सुन मेरे हमसफर 259

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      अपने कमरे के दरवाजे पर शिवि को खड़ा देख कुणाल बुरी तरह से हैरान था। शादी से पहले इस तरह उसका घर पर आना, कुणाल के साथ साथ कार्तिक सिंघानिया को भी हैरत में डाल गया। कुणाल के गले से तो बोल ही नहीं फूटा। वह तो बस शिवि को देखा ही रह गया। सांवली सी सूरत, बादामी कलर के लहंगे में, जिसको उसने साड़ी की तरह पहन रखा था और भी खूबसूरत लग रही थी।


      कुणाल को चुप देख कार्तिक ने ही पूछा "आप यहां? आप यहां क्या कर रही है?"


     शिवि को कार्तिक का यह सवाल सुनकर थोड़ा अजीब लगा। वैसे तो उसका यहां आना ही अजीब था लेकिन फिर भी उसने जबर्दस्ती मुस्कुरा कर अपने हाथ में पड़ा डब्बा आगे बढ़ाया और कहां "यह मासी ने कलगी भेजी थी।"


    कार्तिक के मुख से निकला, "लेकिन वो तो सुहानी देने आने वाली थी। आप क्यों?"


     शिवि ने बड़ी शांत आवाज में कहा, "उसे कुछ काम था इसीलिए मुझे भेज दिया। मैं बस ये देने आई थी। बाकी इनको इनके कपड़े तो मिल गए होंगे!"


     कार्तिक ने कुणाल की तरफ देखा। शिवि कुणाल से बात नहीं कर रही थी लेकिन पूछना तो उसे कुणाल से ही था। लेकिन जब शिवि ने सीधे उससे ही सवाल किया था तो कार्तिक ने कहा "हां कुणाल के कपड़े मिल गए थे, सुबह ही।"


    शिवि ने बड़े मुस्कुरा कर ताना मारा "जब सुबह ही कपड़े मिल गए थे तो अभी तक तैयार क्यों नहीं हुए? बारात निकलने का मुहूर्त हुआ नही है क्या?"


    ऋषभ, जो कि इस सब के बीच चल रही गड़बड़ के बारे में कुछ नहीं जानता था, उसने सफाई देनी चाही "अरे यही तो मैं भी कह रहा था। अव्यांश सुबह ही आकर इसकी पूरी फिटिंग वगैरा चेक करके गया था। सब कुछ ठीक था। बारात निकलने में अभी टाइम है। कोई बात नहीं हम अभी तैयार कर देते हैं। आप जो लाई है वह रख दीजिए।"


     कार्तिक ने अपने भाई को कंधे से जोर से पकड़ा और शिवि से पूछा, "लेकिन अभी तो सुहानी यहां आने वाली थी। आप कैसे?" कार्तिक को एहसास हुआ कि उसने कुछ ज्यादा बोल दिया है। ये नही बोलना था।


     शिवि ने मुंह बनाकर कहा, "उसका मन नहीं हुआ शायद। कोई फ्रेंड आ गया था इसीलिए उसे अटेंड करने चली गई।" 


   कार्तिक ने कुणाल की तरफ देखा और शिवि से कहा "ठीक है। आपको जो भी बात करनी है, आप कुणाल से कर लीजिए। जो देना है, उसी को से दीजिए। हम दोनों को भी थोड़ा सा काम है, हम आते हैं। वैसे भी बारात निकालने में थोड़ा टाइम बाकी है। तब तक तो कुणाल आराम से तैयार हो जाएगा। इसमें टेंशन लेने वाली कोई बात नहीं है।" फिर उसने ऋषभ से कहा "रिशु तू चल मेरे साथ। थोड़ी सी मुझे प्रॉब्लम हो रही है, एक बार तू हेल्प कर दे।"


     ऋषभ को कार्तिक की बातें बहुत ज्यादा अजीब लगी। उसने कहा "मैं क्या तेरी हेल्प करूं? और तुझे क्या प्रॉब्लम हो गई है?"


   कार्तिक तो कुणाल को शिवि के साथ थोड़ा टाइम देना चाहता था इसीलिए वो जबरदस्ती मुस्कुरा कर बोला "मेरी सूट की फिटिंग में थोड़ी सी प्रॉब्लम हो गई है। तू चल मेरी हेल्प करते ताकि मैं तैयार हो सकूं। चल तू!"


    कार्तिक ने ऋषभ को जबरदस्ती हाथ पकड़ कर अपने साथ खिंचा। ऋषभ अपना हाथ छुड़ा नहीं पाया और कार्तिक के साथ चलता चला गया लेकिन उसने चिल्ला कर कहा,"अबे मैं उस टाइप का नहीं हूं। मेरी शादी तय हो गई है, छोड़ मुझे!"


      दोनों भाई की बातें सुनकर, खास तौर पर ऋषभ को देखकर शिवि को बहुत ज्यादा हंसी आ रही थी। उसने बड़ी मुश्किल से अपनी हंसी को कंट्रोल कर रखा था फिर भी वह अपने आप को हंसने से रोक नहीं पाई और कहा "तूने बिल्कुल सही आइटम चुना है अपने लिए कायु!"


     शिवि हंस रही थी और कुणाल बस एकटक उसकी हंसी में ही खो कर रह गया था। हंसते हुए एकदम से शिवि की नजर कुणाल पर गई तो वह थोड़ा सा झेंप गई और उसके होठों पर से वह हंसी भी गायब हो गई। कुणाल ने कहा "तुम हंसते हुए बहुत अच्छी लगती हो। लेकिन तुम्हारी प्रॉब्लम यह है कि तुम कभी हंसना ही नहीं चाहती। हमेशा गुस्से में रहती हो। ऐसा क्यों?"


    शिवि ने धीरे से कहा "ऐसा कुछ नहीं है।"


    कुणाल ने जवाब दिया "मैंने तुम्हें पहले कभी ऐसे हंसते हुए नहीं देखा। मुझे तुम्हारी इस मोमेंट को कैप्चर कर लेना चाहिए था। गलती हो गई। अगर मुझे पता होता कि तुम आ रही हो तो मैं कैमरा तैयार रखता। एक्चुअली मेरा फोन अभी मेरे पास नहीं है, पता नहीं कहां है। डैड ने रख दिया है कहीं।"


     शिवि को कुणाल की ऐसी अजीब सी बाते सुनने का बिल्कुल भी मन नहीं था। उसने हाथ में पकड़ी वह छोटी सी डिबिया कुणाल के सामने टेबल पर रखा और कहा "मैं बस ये देने आई थी। जल्दी से तैयार हो जाओ, टाइम पर मंडप में भी पहुंचना है।"


    शिवि उस कमरे में और नहीं रुकना चाहती थी। ना जाने क्यों उसे अजीब सा लग रहा था। इसलिए वो अपना काम खत्म कर वहां से जाने को हुई लेकिन एकदम से कुणाल ने उसका हाथ पकड़ लिया।


     कुणाल की हरकत से शिवि सन्न रह गई। उसे कुणाल से ऐसी किसी हरकत की उम्मीद नहीं थी। हां हॉस्पिटल में एक बार उसने हाथ पकड़ा था लेकिन इसके लिए उसने कुणाल को सुनाया भी था। लेकिन इस वक्त उसका हाथ पकड़ना शिवि को अंदर ही अंदर झकझोर दिया। उसने पलट कर कुणाल को एक बार फिर कुछ कहना चाहा लेकिन कुणाल ने बिना उसे कुछ कहने का मौका दिए आगे बढ़कर उसे गले से लगा लिया। अब तो यह और भी ज्यादा अनएक्सपेक्टेड था।



*****



     शुभ को उस गाड़ी के अंदर बैठने में थोड़ी हिचक महसूस हो रही थी। ना जाने वह कौन था जो उसे जानता था, जबकि यहां से गए उसे कई साल हो गए थे। 8 साल तक वह जेल में रहा उसके बाद वह यहां से चला ही गया। करीब 26 27 साल वह यहां नहीं था तो फिर यहां कौन उसे इस तरह मिलना चाहेगा? 


    ड्राइवर ने एक बार फिर इशारा किया "सर प्लीज!"


     शुभ ने सोचा, ' इस का सच जानने के लिए मुझे जाना ही होगा। आखिर मैं भी तो इसी की तलाश में आया था। मैं भी तो जानूं कि ये मित्तल परिवार का दोस्त है या दुश्मन।' और गाड़ी के अंदर जाकर बैठ गया। ड्राइवर भी गाड़ी में बैठा और शुभ को लेकर वहां से निकल गया।


    कुछ दूर ड्राइव करने के बाद ड्राइवर ने एक जगह गाड़ी रोकी और शुभ से उतरने को कहा। शुभ गाड़ी से उतरा तो देखा, सामने एक और गाड़ी खड़ी थी जिसके बाहर एक लड़का खड़ा उसे ही देख रहा था। उस लड़के ने पूछा "अव्यांश मित्तल के चाचा हो ना तुम?"


     उस लड़के के लहजे में कुछ ऐसा था कि शुभ ने एक पंच उसके जबड़े पर मारा और कहा "जब जानते हो तो उम्र का लिहाज करना सीखो।"


    वो लड़का चिल्लाया, "मॉम.......!!!"


     सामने खड़ी गाड़ी का दरवाजा खुला और अंदर से दो खूबसूरत पैर बाहर निकले। उस महिला ने बाहर आते ही कहा "क्या करें शुभ! यही बात तो मैं कब से इसे समझ रही थी लेकिन ये है कि समझता ही नहीं।"


     शुभ ने हैरानी से उस महिला को देखा जिसकी आवाज उसने पहले भी सुनी थी। और उस चेहरे पर नजर पड़ते ही शुभ के होश उड़ गए। वह बस इतना ही बोल पाया "तुम जिंदा हो?"


    शुभ का हैरान चेहरा देख सामने खड़ी महिला खिलखिला कर हंस पड़ी।





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टिप्पणियाँ

  1. Ab ye mahila kon aagyi aur ye shubh ab kuch kand karne wala hai kya.kunal ka to samajh hi nhi aata ab shivi ko gale laga liya dulha kuhu ka hai shadi hone mai thodi hi der bachi hai ab apna love confance kar kya kar lega

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