ये हम आ गए कहाँ!!! (51)

      नया साल सभी के लिए खास और उम्मीदों भरा था। हर किसी के दिल में एक चाहत थी अपने प्यार के साथ पूरी जिंदगी गुजारने की और सभी इस कोशिश और इंतजार में थे। शरण्या भी रूद्र के साथ बैठी अपनी आने वाली जिंदगी के सपने बुन रही थी। अचानक से वह पूछ बैठी, "मतलब तुझे पता था कि वह आरजे मैं हूं?" रूद्र ने मुस्कुराकर हां में सिर हिला दिया। शरण्या ने फिर कहा, "तो फिर तूने उस रात उस इशिता का नाम क्यों लिया था? क्यों कहा था तूने कि तु उससे प्यार करता है?" शरण्या एक बार फिर गुस्सा हो रही थी। रूद्र उसे समझाते हुए बोला, "मैंने किसी का नाम नहीं लिया था शरू! तूने खुद इमेजिन कर लिया था। इसमें मेरी कोई गलती नहीं है। याद करने की कोशिश कर, मैं तो किसी इशिता को जानता भी नहीं।" 

     शरण्या ने वाइन का एक सीप लिया और बोली, "लेकिन वह इशिता तो बोल रही थी कि क्रिसमस की रात वो तेरे साथ थी, वह भी पूरी रात! रात के 9:00 बजे तो मैं तुझे छोड़कर चली गई थी उसके बाद तु किसके साथ था? उसी के साथ था ना?" रूद्र हैरानी से बोला, "तेरे जाने के बाद तो मैं विहान के साथ था! फिर ये इशिता बीच में कहां से आ गई? जहां तक मुझे याद है मैं तो पूरी रात विहान के साथ ही रहा और रही बात इस इशिता या जो भी है, मैं तो उसे कभी मिला भी नहीं हूं। तूने जो समझा उस हिसाब से जो तेरे जो एक्सप्रेशन थे और जो तेरा रिएक्शन था उससे मुझे यह समझने में देर नहीं लगेगी इस इशिता से तेरा 36 का आंकड़ा है। तो मैंने भी तुझे जो समझना था वो समझने दिया। मुझे बस आज की रात का इंतजार था। दादी तो बहुत ज्यादा खुश है, मुझसे ज्यादा तो वो एक्साइटिड है हमारे रिलेशनशिप को लेकर। तू कहे तो हम दोनों यही शादी कर ले, अभी! बोन फायर का भी इंतजाम है, सात फेरे लेते हैं यहीं पर।" 

     रूद्र की बात सुन शरण्या हंसने लगी, "तुझे पता है ना रूद्र मुझे आग से डर लगता है, फिर भी तू यह बोन फायर का इंतजाम करके बैठा है!" रूद्र बोला, "अगर ऐसे ही जिंदगी भर आग से डरती रहेगी तो फिर हमारी शादी कैसे होगी? मुझे कोर्ट में या चर्च में जाकर शादी नहीं करनी! मुझे तेरे साथ सात फेरे लेने हैं, पूरे घर वालों का आशीर्वाद लेना और तुझे हक से अपनी गोद में उठाकर हमारे कमरे में लेकर जाना है। मैं तेरे मन में बैठा हर डर बाहर निकाल दूंगा तु बस मेरा हाथ थामे रखना। तेरी हर प्रॉब्लम हर परेशानी, हर डर मैं दूर करूंगा, वह सब मेरे हैं। कभी भी तू अकेली नहीं है शरु!" शरण्या के चेहरे के भाव अचानक से बदल गए। वह झुंझलाते हुए बोली, "यह क्या तू मुझे शरू शरू लगा रखा है? तुझे पता है मुझे यह नाम बिल्कुल पसंद नहीं, फिर भी तु मुझे इसी नाम से पुकारेगा मुझे चिढ़ाने के लिए!" 

    रूद्र बोला, "मेरी इतनी हिम्मत कहां मैडम जो मैं आपको चिढ़ाऊं! यह नाम तुझे पसंद नहीं लेकिन मुझे बहुत पसंद है, जानती है क्यों? क्योंकि यह नाम बहुत खास है। एक बार सोच कर तो देख इस नाम में ऐसी क्या खास बात है! अगर तुझे फिर भी पसंद ना आए तो मैं तुझे कभी इस नाम से नहीं पुकारूंगा।" शरण्या वाकई सोच में पड़ गई। कुछ देर सोचने के बावजूद जब उसे समझ नहीं आया उसने अनजाने में ही वाइन के गिलास की बजाए बोतल उठा ली। रूद्र अपने ग्लास को हाथ मे लिए बिजी था और उसने शरण्या पर ध्यान नहीं दिया। शरण्या सोचने की धुन में बोतल लगभग पूरी खत्म कर चुकी थी, अचानक से बोल पड़ी, "मतलब यह कि शरू का मतलब इसमें हम दोनों के नाम के पहले अक्षर आते हैं! मतलब इसमें शरण्या का श और रूद्र का रू है इसलिए तु मुझे इस नाम से पुकारता है?" रूद्र ने कुछ कहा नहीं बस उसे देखकर मुस्कुरा दिया।

     रुद्र ने शरण्या के लिए जो सरप्राइज प्लान किया था उसमें तो वह पूरी तरह से सक्सेसफुल हुआ लेकिन ठंड से बचने के चक्कर में जहां रूद्र ने थोड़ी सी वाइन पी वही शरण्या ने पूरी बोतल गटक ली। रूद्र ने अपना सिर पीट लिया। जब तक वह शरण्या को संभालता या रोकता तब तक देर हो चुकी थी। रुद्र ने उसका हाथ पकड़कर कुर्सी से उठाया और पास में लगी टेंट के अंदर ले गया। शरण्या होश में नहीं थी उसे अहसास नहीं था कि वह इस वक्त कहां है और क्या कर रही है। उसने जल्दी से अपना श्रग् उतरा और साइड मे कहीं फेंक दिया। उसे बस इतना पता था कि वह इस खूबसूरत रात में अपने रूद्र के साथ है और इससे ज्यादा उसे और कुछ याद रखने की जरूरत नहीं। 

      वैसे तो शरण्या की कैपेसिटी काफी अच्छी थी लेकिन इतनी भी नहीं थी कि वह बरसो पुरानी रेड वाइन की पूरी बोतल गटक ले। उसने आज पहली बार इतनी ज्यादा पी ली थी जिससे उसे होश नहीं रहा। टेंट में अंदर जाते ही उसने रूद्र को अपनी ओर खींच लिया। रूद्र बेचारा उसकी इस हरकत से एकदम से घबरा गया। उसने खुद को शरण्या की पकड़ से छुड़ाया और उसे सुलाने की कोशिश करने लगा। अंदर टेंट में गर्मी थी और ऊपर से वाइन का नशा, जिस वजह से रुद्र ने अपना ब्लेजर उतार दिया। उसके इतना करने की देर थी, शरण्या उठ कर बैठी और पीछे से उसे हग करते हुए उसके हाथ रूद्र के शर्ट की बटन तक चलें गए। रूद्र ने झट से उसका हाथ पकड़ा और उसकी तरफ पलट कर उसे धक्का देते हुए वापस सुला दिया। "शरण्या!!! ये ज्यादा हो रहा है!"

     शरण्या ने मासूमियत से कहा, "तुम मुझसे प्यार नहीं करता क्या? मैं तेरे लिए स्पेशल नहीं हूं?" रूद्र उसके बगल में आकर लेट गया और उसके बाल सहलाते हुए बोला, "तु मेरे लिए दुनिया में सबसे ज्यादा खास है, लेकिन सिर्फ वक्त इन सब बातों का नहीं है। मेरा हर एहसास सिर्फ तेरे लिए है। तू जो चाहेगी मैं वह करने को तैयार हूं लेकिन इस वक्त जो तेरे इरादे हैं, उसके लिए तुझे शादी तक इंतजार करना पड़ेगा, उससे पहले कुछ नहीं।" शरण्या ने पलटते हुए उसके सीने पर अपना सर रख दिया और बोली, "क्या तु सच में इतना ट्रेडिशनल है? मुझे तो लगा था उस दिन तू मजाक कर रहा था! तुझे कोई आईडिया नहीं है इस वक्त में कैसा फील कर रही हूं। इस पल का मैंने बरसो इंतजार किया है और आज जब तु मेरे इतने पास है फिर भी इतना दूर है। इस वक़्त मेरा दिल चाह रहा है कि तु मुझे जी भर कर प्यार करें। लेकिन ना तो तू मेरे करीब आ रहा है और न मुझे आने दे रहा है।" 

      रूद्र ने उसका हाथ पकड़ा और घुमाकर दूसरी तरफ करते हुए उसकी पीठ अपने सीने से लगा लिया और अपनी बाहों में समेट लिया। "अब तु कोई हरकत नहीं करेंगे समझी तु!!! ऐसी वैसी कोई हरकत नहीं और हिलेगी तो बिल्कुल भी नहीं! तू चाहती है मैं तुझे प्यार करूं, तो मै तुझे जी भर कर प्यार करूंगा लेकिन वो नहीं जो तू चाहती है। और अभी इस हाल में तो बिल्कुल भी नहीं। कल सुबह तक तुझे कुछ भी याद नहीं रहना, सब भूल जाएगी, तु समझ रही है ना मैं क्या बोल रहा हूं?" शरण्या उसकी बाहों में कसमसा उठी और खुद को छुड़ाने की कोशिश करने लगी। इस वक्त वो होश में नहीं थी और ना ही आपके कंट्रोल में। रुद्र ने उसे कसकर अपनी बाहों में कुछ इस तरह कस लिया जिससे वह बिल्कुल भी हिल ना पाए। थोड़ी देर की कोशिश के बाद थक कर शरण्या सो गई। उसे सोया देख रूद्र ने चैन की सांस ली और उसके माथे को चूम कर खुद भी सो गया।

      सुबह की ठंडी हवा के झोंके ने जब टेंट के परदे से होते रूद्र को छुआ तो उसकी आंख खुली और देखा तो शरण्या उसके बगल में सोने की बजाए उसके ऊपर ही चढ़कर सोई हुई थी। "इस लड़की का कुछ नहीं हो सकता भगवान!" उसने शरण्या के बाल सहलाते हुए आवाज लगाइ,"शरण्या! शरण्या!! शरू उठ जा, सुबह हो चुकी है! घर भी तो जाना है।" शरण्या अलसाई आवाज में बोली, "थोड़ी देर और सोने दो, अभी तो अलार्म भी नहीं बजा मेरा!" रूद्र बोला, "उठ जा मेरी जान! रेडियो स्टेशन में सब तेरा इंतजार कर रहे होंगे, तुझे काम पर नहीं जाना?" रेडियो स्टेशन का नाम सुनकर शरण्या की एकदम से आंख खुल गई। उसने खुद को रूद्र के उपर पाया। उसके कपड़े भी अस्त-व्यस्त हो चुके थे और रूद्र के शर्ट की बटन भी खुली हुई थी जिसे देख उसकी आंखें हैरानी से फैल गई। "कल रात तूने मेरा नशे होने का फायदा उठाया ना?" 

      रूद्र ने उसे ऐसे घूरा मानो वह कोई एलियन हो और दूसरी ग्रह से आई हो। रूद्र समझ गया कि उसे कल रात की बातें याद नहीं। उसने मुस्कुराकर कहा, "हां बिल्कुल! मैंने पी रखी थी, मैं नशे में था, नशे में तेरे साथ सारी हरकतें की और मै हीं तो तेरे ऊपर चढ़कर सोया हूं। सारी गलती मेरी है बेवड़ी कहीं की!!!" शरण्या को याद आया जो भी कल रात उसने हरकत की थी। पूर तो नहीं लेकिन उसे थोड़ा थोड़ा याद जरूर था। रूद्र ने जो कहा उसका मतलब समझ कर शरण्या खुद ही शर्मिंदा हो गई और साइड में जाकर बैठ कर। रूद्र भी उठ कर बैठा और बोला, "मुझे नहीं पता था तु पीने के बाद इतनी आउट ऑफ कंट्रोल हो जाती है। पूरी रात किस तरह मैंने अपनी इज्जत बचाई वो सिर्फ मैं ही जानता हूं, वरना तेरी कोई भी हरकत लड़कियों वाली बिल्कुल नहीं थी। तुझे याद भी है तूने कल क्या क्या कहा मुझे?" 

     कुछ सोचकर शरण्या के चेहरे पर मुस्कान आ गई। "मतलब रात तूने कुछ नहीं किया? मतलब कल रात को तूने खुद को कंट्रोल कर के रखा? मतलब तूने कभी किसी लड़की को नहीं छुआ?" रूद्र ने उसे घूर कर देखा और कहां, "नहीं!!!" और बाहर निकल गया। टेंट के बाहर खड़े होकर उसने आवाज लगाई, "शरु!!! जल्दी से कपड़े ठीक कर ले, तुझे घर छोड़ देता हूं। या तू कहे तो तुझे रेडियो स्टेशन ही छोड़ दूंगा।" शरण्या ने अपने कपड़े ठीक किए और बाल सवार ते हुए बाहर निकली। तब तक रूद्र ने आकर उसके हाथ में एक नींबू पकड़ा दिया। "मुझे पता था ऐसी वैसी कोई हरकत जरूर होगी इसीलिए मैंने यह पहले से ही रखा था। अब लगता है हमेशा इसे अपने साथ रखना होगा वरना तेरा कोई भरोसा नहीं।"

     शरण्या ने नींबू मुह में डाला और एकदम से चिल्ला पड़ी, "ईयू.......! कितना खट्टा है?" रूद्र जो कि सारा सामान गाड़ी में डाल रहा था उसने सुना तो पलट कर घबराते हुए कहां,"खट्टा है.....? ओ माय गॉड! मुझे तो पता ही नहीं था नींबू खट्टा होता है!" रूद्र वैसे ही थोड़ा नाराज था उसकी हरकतों से। उसके अंदाज ए बयां पर शरण्या खिसिया कर रह गई। तभी रूद्र के फोन पर विहान का कॉल आया, "कहां है तू? मतलब नया साल तक विश नहीं किया तूने, ऐसा किसके साथ बिजी है? रूद्र ने एक नज़र शरण्या को देखा और कहां, "अपनी गर्लफ्रेंड के साथ हूं, मेरी शायराना के साथ। अब यहां से सीधे उसे रेडियो स्टेशन ही छोड़ने जाऊंगा, उसके बाद आकर मिलता हूं तुझे। आई होप की तेरा नया साल भी काफी अच्छा गया हो। आई मीन कल रात!" 

    विहान बोला, "वैसे तो काफी अच्छा गया लेकिन और भी अच्छा हो सकता है, बस थोड़ी और कोशिश करने की देर है, फिर तो हर शाम खूबसूरत होगी।

      चल मैं रखता हूं मुझे निकलना है अभी! हैप्पी न्यू ईयर!" कहकर रूद्र ने फोन रख दिया। शरण्या उसके पास आई और बोली, "बिहान कहा था कल रात? पार्टी में भी नहीं आया था।" 

    "हां वह कल नेहा के हॉस्पिटल में पार्टी थी तो वहीं था।" रूद्र को ध्यान ही नहीं रहा कि उसने शरण्या को क्या जवाब देना था। विहान के बारे में सुनकर शरण्या खुशी से उछल पड़ी, "मतलब मेरा शक सही था! विहान और नेहा के बीच कुछ सॉलिड खिचड़ी पक रही है। मुझे यकीन नहीं हो रहा कि मेरी फ्रेंड मेरी भाभी बनेगी, आई एम सो एक्साइटेड!!!" रूद्र के हाथ रुक गए, उसने शरण्या को देखा जो इस वक्त खुशी से नाच रही थी। उसने मन ही मन सोचा, "अब तुझे कैसे बताऊं कि इस वक़्त विहान की लाइफ में क्या चल रहा है! तेरा भाई किसके पीछे है! ये बात जब तू जानेगी तो तेरे पैरों तले जमीन खिसक जाएगी और नेहा की भी। पता नहीं घर वाले कैसे रिएक्ट करेंगे।"








क्रमश:

टिप्पणियाँ

  1. Mazedaar khubsurat superb fantastic 👏👌👍mind blowing 🤯👌👏😀👍🙌

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  2. बहुत ही बेहतरीन भाग था मैम!! 👌👌 रुद्र तो पूरा नौंटकी है..!! 'ओह माय गॉड! मुझे पता ही नही था के नींबू खट्टे होते है!' 😂😂 पर बहुत सही बंदा है...!! शरण्या उसके पास आना चाहती थी नशे में फिर भी उसने रोक लिया खुद को...!!😊😊 बहुत प्यारे है दोनो! 💙💙

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  3. Shaandar rudra badnaam hokar bhi sharif h aur rehan sharif hokar bhi....besabra.....

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