ये हम आ गए कहाँ!!! (45)

      विहान और मानसी के साथ इतने बड़े हादसे के बाद रूद्र खुद को थोड़ा रिलैक्स करना चाहता था। ऐसे तो वो हर कदम पर विहान के साथ था लेकिन इस बारे में वह किसी से खुलकर कुछ कह भी नहीं सकता था। अमित मानसी को लेकर चला गया और विहान और रुद्र वही बाहर गाड़ी मे बैठे उन दोनों को जाते हुए देख रहे थे। जाने से पहले मानसी ने एक बार मुड़ कर विहान की तरफ देखा और यही एक पल था जिसने विहान के इरादों को और भी ज्यादा मजबूती दी। उन दोनों के जाने के बाद रूद्र ने विहान को उसके घर छोड़ा और वापस घर लौटने लगा। सुबह होने वाली थी और उसकी आंखों से नींद गायब थी। घर जाने की बजाए वह सीधे रेडियो स्टेशन पहुंचा। उस वक्त सुबह के 5:00 बज रहे थे और अभी भी अंधेरा था। 

       रेडियो स्टेशन अभी कुछ देर पहले ही खुला था और सबसे पहला शो शरण्या का होना था। लेकिन शरण्या एक हफ्ते से भी ज्यादा वक्त से वहां आई नहीं थी। रिसेप्शनिस्ट उसे देखते ही खुश हो गई लेकिन रूद्र ने मुस्कुराते हुए उससे शरण्या के बारे मे पूछने की बजाय सीधे सीधे वहां के मैनेजर को कॉल करने को कहा। मैनेजर हड़बड़ाते हुए रेडियो स्टेशन पहुंचा और रुद्र के सामने खड़ा हो गया। आरजे शायराना के बारे में जानने के लिए रूद्र ने उसके शो को स्पॉन्सर करने का ऑफर दिया था जिसे उन लोगों ने बिना एक पल गवाए मान लिया। उसके बाद ही रूद्र को शरण्या के शायराना होने की बात पता चली थी। मैनेजर एकदम से रूद्र के सामने खड़ा हो गया। उसे लगा कहीं कोई गड़बड़ तो नहीं हुई जिस कारण रूद्र इतनी सुबह अंधेरे यहां रेडियो स्टेशन में पहुंच गया। वह रुद्र को अपने केबिन में ले गया और आराम से बिठा कर उसके लिए कॉफी आर्डर कर दी। 

 

    शरण्या अपने कमरे में सो रही थी जब उसका फोन बजा। तब उसने नींद में ही फोन उठाया और कान से लगाकर हेलो बोला। उधर से उसके मैनेजर की आवाज आई, "मिस शरण्या!!! आप पिछले एक हफ्ते से छुट्टी पर है वह भी बिना किसी पूर्व सूचना के। हम आपको इस हरकत के बदले आपको नौकरी से नहीं निकाल सकते लेकिन आप पर पेनल्टी जरूर लगा सकते हैं। अगर आप नहीं चाहते कि हम ऐसा कुछ करें तो अभी आधे घंटे के अंदर आप यहां रेडियो स्टेशन पहुंच जाइए वरना आप के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई होगी।" अपने मैनेजर की बात सुन शरण्या हड़बड़ाते हुए उठी और बाथरूम की ओर भागी। इधर मैनेजर ने फोन रखा और मासूमियत से रुद्र की ओर देखा तो रूद्र बोला, "खबरदार जो उससे इस लहजे में बात की तो! मुझसे बुरा कोई नहीं होगा। उसे कोई डांटे या उस पर कोई गुस्सा करें यह मुझे बिल्कुल भी नहीं पसंद। अगर वह गुस्सा करती है तो चुपचाप सुन लेना क्योंकि उससे उसका गुस्सा कंट्रोल नहीं होता। और एक लड़की है इशिता........ या पता नहीं क्या नाम है उसका! अगर उसने या किसी और ने शरण्या को परेशान किया तो समझ लेना, तुम्हारी नौकरी गई।" 

     "नहीं सर! मैं ध्यान रखूँगा!" मैनेजर ने मासूमियत से कहा। 


     शरण्या भागती हुई रेडियो स्टेशन पहुंची। उसका शो बस शुरू ही होने वाला था और 5 मिनट पहले वह मैनेजर के केबिन में थी। उसने मैनेजर को सॉरी बोला और अपने काम पर वापस लौट गई। एक हफ्ता हो चुका था और शरण्या वापस अपनी उसी दुनिया में लौट कर काफी ज्यादा खुश थी। अपने असिस्टेंट के साथ मिलकर उसने पूरा शो होस्ट किया। रूद्र दूर खडा बस उसे खामोशी से देखे जा रहा था और शरण्या को इस बात का एहसास भी नहीं था। जिस आवाज के पीछे वह दीवाना हुआ था वह आवाज उससे इतने करीब थी। यह रूद्र को अब जाकर समझ आ रहा था कि वह कितना बड़ा बेवकूफ था। उसका प्यार हमेशा से उसकी नजरों के सामने रहा लेकिन इस अहसास से वह अनजान था। सच कहते हैं लोग, वक्त से पहले और किस्मत से ज्यादा किसी को कुछ नहीं मिलता। 

     अपना शो खत्म करने के बाद शरण्या वहां से जाने को हुई तो उसके असिस्टेंट एलेक्स ने बताया कि कल एलाइंस ग्रुप के ऑफिस में पार्टी थी और रेडियो स्टेशन के लगभग सभी वहां मौजूद थे। एलाइंस ग्रुप का नाम सुनते ही शरण्या चौक गई क्योंकि ये उसी की कंपनी थी। उसे हैरान देख एलेक्स ने फिर कहा, "इन लोगों ने हमारे शो को स्पॉन्सर किया है। वह लोग सामने से चलकर यह ऑफर लेकर आए थे, तुम्हें वहां होना चाहिए था। तुमने मिस कर दिया। पता है, इशिता काफी बन सवरकर कल पार्टी के लिए निकली थी रूद्र सिंघानिया से मिलने। उसके बारे में ज्यादा तो पता नहीं लेकिन कल रात अचानक कि वह पार्टी से गायब हो गई थी। उसके बाद शायद वह घर चली गई या फिर क्या पता नहीं! लेकिन कल रात के बाद से उसकी कोई खबर नहीं। शायद वो आज ऑफिस आए तो कुछ पता चले।" 

     इशिता का नाम सुनते हैं शरण्या एक बार फिर चिढ़ गई। उसने मुंह बनाते हुए कहा, "कहीं भी जाए! घर जाए या भाड़ में जाए, मुझे उससे कोई मतलब नहीं। और हमारे शो को नया स्पॉन्सर मिला है यह बात मुझे बताना किसीने जरूरी नहीं समझा? माना मैं एक हफ्ते यहां नहीं थी इसका मतलब यह नहीं कि मैंने जॉब छोड़ दी। मैं अभी मैनेजर से मिल कर आती हूं। 

     शरण्या ने अपना जैकेट उठाया और वहां से सीधे मैनेजर के केबिन मे गई। रिसेप्शनिस्ट ने जब उसे देखा तो उसे टोका नहीं क्योंकि इस वक्त मैनेजर अपने केबिन में नहीं था उस वक़्त केबिन में अगर कोई था तो वह था रूद्र! अकेला, और किसी को भी उसे डिस्टर्ब करने की इजाजत नहीं थी सिवाय शरण्या के। शरण्या जब केबिन में पहुंची तो यह देखकर हैरान रह गई। रूद्र वहां सोफे पर सो रहा था। सोते हुए जो मासूमियत उसके चेहरे से टपक रही थी उसे देख शरण्या की निगाहें उस पर ठहर सी गई। एक अनजान डोर मे बँधी वह उसकी तरफ खींचती चली गई और उसके करीब जाकर खड़ी हो गई। कुछ देर उसके चेहरे को निहारने के बाद प्यार से उसने रूद्र का माथा सहलाया और उसे चूमने को झुकी तभी रूद्र ने कमर पकड़ कर उसे अपनी ओर खींच लिया और बाहों में भर लिया। अचानक शरण्या घबरा गई और उसकी पकड़ से खुद को छुड़ाने की कोशिश करने लगी लेकिन जो रूद्र नींद में होता तब तो उसे छोड़ता ना। शरण्या की यह कोशिश देख रूद्र को उसे और परेशान करने में मजा आ रहा था। 

     शरण्या को ज्यादा देर नहीं लगी यह समझने में कि रूद्र सिर्फ सोने का नाटक कर रहा था और यह सब जानबूझकर उसे परेशान करने के लिए कर रहा था। उसने उसके सीने पर मुक्का मारते हुए कहा, "छोड़ मुझे रजिया! तेरी गर्लफ्रेंड यहां आती ही होगी। अगर उसने मुझे ऐसे तेरी बाहों में देख लिया ना तो जैसे रिद्धिमा तुझे पीट कर गई वैसे ही अपनी इश्श् के हाथों से भी तू मार खाएगा।" शरण्या की बात सुन रूद्र मुस्कुरा दिया और बोला, "कोई बात नहीं! अगर ये वाली भी भाग गई तो तू मेरी गर्लफ्रेंड बन जाना। फिर तो पूरे हक से मेरे साथ जो चाहे कर सकती है। कम से कम तु मुझे छोड़ कर तो नहीं भागेगी।" 

     रूद्र की बात सुन शरण्या का दिल मानों धड़कना भूल गया। रूद्र एकदम से उससे ऐसी बात करेगा यह उसने सोचा नहीं था। उसके दिल में हजारों एहसास उमर घूमर रहे थे लेकिन वह जानती थी कि रुद्र यह सब कुछ सिर्फ मजाक में कह रहा है। वही रूद्र से अब और इंतजार नहीं हो रहा था। वो जल्द से जल्द शरण्या से अपने प्यार का इजहार करना चाहता था। जिसके लिए वह शरण्या को अपने प्यार का एहसास दिलाना चाहता था। बिना साफ शब्दों में कुछ भी कहे, लेकिन शरण्या जैसे समझ कर भी नहीं समझना चाहती थी। वो यकीन नहीं कर सकती थी कि रूद्र कभी उसके प्यार में पड़ सकता है। उसने सोफे पर से कुशन उठाया और रुद्र को मारने लगी। रूद्र ने खुद को बचाने के लिए अपने दोनों हाथ आगे कर दिया लेकिन उसे रोका नहीं। 

     इशिता अभी अभी रेडियो स्टेशन आई थी। वह अभी भी कल के ही कपड़ों में थी। उसे देखते ही एलेक्स बोली, "यह क्या इशिता! तुम अभी भी कल रात की पार्टी वाले कपड़ों में हो? हमें तो लगा था कि तुम घर चली गई लेकिन तुम्हें देखकर लगता नहीं कि तुम घर से आ रही हो! वैसे तुम्हारी रूद्र से मुलाकात हुई?" इशिता ने कुछ नहीं कहा बस मुस्कुरा कर वहां से जाने को हुई तो एलेक्स बोली, "वैसे आज से शरण्या ने शो कंटिन्यू किया है। वह अभी मैनेजर के केबिन में गई है।" इशिता ने सुना और सीधे मैनेजर के केबिन में गई। उसे शरण्या से कुछ कहना था लेकिन जैसे ही उसने केबिन का दरवाजा खोला, शरण्या और रूद्र को हंसी ठिठोली करते देख उसके तन बदन में आग लग गई। गुस्से में उसने केबिन का दरवाजा धड़ाम से बंद किया और वहां से निकल गई। 

     एकदम से दरवाजा बंद होने की आवाज सुन रूद्र और शरण्या दोनों ही चौक गए और सोचने लगे कि आखिर कौन हो सकता है। शरण्या ने दरवाजा खोल कर देखा लेकिन उसे आस पास कोई नजर नहीं आया। वह वापस रुद्र की तरफ पलटी और बोली, "वह सब तो ठीक है लेकिन तू इतनी सुबह यहां क्या कर रहा है? अपनी गर्लफ्रेंड से मिलने आया है क्या?" शरण्या को डर था कि कहीं रूद्र ने उसे शायराना के रूप में देख ना लिया हो! 

     रूद्र बोला, "हाँ वो मै शायराना से मिलने ही तो आया था लेकिन अब तक तो वह तो खत्म करके चली गई होगी। मतलब मुझे उसे सरप्राइज देना था और मैं लेट हो गया। तु मुझे थोड़ी देर पहले नहीं जगा सकती थी? वैसे तू इतनी सुबह यहां क्या कर रही है? किसी काम से आई थी?" रूद्र का सवाल सुन शरण्या को समझ नहीं आया कि वह क्या बहाना दे। इससे पहले कि वह कुछ सोच पाती रूद्र ने हीं कहा,"जरूरत तुझे विहान ने भेजा होगा। कल पूरी रात उसी के साथ था मै। वही मुझे छोड़ कर गया, शायद उसने तुझे मुझे घर ले जाने के लिए कहा होगा, है ना?" शरण्या ने इससे इनकार नहीं किया। रुद्र जो समझ रहा था वह समझने दिया और कुछ कहने की बजाए बस हां में सर हिला दिया। दोनों वहां से घर के लिए निकल गए। शरण्या और रूद्र को एक साथ खुश देख इशिता को जलन हो रही थी और उससे यह बर्दाश्त नहीं हो रहा था। 

      शरण्या ने रूद्र को उसके घर छोड़ा और अपनी बाइक लेकर वापस अपने घर आ गई। रूद्र पिछले दो रातों से सोया नहीं था। उसे नींद तो आ रही थी लेकिन अपने कमरे मे सोने की बजाय सीधे दादी के कमरे में गया और उनकी गोद में सर रखकर लेट गया। दादी उसके बाल बड़े प्यार से सहला रही थी। रुद्र का चेहरा देख वह समझ गई कि इस वक्त उसके दिमाग में बहुत कुछ ऐसा चल रहा है जिसे वह किसी से कह नहीं पा रहा। रूद्र बोला, "दादी! ऐसा क्यों होता है, अच्छे लोगों के साथ अच्छा क्यों नहीं होता, बुरे लोग हमेशा हमारे ऊपर हावी क्यों रहते हैं?"

      दादी बोली, "ऐसा कुछ नहीं है बेटा! अच्छाई शुरू में चाहे कितना भी तकलीफ उठाएं आखिर में उसकी जीत होनी ही है। जो लोग अच्छे होते हैं उनके साथ शुरू में भले ही बुरा हो लेकिन बाद में भगवान उनकी जिंदगी में खुशियां जरूर लिखते हैं। थोड़ा सा दर्द सह कर अगर जिंदगी भर की खुशी मिले तो ऐसी अच्छाई ही जिंदगी भर हमारे साथ रहती है। और हमारे जाने के बाद भी हमारे अपनों को विरासत में मिलती है।"

    रूद्र बोला,"दादी एक बात पूछूं! अनन्या आंटी शरण्या के साथ ऐसा व्यवहार क्यों करती हैं? लावण्या से इतना प्यार करती है वह, लेकिन शरण्या के लिए वह ऐसी क्यों है?" दादी को समझ नहीं आया कि वह आखिर रूद्र से क्या कहें! यह सवाल तो हर किसी के मन में था लेकिन जवाब बस कुछ लोग ही जानते थे। शरण्या अभी भी अपने सच से अनजान थी तो क्या ऐसे में रूद्र को सच बताना क्या सही होता?

   




क्रमश:

टिप्पणियाँ

  1. बहुत ही बेहतरीन भाग था मैम! 👌👌 आज के पार्ट ने तो रिफ्रेश कर दिया, रुद्र और शरण्या साथ मे मस्ती करते हुए!! 😍💙 और वो इशिता का जलना..!! 😜 वैसे रुद्र शरण्या को सच जब बताएगा न तब बड़ा मजा आएगा.....!! अभी तो वो उसे गलतफहमी में ही रहने दे रहा है!! खैर, अगले भाग का इंतेज़ार रहेगा!! 😊😊

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  2. Super shaandar khoobsurat behtreen😊😊👌🏻👌🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻

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