ये हम आ गए कहाँ!!! (44)

   मानसी के आंखों के सामने से विहान कमरे से बाहर निकल गया। मानसी वही पत्थर की मूरत की तरह खड़ी रही तो रुद्र बोला, "मानसी! जो भी बात है जो भी हालात है वह विहान से मत छुपाओ। मैं जानता हूं तुम ऐसी नहीं हो। पिछले कुछ वक्त में विहान ने तुम्हारी ना जाने कितनी बातें की है। तुम्हारे बारे में सुन सुन कर थक चुका हूं मैं। ऐसा लगता है जैसे तुम्हें बिना जाने ही तुम्हारे बारे में सब कुछ जान गया। वह तुमसे बहुत प्यार करता है। जब से तुम उसकी जिंदगी में आई उसके बाद से उसने किसी और की तरफ देखा भी नहीं। इस वक़्त उसकी क्या हालत है यह मैं भी नहीं समझ सकता। तुम्हारी जो भी मजबूरी है वह विहान का जानना जरूरी है। सिर्फ एक वही है जो तुम्हें इस दलदल से बाहर निकाल सकता है। एक नई जिंदगी दे सकता है।" 

    मानसी बोली, "अब यह दलदल ही मेरा घर बन चुका है। इससे निकलकर मैं जाऊंगी भी तो कहां! एक लड़की का अपना कोई घर नहीं होता रूद्र! सिर्फ ससुराल और मायका होता है। ना तो वह अपने ससुराल को अपना कह सकती है और ना ही अपने मायके पर हक जता सकती है। अब यही मेरी किस्मत है और इसके साथ मैंने समझौता कर लिया है।" रूद्र ने उसे समझाना चाहा, "मानसी अगर तुम्हें लगता है कि विहान तुम्हें इस तरह से छोड़ देगा तो तुम गलत समझ रही हो। अगर तुमने ध्यान नहीं दिया तो तुम्हारी जानकारी के लिए बता दु, मैंने जब विहान को फोन किया था उस वक्त वो अपने कमरे में सो रहा था और तुम्हारे बारे में सुनते ही वो भागते हुए चला आया। इस ठंड में भी उसे ना गर्म कपड़ों की परवाह थी और ना ही जूते पहने का वक्त। तुम्हारे लिए वो सब कुछ भूल कर चला आया। क्या अब भी तुम्हारे मन में उसके प्यार को लेकर कोई शक है?" 

     मानसी बोली,"नहीं रूद्र! मुझे विहान के प्यार पर कोई शक नहीं है लेकिन आज के बाद उस दिल मे प्यार नही सिर्फ और सिर्फ नफरत होगी। जैसे अभी नजर फेरकर चले गए वैसे ही आज के बाद फिर कभी मेरी तरफ नजर उठाकर भी नहीं देखेंगे और यही उनके लिए बेहतर होगा।" कहकर मानसी बाथरूम में चली गई। रूद्र कमरे से बाहर निकल गया तो देखा विहान गुस्से और बेचैनी मे कॉरिडोर मे टहल रहा था। इस वक़्त वो इतना ज्यादा गुस्से में था कि इस ठंड में भी उसे पसीने आ रहे थे। रूद्र ने उसे शांत करते हुए कहा, "एक बार इस सब के बारे में ठंडे दिमाग से सोच। तु ही कहता था ना मानसी ऐसी है वैसी लेकिन ऐसी वो बिलकुल भी नहीं है। कौन सी इज़्ज़तदार लड़की ऐसे काम मे अपने पति का साथ देगी या फिर इसके खिलाफ खड़ी नहीं होना चाहेगी! तू भूल जा उसे, वो ऐसे ही है यार! कितना जानता है तु उसे? बस कुछ दिन तेरे साथ रही, तु मिला उसे उसके बाद तुम दोनों अलग हो गए, कुछ लोग अपने चेहरे पर मुखोटे लगाकर रखते हैं यार। मानसी भी वैसी ही है। तुझे लग रहा है कि वह इस दलदल में है लेकिन ऐसा नहीं है! कोई भी इंसान ऐसे हालात में कम से कम हाथ पैर जरूर मारता है। किसी को तो अपनी मदद के लिए जरूर बुलाता है लेकिन मानसी तो किसी की मदद लेना ही नहीं चाहती। अभी मैंने बात की उससे, उसने कहा कि यही उसकी लाइफ है क्योंकि वह ऐसी ही है। तु जाने दे उसे, जैसे जीना चाहती है वैसे जीने दे। जब अमित को प्रॉब्लम नहीं है तो तुझे क्यों प्रॉब्लम है?" 

     रूद्र की बातें सुन विहान गुस्से में उसकी तरफ पलटा और उसका कॉलर पकड़कर बोला, "अगर मेरी मानसी के बारे में एक और शब्द कहा ना तो मैं तेरी जान ले लूंगा। मेरी मानसी ऐसी बिल्कुल भी नहीं है और वो जो भी कर रही है जरूर इसके पीछे कोई बहुत बड़ी मजबूरी रही होगी वरना वह उन लड़कियों में से नहीं है जो अपने साथ हो रहे अन्याय के खिलाफ आवाज ना उठाएं। जरूर अमित ने उसकी कोई दुखती रग पकड़ ली है जिस वजह से वह उसके खिलाफ नहीं जा पा रही लेकिन मैं मेरी मानसी को इस तरह नहीं देख सकता। मैं उसे यहां से बाहर निकालूंगा और उसे अपनी लाइफ में वापस लेकर भी आऊंगा। वह मेरा प्यार है रूद्र, मैं अब उसे खुद से दूर नहीं जाने दूंगा। जो भी दर्द जो भी तकलीफ उसने अब तक सहा है उस सब का जिम्मेदार कहीं ना कहीं मैं भी हूं। तो यह गुनाह मेरा भी है और मुझे ही यह सब ठीक करना होगा। चाहे मानसी मुझे अपनाए या ना अपनाए, मैं हमेशा से उसका ही था।"

      रूद्र मुस्कुरा कर बोला, "बस यही सुनना चाहता था मैं तुझसे। देख विहान! मानसी जो भी कर रही है वह मजबूरी में कर रही है यह बात तू भी जानता है और समझता भी है। लेकिन कौन सी मजबूरी है, तुझे पता करना होगा। और इस सब के बारे में अमित को कानों कान खबर नहीं होनी चाहिए वरना वह मानसी के साथ क्या करेगा यह हम दोनों ही नहीं सोच सकते। मानसी की आंखें देखी तूने! कितनी सूनी आंखें थी उसकी! पिछली बार जब देखा था तब ऐसी तो नहीं थी। अब यह तुझ पर है कि तू मानसी को इस दलदल से कैसे बाहर निकालता है। मैंने हीं तुझे मानसी के करीब जाने से मना किया था ना, अब मैं कह रहा हूं उसे खुद से दूर मत जाने दे। ले आ वापस अपनी लाइफ में। बहुत किस्मत वालों को ही प्यार की मंजिल मिलती है। तुझे जब किस्मत एक मौका दे रही है तो मैं तेरे साथ खड़ा हूं फिर चाहे पूरी दुनिया तेरे खिलाफ क्यों ना हो जाए। मानसी ने खुद देखा तेरा प्यार तेरी आंखों में, वो परवाह उसे नजर आई लेकिन जैसे उसने अपनी किस्मत से समझौता कर लिया। एक लड़की के लिए शादी मायने रखता है ये हम सब जानते हैं लेकिन शादी के बाद जब वही पति उसके साथ ऐसा बर्ताव करें, उसे ये सब कुछ करने पर मजबूर कर दे तो उसकी जिंदगी मौत से भी ज्यादा बदतर हो जाती है। अमित को इसका हिसाब देना होगा। अपने गुस्से को सही जगह इस्तेमाल करना सीख। तेरा जो भी फैसला होगा मैं तेरे साथ खड़ा रहूंगा।"


     शरण्या बच्चों को एनजीओ छोड़ने के बाद रूद्र की गाड़ी लेकर घर चली आई। उसे लगा शायद रूद्र को अपनी गर्लफ्रेंड का इंतजार होगा इसलिए उसने इतनी जल्दी उसे वहां से भेज दिया यह सोचकर ही उसका दिन भर का सारा मूड खराब हो गया। "इस इशिता की बच्ची को तो मैं छोडूंगी नहीं! मेरे नाम से वह मेरे ही रूद्र पर डोरे डाल रही है। इसकी पोल खोलनी बहुत ही जरूरी है वरना मेरा रूद्र सच में उसका हो जाएगा! लेकिन जब रूद्र को पता चलेगा कि जिससे वह प्यार करता है वह इशिता नहीं बल्कि मैं हूं तब कैसे रिएक्ट करेगा? क्या वो कभी यकीन करेगा कि वह मुझसे प्यार करता है? उसकी नजर में तो मैं लड़की हूं ही नहीं तो फिर मुझसे प्यार करना तो इमेजिन भी नहीं कर सकता। क्या करूं क्या नही करूं, कुछ समझ नहीं आ रहा। इस "इश्श्" की वजह से मेरा पूरा दिमाग खराब हो चुका है। जाने मेरी लाइफ आगे कैसी होने वाली है, समझ नहीं आ रहा। आई थिंक लवी दी से ही पूछना रहेगा। लेकिन क्या वह अब तक पार्टी से वापस आ गयी होंगी? वो तो रेहान के साथ पार्टी में गई थी। उन्हें तो आने में काफी वक्त होगा।" 

       सोचते हुए शरण्या लावण्या के कमरे में गई और यह देखकर हैरान रह गई कि लावण्या आपने कमरों में मौजूद थी। उसकी आंखें थोड़ी सूजी हुई थी जिसे देख वो थोड़ी घबरा गई और बोली, "यह क्या हुआ दी? आपकी आंखे इतनी लाल क्यों हो और सूजी हुई सी क्यों है? क्या बात है दी? रेहान ने कुछ कहा? झगड़ा हुआ आप दोनों का? बताओ दी क्या हुआ?" लावण्या मुस्कुराते हुए बोली, "अरे मेरी भोली बहना! इतना मत सोच वरना तेरा दिमाग खर्च हो जाएगा। मेरा कोई झगड़ा नहीं हुआ है रेहान से। बस मुझे थोड़ी ठंड लग गयी है जिसके कारण आंखों में सूजन है वरना मैं ठीक हूं। पार्टी मे मेरा मन नहीं लग रहा था इसलिए रेहान ने मुझे घर जाने को बोल दिया। उसके क्लाइंट वहां पर थे और ऑफिस के सारे स्टाफ भी इसलिए वह पार्टी छोड़कर नहीं आ सकता था तो मैं चली आई। तुझे तो पता ही है ना ऑफिस की पार्टी किसी भी ऑकेजन पर हो हमेशा बोरिंग हीं होती है। सिर्फ बिजनेस की बातें होती हैं, इसके अलावा और कुछ नहीं। तू बता तेरा कैसा रहा? तू और रूद्र तो डेट पर गए थे ना, कैसी रही?" शरण्या की हंसी छूट गई। वह बोली, "दी...! डेट पर दो लोग जाते हैं पूरी पलटन को नहीं ले जाते। हमने बस वहाँ खाना खाया और मैं बच्चों को लेकर वहां से निकल आई। रूद्र वहीं रुक गया शायद उसकी गर्लफ्रेंड आने वाली थी इसलिए उसने अपनी गाड़ी मुझे दे दी। वैसे मेरी छोड़ो और आप पहले मुझे यह बताओ कि रेहान के होते हुए भी बोरिंग थी पार्टी?" लावण्या मुस्कुरा कर बोली, "पार्टी तो बहुत अच्छी थी लेकिन मेरे लिए बोरिंग थी। इसलिए मैं जल्दी आ गई। अब तु अपने कमरे में जा और जाकर सो जा। मुझे भी सोने दे, सुबह फिर ऑफिस के लिए निकलना होगा। देर हो गई तो फिर शादी मेरी कैंसल जाएगी। सारा काम शादी से पहले निपटाना होगा तभी तो मुझे शादी के वक़्त छुट्टी मिल पाएगी और रेहान को भी।"

    शरण्या ने भी ज्यादा परेशान नहीं किया और अपने कमरे में चली गई। उसके जाते ही लावण्या परेशान हो उठी। उसने जल्दी से रेहान का नंबर डायल किया लेकिन रेहान ने फोन नहीं उठाया। "प्लीज रेहान प्लीज! फोन उठाओ! तुम ऐसे तो नहीं थे फिर एकदम से इतना कैसे बदल गए। प्लीज रेहान नाराज मत हो। मैं वो सब नहीं कर सकती जो तुम चाहते हो। बस कुछ दिन की ही तो बात है उसके बाद तो हमें एक होना ही है।"



     "तुम अमित को तलाक दे रही हो, वह भी जल्द से जल्द। मैं अपने लॉयर से बोल कर तुम दोनों के तलाक के कागजात तैयार करवाता हूं। अब मैं तुम्हें उस घर में और उस आदमी के साथ 1 मिनट भी बर्दाश्त नहीं कर सकता।" विहान ने मानसी से कहा। इस वक्त वह तीनों उस कमरे में मौजूद थे और मानसी विहान के साथ जाने से मना कर रही थी क्योंकि कुछ देर के बाद ही अमित उसे लेने आने वाला था। विहान ने भी उसे अपने साथ ले जाने के लिए ज़िद नहीं कि ताकि अमित को शक ना हो। लेकिन वह इस तरह अमित के चंगुल में उसे नहीं छोड़ सकता था। उसने मानसी के जवाब का इंतजार किए बिना ही अपने लॉयर को फोन लगाया तो मानसी ने उसका फोन छीनते हुए कहा, "तुम ऐसा कुछ नहीं करोगे विहान! मैं तुम्हारी फिक्र समझ रही हूं लेकिन मेरी भी कुछ मजबूरियां है। समझने की कोशिश करो, मैं अमित को तलाक नहीं दे सकती। अगर मैंने उसे तलाक दिया तो वह मेरे पूरे परिवार को बर्बाद कर देगा। तुम नहीं जानते हमारी शादी के पीछे की सच्चाई! एक तरीके से उसने खरीदा है मुझे, बहुत बड़ी कीमत चुकाई है उसने हमारी शादी के लिए। मेरे परिवार को अपने एहसानों तले दबाकर उसने बदले में मुझे मांगा ताकि वह ऐसे बड़े-बड़े बिज़नस डील आसानी से साइन कर सकें। मैं उसकी बीवी नहीं हूं सिर्फ उसके बिजनेस डील का एक हिस्सा हूं। मैं समझती हूं तुम मुझे लेकर परेशान हो लेकिन सिर्फ इतना कहना चाहूंगी तुमसे, मुझसे दूर रहो। मैं किसी दलदल में नहीं हूं मैं खुद एक दलदल हूं मुझे बाहर निकालने की कोशिश मे तुम भी उस में डूबते चले जाओगे। मुझे साफ करने की कोशिश मत करो विहान तुम खुद गंदे हो जाओगे लेकिन मेरे ऊपर लगाइए कीचड़ कभी साफ नहीं होगा।"

    "तुम क्या हो क्या नहीं यह तुम्हें मुझे समझाने की जरूरत नहीं है। माना मैं तुम्हें ज्यादा नहीं जानता लेकिन जितना मैं भी जानता हूं, मेरी मानसी दुनिया में सबसे ज्यादा साफ है, गंगा की तरह पवित्र है जो दुसरो के पाप को धोती है। इस वक्त वह कमल है जो कीचड़ में है उस कमल को कीचड़ से निकालकर मंदिर में कैसे रखना है यह तुम मुझ पर छोड़ दो।" विहान बोला। 

    मानसी उसे समझाते हुए बोली, "मेरे पीछे अपनी जिंदगी बर्बाद मत करो विहान! नेहा तुम्हें बहुत पसंद करती है। एक बार उसके बारे में सोच कर देखो। तुम दोनों एक दूसरे के लिए परफेक्ट हो। मेरे करीब आकर सिवाए कलंक और बदनामी के तुम्हें और कुछ नहीं मिलेगा। नेहा तुम्हें वह सारी खुशियां दे सकती है जो तुम डिजर्ब करते हो।"

  विहान गुस्से मे उसके दोनो बाजू पकड़ते हुए बोला,""मुझे किसके साथ रहना चाहिए किसके साथ नहीं यह तय करने वाली तुम कौन होती हो? मुझे उसके साथ अपनी जिंदगी गुजारनी है जिसे मैं प्यार करता हूं। जिसका इंतजार किया है मैंने। यूं ही बेकार नहीं जाने दे सकता मैं। अगर तुम खुश होती ना तो कसम से कह रहा हूं मानसी मैं कभी तुम्हारी लाइफ में दखल नहीं देता। क्या करूं यार! बस ये दिल ही है जो एक बार तुम्हें देखने के लिए बेचैन हो उठता था इसलिए तुम्हारे सामने चला आता था। मेरा यकीन करो, मैंने खुद को संभालने की, तुमसे दूर रहने की हर मुमकिन कोशिश की है लेकिन अब नहीं करूंगा। अब मैं भी देखता हूं कि दुनिया की कौन सी ताकत तुम्हें मुझ से अलग करती है।"

     

      

     क्रमश:

टिप्पणियाँ

  1. बहुत ही बेहतरीन भाग था मैम!! काफी लेट पढ़ रही हूं पर...!! 😅😅 रुद्र ने तो बहुत अच्छे से समझाया है विहान को और बेचारी मानसी..... बस उस दिन का इंतेज़ार रहेगा जब कैसे भी करके विहान मानसी को इस दलदल से निकालेगा क्योंकि किसी भी लड़की के लिए इससे बेहतर तो मौत होती है!!! और रेहान.... नजाने इसे भी क्या हो गया है?? लावण्या परेशान हो उठी है!! खैर, अगले भाग का इंतेज़ार रहेगा!! 😊😊

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