ये हम आ गए कहाँ!!! (47)

     विहान और रूद्र मानसी को लेकर परेशान थे। उन दोनों को ही समझ नही आ रहा था कि क्या किया जाए? अमित को इंवेस्टर चाहिए था उसके लिए विहान तैयार था लेकर मानसी को अमित से दूर भी तो रखना था जिसके लिए कोई बहाना उन दोनों को सूझ नही रहा था। रूद्र का फोन बजा, देखा तो कॉल शरण्या का था। उसने फोन उठाकर कुछ बोलना चाहा उससे पहले ही शरण्या शुरू हो गई। "रूद्र! मैं दी की शादी के लिए कुछ लहंगा देख रही हु लेकिन समझ में नहीं आ रहा है। दी इस वक्त ऑफिस में है और आजकल उनके पास मेरे लिए टाइम ही नहीं है। तु थोड़ी मेरी हेल्प कर दे ना! मैं अपनी बहन की शादी में सबसे खूबसूरत लगना चाहती हूं और ऐसी ड्रेस बनवानी है मुझे जिसे तेरी सारी लड़कियां जलभून जाए।"

    रूद्र बोला, "अभी इतनी जल्दी क्या है! शादी में अभी काफी टाइम है तो तू अभी से इतनी बेचैन क्यों हो रही है? और इन कपड़ों के बारे में मुझे कैसे पता होगा, यह तुम लड़कियों के फैशन के बारे में मुझे कोई आईडिया नहीं है! इस बारे में तो तुझे लावण्या हीं बता सकती है या फिर तू कहे तो मैं तुझे डिज़ाइनर के पास ले चलू। लावण्या और रेहान के कपड़े भी तो डिजाइन करवाने होंगे वरना लास्ट मोमेंट पर सब भागम भाग होगा और किसी तरह की कोई तैयारी नहीं हो पाएगी। जिनकी शादी होनी है वह तो ऑफिस में बिजी हैं, हमें ही कुछ करना होगा। तुझे जो डिजाइन पसंद आ रहे हैं बस उन्हें सेलेक्ट कर ले अगर कुछ नहीं हुआ तो शाम को मैं तुझे ले जाऊंगा।"

     विहान को रूद्र और शरण्या की बातें थोड़ी अजीब लगी। आजकल दोनों के बीच के रिश्ते सुधारने लगे थे। वह दोनों अब पहले की तरह लड़ाई नहीं करते थे। दोनों के बीच इतना ज्यादा बदलाव देख विहान से रहा नहीं गया और वह बोला, "देख रहा हूं तुम दोनों पहले से काफी बदल गए हो। अचानक से ऐसा क्या हो गया जो तू उसके सामने जाने से नहीं डरता? और ना ही वह तुझे फोन करने से पहले एक बार भी सोचती है! जिस तरह से वो बोल रही थी उसे साफ लग रहा था कि उसने बिना सोचे समझे तुझे फोन किया है और तू खुद आगे बढ़कर उसे शॉपिंग के लिए लेकर जाना चाहता है! बात क्या है ब्रो? सब ठीक तो है?"

     रूद्र बोला, "बात कुछ नहीं है भाई! तेरी बहन है, उसका दिमाग कब सटक जाता है कब सही ट्रैक पर आता है पता नहीं चलता। वैसे भी अब उसे ड्रेस चाहिए और कोई है नहीं जिसे मारपीट कर अपने हिसाब से चला सके, तो जाहिर सी बात है मुझे ही फोन करेगी ना। तुम सबके होते हुए भी वह मुझ पर अपना हक जताती है, यह भी तो सोचने वाली बात है।" अचानक से रुद्र के दिमाग में एक आइडिया आया। "विहान! एक तरीका हो सकता है जो मानसी को अमित से दूर रख सके। रेहान और लावण्या की शादी को ज्यादा वक्त नहीं है और घरवाले उसकी शादी यही बैंक्विट हॉल से करवाना चाहते हैं। अगर हम उनकी  शादी को एक डेस्टिनेशन वेडिंग में बदल दे और इसकी पूरी जिम्मेदारी मानसी के ऊपर डाल दें तो कैसा रहेगा? बदले में अमित के प्रोजेक्ट में तू इन्वेस्ट कर सकता है, तब तक कुछ न कुछ जुगाड़ हम कर ही लेंगे, क्या ख्याल है?"

     "आइडिया तो तेरा सही है। इसके लिए घरवालों को मनाना होगा, आई होप कि वह मान जाए। बाकी इन्वेस्टमेंट कोई बड़ी बात नहीं है। अमित का प्रोजेक्ट कितना बड़ा भी नहीं है जिसके लिए इन्वेस्टमेंट करने से पहले सोचना पड़े। वह तो मैं खुद भी कर सकता हूं।" विहान की बात सुन रूद्र बोला,"घर वालों से पहले लावण्या और रेहान को तैयार करना होगा। वैसे मुझे नहीं लगता कि उन दोनों को इस से कोई प्रॉब्लम होगी। डेस्टिनेशन उन दोनों को ही चूज करने को कह देंगे। साथ ही मानसी उसकी हेल्प कर देगी। वैसे भी वह कोई जॉब नहीं करती और दिन भर घर में होती है। अमित को भी इससे कोई प्रॉब्लम नहीं होनी चाहिए। वैसे भी मानसी को इस सब का कुछ कुछ आईडिया है तो वह भी इस सब से इंकार नहीं करेगी।"

      विहान और रुद्र अपने प्लानिंग पर लग गए। उन्होंने दिल्ली के आसपास के सभी वेडिंग लोकेशन के बारे में जानकारी इकट्ठा कि जहां डेस्टिनेशन वेडिंग बेहतर तरीके से हो सके। उन दोनों ने मिलकर पूरा वक्त पहले तो सारे लोकेशन चूज किए और सबके प्रिंट आउट लेकर विहान अपने घर चला गया। रूद्र शरणय्या को लेकर अपने वादे के मुताबिक डिजाइनर के पास जाने को निकल गया। उन दोनों की बढ़ती नजदीकियां शरण्या को अच्छे लगने लगी थी। उसे लावण्या कि कहीं बात याद आ गई। सच में पिछले कुछ दिनों से उन दोनों ने बिल्कुल भी लड़ाई नहीं की थी। यहां तक की अब उसे रूद्र की किसी हरकत पर गुस्सा नहीं आता था। ना जाने क्यों लेकिन रूद्र की आंखों में शरण्या को एक अलग ही एहसास नजर आने लगा था।

     शरण्या अपने बाइक पर थी और रूद्र उसके पीछे बैठा था। रूद्र ने जानबूझकर डरने का नाटक करते हुए शरण्या की कमर पकड़ ली जिससे शरण्या का बैलेंस बिगड़ा और वह दोनों गिरते इससे पहले रूद्र ने बाइक की हैंडल को पकड़ बाइक को अपने पैरों से रोक दिया। फिर शरण्या को पीछे बैठने को कहा। रूद्र के ऐसे छूने से शरण्या की धड़कन बढ़ गई थी जिस वजह से वह बाइक संभाल नहीं पाई। रुद्र के पीछे बैठकर शरण्या उसकी पीठ पर हाथ रखने से घबरा रही थी। रूद्र उसकी घबराहट को अच्छे से समझ रहा था। जैसे ही उसने एक्सलेटर दबाया एक झटके से शरण्या ने एक हाथ से उसका कंधा पकड़ लिया और दूसरे हाथ से उसकी कमर। 

      "तू गिराएगा मुझे! इस तरह कौन लाइक चलाता है, गधा कहीं का! जब तुझे नहीं आती तो फिर मेरी बाइक मत चला, मुझे ही चलाने दे!" शरण्या ने झिड़का। रूद्र बोला, "अगर अगर तुझे इतनी ही बाइक चलानी आती है तो अभी अभी हम दोनों ही गिरने वाले थे। और रही बात तेरे गिरने की तो इतना यकीन रख, मेरे रहते मैं तुझे कभी गिरने नहीं दूंगा। तूझे थामने के लिए मेरी यह दोनों बाहें काफी है।" कहते हुए रूद्र ने चलती गाड़ी छोड़कर दोनों हाथ हवा मे फैला दिये। शरण्या ने कसकर रूद्र की कमर को पकड़ लिया और चिल्लाई, "अबे तू खुद भी मरेगा और मुझे भी मरवाएगा हैंडल पकड़ जल्दी!!!"

     "अगर इतना ही डर है तुझे अपनी जान की तो फिर मुझे क्यों पकड़ रखा है, कूद जाती! मेरे साथ मरने का इतना शौक है तुझे! अपनी जान बचा, मेरी क्यों परवाह करती है?" रूद्र की बातें सुन शरण्या से कुछ कहा नहीं गया। गिरने के डर से उसने रूद्र को और भी मजबूती से थाम लिया था क्योंकि सबसे ज्यादा उसे रूद्र की परवाह थी। उसके हाथ हैंडल तक नहीं पहुंच सकते थे जिससे वह बाइक को कंट्रोल कर सके लेकिन रूद्र को धाम कर आने वाले हर एक्सीडेंट के लिए खुद को तैयार कर रही थी लेकिन रूद्र यह सब सिर्फ उसे डराने के लिए कर रहा था। शरण्या जो कि अभी तक उसे पकड़ने से हिचकी जा रही थी इस वक्त दोनों हाथों से उसे कसकर थामें हुए उस से लिपटी हुई थी। रूद्र ने एक हाथ से उसके हाथ को पकड़ा और मन ही मन कहा, "अब लग रही है तू मेरी गर्लफ्रेंड!" और मुस्कुरा दिया। 

     डिजाइनर के पास पहुंचने के बाद शरण्या ने पूरे शॉप के कपड़े देख डाले लेकिन उसे अपनी तरह का कुछ नहीं मिला जिसे वह शादी में पहन सके  किसी का दुपट्टा खूबसूरत था तो किसी की ब्लाउज तो किसी का लहंगा! लेकिन हर वो चीज जो उसे पसंद थी वह एक ही ड्रेस मे मिलना मुश्किल लग रहा था। रूद्र पूरे स्टोर में उसके पीछे-पीछे घूमता रहा। शरण्या को जब और कोई रास्ता नहीं सूझा तो रूद्र के कहने पर वह डिज़ाइनर से अपने हिसाब से डिजाइन देने लगी। रुद्रा वहां खड़ा चारों ओर नजर दौड़ा रहा था तभी उसकी नजर एक रेड कलर की ड्रेस पर गई। रूद्र ने चुपके से उस ड्रेस को उठाया और उलट पलट कर देखने के बाद मन ही मन सोचा, "पता नहीं शरण्या पर कैसे लगेगी? काश कि वह यह ड्रेस पहने! शरण्या! मैं हमारी डेट को बहुत ही स्पेशल बनाना चाहता हूं। इसके लिए कुछ भी करके तुझे यह पहनाना ही होगा।"

     शरण्या का डिजाइन पेपर पर कंप्लीट हुआ और वो डिजाइनर को और भी कुछ बातें समझा कर दूसरी तरफ पलटी तो रूद्र जल्दी से उसके सामने आकर खड़ा हो गया और ड्रेस को उसके आगे करते हुए बोला, "शरण्या यह ड्रेस कैसी लग रही है?" शरण्या ने भी उसकी तारीफ में अपना सिर हिला दिया तो रूद्र बोला, "इसे ट्राई करके देख ना, कैसी लगेगी तुझ पर? मेरा मतलब एक बार तो पहन कर बता कि पहनने के बाद यह कैसा लगेगा? अगर तुझ पर सूट करता है तो फिर मेरी वाली पर भी सूट करेगा। अच्छा लगेगा उस पर, प्लीज एक बार इसे पहन के दिखाएगी?"

     शरण्या समझ गई कि यह ड्रेस हो अपनी इश्श् के लिए लेना चाहता है। उसने बहाना बनाते हुए कहा, "मेरी उतरन तेरी वाली पहनना कभी नहीं चाहेगी। अगर मैं गलत नहीं हूं तो उसे जरा सी भी भनक लग गई कि यह ड्रेस मैंने ट्राई किया वह तुझे खड़े खड़े दो हिस्सों में काट देगी।" रूद्र उसे मनाते हुए बोला, "कम ऑन यार! उसे कैसे पता चलेगा कि यह ड्रेस तूने ट्राई किया है? अब तक तो यह ड्रेस कई लोगों ने ट्राई किया होगा ना! ऐसा तो नहीं है कि यह ड्रेस आज ही बन के यहां पर आई है तो प्लीज एक बार इसे ट्राई करके देख ना! मैं देखना चाहता हूं कि इ सको पहनने के बाद लेकर कैसा दिखता है! प्लीज प्लीज! मेरी खातिर एक बार पहन ले, बस एक बार!"

      रूद्र को इतना रीक्वेस्ट करते देख शरण्या ने ड्रेस उठाई और ट्रायल रूम की तरफ चली गई। रूद्र भी उसके पीछे पीछे गया। शरण्या ने उस ड्रेस को देखा जो कि काफी लंबा था। ऐसे ड्रेस उसे अच्छे लगते थे और रूद्र उसकी पसंद को अपनी गर्लफ्रेंड के लिए लेकर जाना चाहता था। शरण्या ने खुद को समझाया और उस ड्रेस को ट्राई करने लगी। वह ड्रेस वाकई में काफी लंबी थी उसे पहनकर चलने के लिए उसे ड्रेस को थोड़ा सा ऊपर उठाना पड़ता था और उससे भी बड़ी बात यह ड्रेस पूरी तरह से बैकलेस थी जिसे देख शरण्या को लावण्या के सगाई वाली रात की याद आ गई। उसकी ड्रेस भी कुछ इसी तरह की थी और जिसे देख रूद्र पूरी तरह से गुस्सा हो गया था। इतना कि उसे चोट पहुंचाने से भी खुद को रोक नहीं पाया था। शरण्या जल्दी से कपड़े उतारना चाहती थी लेकिन तभी रूद्र ने दरवाजे पर नॉक किया और बोला, "क्या हुआ शरण्या? इतनी देर क्यों लग रही है सब ठीक तो है? तू ठीक तो है? कुछ हुआ तो नहीं, मैं अंदर आ जाऊं?"

    शरण्या ने देखा, ट्रायल रूम का दरवाजा उसने बंद नहीं किया था और रूद्र दरवाजे पर खड़ा उससे अंदर आने की इजाजत मांग रहा था। शरण्या ने जल्दी से दरवाजे को लॉक करना चाहा लेकिन लॉक करने की कोशिश में दरवाजा खुल गया और रूद्र को लगा शायद शरण्या ने उसे अंदर बुलाया है तोवह बिना कुछ सोचे समझे अंदर चला गया जिसे देख शरण्या पूरी तरह से घबरा गई। कुछ देर पहले उसके मन में उठ रहे ख्यालों ने उसे और भी ज्यादा घबराने पर मजबूर कर दिया था। कहीं रुद्र फिर से ऐसी कोई हरकत ना कर बैठे हैं यह सोच शरण्या का दिल बैठा जा रहा था। रूद्र ने एक बार सर से पैर तक उसको अच्छे से निहारा। यह ड्रेस वाकई में बहुत ज्यादा खूबसूरत थी और शरण्या पर कुछ ज्यादा ही जच रही थी। रूद्र ने जानबूझकर ये ड्रेस उठाई थी क्योंकि ऐसे ही ड्रेस की वजह से उसने शरण्या को बुरी तरह से हर्ट किया था। 

     रुद्र की नजर शीशे पर लगी शरण्या की पीठ पर गई जिसे देख रूद्र को उस रात की याद आ गई। उसने शरण्या की पीठ आपकी तरफ की और उसे हल्के से सहलाते हुए बोला, "बहुत ज्यादा तकलीफ दी थी ना मैंने तुझे? बहुत ज्यादा चोट पहुंचाई थी ना? माफ कर देना मुझे, पता नहीं मुझे क्या हो गया था!" रूद्र ने देखा उसके पीठ पर अभी भी हल्के निशान थे जो उसने दिए थे। उसकी आँखो मे दर्द उतर आया। वह झुककर उन निशानों को एक एक कर चूमने लगा। शरण्या वही खड़ी जड़ सी हो गई। रूद्र के होंठ उसके पीठ को सहला रहे थे। शरण्याके पैर कांपने लगे थे। उसने खुद को संभालने के लिए सामने का आईना पकड़ लिया। वो खुद रूद्र के गिरफ्त मे थी। 



टिप्पणियाँ

  1. ओह्ह माय गॉड मैम,,, ये सपना तो नही??? मतलब रुद्र ने शरण्या की पीठ को सहलाते हुए उसपर दिए जख्म मिटाने अपने प्यार की मुहर लगा रहा है उधर!! 💙💙😍 दोनो साथ मे हद से ज्यादा प्यारे और क्यूट है...!! 🤗🤗 और मानसी के लिए भी विहान और रुद्र ने अच्छा प्लान बनाया...!! देखते है क्या होगा?? बेहतरीन भाग!! 👌👌 अगले का इंतेज़ार रहेगा!! 😊😊

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