ये हम आ गए कहाँ!!! (48)

     आज 31 दिसंबर की रात थी और आज ही रुद्र को अपना प्यार शरण्या के सामने जाहिर करना था। रॉय फैमिली और सिंघानिया फैमिली मिस्टर खुराना की पार्टी में शामिल होने वाले थे। जैसा कि पहले तय हुआ था रूद्र को भी उन सब के साथ जाना था। लेकिन रूद्र का शरण्या को लेकर प्लान कुछ और ही था। वह पिछले 2 दिनों से सारी तैयारियों में लगा था। लोकेशन से लेकर डेकोरेशन तक सब कुछ पिछले 2 दिनों में ही तय कर लिया था उसने। आज अपनी डेट को वह सबसे ज्यादा स्पेशल बनाना चाहता था ताकि शरण्या को आज की रात हमेशा याद रहे। आज उसे अपनी शरण्या के सामने ना सिर्फ अपने प्यार का इजहार करना था बल्कि उसे यह अहसास भी दिलाना था कि वह उसके लिए कितनी खास है। सारी तैयारियां होने के बाद रुद्र जब घर पहुंचा तो दादी ने उसे अपने पास बुलाया और आज के बारे में याद दिलाया। 

     "आज का दिन याद भी है या भूल गया? तूने कहा था ना कि तू नए साल पर शरण्या के साथ अपने रिश्ते की शुरुआत करना चाहता है! उसके लिए तो तुझे आज ही सारी तैयारी करनी होगी ना! बताया उसे अपने प्लान के बारे में?" रूद्र बोला, "दादी! आपसे ज्यादा मैं बेचैन हू उससे अपने दिल की बात कहने को। मुझसे यह कुछ दिन नहीं रुका जा रहा और शरण्या तो ना जाने कब से अपने दिल में यह सब छुपाए बैठी है। मैंने सारी तैयारियां कर ली है, कुछ नहीं भूला हूं मैं। और रही बात उसे बताने की तो उसे बता कर मैं अपना सारा प्लान का कबाड़ा नहीं करना चाहता। अगर उसे बता दिया तो फिर सरप्राइज क्या रह जाएगा! कम ऑन दादी, बी कूल!"

     "कूल के बच्चे! ठंड वैसे ही बहुत ज्यादा है तो यह कूल कूल मत कर और जा जाकर तैयार हो जा। शाम हो चुकी है, उस खुराना की पार्टी में भी जाना है। और वहां से नजर बचाकर अपनी वाली को उड़ा कर भी ले जाना है। जा जल्दी से तैयार हो जा, इससे पहले कि तेरा वह सडियल बाप तुझे ताने देना शुरू कर दे।" दादी की बात सुन रूद्र को हंसी आ गई। अपने पापा के ऐसे ऐसे नाम सुनना उसे बड़ा अच्छा लगता था और यह काम दादी के अलावा कोई और कर ही नहीं सकता था। दादी ने प्यार से उसका माथा चूमा और ऑल द बेस्ट कह दिया क्योंकि जहां पार्टी में सभी जा रहे थे दादी घर में ही रुकने वाली थी। इस मौसम में उन्हें घर से बाहर निकलना सही नहीं लगा। बाकी सब का पार्टी में होना जरूरी था इसलिए दादी ने अकेले ही घर में रहने की इच्छा जाहिर की। रूद्र भी बिना एक भी पल गवाए अपने कमरे में चला गया और फ्रेश होकर पार्टी के लिए तैयार होने लगा। ब्लैक पैंट ब्लैक शर्ट और व्हाइट ब्लेजर उस पर काफी अच्छा लगता था। अपने कमरे से निकलने से पहले उसने खुद को एक बार अच्छी तरह से आईने में देखा क्योंकि आज उसे पार्टी के लिए नहीं बल्कि शरण्या के साथ उसकी पहली डेट के लिए तैयार होना था। आज उसे वह सब कुछ करना था जो शरण्या को अच्छा लगता था। हर वो चीज जो शरण्या को पसंद थी। 

     घर से लगभग सभी लोग पार्टी के लिए निकल चुके थे। ललित और शिखा पहले ही जा चुके थे और रेहान भी लावण्या को लेने उसके घर गया था। लावण्या और शरण्या दोनों ही तैयार होकर हॉल में बैठी थी। लावण्या ने जानबूझकर शरण्या का फोन उसके कमरे में छुपा दिया ताकि उसे ढूंढने में थोड़ा वक्त लगे। जिस वक्त रेहान लावण्या को लेने घर पहुंचा उस वक्त शरण्या अपने कमरे में अपना फोन ढूंढने में लगी थी। लावण्या ने एक बार भी शरण्या को आवाज नहीं लगाई और चुपके से रेहान के साथ निकल गई। शरण्या अभी भी अपना फोन ढूंढने में लगी थी। वही लावण्या ने घर से कुछ दूर निकलते ही रूद्र को मैसेज कर दिया कि शरण्या घर में अकेली है। 

     रूद्र को बस इसी एक मैसेज का इंतजार था। उसने जल्दी से अपनी गाड़ी की चाबी उठाई और निकल पड़ा इधर शरण्या बेचैन होकर अपना फोन ढूंढने में लगी थी। तभी उसका फोन बजने लगा। आवाज का पीछा करते हुए शरण्या को फोन मिला तो देखा उस पर लावण्या का कॉल आ रहा था। शरण्या को बिल्कुल भी एहसास नहीं था कि लावण्या घर पर नहीं है। उसने फोन उठाते ही कहा,"थैंक यू दी! कब से ढूंढ रही थी इसको, पता नहीं अलमारी में कैसे चला गया? मैं तो कभी नहीं रखती यहां! मैं बस अभी आ रही हूं नीचे।" कहते हुए उसने जल्दी से फोन रख दिया बिना लावण्या की बात सुने और नीचे की तरफ दौड़ पड़ी। लेकिन नीचे हॉल में लावण्या होती तो नजर आती ना! शरण्या उसे ढूंढते हुए बाहर की तरफ निकली लेकिन वहां भी वह नहीं थी तो उसने लावण्या को कॉल किया। लावण्या ने फोन उठाते ही कहा, "तू कभी किसी की बात पहले सुनती नहीं है और बस फोन रख देती है। तेरी बात के अलावा भी और कोई बात हो सकती है। तू सामने वाले की बात सुनना कब शुरू करेगी? तू ना नए साल में खुद से एक वादा कर कि अपने बोलने से पहले या बोलने के बाद सामने वाले की बात भी सुनेगी और वैसे भी मैं इस वक्त घर पर नहीं हूं। तुझे टाइम लग रहा था और रेहान को देर हो रही थी इसलिए मैं रेहान के साथ चली आई। तु फिक्र मत कर, ड्राइवर अगर होगा तो तु उसके साथ चली आना वरना मैं देखती हूं किसी को। बाइक से मत आना वरना मॉम ने देख लिया तो बहुत गुस्सा होंगी।"

     लावण्या ने अपनी बात कह कर फोन तो रख दिया लेकिन शरण्या को समझ नहीं आ रहा था कि वह करे तो क्या करें? ऐसा कोई दोस्त भी तो नहीं था जिसके साथ वो नया साल इंजॉय कर सके और ना ही किसी पार्टी का उसे इनविटेशन था। "लगता है आज की रात अकेले ही घर में गुजारनी पड़ेगी! शरण्या तेरा नया साल कितना शानदार है! मुबारक हो तुझे तेरा नया साल!!!" खुद में बड़बड़ाती हुई शरण्या घर के अंदर जाने को पलटी। तभी अपने पीछे से उसे गाड़ी की हेडलाइट जलती हुई नजर आई। उसने पलट कर देखा तो पाया रूद्र की गाड़ी उसके कंपाउंड के अंदर दाखिल हो रही थी। उसे यकीन नहीं हुआ कि रूद्र यहां उसे लेने आया है। आज का दिन तो उसे अपनी गर्लफ्रेंड के साथ होना चाहिए था। आज के लिए लोग कई तरह की प्लानिंग करते हैं तो फिर रूद्र यहां क्या कर रहा था! 

      रूद्र गाड़ी से उतरा और उसकी नजर सबसे पहले सामने खड़ी शरण्या पर गई। सफेद लॉन्ग वन पीस ड्रेस में ऊपर से श्रग डाल रखा था। हाथ में पतला सा ब्रेसलेट और बाल खुले हुए जो कमर तक लहरा रहे थे। इस वक्त वह किसी परी से कम नहीं लग रही थी। दो पल को रुद्र उसे बस देखते ही रह गया। उसने एक नजर अपनी गाड़ी में रखे उस पैकेट पर डाली जिसमें उसने वह रेड ड्रेस रखी थी। उसने मन ही मन कहा, "इससे ज्यादा खूबसूरत कुछ और हो ही नहीं सकता जो इस वक्त मेरी आंखों के सामने हैं!" रूद्र को खोया देख शरण्या बोली, "तु यहां क्या कर रहा है? तुझे तो अपनी डेट पर होना चाहिए था, अपनी डेट के साथ! तो फिर तु यहां अपना वक्त क्यों बर्बाद करने आया है? तेरी जानकारी के लिए बता दूं इस वक्त घर पर कोई नहीं है, सिवाय मेरे! तो अपना वक्त यहां बर्बाद मत कर और जा यहां से!"

     "घर पर कोई नहीं है, मैं भी चला जाऊं तो तू यहां अकेली क्या कर रही है? वह भी इस तरह तैयार होकर! किसी डेट पर जा रही है क्या? बिना मुझे बताएं और किसके साथ जा रही है, जरा मैं भी तो जानू!!!" कहते हुए रूद्र धीमे कदमों से शरण्या के करीब आया। उसके हर बढ़ते कदम के साथ शरण्या का दिल भी तेजी से धड़कने लगा था। उस दिन रूद्र का ऐसे करीब आना शरण्या अब तक नहीं भूल पाई थी। वह एहसास अभी भी उसके दिल को पिघला रही थी। रूद्र ने उसके करीब आकर उसकी आंखों का काजल लेकर उसके कान के पीछे लगाते हुए कहा,"चले! वरना पार्टी के लिए देर हो जाएगी!"

    शरण्या चाह कर भी रूद्र से खुद को दूर नहीं रख पा रही थी और ना ही रूद्र को खुद से दूर कर पा रही थी। पिछले कुछ दिनों में बहुत से बदलाव उन दोनों के बीच देखने को मिला था। इससे पहले रूद्र ने कभी उसे इतने प्यार से ट्रीट नहीं किया था, जैसा वह अब करने लगा था। शरण्या का दिल उसे बार-बार कहता कि रुद्र को उससे प्यार है लेकिन उसका दिमाग यह मानने को तैयार नहीं था। रुद्र की बातों पर भरोसा कर शरण्या अपने दिल की बात को साफ नकार देती थी। रूद्र ने शरण्या का हाथ पकड़ा और गाड़ी में बिठा दिया। गाड़ी के अंदर आकर उसने शरण्या की बेल्ट लगाने में हेल्प की और उसे लेकर वहां से निकल गया। पार्टी में काफी रौनक थी लेकिन रूद्र की रौनक तो सिर्फ शरण्या ही थी। वह उससे अलग नहीं होना चाहता था। पूरी पार्टी के दौरान मिस्टर खुराना ने कई बार रूद्र को अपनी बेटी से मिलवाना चाहा लेकिन रूद्र कोई ना कोई बहाना बनाकर वापस शरण्या के पास चला आता। 

     रात के 11:00 बजने वाले थे और रूद्र को समझ नहीं आ रहा था कि वह शरण्या को यहां से लेकर जाए तो किस बहाने से! उसने लावण्या से हेल्प मांगी तो लावण्या ने मुस्कुराते हुए रूद्र को आंख मार दी। शरण्या ने अभी अभी खाना खत्म ही किया था तभी लावण्या उसके पास आई और उसके कान में कुछ कहा। शरण्या के माथे पर बल पड़ गए वह जल्दी से रुद्र के पास आई और उसका हाथ पकड़कर खींचते हुए बाहर ले कर गई। रूद्र को समझ नहीं आया कि आखिर लावण्या ने ऐसी कौन सी बात कह दी कि शरण्या उसे खुद बाहर लेकर आई है। तभी उसके फोन में एक मैसेज आया "ऑल द बेस्ट! अब लेकर जाओ उसे!" वह मैसेज लावण्या गया था। वह मुस्कुरा दिया तभी शरण्या गुस्साते हुए बोली, "रूद्र क्या कर रहा है? जल्दी चल बहुत अर्जेंट है!"

     रूद्र ने अपना फोन पॉकेट में डाला और शरण्या को लेकर वहां से निकल गया। शरण्या हड़बड़ाते हुए बोली, "यहां पास में कोई केमिस्ट की शॉप हो तो रोकना!" केमिस्ट शॉप की बात सुन रूद्र चौक गया और पूछा, "केमिस्ट की शॉप में क्यों जाना है? अचानक से किसकी तबीयत बिगड़ गई जो तुम्हें दवाई लेनी है? ऐसा क्या कह दिया है लावण्या ने? कुछ हुआ है क्या उसे?"

    शरण्या खुलकर उसे कुछ नहीं कहना चाहती थी लेकिन उसे पता था कि अगर रूद्र ने सवाल किया है तो बिना उसका जवाब जाने वो छोड़ेगा नहीं। उसने सीधे सिंपल भाषा में कहा, "दवाई नहीं लेनी है रूद्र कुछ और लेना है! अब केमिस्ट की शॉप में सिर्फ दवाइयां नहीं मिलती है कुछ अर्जेंट चीजें भी मिलती है। और दी ने मुझसे क्या कहा यह मैं तुम्हें नहीं बता सकती। यह हम लड़कियों के बीच की बात है। यू नो गर्ल्स प्रॉब्लम! बस इसलिए। रात ज्यादा हो गई है और ध्यान से चलाना कोहरा भी है। ऐसे में केमिस्ट की दुकान देखना पड़ेगा। मै एक काम करती हूं, फोन में चेक कर लेती हूं।"

     शरण्या की बातें सुन रूद्र को समझ आ गया कि लावण्या ने क्या कहा था। इस तरह की इमरजेंसी सिर्फ लड़कियां ही क्रिएट कर सकती है। उसने एक हाथ से फोन निकालकर थैंक्यू लिखा और लावण्या को भेज दिया। शरण्या अपने फोन में आसपास केमिस्ट शॉप ढूंढ रही थी तभी रूद्र उसका फोन लेते हुए बोला, "तुम शांत रहो और आराम से बैठो! मुझे पता है यहां पास में कौन सी शॉप खुली होगी। तुम निश्चिंत रहो, मैं ड्राइव कर रहा हूं।" शरण्या ने बिना सोचे समझे रूद्र पर भरोसा किया और फोन लेकर साइड में रख दिया। कोहरा होने की वजह से शरण्या अपने आसपास की चीजों पर ज्यादा ध्यान नहीं दे पा रही थी। रूद्र अपनी धुन में ड्राइव कर रहा था और गाड़ी उसने शहर के बाहर की ओर घुमा दी। शरण्या को आसपास की चीजें नजर तो नहीं आ रही थी लेकिन फिर भी वह रास्ते पर लगे बोर्ड को पढ़ने की कोशिश में लगी थी। लेकिन कोहरे की वजह से उसे ठीक से कुछ नजर नहीं आ रहा था और रुद्र खामोशी से अपनी ड्राइविंग पर फोकस किए हुए था। शरण्या ने गाड़ी का म्यूजिक सिस्टम ऑन कर दिया जिसमें एक बड़ी ही प्यारी सी धुन बज रही थी। 

     

    चाहू तो भी मै कैसे कहु, सारी जो बाते दिल कहता है! 

    लहर सपनो के कैसे गिनु, दरिया बहता ही रहता है!! 

     


टिप्पणियाँ

  1. ओह्ह गॉड मैम, आपने तो एकदम हार्टबीट बढ़ा दी और बीच मे लटका दिया...!! लावण्या ने मस्त सा रुद्र का साथ दिया और बहाना बनाकर शरण्या को उसके साथ भेज दिया... दादी भी बहुत एक्साइटेड है दोनो के लिए और मैं भी!! 😁😁 अब रुद्र शरण्या को लेकर जाएगा और नजाने क्या होगा उसका सरप्राइज..?! बस बिना गड़बड़ से सब ठीक से हो!! 🤞अगले भाग का बेसब्री से इंतेज़ार रहेगा!! 😊😊

    जवाब देंहटाएं

एक टिप्पणी भेजें

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

सुन मेरे हमसफर 272

सुन मेरे हमसफर 309

सुन मेरे हमसफर 274