सुन मेरे हमसफर 267
267 काया निशि को लेकर कुहू के कमरे की तरफ जाने लगी तो निर्वाण ने दोनों को रोकने की कोशिश की लेकिन बहाना क्या बनाए यही उसकी समझ में नहीं आ रहा था। इतने में अव्यांश तेज कदमों से चलते हुए आया और काया पर नाराज होकर कहा "तुम लोग कर क्या रहे हो, मेरी कुछ समझ में नहीं आ रहा!" काया ने हैरान होकर पूछा "क्यों भाई, ऐसा क्या हो गया है? हम लोग लगे हुए हैं कुछ ना कुछ काम में। कुहू दी को लेकर हम पार्लर गए थे। उनको तैयार करवाने में ही थोड़ा सा टाइम लग गया। वहां से आए तो नेत्रा ने हमें यहां बैठा दिया और अभी निकल कर आ रहे हैं। कुछ काम था भाई?" अव्यांश ने नाराजगी से कहा "तुम लोग पार्लर में भी तैयार हुई यहां भी तैयार हो रही हो। मतलब इतना तो कुहू दी को भी तैयार होने में टाइम नहीं लगा होगा जितना तुम लोग लगा रहे हो। सोनू कहां है?" दूसरे कमरे से सुहानी भी काया की जैसे जबरदस्ती निकाल कर आई और कहा "मैं यहां हूं, बोल क्या बोलना है।" अव्यांश ने सुहानी पर भी नाराज होकर कहा "तुम लोगों को ना, आज ही का दिन मिला है 50 बार तैयार होने को। उधर तुम दोनों ने