बजाती हुई सुनाई पड़ी।


    निशि के दोनों हाथ में मेहंदी लगी थी इसलिए वह फोन नहीं उठा सकती थी जो उसके कमर में बंधी थी। लेकिन फोन के रिंगटोन से वह इतना तो समझ गई थी कि यह जो भी था कोई अनजान था और अंजान कॉलर के बारे में सोचते ही उसे उस इंसान का ध्यान आया जिसने उसे अव्यांश के खिलाफ भड़काया था और निशि को आधी अधूरी जानकारी दी थी।


    निशि ना वह फोन उठा सकती थी और ना ही वह फोन उठाना चाहती थी। फोन भी बजते बजते बंद हो गया तो निशि ने चैन की सांस ली और एक तरफ बैठ गई।



*****





   चित्रा गेस्ट रूम में इधर से उधर टहल रही थी। वह यहां क्या कर रही थी उन्हें खुद नहीं पता था। कुछ देर बेचैनी में इधर-उधर काटने के बाद उनके फोन पर एक मैसेज आया। चित्रा ने उसे मैसेज को खोल कर देखा और फोन बंद कर अपने कमरे से निकल गई।


     वहां से निकलकर वह पीछे की तरफ जाने को हुई तो अवनी, जो इस वक्त काव्या की मेहंदी पूरी करने में लगी थी, ने उन्हें आवाज लगाई "चित्रा! आ जाओ, मैं तुम्हें मेहंदी लगा देती हूं। इन लोगों को तो बहुत टाइम लगेगा।"


     चित्रा एकदम से घबराकर रुक गई। उसने हड़बड़ा कर कहा "अवनी! मैं बस थोड़ी देर में आती हूं। एक काम निपटाना है, उसके बाद मेहंदी लगवा लूंगी। ठीक है, मैं आती हूं।" चित्रा वहां रुकी नहीं और फौरन वहां से निकल गई।


   चित्रा को इस तरह हड़बड़ाते देख अवनी को थोड़ा अजीब तो लगा लेकिन इस पर ध्यान देने वाली कोई बात नहीं थी क्योंकि यह चित्रा की आदत थी। वह कब क्या करती थी किसी को कुछ समझ नहीं आता था और उनकी यह आदत आज तक नहीं गई थी।


     चित्रा सबसे बचते हुए पीछे गार्डन में गई और वहां साइड में एक कोने में खड़ी कुहू उसे नजर आई। चित्रा तेजी से कुहू की तरफ बढ़ी और उसके पीछे खड़ी होकर बोली "बात क्या है?"


    कुहू जो उनकी तरफ पीठ के खड़ी थी, उसने पलट कर अपनी चित्रा मॉम की तरफ देखा और कुछ कहने के लिए अपना मुंह खोला लेकिन चित्रा उसे बीच में ही रोक कर बोली "जो भी बोलना है साफ-साफ बोलना। ऐसे घुमा फिरा कर कुछ कहने की जरूरत नहीं है। मेरा दिमाग इस वक्त बहुत खराब है।"


     कुहू उन्हें समझाते हुए बोली "आप प्लीज शांत हो जाइए। और लाइफ के इस मोमेंट पर अगर आप मुझसे नाराज हो जाएंगी तो मेरा साथ कौन देगा? चित्रा उस पर नाराज होते हुए बोली "तू खुद सोच, मैं कैसे तेरा साथ दे दूं? तु जो कर रही है और जो तू करने जा रही है इसके बारे में घर में किसी को पता है? अगर किसी को पता होता तो क्या तुझे ऐसा कुछ करने देते?"


    कुहू अपनी बात समझा समझाकर थक चुकी थी। उसने इस बारे में अब और ज्यादा कुछ कहना सही नहीं समझा। उसने बस इतना कहा "अगर इस बारे में किसी को पता होता तो बात यहां तक पहुंचती ही नहीं। और जिसको पता है वो चुप बैठा है। लेकिन मैं जानती हूं, अगर सब को सच पता चल गया तो क्या होगा और मैं यही नहीं चाहती।"


     चित्रा नाराज होकर बोली "मुझे इस बारे में कोई बात नहीं करनी। तू यह बता, मुझे यहां क्यों बुलाया है?"


     कुहू मुस्कुरा कर बोली "मैंने आपको इसलिए बुलाया था कि जो कुछ भी मैंने प्लान किया है सब कुछ उसी हिसाब से जा रहा है बस आप नेत्रा को इस सबसे दूर रखना। मैं नहीं चाहती कि वह सब के बीच में आए।"


    चित्रा ने बेबसी से कुहू की तरफ देखा तो कुहू बोली "मॉम! मैं कुणाल से बहुत प्यार करती हूं और उसके लिए मैं कुछ भी कर सकती हूं। मेरी खुशी कुणाल से जुड़ी है। आप इस तरह मुझे मत देखिए। मैं ये सब सिर्फ अपने प्यार के लिए कर रही हूं।"


   पास ही खड़ी निशी की कानों में कुहू के शब्द पड़े तो वो चौंक गई।



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