ये हम आ गए कहाँ!!! (50)

      रूद्र ने शरण्या से बड़े ही रोमांटिक अंदाज में अपने प्यार का इजहार कर दिया था। शरण्या को भी इस बात का यकीन करने में थोड़ा वक्त तो लगा लेकिन आखिर में रुद्र की बातों पर यकीन करते हुए उसके सीने से जा लगी और उसके दिल में जो भी बातें थी वह सारी बातें कह डाली। नए साल का आगाज हो चुका था और आसमान में तरह-तरह के पटाखे फूटने लगे थे। उन आवाजों को सुन रुद्र होश में आया और शरण्या की पीठ से लाते हुए उसे पुकारा, "शरू!!!" शरण्या आंखें बंद किए हुए उसके सीने से लगी हुई थी। उसने मुस्कुराकर कहा, "मुझे मत जगाओ प्लीज! मैं बहुत खूबसूरत सपना देख रही हूं, अभी पहले जी भर के जी लेने दो अपने सपने को उसके बाद जगाना। बस थोड़ी देर और प्लीज!" 

      रूद्र मुस्कुराया और बोला, "शरू!!! यह कोई सपना नहीं है, हकीकत है। मैं सपना नहीं हूं, आंखें खोल और देख मुझे!" शरण्या को एहसास हुआ और उसने रुद्र से दूर हटते हुए उसके चेहरे की ओर देखा। वह अभी भी इस बात को मानने को तैयार नहीं थी कि जो कुछ भी इस पल में हो रहा था वह सब कोई सपना नहीं बल्कि उसकी जिंदगी का एक खुशनुमा हकीकत था। जिस पल का उसने बरसों इंतजार किया और हर उम्मीद छोड़ दी थी वाकई में वह उस पल को जी रही थी। उसने एक बार फिर रूद्र से पूछा, "क्या वाकई में यह सब कोई सपना नहीं है? मैं इस वक़्त सो नहीं रही? चल मुझे चींटी काट!" रूद्र मुस्कुराए बिना ना रह सका। वह झुका और धीरे से शरण्या के कान पर अपने दांत गड़ा दिए। एक हल्की सी आह शरण्या के होठों से निकली और उसने अपनी आंखें मूंद ली।

      रूद्र को उसकी बंद पलके हमेशा से बहुत ही खूबसूरत लगती थी और इस वक्त तो वह और भी ज्यादा खूबसूरत लग रही थी। उसने अपने दोनों हाथों से शरण्या के चेहरे को थामा और उसकी तरफ झुका। रूद्र की सांसे शरण्या को अपने चेहरे में पड़ती हुई महसूस हो रही थी। वह समझ गई कि रूद्र क्या करने वाला। यह उन दोनों का फर्स्ट किस् होता जिसके लिए शरण्या खुद को तैयार कर रही थी। उसने एक बार भी आंखें खोल कर रूद्र को देखने की हिम्मत नहीं की, बस उसे अपने करीब आता हुआ महसूस कर रही थी। उसने रूद्र की शर्ट को कस कर पकड़ लिया। रूद्र उसके चेहरे की ओर झुका जरूर लेकिन आगे नहीं बढ़ा। कुछ देर बाद शरण्या ने जब आंखें खोली और हैरानी से रूद्र को देखने लगी तो रूद्र बोला, "तु सच में चाहती है कि मैं ये करूं? तु सच में चाहती है कि मैं तुझे किस करूं?"

    शरण्या गुस्से में बोली, "नहीं.........! मैं इस वक्त किसी और का इंतजार कर रही हूं कि वह आकर मुझे किस करें!" शरण्या का गुस्सा देख रूद्र के चेहरे पर एक बड़ी सी स्माइल आ गई। उसने कहा, "इतना गुस्सा मत हो मेरी जान! मैं बस हमारे इस पल को खास बनाना चाहता हूं और हमेशा के लिए इस पल को तस्वीरों में कैद कर लेना चाहता हूं, इसलिए रुक गया। बस मुझे एक मिनट दे!" कहकर रूद्र शरण्या से दूर हुआ और गाड़ी में से अपना कैमरा निकाल ले आया। उसने कैमरा एंगल सेट किया कुछ इस तरह से कि वह तस्वीर सबसे खूबसूरत लगे। शरण्या वहाँ खड़े-खड़े उसे यह सब करता देख रही थी। कैमरे का टाइमर ऑन कर रूद्र भागता हुआ शरण्या के पास पहुंचा और उसके चेहरे को एक बार फिर थाम कर बोला हमारी जिंदगी का पहला लम्हा! इसे मै जिंदगी भर अपने पास सहेज कर रखना चाहता हूं" कहते हुए रूद्र ने उन दोनों के होठों के बीच की दूरी खत्म कर दी। 

    शरण्या सूखे पत्ते की तरह कांप उठी और खुद को संभालने के लिए उसने रुद्र की गर्दन में बाहें लपेट दी। रूद्र ने भी उसे खींच कर अपने और करीब कर लिया। इस वक्त आसमान में पटाखों की रोशनी और उसके नीचे प्यार में डूबे दो दिल, यह तस्वीर वाकई में बहुत ही खूबसूरत लग रही थी। 


     विहान मानसी के साथ नया साल शुरू करना चाहता था इसीलिए उसने नेहा का सहारा लिया। नेहा के हॉस्पिटल मे न्यू ईयर की पार्टी थी जिसे अटेंड करना उसके लिए जरूरी था। नेहा को किसी भी तरह कंवेंस कर विहान ने मानसी को भी अपने साथ लाने के लिए मना लिया। नेहा को भी अपनी भाभी के साथ वक़्त बिताना अच्छा लगता था लेकिन उस टाइम ही नही मिल पाता था। इसी बहाने उसे अपनी भाभी के साथ इंजॉय करने का एक मौका मिल रहा था तो उसने ज्यादा कुछ सोचा नही और जैसे तैसे अमित को मनाते हुए वो मानसी को लेकर हॉस्पिटल पहुची जहाँ विहान पहले से ही मेन गेट पर उन दोनो का इंतज़ार कर रहा था। मानसी को देखते ही वह उसके करीब आया लेकिन उन दोनों के बीच नेहा मुस्कुराते हुए खड़ी थी। 

     पूरे हॉस्पिटल को काफी अच्छे तरीके से सजाया गया था। खासकर बच्चों का वार्ड। मानसी को बच्चे बहुत पसंद थे और नेहा भी सबसे ज्यादा वक्त चिल्ड्रंस वार्ड में ही बिताती थी। पूरे दिन भले ही वह किसी भी वार्ड में काम करें लेकिन बच्चों से एक बार मिलने वह जरूर आती थी। बच्चे भी उसे काफी पसंद किया करते थे। जब उसने अपनी भाभी को उन बच्चों से मिलवाया तो वह बच्चे भी मानसी को देखकर काफी ज्यादा खुश हुए। मानसी भी खुले दिल से उन बच्चों से मिली जो किसी ना किसी तरह की बीमारी से जूझ रहे थे। उन बच्चों को देखकर मानसी में काफी हिम्मत आई यह सोच कर कि जब यह बच्चे बीमार होने के बाद भी इनके चेहरे से खुशी नहीं जाती तो फिर वह क्यों अपनी जिंदगी में यूं उदासी ओढ़े रहेगी और कब तक? 

     बच्चों के बीच रहकर मानसी खुद को भूल गई थी। उसके चेहरे पर एक बड़ी सी मुस्कान ही ली थी जो शायद काफी वक़्त के बाद आई थी। मानसी बच्चों को देख कर खुश थी, विहान मानसी को खुश देखकर खुश था और नेहा विहान को देख कर। मानसी का ध्यान जब विहान पर गया तो वह थोड़ी असहज हो गयी क्योंकि वहाँ नेहा भी मौजूद थी। मानसी नेहा से बोली, "मैं जाकर सबके लिए कॉफी ले आती हूं। रात ज्यादा हो गई है और नींद भी आ रही होगी, ठीक है?" नेहा ने भी मुस्कुराकर हां कहा। 

      मानसी को सिर्फ एक बहाना चाहिए था विहान की नजरों से दूर होने के लिए। इसके बावजूद उसे हर पल यही लगता जैसे विहान की नज़रे उसका पीछा कर रही हो। वो नहीं चाहती थी कि नेहा को विहान के इरादों का पता भी चले। नेहा के दिल में विहान के लिए क्या एहसास है यह बात वो काफी अच्छे से जानती थी। नेहा उसके लिए ननंद कम और सहेली ज्यादा थी। एक ऐसी सहेली जो हमेशा उसके लिए सोचती थी। मानसी इतनी स्वार्थी नहीं हो सकती थी कि वह नेहा से उसकी खुशियां छीन ले। अमित से छुटकारा पाना उसका सपना था और वो ये चाहती भी थी लेकिन विहान की जिंदगी में आकर नहीं! वो ना ही विहान और ना ही नेहा की जिंदगी खराब करना चाहती थी। उसे अच्छे से पता था कि उसके ऊपर जो दाग लगा है वह कभी नहीं मिटाया जा सकता है। उसके साथ अब तक जो होता आया है वह बात अगर किसी को पता चल जाए जो समाज में उसकी जो बदनामी होगी वो अलग, विहान को भी इस सब मे घसीट लिया जाएगा और वह यह बिल्कुल नहीं चाहती थी। 

    मानसी कैफिटेरिया गई और वहां तीनों के लिए कॉफी निकालने लगी। तभी विहान ने आकर एक कप थाम लिया। विहान को अपने इतने करीब देख मानसी चौक गई। उसने सोचा था इस तरह दूर होकर वह नेहा और विहान को साथ रहने का मौका देगी लेकिन विहान ऐसे उसके पीछे पीछे चला आएगा उसने नहीं सोचा था। मानसी उससे दूर हट कर खड़ी हो गई जैसे वह कोई अछूत हो। उसे ऐसे देख विहान बोला, "क्या हुआ मानसी तुम्हारी तबीयत तो ठीक है? तुम ऐसे क्यो..........?" कहकर विहान ने उसका माथा छूना चाहा तो मानसी थोड़ी और पीछे हट गई और बोली, "विहान प्लीज! मुझे मत छुओ! प्लीज तुम से विनती है मेरी! मुझे छू कर तुम भी मैले हो जाओगे। तुम जो मेरे लिए करना चाहते हो उसके लिए मैं तुम्हें दिल से थैंक यू कहती हूं लेकिन मेरे करीब मत आना प्लीज!"

    विहान बोला, "अगर तुम ऐसा सोचती हो तो ये तुम्हारी सबसे बड़ी गलतफहमी है। और तुम्हें छूने से मैं मेला कैसे हो जाऊंगा? तुम तो मुझे एकदम फ्रेश लग रही हो! कहां है गंदगी बताओ! मुझे तो कहीं नजर नहीं आ रहा।" मानसी समझ गई कि विहान से बात करना बेकार है। उसने कॉफी का कप उठाया और वहां से जाने को हुई तो विहान गुनगुनाने लगा,"यूं ही पहलू में बैठे रहो! आज जाने की ज़िद ना करो!" मानसी के कदम वही रुक गए। उसने पलट कर विहान की ओर देखा और बोली, "नेहा तुम्हें बहुत पसंद करती है, उसका दिल टूट जाएगा और मैं उसका दिल टूटते नहीं देख पाऊंगी।"

      विहान अपने कप में कॉफी डालते हुए बोला, "इस दुनिया में हर कोई किसी ने किसी से प्यार करता ही है। जरूरी तो नहीं कि हर किसी का प्यार उसे मिल जाए! रूद्र सही कहता है, हम जिससे प्यार करते हैं वह किसी और को चाहता है और वह जिसको चाहता है वह किसी और को चाहता है। यह दुनिया बस एक दूसरे के पीछे लगी है। मुझे बस इतना पता है जिसे मैं प्यार करता हूं और जिसे मैं चाहता हूं वह भले मुझे चाहे या ना चाहे, मुझे प्यार जरूर करती है। और यह मेरे लिए काफी है। अब चाहे वह मेरी जिंदगी में आना चाहे या ना चाहे, फिर चाहे वह मेरी जिंदगी से कोसों दूर क्यों ना चली जाए, मैं हमेशा उसका था और हमेशा उसका ही रहूंगा। अगर वह यह सोचे कि उसके दूर जाने से कोई और मेरी लाइफ मे आ जाएगी तो यह बहुत बड़ी गलतफहमी है। बता देना उसे, यह मत सोचना कि मैं सब तुम्हें समझा रहा हूं! मैं तुम्हें इसलिए बता रहा हूं ताकि तुम उसे सारी बातें अच्छे से समझा सको। जिस दिल तक मैं यह बात पहुंचाना चाहता हूं उस दिल तक तुम पहुंचा दो।"

    मानसी ने अपनी नजर झुकाई और वहां से चली गई। विहान एक बार फिर गुनगुनाने लगा, "कितनी हसरत है हमें, तुमसे दिल लगाने की! पास आने की तुम्हें जिंदगी में लाने की!" 




     हर किसी को नया साल विश करने के बाद रेहान ने मौका पाते ही लावण्या का हाथ पकड़ा और उसे खींचकर बाहर की ओर ले गया। लावण्या के चेहरे पर जो खुशी थी वह एकदम से गायब हो गई। उसे लगा, रेहान वह सारी हरकत करेगा जो उसने पहले कई बार करने की कोशिश की थी। वह सारी डिमांड करेगा और एक बार फिर वही होगा जो हर बार उन दोनों के बीच होता आया था। एक बार फिर से रेहान उससे नाराज होगा और उन दोनों के बीच झगड़ा हो जाएगा। रेहान उसका हाथ पकड़ गार्डन के एक कोने की ओर ले गया जहां से आतिशबाजी काफी अच्छे से नजर आ रही थी। उसने अपना फोन निकाला और फोन को नीचे रखते हुए उसने इस तरह से सेल्फी ली जिसमें वह लावण्या और ऊपर आसमान में पटाखों की रोशनी साफ नजर आ रहे थे।

      रेहान को फोटोग्राफी का इतना शौक नहीं था और ना ही उसे रूद्र की तरह एक परफेक्ट एंगल सेट करना आता था। इसके बावजूद उसने पूरी कोशिश की जिससे वह इस पल की खूबसूरती को कैद कर सकें। उसके बाद तस्वीर को देखते हुए उसने अपनी सोशल मीडिया अकाउंट पर उसको पोस्ट कर दिया। लावण्या ने कुछ कहना चाहा लेकिन उससे पहले ही रेहान ने कहां, "मैंने तुमसे कहा था और वादा किया था कि ऐसी वैसी कोई हरकत नहीं करूँगा। तुम सही हो लव! हमारी शादी तक मैं इंतजार कर सकता हूं लेकिन इसका मतलब यह नहीं मैं तुम्हें प्यार नहीं कर सकता!" लावण्या ने आगे कुछ कहना चाहा लेकिन रेहान ने बिना उसे कुछ बोलने का मौका दिए उसके होंठ सिल दिया, अपने तरीके से!!!

     यह साल हर किसी की जिंदगी में अलग मायने रखता था। आज की रात हर कोई अपने तरीके से नए साल को मनाने में लगा था। कहीं प्यार का समंदर था तो कहीं प्यार का आगाज तो कहीं अपने प्यार को मनाने की, उसे पाने की जद्दोजहद! इस नए साल में किसकी जिंदगी किस ओर करवट लेंगी, भविष्य में किसका रिश्ता कैसा होगा, किसको प्यार की मंजिल मिलेगी और किसी नहीं यह बात कोई नहीं जानता था। 




क्रमश:

टिप्पणियाँ

  1. बहुत ही बेहतरीन भाग था मैम!! 👌👌 रुद्र और शरण्या के बीच जो लम्हे थे... सच मे बड़े ही प्यारे थे!! 💙💙 वैसे ही खास लम्हे लावण्या और रेहान के बीच भी थे! 🤗🤗 और मानसी खुद को मैला समझ रही है और वो नेहा का दिल नही तोड़ना चाहती पर अमित ने तो कह दिया के उसे बस मानसी दिखती है...!! देखते है ये नया साल क्या लेकर आएगा सबके लिए?! अगले भाग का इंतेज़ार रहेगा!! 😊😊

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  2. Awesome lovely super beautiful jabardast behtareen lajabab part

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  3. Mazedaar khubsurat superb fantastic 👏👌👍🙌😀😍👏👌👍mind blowing

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