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ये हम आ गए कहाँ!!! (54)

     रूद्र को शाम का इंतजार था क्योंकि आज शाम बहुत कुछ होने वाला था, मानसी के साथ भी और शरण्या के साथ भी। रूद्र ने शरण्या को फोन लगाया लेकिन पूरी रिंग जाने के बावजूद उसने फोन नही उठाया। दो-तीन बार और कोशिश करने के बाद जब शरण्या ने फोन नहीं उठाया तो रूद्र परेशान हो उठा। उसने लावण्या को कॉल किया। उस टाइम वो किसी फाइल को लेकर बिजी थी जिसे आज शाम तक उसे कंप्लीट करना था। लावण्या ने जब अपने फोन की स्क्रीन पर रूद्र का नंबर फ्लैश होते देखा तो उसे थोड़ा अजीब लगा। "हेलो रूद्र! क्या बात है, तुमने मुझे कॉल किया? मतलब अब तो तुम्हें शरण्या को कॉल करना चाहिए तो फर तुम मुझे क्यों कॉल कर रहे हो, ऐसा कौन सा सरप्राइज प्लान कर रहे हो उसके लिए जो तुम्हें मेरी जरूरत पड़ गई?"      रुद्र परेशान होते हुए बोला, "सरप्राइज में प्लान नहीं कर रहा, सरप्राइज तो मेरी लाइफ प्लान करने वाली है। कब से शरण्या को कॉल लगा रहा हूं लेकिन वह फोन नहीं उठा रही है। आज शाम को लेकर कुछ ज्यादा ही परेशान हो रही है वो। इतनी परेशानी वाली बात नहीं है लावण्या जितना कि वह बना रही है। उसे तो मैंने पहले ही कहा था कि लड़के को

ये हम आ गए कहाँ!!! (53)

    रूद्र के इतने रोमांटिक प्रपोजल के बाद शरण्या के उपर उसके पापा ने जो बम फोड़ा उसके बाद उसे समझ नही आया की वो करे तो क्या करे! लावण्या भी उसे लूक देकर चली गयी। शरण्या ने अपना सिर पिट लिया। "पापा.......! मुझे ये रिश्ता नही करना!" शरण्या ने बड़ी हिम्मत कर अपने पापा के सामने अपनी बात रखी। ललित को उम्मीद नही थी कि शरण्या बिना एक बार लड़के से मिले उसे रिजेक्ट कर देगी! उन्होंने हैरानी से शरण्या की ओर देखा और बोले, "बेटा इतनी जल्दी भी क्या है! पहले एक बार आप उससे मिल तो लो; हम आपसे कोई जबरदस्ती तो नहीं कर रहे हैं। लेकिन बिना देखे बिना मिले किसी को बस ऐसे ही रिजेक्ट कर देना यह भी तो सही नहीं है और सिर्फ मिलना ही तो है, कौन सा हम आज ही सगाई की बात कर रहे हैं। पहले रिश्ता तो तय हो जाए उसके बाद ही कोई बात आगे बढ़ेगी, हैं ना बेटा?"       शरण्या कुछ और सुनने के मूड में नहीं थी। वह इस टॉपिक को आगे बढ़ाना ही नहीं चाहती थी। जब एक बार उसका रिश्ता रुद्र के साथ तय हो चुका है वैसे में किसी और से मिलने का सवाल ही पैदा नहीं होता। उसने सीधे सीधे ना बोल कर वहां से जाना ही बेहतर समझा। अनन

ये हम आ गए कहाँ!!! (52)

     रूद्र ने रेडियो स्टेशन के बाहर गाड़ी रोकी और शरण्या के बाल ठीक करते हुए बोला, "तु जा, मै यहीं तेरा इंतज़ार करता हु।" शरण्या ने किसी बच्चे की तरह रुद्र का हाथ पकड़ लिया और बोली, "मुझे नहीं जाना कहीं! मुझे इस वक्त सिर्फ तेरे साथ रहना है।" रुद्र उसकी बाल की लटो को कान के पीछे करते हुए बोला, "मैं कहां तुझसे दूर जा रहा हूं! यहीं हूं तेरा इंतजार कर रहा हूं, तु अपना काम निपटा और जल्दी से वापस आ। काम जरूरी है, अगर तू नहीं गई तो मैं गुस्सा हो जाऊंगा।" शरण्या का बिल्कुल भी मूड नहीं था रूद्र का हाथ छोड़ने का लेकिन फिर भी उसे अपना काम खत्म करना ही था। उसने रूद्र को मुस्कुरा कर देखा और बाहर निकलने से पहले अपने बैग से कुछ समान निकालकर खुद का मेकअप ठीक किया और वहाँ से जाने के लिए दरवाजा खोला। रूद्र उसे जाते हुए नहीं देखना चाहता था इसलिए उसने अपना फोन निकाला और आज रात भर आए न्यू ईयर विशेज के मैसेजेज को चेक कर उन्हें रिप्लाई करने लगा। तभी शरण्या के हाथ उसे अपने चेहरे पर महसूस हुए। इससे पहले कि वह शरण्या की ओर देख पाता शरण्या उसके गाल पर किस कर के चली गई।       रूद्र म

ये हम आ गए कहाँ!!! (51)

      नया साल सभी के लिए खास और उम्मीदों भरा था। हर किसी के दिल में एक चाहत थी अपने प्यार के साथ पूरी जिंदगी गुजारने की और सभी इस कोशिश और इंतजार में थे। शरण्या भी रूद्र के साथ बैठी अपनी आने वाली जिंदगी के सपने बुन रही थी। अचानक से वह पूछ बैठी, "मतलब तुझे पता था कि वह आरजे मैं हूं?" रूद्र ने मुस्कुराकर हां में सिर हिला दिया। शरण्या ने फिर कहा, "तो फिर तूने उस रात उस इशिता का नाम क्यों लिया था? क्यों कहा था तूने कि तु उससे प्यार करता है?" शरण्या एक बार फिर गुस्सा हो रही थी। रूद्र उसे समझाते हुए बोला, "मैंने किसी का नाम नहीं लिया था शरू! तूने खुद इमेजिन कर लिया था। इसमें मेरी कोई गलती नहीं है। याद करने की कोशिश कर, मैं तो किसी इशिता को जानता भी नहीं।"       शरण्या ने वाइन का एक सीप लिया और बोली, "लेकिन वह इशिता तो बोल रही थी कि क्रिसमस की रात वो तेरे साथ थी, वह भी पूरी रात! रात के 9:00 बजे तो मैं तुझे छोड़कर चली गई थी उसके बाद तु किसके साथ था? उसी के साथ था ना?" रूद्र हैरानी से बोला, "तेरे जाने के बाद तो मैं विहान के साथ था! फिर ये इशिता बीच म

ये हम आ गए कहाँ!!! (50)

      रूद्र ने शरण्या से बड़े ही रोमांटिक अंदाज में अपने प्यार का इजहार कर दिया था। शरण्या को भी इस बात का यकीन करने में थोड़ा वक्त तो लगा लेकिन आखिर में रुद्र की बातों पर यकीन करते हुए उसके सीने से जा लगी और उसके दिल में जो भी बातें थी वह सारी बातें कह डाली। नए साल का आगाज हो चुका था और आसमान में तरह-तरह के पटाखे फूटने लगे थे। उन आवाजों को सुन रुद्र होश में आया और शरण्या की पीठ से लाते हुए उसे पुकारा, "शरू!!!" शरण्या आंखें बंद किए हुए उसके सीने से लगी हुई थी। उसने मुस्कुराकर कहा, "मुझे मत जगाओ प्लीज! मैं बहुत खूबसूरत सपना देख रही हूं, अभी पहले जी भर के जी लेने दो अपने सपने को उसके बाद जगाना। बस थोड़ी देर और प्लीज!"        रूद्र मुस्कुराया और बोला, "शरू!!! यह कोई सपना नहीं है, हकीकत है। मैं सपना नहीं हूं, आंखें खोल और देख मुझे!" शरण्या को एहसास हुआ और उसने रुद्र से दूर हटते हुए उसके चेहरे की ओर देखा। वह अभी भी इस बात को मानने को तैयार नहीं थी कि जो कुछ भी इस पल में हो रहा था वह सब कोई सपना नहीं बल्कि उसकी जिंदगी का एक खुशनुमा हकीकत था। जिस पल का उसने बरसों

ये हम आ गए कहाँ!!! (49)

    लावण्या ने बहाने से शरण्या को रुद्र के साथ बाहर भेज तो दिया था लेकिन रूद्र के लिए इस वक्त ड्राइव करना और शरण्या का ध्यान भटकाना दोनों ही बेहद जरूरी था। कोहरे की वजह से उसकी ड्राइविंग थोड़ी स्लो चल रही थी। न्यू ईयर सेलिब्रेशन की वजह से आज लगभग पूरा मार्केट बंद था, सिर्फ रेस्टोरेंट और होटल्स ही खुले हुए थे। इस वक्त सभी अपने घर में या बाहर अपनों के साथ नए साल का जश्न मनाने में व्यस्त थे और शरण्या रुद्र के साथ केमिस्ट की शॉप ढूंढने में। म्यूजिक सुनते हुए शरण्या ने अपनी आंखें मूंद ली। उसे यह गाना इतना खूबसूरत लग रहा था कि वह इस गाने को रिपीट मोड पर चलाए जा रही थी। रूद्र को भी इससे कोई एतराज नहीं था। यह गाना उसकी पसंद का था और शायद आज की डेट के लिए बिल्कुल परफेक्ट भी था। जिसे सुनते हुए उसने यह तय कर लिया कि वह शरण्या से कुछ नहीं कहेगा सिर्फ उससे अपने प्यार का एहसास दिलाएगा वह भी बिना बोले ।      काफी देर की ड्राइविंग के बात शरण्या को महसूस हुआ कि वह लोग पार्टी वेन्यू से शायद काफी दूर निकल गए हैं। उसने आंखें खोली और रूद्र से पूछा, "क्या हुआ रूद्र! एक भी केमिस्ट की दुकान नजर नहीं आ रह

ये हम आ गए कहाँ!!! (48)

     आज 31 दिसंबर की रात थी और आज ही रुद्र को अपना प्यार शरण्या के सामने जाहिर करना था। रॉय फैमिली और सिंघानिया फैमिली मिस्टर खुराना की पार्टी में शामिल होने वाले थे। जैसा कि पहले तय हुआ था रूद्र को भी उन सब के साथ जाना था। लेकिन रूद्र का शरण्या को लेकर प्लान कुछ और ही था। वह पिछले 2 दिनों से सारी तैयारियों में लगा था। लोकेशन से लेकर डेकोरेशन तक सब कुछ पिछले 2 दिनों में ही तय कर लिया था उसने। आज अपनी डेट को वह सबसे ज्यादा स्पेशल बनाना चाहता था ताकि शरण्या को आज की रात हमेशा याद रहे। आज उसे अपनी शरण्या के सामने ना सिर्फ अपने प्यार का इजहार करना था बल्कि उसे यह अहसास भी दिलाना था कि वह उसके लिए कितनी खास है। सारी तैयारियां होने के बाद रुद्र जब घर पहुंचा तो दादी ने उसे अपने पास बुलाया और आज के बारे में याद दिलाया।       "आज का दिन याद भी है या भूल गया? तूने कहा था ना कि तू नए साल पर शरण्या के साथ अपने रिश्ते की शुरुआत करना चाहता है! उसके लिए तो तुझे आज ही सारी तैयारी करनी होगी ना! बताया उसे अपने प्लान के बारे में?" रूद्र बोला, "दादी! आपसे ज्यादा मैं बेचैन हू उससे अपने दिल क

ये हम आ गए कहाँ!!! (47)

     विहान और रूद्र मानसी को लेकर परेशान थे। उन दोनों को ही समझ नही आ रहा था कि क्या किया जाए? अमित को इंवेस्टर चाहिए था उसके लिए विहान तैयार था लेकर मानसी को अमित से दूर भी तो रखना था जिसके लिए कोई बहाना उन दोनों को सूझ नही रहा था। रूद्र का फोन बजा, देखा तो कॉल शरण्या का था। उसने फोन उठाकर कुछ बोलना चाहा उससे पहले ही शरण्या शुरू हो गई। "रूद्र! मैं दी की शादी के लिए कुछ लहंगा देख रही हु लेकिन समझ में नहीं आ रहा है। दी इस वक्त ऑफिस में है और आजकल उनके पास मेरे लिए टाइम ही नहीं है। तु थोड़ी मेरी हेल्प कर दे ना! मैं अपनी बहन की शादी में सबसे खूबसूरत लगना चाहती हूं और ऐसी ड्रेस बनवानी है मुझे जिसे तेरी सारी लड़कियां जलभून जाए।"     रूद्र बोला, "अभी इतनी जल्दी क्या है! शादी में अभी काफी टाइम है तो तू अभी से इतनी बेचैन क्यों हो रही है? और इन कपड़ों के बारे में मुझे कैसे पता होगा, यह तुम लड़कियों के फैशन के बारे में मुझे कोई आईडिया नहीं है! इस बारे में तो तुझे लावण्या हीं बता सकती है या फिर तू कहे तो मैं तुझे डिज़ाइनर के पास ले चलू। लावण्या और रेहान के कपड़े भी तो डिजाइन करवाने

ये हम आ गए कहाँ!!! (46)

     जब से रूद्र ने शरण्या के लिए अपने दिल में प्यार महसूस किया था तब से वह शरण्या की कुछ ज्यादा ही परवाह करने लगा था। उसकी लाइफ में होने वाली हर छोटी बड़ी बात को नोटिस करने लगा था। शरण्या को लेकर अनन्या का व्यवहार किसी से छुपा नहीं था। अपनी दोनों बेटियों में वो किस तरह फर्क करती थी यह बात हर कोई जानता था। रूद्र को बस यह जानना था ताकि जो भी प्रॉब्लम थी उसे खत्म कर शरण्या को उसके हिस्से की खुशी दे पाए, उसे मां का प्यार मिल सके। वैसे तो शिखा भी शरण्या से कम प्यार नहीं करती थी। रुद्र का सवाल सुनकर दादी बोली, "देख बेटा! अब जब तुम शरण्या को अपनी जिंदगी में लाना चाहते हो तो उसकी जिंदगी से जुड़ा सबसे बड़ा सच भी तुम्हें जानना होगा। यह जानने का हक सबसे पहले शरण्या को है लेकिन यह बातें अगर उससे छुपाई गई है तो इसमें जरूर उसकी कोई वजह रही  होगी। तुम में से किसी को नहीं पता लेकिन लावण्या और शरण्या के बीच महज चार महीने का फर्क है। शरण्या अपनी बड़ी बहन से महज चार महीने ही छोटी है।" दादी की बात सुन रूद्र पूरी तरह से चौक गया और बोला, "चार महीने.......? लेकिन ऐसा कैसे हो सकता है दादी? दो

ये हम आ गए कहाँ!!! (45)

      विहान और मानसी के साथ इतने बड़े हादसे के बाद रूद्र खुद को थोड़ा रिलैक्स करना चाहता था। ऐसे तो वो हर कदम पर विहान के साथ था लेकिन इस बारे में वह किसी से खुलकर कुछ कह भी नहीं सकता था। अमित मानसी को लेकर चला गया और विहान और रुद्र वही बाहर गाड़ी मे बैठे उन दोनों को जाते हुए देख रहे थे। जाने से पहले मानसी ने एक बार मुड़ कर विहान की तरफ देखा और यही एक पल था जिसने विहान के इरादों को और भी ज्यादा मजबूती दी। उन दोनों के जाने के बाद रूद्र ने विहान को उसके घर छोड़ा और वापस घर लौटने लगा। सुबह होने वाली थी और उसकी आंखों से नींद गायब थी। घर जाने की बजाए वह सीधे रेडियो स्टेशन पहुंचा। उस वक्त सुबह के 5:00 बज रहे थे और अभी भी अंधेरा था।         रेडियो स्टेशन अभी कुछ देर पहले ही खुला था और सबसे पहला शो शरण्या का होना था। लेकिन शरण्या एक हफ्ते से भी ज्यादा वक्त से वहां आई नहीं थी। रिसेप्शनिस्ट उसे देखते ही खुश हो गई लेकिन रूद्र ने मुस्कुराते हुए उससे शरण्या के बारे मे पूछने की बजाय सीधे सीधे वहां के मैनेजर को कॉल करने को कहा। मैनेजर हड़बड़ाते हुए रेडियो स्टेशन पहुंचा और रुद्र के सामने खड़ा हो गया।

ये हम आ गए कहाँ!!! (44)

   मानसी के आंखों के सामने से विहान कमरे से बाहर निकल गया। मानसी वही पत्थर की मूरत की तरह खड़ी रही तो रुद्र बोला, "मानसी! जो भी बात है जो भी हालात है वह विहान से मत छुपाओ। मैं जानता हूं तुम ऐसी नहीं हो। पिछले कुछ वक्त में विहान ने तुम्हारी ना जाने कितनी बातें की है। तुम्हारे बारे में सुन सुन कर थक चुका हूं मैं। ऐसा लगता है जैसे तुम्हें बिना जाने ही तुम्हारे बारे में सब कुछ जान गया। वह तुमसे बहुत प्यार करता है। जब से तुम उसकी जिंदगी में आई उसके बाद से उसने किसी और की तरफ देखा भी नहीं। इस वक़्त उसकी क्या हालत है यह मैं भी नहीं समझ सकता। तुम्हारी जो भी मजबूरी है वह विहान का जानना जरूरी है। सिर्फ एक वही है जो तुम्हें इस दलदल से बाहर निकाल सकता है। एक नई जिंदगी दे सकता है।"      मानसी बोली, "अब यह दलदल ही मेरा घर बन चुका है। इससे निकलकर मैं जाऊंगी भी तो कहां! एक लड़की का अपना कोई घर नहीं होता रूद्र! सिर्फ ससुराल और मायका होता है। ना तो वह अपने ससुराल को अपना कह सकती है और ना ही अपने मायके पर हक जता सकती है। अब यही मेरी किस्मत है और इसके साथ मैंने समझौता कर लिया है।" रूद्