ये हम आ गए कहाँ!!! (46)

     जब से रूद्र ने शरण्या के लिए अपने दिल में प्यार महसूस किया था तब से वह शरण्या की कुछ ज्यादा ही परवाह करने लगा था। उसकी लाइफ में होने वाली हर छोटी बड़ी बात को नोटिस करने लगा था। शरण्या को लेकर अनन्या का व्यवहार किसी से छुपा नहीं था। अपनी दोनों बेटियों में वो किस तरह फर्क करती थी यह बात हर कोई जानता था। रूद्र को बस यह जानना था ताकि जो भी प्रॉब्लम थी उसे खत्म कर शरण्या को उसके हिस्से की खुशी दे पाए, उसे मां का प्यार मिल सके। वैसे तो शिखा भी शरण्या से कम प्यार नहीं करती थी। रुद्र का सवाल सुनकर दादी बोली, "देख बेटा! अब जब तुम शरण्या को अपनी जिंदगी में लाना चाहते हो तो उसकी जिंदगी से जुड़ा सबसे बड़ा सच भी तुम्हें जानना होगा। यह जानने का हक सबसे पहले शरण्या को है लेकिन यह बातें अगर उससे छुपाई गई है तो इसमें जरूर उसकी कोई वजह रही  होगी। तुम में से किसी को नहीं पता लेकिन लावण्या और शरण्या के बीच महज चार महीने का फर्क है। शरण्या अपनी बड़ी बहन से महज चार महीने ही छोटी है।" दादी की बात सुन रूद्र पूरी तरह से चौक गया और बोला, "चार महीने.......? लेकिन ऐसा कैसे हो सकता है दादी? दो बहनों के बीच चार महीने का फर्क कैसे हो सकता है? आपके कहने का मतलब क्या है, शरण्या अनन्याआंटी की बेटी नहीं है! लावण्या और शरण्या सगी बहने नही है?"

    दादी बोली, "नहीं! शरण्या ललित की बेटी तो है लेकिन अनन्या का खून नहीं। ललित की सेक्रेटरी थी "श्रीजीता" शरण्या ललित और श्रीजीता की बेटी है। शरण्या को जन्म देने के कुछ वक्त बाद ही श्रीजीता की एक एक्सीडेंट में मौत हो गई थी। ललित ने उसके बाद शरण्या को कुछ वक्त के लिए अनाथ आश्रम में छोड़ दिया था। वह नहीं चाहता था कि उसकी एक गलती की वजह से उसका बसा बसाया घर उजड़ जाए लेकिन एक बार भी नहीं सोचा उसने कि उस बेचारी बिन मां की बच्ची का अनाथ आश्रम में क्या होगा। जबकि उसका बाप अभी भी जिंदा है। ललित को अनन्या का डर था कि कहीं वह लावण्या को लेकर वहां से चली ना जाए। अपने डर के आगे उसे उस बच्ची की तकलीफ नजर नहीं आई। शरण्या को आग से जो डर लगता है वह डर उसी अनाथ आश्रम की देन है। शरण्या उस वक्त बहुत छोटी थी इसलिए उसे कुछ खास याद नहीं। अपनी पिछली जिंदगी वो पूरी तरह से भूल चुकी है लेकिन रूद्र! जो बात मैंने तुझे बताया उस बात को हमेशा ध्यान में रखना। शरण्या को मां का प्यार नसीब नहीं हुआ कभी। अनन्या की वजह से ललित भी कभी शरण्या को प्यार नहीं दे पाया। इस दुनिया में तेरे अलावा उसका कोई नहीं जिस पर वह अपना हक जता सकती है। उस बेचारी की किस्मत में खुशियां कभी नहीं आई। बस एक तू ही है जो उसकी जिंदगी में वह सारी खुशियां उसे दे सकता है जिसकी वह हकदार है। मैं उम्मीद करती हूं कि तु कभी शरण्या का साथ नहीं छोड़ेगा। जिंदगी भर उसका साथ देगा।"

     रूद्र ने दादी के दोनों हाथ को अपने हाथ में लिया और बोला, "मैं समझ सकता हूं दादी! और यह बात बिल्कुल सही कही आपने, मेरे अलावा और कोई नहीं है जिस पर वह अपना हक जताए। और मेरे अलावा कोई और होगा भी नहीं जो उससे प्यार करेगा। आपसे वादा करता हूं दादी! मैं जिंदगी भर शरण्या से प्यार करूंगा। जिंदगी भर सिर्फ उसका ही हो कर रहूंगा। लेकिन क्या मैं अभी कुछ देर आपके पास सो जाऊ प्लीज दादी!!! दो रातों से सोया नहीं हूं, बहुत ज्यादा नींद आ रही है।" 

     दादी बोली, "अच्छा बच्चा! दो रातों से नहीं सोया? तु रात को कब सोता है जरा बताना मुझे!" रूद्र बोला, "आप की कसम दादी! दो रातों से नहीं सोया हूं तो दो दिनों से भी नहीं सोया हूं। आप तो जानते ही हैं मुझे मेरी नींद कितनी प्यारी है। अगर अपने कमरे में सोया तो या तो मां जगा देगी या फिर पापा खुद चले आएंगे मुझे जगाने। यहां सोऊंगा तो आपकी छत्रछाया में सोने को मिलेगा और पापा कुछ नहीं कर पाएंगे।" कहते हुए रूद्र ने आंखें बंद कर ली।

      दादी ने धीरे से कहा, "तुम दोनों एक साथ बहुत अच्छे लगते हो रुद्र! भगवान से यही मेरी प्रार्थना है कि तुम दोनों कभी अलग ना हो। जिंदगी भर यूं ही मुस्कुराते रहो, एक साथ एक दूसरे का हाथ थामकर। बस जल्दी से तू उससे अपने दिल की बात कह दे। उसके बाद उसे जल्दी से मेरी बहू बना कर ले आ। मैं उस बच्ची को अपने घर में देखना चाहती हूं उसे बहुत सारा प्यार देना चाहती हूं जो उसे कभी नहीं मिली। ना अपनी मां से और ना ही उस माँ से जो दुनिया की नजरों में उसकी मां कहलाती है। अनन्या ललित के किए की सजा शरण्या को देती आई है। देखा जाए तो इसमें अनन्या की भी गलती नहीं। कोई भी औरत यह बर्दाश्त नहीं कर सकती कि उसका पति उसके अलावा किसी और की तरफ देखे भी। और जब अचानक से वो पति अगर किसी बच्ची को घर ले आए और बोले कि उसका खून है तो उस औरत का दिल खून के आंसू रोता है। अनन्या ने इतना कुछ होने के बावजूद ललित को नहीं छोड़ा क्योंकि उन दोनों की बीच की डोर लावण्या थी। खैर जो भी हो लेकिन उस बच्ची के साथ तो गलत हुआ ना। सिर्फ सर पर छत देने से ही सारी जिम्मेदारी पूरी नहीं होती। उस छत के नीचे सुकून देने वाला प्यार भी होना चाहिए। अपने मां बाप की किए की सजा भुगत रही है वह बच्ची। बस अब और ज्यादा नहीं! तु जल्दी से जल्दी उसे वहां से निकालकर यहाँ ले आ ताकि मै उसे जी भरकर प्यार दे पाऊ।" रूद्र ने भी हाँ मे सिर हिला दिया और सो गया। दादी धीरे-धीरे उसके बाल सहलाने लगी जिससे तुरंत ही रूद्र को नींद आ गई। 

     

     लावण्या पूरी रात परेशान थी। रेहान से उसकी बात नहीं हो पा रही थी जिस कारण वह पूरी रात नहीं सो पाई। नींद की वजह से सुबह उसकी आंखें बुरी तरह से लाल हुई पड़ी थी। थक कर लावण्या जैसे ही लेटने को हुई वैसे ही उसका फोन बज उठा। उसने जल्दी से फोन देखा तो कॉल रेहान का ही था। रेहान का नाम देखते ही लावण्या खुशी से खिल उठी और फोन उठाते ही बोल पड़ी, "रेहान! आई एम सॉरी! मुझे ऐसा नहीं करना चाहिए था, लेकिन तुम भी तो समझो! यह मेरे लिए पॉसिबल नहीं है। इतने टाइम तक हमने दूर से एक दूसरे को देखा है। इस तरह अचानक हमारी शादी तय हो गई और इस तरह अचानक से यह सब कुछ बहुत ही अनप्रिडिक्टेबल है मेरे लिए। हम कम से कम हमारी शादी तक तो रुक ही सकते हैं ना! प्लीज यार प्लीज! मेरी बात को समझो, यह सब मेरे लिए इतना आसान नहीं है।"

      रेहान जो खामोशी से लावण्या की सारी बातें सुन रहा था वह बोला, "लव प्लीज! तुम सही कह रही हो। गलती मेरी है तो तुम माफी मत मांगो। मैं ही ओवर रिएक्ट कर बैठा  पता नहीं मुझे क्या हो गया था! इतने सालों से तुम्हें पाने की चाहत दिल में रखते हुए था शायद इसीलिए मैं जल्द से जल्द तुम्हें पा लेना चाहता था। मेरा यकीन मानो लव! आज के बाद ऐसा नहीं होगा। वैसे ही होगा जैसा तुम चाहती हो। पंडित से जो बोलूंगा कि हमारी शादी की तारीख जल्द से जल्द निकाले और लव!!! कल के लिए मुझे माफ कर दो। तुम्हें तो पता ही है ना, यह तो ह्यूमन नेचर है। जब मंजिल करीब हो तो इंसान बेचैन हो जाता है। मेरे साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ। तुम ज्यादा कुछ सोचो मत और जल्दी से ऑफिस आ जाओ। साथ में लंच करेंगे और डिनर भी, ठीक है?" 

      रेहान की बातें सुन लावण्या मुस्कुरा उठी। कल पूरी रात वो इस बात को लेकर बेचैन थी कि रेहान उससे काफी ज्यादा नाराज था लेकिन रेहान ने जिस तरह अपने बर्ताव के लिए माफी मांगी और शर्मिंदा भी था, उससे लावण्या को इस बात की तसल्ली तो हुई कि रेहान उससे नाराज नहीं है और ना ही उससे दूर जाएगा। रात भर की सारी थकान जैसे एक पल में ही गायब हो गई हो। लावण्या खुद को एकदम तरोताजा महसूस कर रही थी। वह जल्दी से बाथरूम गई, नहाया और ऑफिस के लिए तैयार होने लगी। 

     कई दिनों बाद आज शो करने के बाद शरण्या काफी ज्यादा खुश थी। वह घर पहुंची और भागते हुए सबसे पहले लावण्या के कमरे में पहुंची जहां वह अभी अभी नहा कर निकली थी। उसने पीछे से लावण्या को हग करते हुए कहा, "गुड मॉर्निंग दी!!!" उसकी आवाज में जो खनक थी उसे सुन लावण्या बोली, "अरे वाह! वैसे मानना पड़ेगा, कुछ तो बात है रुद्र में जो तुझे तेरे कमरे से निकाल कर रेडियो स्टेशन पहुंचा दिया वापस तेरे जॉब पर। एक बात सच सच बता! उस रात ऐसा क्या हुआ था जो रूद्र उस रात के नाम से ही इतना ज्यादा घबरा गया था। तेरी खुशी के लिए ऐसा क्या कर दिया था उसने कि वह नहीं चाहता कि इस बारे में किसी को पता भी चले! रूद्र को किसी से प्यार है, यह तुझे पता है और मुझे भी पता है। लेकिन तुझे किससे प्यार है यह तो अब तक तूने नहीं बताया क्योंकि रूद्र के साथ तो तेरा ऐसा वैसा कोई सीन नहीं है, क्यों सही कहा ना मैंने?" लावण्या ने शरण्या को छेड़ा तो शरण्या शरमा गई और बोली, "दी! ऐसा कुछ नहीं है। वह तो बस रूट मेरा बचपन का दोस्त है और इसीलिए.......!"

     बचपन का दोस्त सुनते ही लावण्या की भौहें टेढ़ी हो गई। "अच्छा!!! दोस्त हो तुम लोग....? जरा बताना मुझे यह दोस्ती कब हुई  तुम दोनों के बीच? और जरा यह भी बताना, जो रूद्र तेरे सामने आने से भी डरता था, वह पूरी रात तेरे कमरे में ऐसा कुछ करता है जो नहीं चाहता किसी को पता चले, इसका मतलब क्या हो सकता है? मतलब अब रजिया शाकाल से नहीं डरती? कहीं कुछ तो गड़बड़ है!" शरण्या बोली, "कुछ गड़बड़ नहीं है दी! वक्त के साथ हम भी बड़े हो रहे हैं और काफी हद के

तक बड़े हो भी चुके है। अब बच्चे नहीं हैं हम जो बच्चों वाली लड़ाई करेंगे।"

     लावण्या बोली, "हां....! अब बड़े हो गए हो ना, तो बड़ों वाली लड़ाई करना!" कहते हुए वह शरारत से मुस्कुरा दी। शरण्या कुछ कहना चाहती थी लेकिन कुछ बोल नहीं पाई। लावण्या ने शरारत में कुछ ऐसी बात कह दी जिससे शरण्या बुरी तरह से शरमा कर रह गई। उसने अपनी बहन से वह इस तरह के मजाक की उम्मीद नहीं की थी। वैसे कुछ गलत तो नहीं कहा था लावण्या ने। अब उन दोनों के बीच जो भी लड़ाइयां हो रही थी उनमें गुस्सा कम और प्यार ज्यादा था। लेकिन रूद्र तो किसी और से प्यार करता था तो फिर वह इस तरह से क्यों बर्ताव कर रहा था? मानो वह उसकी गर्लफ्रेंड हो। गर्लफ्रेंड से याद आया, रूद्र ने कहा था अगर इश्श् भी उसे छोड़ कर चली गई तो वह उसकी गर्लफ्रेंड बन जाए। काश कि यह बातें मजाक ना होती...! काश कि सच में रूद्र उसे वह सब कह देता जो वह हमेशा से सुनना चाहती थी। लेकिन ऐसे होने की उम्मीद उसने छोड़ दी थी। 


टिप्पणियाँ

  1. Superb fantastic 👏👌👍😀🙌😍👏mind blowing too good mazedaar khubsurat perfect

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  2. बहुत ही बेहतरीन भाग था मैम! 👌👌 शरण्या के पास्ट के बारे में जानकर सच्ची में बहुत बुरा लगा.... बेचारी लड़की, अपने माँ बाप के किए की सजा भुगत रही है!! पर अनन्या को भी इसमें दोषी नही ठहरा सकते!! 😶 और रेहान नजाने क्यों अजीब अभी भी लग रहा है, भले उसने माफी मांग ली पर ऐसे अचानक से....!! 🙄🙄 पर लावण्या और शरण्या का बोंड कमाल का है!! 😃🤗

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